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Indraganj Lashkar

महिलाएं नए भारत की ध्वजवाहक (08.03.2022)

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महिलाएं नए भारत की ध्वजवाहक

लश्कर ग्वालियर : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की सहयोगी संस्थान राजयोग एज्युकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन के महिला प्रभाग द्वारा माधवगंज स्थित शाखा में अंतर्राष्ट्रीय  महिला  दिवस पर महिलाएं नए भारत की ध्वजवाहक थीम के अंतर्गत कार्यक्रम का आयोजन किया गया|

जिसमें मुख्य रूप से रितिका गुप्ता (इंटीरियर डिज़ाइनर, राष्ट्रिय प्रशिक्षिक), किरण सिंह (निदेशक ग्रीन वुड स्कूल ग्वालियर) , डॉ.विनीता जैन (सदस्य किशोर न्यालय बोर्ड, अध्यक्ष जैन महिला परिषद) , मीरा श्रीवास्तव (निदेशक के.जी.चिल्ड्रन), पूर्णिमा अग्रवाल (हेल्थ केयर, समाज सेवा ) , तृप्ति भटनागर (समाज सेवी) , सुजाता संग्राम सिंह (समाज सेवी) , आशा सिंह (समाज सेविका), ब्रह्माकुमारीज़ लश्कर ग्वालियर की मुख्य संचालिका बी.के. आदर्श दीदी, बी.के. ज्योति बहन |

कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ तत्पश्चात सभी उपस्थित अतिथियों का बी. के. ज्योति बहन द्वारा स्वागत किया गया |

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बी.के.आदर्श दीदीजी ने आज महिला दिवस पर सभी को शुभकामनाएं दीं और बताया कि नारी एक शक्ति है और सारे जग की शान है इसलिए वर्तमान समय में परमात्मा शिव ने भी ज्ञान का कलश नारी को ही दिया है | वास्तव में उस कलश के साथ ही नारी इस समाज का, इस संसार का उद्धार कर सकती है | परन्तु समाज का, इस संसार का परिवर्तन तब ही होगा जब हम परिवर्तन की शुरुवात स्वयं से करेंगे उसके लिए सबसे ज़रूरी है स्वयं को परचिन्तन परदर्शन से हटा कर ईश्वरीय चिंतन करने की इसके साथ ही उन्होंने बताया कि ब्राह्माकुमारीज़ संस्थान पूरे विश्व एक अनोखी संस्था है जिसका संचालन माताओं बहनों के हाथ में आज हजारों संख्या में ब्रह्माकुमारी बहनें पूरे विश्व आध्यात्मिकता और भारतीय संस्कृति को बिखेर रहीं है | जीवन में सुख शांति का आधार परमात्मा की याद और जीवन में आध्यात्मिकता है | आज मनुष्य आध्यात्मिकता से दूर होता जाता रहा है जिसकी वजह से  समाज में विकृतियाँ आ रही है | यदि इस संसार को फिर से स्वर्ग बनाना है तो हमें अपने जीवन में श्रेष्ठ संस्कारों को धारण करना और माताओं बहनों का सम्मान करना होगा | तो यह संसार स्वर्णिम संसार बन जायेगा |

कार्यक्रम में मीरा श्रीवास्तव ने बताया कि पहले के समाज में नारी पर बहुत अत्याचार होते थे परन्तु आज इस समाज में थोडा सा परिवर्तन आया है लेकिन जितना बड़ा समाज है और जितनी जनसँख्या है उसके हिसाब से अभी महिलाओं के प्रति इस समाज की सोच में परिवर्तन होना बहुत ज़रूरी है | क्योकिं जीवन देने वाली मां उस ईश्वर के समान महान होती हैं |

डॉ.विनीता जैन ने बताया कि आज के समाज में सभी महिलाओं को समानता देने की बहुत आवश्यकता है| क्योकिं शिक्षित तो आज के ज़माने में सब हैं परन्तु शिक्षा को अपने निजी जीवन में बहुत कम लोगो ने धारण किया है | तो मैं आज सबसे यही कहना चाहती हूँ की महिला दिवस की सार्थकता तब ही सिद्ध होगी जब यह समाज और  इस समाज में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति महिलाओं को सम्मान देने लग जायेगा |

आगे रितिका गुप्ता ने सभी को संबोधित करते हुए बताया कि आज हर एक महिला शक्तिशाली है सशक्त है बस आवश्यकता है उनको स्वयं को जानने की अपनी शक्तियों को पहचानने की क्योकिं हम ही जननी है इस सम्पूर्ण संसार की | साथ ही उन्होंने बताया कि सशक्त, शक्तिशाली, समर्पण भाव, सहनशक्ति, साहस, ममता, मेहनत और लगन इन शब्दों से नारी को परिभाषित किया जाता है |

सुजाता संग्राम सिंह ने बताया की सबसे पहले महिलाओं को स्वयं का सम्मान करना अतिआवश्यक है तब ही समाज में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति उनका सम्मान करेगा |  तो आज आध्यात्मिक विकास के साथ-साथ ज़रूरत है सामाजिक रूप से भी जागृत रहने की | आप नारी हैं तो इस बात पर हम सभी को गर्व होना चाहिए |

किरण सिंह ने कहा कि नारी इस संसार का आधार है नारी के बिना इस संसार की कल्पना असंभव है | आज हम देखते हैं बहुत महिलाओं को मदद की ज़रूरत है तो आज महिला दिवस के उपलक्ष्य में हम सभी ये पक्का करें की जो ज़रूरतमंद हैं , बेसहारा हैं उनकी मदद करने के लिए हम सभी आगे आए क्योकिं महिला का गुण है करुणा, दया और ममता तो महिलाओं के लिए सभी की मदद करना आसन हो जाता है |

तत्पश्चात पूर्णिमा अग्रवाल और तृप्ति भटनागर ने भी अपनी शुभकामनयें दी |

कार्यक्रम के अंत में सभी अतिथियों का शाल ओढाकर एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित भी किया गया |

कार्यक्रम का कुशल संचालन श्रीमति आशा सिंह ने किया तथा सभी का आभार बी. के. प्रहलाद भाई के द्वारा किया गया |

कार्यक्रम में नीलम गुप्ता, जया लोकवानी, बी. के. लक्ष्मी, बी. के. महिमा, बी. के. प्रिया, बी. के. सुरभि सहित सैकड़ों बहनें एवं भाई उपस्थित थे |

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म.प्र. के माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी ने ‘सामाजिक समरसता’ कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी बहनों को शॉल ओढ़ाकर किया सम्मानित

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Gwalior : म.प्र. के माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी, भारत सरकार के केंद्रीय संचार मंत्री माननीय श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जी, म.प्र. विधानसभा अध्यक्ष माननीय श्री नरेंद्र सिंह तोमर जी ने ग्वालियर के दत्तोपंत ठेंगड़ी सभागार, कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित सामाजिक समरसता’ कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी बहनों को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। जिसमें ब्रह्माकुमारी रोशनी, ब्रह्माकुमारी सुरभि, बीके डॉ.गुरचरण सिंह को सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में प्रदेश के अनेकानेक कैबिनेट मंत्री गण, सांसद, विधायक सहित अन्य जनप्रतिनिधि तथा प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित थे।

इस अवसर पर बीके रोशनी, बीके सुरभि, बीके डॉ.गुरचरण सिंह ने माननीय मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव जी का अभिनंदन करते हुए उन्हें ईश्वरीय सौगात भेंट की।

कार्यक्रम में शहर से अनेकानेक सम्माननीय धर्मगुरु, धार्मिक संस्थान, सामाजिक संस्थान से तथा गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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बाल व्यक्तित्व विकास शिविर

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ब्रह्माकुमारीज केंद्र पर तीन दिवसीय बाल व्यक्तित्व विकास शिविर का हुआ शुभारंभ

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बच्चों में प्रेम, दया, क्षमा, आत्मविश्वास, सहनशीलता जैसे गुणों का विकास बहुत आवश्यक – आदर्श दीदी

जो बच्चे आज्ञाकारी होते है उन्हें सभी की दुवाएं एवं स्नेह मिलता है – प्रहलाद भाई

ग्वालियर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की भगिनी संस्था राजयोग एजुकेशन एंड रिसर्च फाऊंडेशन के युवा प्रभाग और शिक्षा प्रभाग के द्वारा माधवगंज स्थित प्रभु उपहार भवन में तीन दिवसीय बाल व्यक्तित्व विकास शिविर का शुभारंभ हुआ।
इस शिविर में बच्चों के सम्पूर्ण विकास के लिए आध्यात्मिकता, नैतिक शिक्षा, व्यवहारिक ज्ञान और सकारात्मक सोच आदि विषयों को रचनात्मक ढंग से बताया जायेगा।
शिविर के शुभारंभ में मुख्य प्रशिक्षक के रूप में उपस्थित मोटिवेशनल स्पीकर एवं वरिष्ठ राजयोग ध्यान प्रशिक्षक बीके प्रहलाद भाई ने नए सभी बच्चों को मोटिवेट करते हुए मजेदार शिक्षाप्रद कहानियाँ सुनाकर शिविर की शुरुआत की। उन्होंने एक रचनात्मक एक्टिविटी के माध्यम से शिविर में उपस्थित बच्चों को सिखाया कि हमें ध्यान से सुनना चाहिए। क्योकि ध्यान से सुनने का बहुत महत्व है। जबकि सुनने से ज्यादा हम देखकर कर्म करते है, हम जैसा देखते है वैसा हम बनते चले जाते है। यदि हम कुछ गलत चीजों को देखते है या हमारे सामने कोई गलती कर रहा है तो उसका प्रभाव भी हमारे जीवन पर पड़ता है। इसलिए हमेशा टीवी या मोबाईल पर कुछ देखते है तो अच्छा ही देखे।
उन्होंने कहा कि अच्छे गुणों और संस्कारों का बीज बोने का यह सही समय है। इस समय अंदर लचीलापन होता है। सही शब्दों में कहा जाए तो व्यक्तित्व का निर्माण और जीवन को दिशा देने का काम इसी समयावधि में हो सकता है। हम जैसा बनना चाहें वैसा अपने को बना सकते हैं। आजकल कई बच्चे अपना कीमती समय मोबाइल पर नष्ट कर रहे हैं। अभिभावक और शिक्षक चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। इस समय में मोबाईल का ज्यादा उपयोग करना हमारे लिए बहुत नुकशान दायक है । मोबाईल हमारी सुविधा के लिए है पढ़ाई आदि के लिए ही हम इसे थोडा बहुत उपयोग कर सकते है। बांकी और और चीजों में हमें नहीं जाना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि सभी बच्चो को प्रातः सूर्योदय से पहले जाग जाना चाहिए तथा रात्रि को जल्दी सोना चाहिए। देर रात तक नहीं जागना चाहिए। सभी बच्चों को अपने माता पिता कहना मानना चाहिए। हरेक माता पिता अपने बच्चों की भलाई के लिए ही उन्हें समझाते है कभी भी माता पिता से नाराज नहीं होना चाहिए। जो बच्चे आज्ञाकारी होते है उन्हें सभी की दुवाएं एवं स्नेह मिलता है। और वह जीवन में आगे बढ़ते जाते है। इस पर एक रोचक कहानी भी बच्चों को सुनाई।
आगे भाई जी ने बच्चों को मन बुद्धि और संस्कार के बारे में बताया कि कैसे हम अच्छा सोचकर अपने अन्दर अच्छी आदतों को डाल सकते है। और अपनी ख़राब आदतों को छोड़ सकते है।


कार्यक्रम में बच्चो को मेडिटेशन (ध्यान) की सरल विधि सिखाई गई साथ ही ध्यान का अभ्यास भी कराया गया।
इस अवसर पर केंद्र प्रमुख बीके आदर्श दीदी ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि यदि हम थोडा समय पढ़ाई से पूर्व या कोई कार्य करने से पूर्व राजयोग ध्यान का अभ्यास करते है। अथवा परमात्मा को याद करते है तो हमें सफलता अवश्य मिलती है, साथ ही हमारी एकाग्रता भी बढती है। दीदी ने आगे कहा कि हमें इतना सुंदर जीवन मिला है तो उसके लिए हमें ईश्वर का शुक्रिया अदा करना चाहिए, साथ ही उन सभी का शुक्रिया करना चाहिए जो हमारे जीवन को अच्छा बनाने में हमारे मददगार है जैसे माता-पिता एवं गुरुजन आदि।
दीदी ने आगे बताया कि बच्चों में प्रेम, दया, क्षमा, आत्मविश्वास और सहनशीलता जैसे गुणों का विकास बहुत आवश्यक है। यह शिविर निश्चित ही बच्चों में दिव्य गुणों की धारणा और चारित्रिक विकास में मददगार साबित होगा। जो बच्चे बचपन से ही आध्यात्मिक शिक्षा और नैतिक शिक्षा और व्यवहारिक शिक्षा से जुड़ते है, तो वह न केवल बड़े होकर एक अच्छे नागरिक बनते है, बल्कि समाज और विश्व के लिए भी एक प्रेरणा और आदर्श बनकर उभरते है।
अंत में शिक्षाप्रद गेम भी खिलाये गए जिसका बच्चों ने आनंद लिया|
इस अवसर पर बीके जीतू, बीके सुरभि, बीके रोशनी, रीता मिड्ढा सहित अनेकानेक बच्चो के पैरेंट्स भी उपस्थित थे।

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