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Indraganj Lashkar

वेबिनार आयोजित – खुले दिल से करें प्रकृति से प्रेम (05 जून, 2021)

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ग्वालियर : प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय की भगिनी संस्था राजयोग एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन के युवा प्रभाग द्वारा “यूथ फॉर ग्लोबल पीस “  प्रोजेक्ट के अंतर्गत विश्व पर्यावरण दिवस पर वेबीनार का आयोजन किया गया जिसका विषय था – “खुले दिल से करे प्रकृति से प्रेम” (Open The Heart, Love For Nature).

इस वेबिनार में मुख्य रूप से राजयोगिनी बी.के.अवधेश बहन जी (क्षेत्रीय निदेशिका भोपाल ज़ोन), बी.के.कृति दीदी (राष्ट्रीय संयोजिका युवा प्रभाग), डॉ.सीताशरण शर्मा (पूर्व सभापति म.प्र.विधानसभा, विधायक होशंगाबाद), डॉ.आशुतोष कुमार शर्मा (संचालक ग्रुप ऑफ़ स्कूल्स समेरिटन्स, IIAHM, चेयरमैन हिंदुस्तान आर्ट एंड म्यूजिक सोसाइटी, उपाध्यक्ष मध्य प्रदेश हैंडबॉल एसोसिएशन), बी.के.जानकी (कमेटी मेंबर युवा प्रभाग भोपाल ज़ोन), बी.के.सुनीता (सब जोनल कोऑर्डिनेटर युवा प्रभाग भोपाल ज़ोन), बी.के.रेखा (जोनल कोऑर्डिनेटर युवा प्रभाग भोपाल ज़ोन), बी.के.आकृति (कमेटी मेम्बर युवा प्रभाग भोपाल ज़ोन) उपस्थित रहे |

कार्यक्रम के शुभारम्भ में बी.के.सुनीता बहन ने सभी का स्वागत अभिनन्दन किया |

तत्पश्चात कार्यक्रम की मुख्य वक्ता बी.के.कृति दीदी ने इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्पष्ट करते हुए बताया कि पर्यावरण दिवस हम सभी को याद दिलाता है कि सुख शांति का आधार सिर्फ वैभव नहीं है बल्कि प्रकृति के तत्व भी हैं | आज वर्तमान समय में इस महामारी ने सबको यह सिखा दिया है की ऑक्सीजन का सबके जीवन में कितना महत्व है तथा ऑक्सीजन का सर्व श्रेष्ठ स्त्रोत है वृक्ष लेकिन अपनी सुख सुविधाओं के लिए बड़े सहज रूप से हम इन्हें काट रहे हैं | जिस धरती पर हम रह रहे  हैं उस धरती माँ का उधार चुकाने के लिए हम फिर से प्रकृति को प्रदूषित होने से बचाए और सभी उसे शुद्ध बनाने की सेवा में लग जायें, अगर सभी लोग तीन पोधे लगाने का भी संकल्प कर लें एवं उसका अच्छी रीती ध्यान रखने की ज़िम्मेदारी ले तो प्रकृति निश्चित ही पावन बन जाएगी |

डॉ.सीताशरण शर्मा जी ने बताया की इस पर्यावरण दिवस पर बाहरी प्रकृति के साथ – साथ आंतरिक प्रकृति का भी ध्यान रखना ज़रूरी है क्योकि अगर आतंरिक प्रकृति सही होगी तो आस पास के वातावरण का, समाज का और साथ ही साथ एक सम्पूर्ण, पवित्र विश्व का निर्माण कर सकेंगे |

इसके साथ ही राजयोगिनी बी.के.अवधेश बहन जी  ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि जिस प्रकार “नदी न अपना जल पीती, वृक्ष न अपना फल खाते” कहने का तात्पर्य यह है कि  प्रकृति या प्रकृति के पाँचों तत्व हमेशा दूसरों की सेवा में अपना सहयोग देते है उसी प्रकार हमे भी हर मानव के प्रति, प्रकृति के प्रति सेवा भाव रखना है सबका सहयोगी बनना है सिर्फ अपने लिए नहीं सोचना है | आज पर्यावरण दिवस पर सभी लोग एक स्लोगन याद कर ले “जियो और जीने दो” इसके बाद अपनी ज़रूरते पूर्ण करने के लिए प्रकृति को नुकसान नहीं पहुचाये उसका ध्यान रखें, प्रकर्ति से प्रेम करें साथ ही अपने अन्दर के व्यर्थ रूपी किचड़े को भी साफ़ करें और बाहरी प्रकृति को भी स्वच्छ रखे क्योकि अगर हम प्रकृति का ध्यान रखेंगे तो वह हमारा ध्यान रखेगी |

डॉ.आशुतोष शर्मा जी  ने बताया की प्रकृति के अगर तीन गुण सभी ने याद कर लिए और उसे अपने निजी जीवन में अपना लिया तो अवश्य ही ये प्रकृति  सम्पूर्ण और स्वच्छ हो जाएगी –

1-प्रकृति कभी भी भेद – भाव नहीं करती |

2- प्रकृति  सभी मानव जाति को बराबर मात्रा में सब कुछ देती है |

3-जितना प्रकृति मानव जाति से लेती है उसका कई गुना वापिस कर देती है |

तो सबसे पहले ज़रूरी है अपने विचारों को बदलना क्योकि हमारी सोच हमारे संकल्प सबसे पहले वातावरण को प्रदूषित करते हैं जिस दिन विचारों में, संकल्पों में, सोच में शुद्धता आ गयी और मानव एक दुसरे के प्रति,  प्रकृति के प्रति शुभ भावना रखने लग गए तो निश्चित ही यह विश्व स्वर्ग में परिवर्तन हो जायेगा |

इस अवसर पर बी.के आकृति बहन ने सभी को योग कमेंट्री के द्वारा राजयोग मैडिटेशन का अभ्यास कराया और साथ ही प्रकृति के तत्वों को सकाश भी दिया|

और अंत में बी.के रेखा बहन ने बताया की सिर्फ एक ही दिन हम पर्यावरण दिवस मनाते हैं लेकिन देखा जाये तो हमारी हर श्वास पर्यावरण से ही है | जिस प्रकार आत्मा और शारीर का आपस में जो सामंजस्य है उसी प्रकार प्रकृति भी मानव जाति का एक अहम् हिस्सा है तो अगर सभी लोग इसे मान ले एवं दिल से स्वीकार कर ले तथा इसे साथ लेकर चलें, इसके महत्व को समझकर दिल से सोचे और यह संकल्प कर ले कि ज्यादा से ज्यादा वृक्ष लगायेंगे साथ ही साथ उसका ध्यान रखेंगे तो निश्चित ही प्रकृति शुद्ध  और पावन हो जाएगी | इसी के साथ बी. के. रेखा दीदी ने सभी अतिथियों और वेबिनार में उपस्थित युवाओं का आभार व्यक्त किया तथा  कार्यक्रम का कुशल संचालन बी.के जानकी दीदी के द्वारा किया गया |

 

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तनाव प्रबंध केवल एक तकनीक नहीं बल्कि एक जीवन जीने की कला है – बीके आदर्श दीदी(न्यूज़ कवरेज)

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तनाव प्रबंध केवल एक तकनीक नहीं बल्कि एक जीवन जीने की कला है – बीके आदर्श दीदी

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24 सितंबर 2025

खुशनुमा और स्वस्थ जीवन के लिए तनाव प्रबंधन आवश्यक – बीके प्रहलाद भाई

एसएएफ 13 बटालियन में तनाव प्रबंधन, खुशनुमा और स्वस्थ जीवन शैली विषय पर प्रेरणादायक सत्र आयोजित

ग्वालियर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्व विद्यालय के द्वारा 13वीं वाहिनी विशेष सशस्त्र बल (एसएएफ 13 बटालियन) में “तनाव प्रबंधन, खुशनुमा और स्वस्थ जीवन शैली” विषय पर एक प्रेरणादायक सत्र आयोजित किया गया। जिसका उद्देश्य लोगों को मानसिक शांति, सकारात्मक सोच और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना था।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में प्रेरक वक्ता एवं वरिष्ठ राजयोग ध्यान प्रशिक्षक बीके प्रहलाद भाई तथा ब्रह्माकुमारीज़ केंद्र की मुख्य संचालिका बीके आदर्श दीदी उपस्थित थीं।


इस अवसर पर एस ए एफ 13 बटालियन से प्रभारी सेनानी अनुराग पांडे, सहायक सेनानी, गुलबाग सिंह, डॉक्टर ओ पी वर्मा निरीक्षक मुनेन्द्र सिंह भदोरिया, निरीक्षक, धर्मेंद्र वर्मा, निरीक्षक मुकेश परिहार, निरीक्षक पुष्पेंद्र सिंह भदौरिया, निरीक्षक जादौन, निरीक्षक राय सिंह जयंत, समस्त पी टी एस स्टाफ एवं 350 से अधिक प्रशिक्षणार्थी सहित ब्रह्माकुमारीज से बीके सुरभि, बीके रोशनी, बीके पवन उपस्थित थे।
कार्यक्रम में बीके प्रहलाद भाई ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि आज के तेज रफ़्तार जीवन में तनाव हर किसी की दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है। जिसकी वजह से हमारे जीवन में काफी उतार चढाव आते है। इन सबसे छूटने के लिए तनाव का सही ढंग से प्रबंधन करना ही खुशनुमा और स्वस्थ जीवन जीने की कला है। यदि तनाव पर नियंत्रण न हो तो यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ को प्रभावित करता है। इसके लिए कुछ सरल उपाय अपनाकर हम संतुलित, आनंदमय और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। उन्होंने कहा कि – सकारात्मक सोच विकसित करें, हर परिस्थिति में अच्छा पक्ष देखने का प्रयास करें, नकारात्मक विचारों से दूर रहें, योग और ध्यान को जीवन का हिस्सा बनाये, रोजाना 15 से 20 मिनिट ध्यान करें जिससे मन स्थिर रहता है एवं मानसिक शांति भी मिलती है, प्राणायाम और योगासन से शरीर स्वस्थ्य रहता है, 6 से 8 घंटे की पर्याप्त नींद लें, संतुलित भोजन लें, नशे से दूरी बनाकर रखें, जंक फ़ूड से बचें, व्यवस्थित दिनचर्या बनायें, कोई न कोई रोज अच्छी पुस्तक पढ़ने की आदत डालें, कार्यक्रम स्थल पर किसी भी तरह का दवाव आता है तो घबरायें नहीं, परिवार के साथ समय विताएं, हर कार्य को एक खेल की तरह से लें।
बीके प्रहलाद भाई नें अनेकानेक रचनात्मक गतिविधि भी कराई जिससे सभी का मन हल्का हुआ और उमंग उत्साह भी बढ़ा। और दिन कि शुरुआत किस तरह से करें वह भी बताया।


कार्यक्रम में बीके आदर्श दीदी नें कहा कि तनाव को दूर करने के लिए योग, ध्यान, प्राणायाम, सकारात्मक चिंतन और समय प्रबंधन जैसे उपाय बेहद प्रभावी हैं। पर्याप्त नींद और रुचियों के लिए समय निकालना जीवन को सुखद और तनावमुक्त बना सकता है साथ ही कहा कि तनाव प्रबंध केवल एक तकनीक नहीं बल्कि एक जीवन जीने की कला है यदि हम स्वस्थ दिनचर्या और आत्म नियंत्रण को अपनाएं तो जीवन अधिक खुशनुमा और आनंदमय बन सकता है। दीदी नें सभी को राजयोग ध्यान की विधि बताई तथा सभी को उसके फायदे बताते हुए अभ्यास भी कराया।
इस अवसर पर उपस्थित प्रतिभागियों ने संकल्प लिया कि वे अपने जीवन में स्वस्थ दिनचर्या, योग ध्यान और सकारात्मक सोच को अपनायेंगे और परिवार एवं समाज के प्रेरणास्त्रोत बनेगें।


कार्यक्रम में मेडिकल ऑफिसर डॉ ओपी वर्मा ने बताया कि तनाव आता है तो लोग आसानी से नशे की तरफ भागते है जबकि वह समाधान नहीं है। समाधान के लिए हमें ब्रह्माकुमारीज़ जैसे आध्यात्मिक संस्थानों से जुड़कर ध्यान के माध्यम में हमें अपने को सकारात्मक बनाना चाहिए। इस अवसर पर अन्य पदाधिकारियों नें भी अपने विचार रखे।
कार्यक्रम में संस्थान के लोंगो का अभिनन्दन करते हुए पौधे भेंट किए गए।

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ब्रह्माकुमारीज़ के माधौगंज केंद्र पर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में भव्य कार्यक्रम का हुआ आयोजन

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ग्वालियर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्व विद्यालय के माधौगंज स्थित प्रभु उपहार भवन में भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी उत्सव को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।


कार्यक्रम में संस्थान के बाल कलाकारों ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का मंचन किया। जिसने सभी का मन मोह लिया तो वहीं भजन गायकों द्वारा सुंदर भजनों की प्रस्तुति ने सभी को आनंदित कर दिया।
कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारीज़ केंद्र प्रमुख बीके आदर्श दीदी ने सभी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की बधाई दी और कहा कि आज हम भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को हर्ष और उल्लास के साथ मना रहे हैं। यह केवल एक धार्मिक त्योहार ही नहीं, बल्कि हमारे जीवन को दिशा देने वाला आध्यात्मिक संदेश है। भगवान श्रीकृष्ण जी का जीवन हमें सिखाता है कि धर्म की रक्षा और अन्याय तथा बुराइयों का अंत करना ही जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य होना चाहिए।


भगवान ने गीता में कहा है कि अपने कर्तव्यों को निष्ठा और ईमानदारी से करना चाहिए, फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। यह शिक्षा आज के समाज के लिए बहुत प्रासंगिक है। यदि हर व्यक्ति अपना कर्तव्य सही भावना से निभाए, तो समाज में अन्याय, भ्रष्टाचार और असमानता स्वतः ही समाप्त हो सकती है।
भगवान श्रीकृष्ण का जीवन हमें गहन शिक्षाएँ देता है। उनका जन्म कारागार में दिखाते है, लेकिन परिस्थितियाँ कैसी भी रही हों, उन्होंने हमेशा धर्म और न्याय की स्थापना का कार्य किया। उनका पूरा जीवन हमें यह संदेश देता है कि मनुष्य को अपने कर्तव्य का पालन निस्वार्थ भाव से करना चाहिए।
यह पर्व हमें नई श्रेष्ठाचारी और पावन दुनिया की याद दिलाता है। जब-जब संसार में अन्याय, अधर्म और असत्य बढ़ता है, तब ईश्वर अवतरित होकर मानवता को सही दिशा दिखाते हैं।

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कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार महेश कुमार, प्रेरक वक्ता बीके प्रहलाद ने भी सभी को जन्माष्टमी की शुभकामनाएं देते हुए अपने विचार प्रकट किए।
कार्यक्रम में सुंदर झांकी लगाई गई थी। जिसका दर्शन लाभ सभी ने लिया। साथ ही भजनों की सुंदर प्रस्तुति एवं भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का मंचन करने वाले कलाकारों में कु. रोशनी, कु. तनवी, कु. पीहू, कु. नंदनी, कु. हंसिका, कु. रुचि, कु. नव्या, रूबी, सोनिया, पवन, अखिलेश, निलक्ष तथा बीके जीतू आदि शामिल थे।

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