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ग्वालियर – ​दो दिवसीय ‘जिंदगी बने आसान कार्यक्रम’ – राजयोगी सूरज भाई ने किया संबोंधित

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जिंदगी बने आसान कार्यक्रम  

हमारे हर संकल्प में है निर्माण करने की शक्ति : राजयोगी सूरज भाई 

ग्वालियर: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय ग्वालियर द्वारा दो दिवसीय जिंदगी बने आसान कार्यक्रम का आयोजन म. प्र. चेम्बर ऑफ कॉमर्स के राजमाता विजयराजे सिंधिया सभागार मे किया गया कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वल्लन के साथ हुआ कार्यक्रम में मुख्य रूप से श्री जयदीप शाह (अकाउंटेंट जनरल ऑफ मध्यप्रदेश), श्रीमति माधवी शाह (वरिष्ठ योगा एक्सपर्ट), श्री राकेश जादौन (अध्यक्ष तुलसी मानस प्रतिष्ठान एवं पूर्व अध्यक्ष विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण), श्री पीताम्बर लोकवानी (व्यवसायी), डॉ. एस. पी. बत्रा (आरोग्य भारती), मुख्य वक्ता राजयोगी बी. के. सूरज भाई, बी.के.गीता बहन, बी.के. संदीप भाई, बी. के. आदर्श बहन (संचालिका लश्कर सेवाकेंद्र), बी. के. डॉ. गुरुचरण भाई, आदि उपस्थित थे।

कार्यक्रम के आरंभ में बी.के. आदर्श दीदी जी ने अतिथियों केए पुष्पगुछों के द्वारा सभी स्वागत किया। तत्पश्चात माउंट आबू  से आए अंतर्राष्ट्रीय राजयोग मेडिटेशन एक्सपर्ट राजयोगी बी. के. सूरज भाई जी ने अपने विचार रखते हुये  कहा कि दिन  प्रतिदिन समस्याएँ बढ़ती जा रहीं हैं चारों ओर तनाव, दुख, अशांति और भय का वातावरण है | सभी वर्गों में सामान्यत: जीवन मूल्यों, नैतिक मूल्यों का अभाव देखने को मिल रहा है| विशेष हमारे युवा वर्ग मे गिरावट आ रही है उन्हें संभालना होगा| आज मनुष्य अपनी वास्तविक शक्तियों को भूल गया है और उसने अपने आपको बहुत परेशान कर लिया है| तो वर्तमान समय मनुष्य को जिस परिवर्तन की सबसे ज्यादा जरूरत है वह है अपने विचारों में परिवर्तन लाने की | अपने मन को शुद्ध विचार रूपी आहार से पोषित करने की| क्यों कि हमारी सोच ही हमारे व्यक्तित्व व चरित्र का निर्माण करती है| उन्होने बताया कि जब हमारे विचारों में व्यर्थ और नकारात्मकता बढ़ जाती है तभी भय का जन्म होता है| इस स्थिति में हमें अपने विचारों का निरीक्षण और विश्लेषण करना पड़ेगा | सकारात्मक विचार हमारी कार्यक्षमता और एकाग्रता को बढ़ाते हैं इसलिए हमें सकारात्मक और शक्तिशाली सोच रखनी चाहिए| हमारे हर एक संकल्प से ऊर्जा निकलती है और वह ऊर्जा कभी नष्ट नहीं होती सिर्फ रूप बदलती है| और हमारे जीवन का निर्माण भी हमारे विचारों की ऊर्जा से ही होता है| हमारे हर संकल्प में निर्माण करने की शक्ति है| जैसा हम सोचते हैं वैसा ही हमारा जीवन व संसार होता जाता है| इसके लिए भाईजी ने बहुत ही सुंदर सा प्रयोग बताया कि आप सुबह उठते के साथ वही संकल्प करो जो आप अपने जीवन में चाहते हो | सुबह उठने के साथ 3 मिनिट जो आप संकल्प करेंगे वही आपका जीवन होगा| और आप जिन भी ऊचाइयों पर अपने जीवन में  पहुँचना चाहते हैं वहाँ अवश्य ही पहुचेंगे| संसार की कोई भी शक्ति आपको वहाँ पहुँचने से रोक नहीं पाएगी| साथ ही भाई जी ने वर्तमान की एक और महत्वपूर्ण समस्या सम्बन्धों में तनाव, अलगाव पर विशेष प्रकाश डालते हुए बताया कि आज हमारे सम्बन्धों में से मधुरता, अपनापन, जुड़ाव आदि गायब से हो गए हैं यदि हमें अपने परिवार में, आपसी सम्बन्धों में प्यार की गंगा बहानी है एवं सुखद, आनंदमय माहोल निर्मित करना है तो इसके लिए जरूरी है एक दूसरे की कमियों को देखने के बजाय एक दूसरे के छोटे-छोटे कार्यों की प्रशंसा करें इससे सम्बन्धों में आपसी प्रेम बढ़ता जाएगा| क्यों कि जहां एक छोटा सा अच्छा व्यवहार हमारे सम्बन्धों में परस्पर मधुरता, अपनापन बढ़ाता है और वहीं दूसरी ओर एक गलत व्यवहार सम्बन्धों में घ्रणा, ईर्ष्या, द्वेष और अलगाव का कारण बनता है|इसलिए जैसा व्यवहार हम अपने लिए दूसरों से चाहते हैं वैसा हम भी दूसरों के लिए रखें और जीवन को सरल सहज रूप से भरपूर आनंद लेकर जिये| सदैव सुख देते चलें, खुश रहें और खुशियाँ बांटते चलें |

इसके साथ ही उन्होंने कुछ मुख्य बाते कहीं जो सभी के जीवन के लिए अति आवश्यक है।

  1. हमें धन को सबकुछ नहीं समझना चाहिए धन हमारे जीवन के लिए आवश्यक तो है पर सबकुछ नहीं है। हमारे लिए जरूरी है मन की शांति,खुशी, आनंद और प्रेम।
  2. दूसरी बात बहुत से लोग ऐसे भी होंगे जिन्होंने सुबह के सूरज को कभी उगते नही देखा तो भाग्य का सूरज कैसे उदय होगा एक कहावत है कि जल्दी सोएंगे जल्दी जागेंगे तो हेल्दी और हैप्पी रहेंगे लेकिन आज उल्टा हो गया है लोग देर से सोते है और देर से जागते है तो अस्वस्थ और खुशी गायब हो गई है।
  3. तीसरी बात हम मन को कभी चार्ज नहीं करते,सबेरे उठकर मन को चार्ज करना न भूलें अपने उस परमपिता परमात्मा से गुडमार्निंग करके दिन की शुरूवात करें और परमात्मा  का शुक्रियाअदा करना न भूलें आपने मुझे सबकुछ दिया आपका बहुत बहुत शुक्रिया।
  • भगवान हमारा परमपिता भी है तो सच्चा मित्र भी है हम उसकी संतान है वह अपनी संतान को दुखी नही देख सकता वह हमको सुखी देखना चाहता है। यदि आपको कोई समस्या है आपका किसी बात से मन भारी है, आपको नींद नही आ रही है तो खुदा दोस्त के नाम एक लेटर लिख दिया करें तो जीवन बदल जायेगा। सोएंगे भी मुस्कराते हुए और जागेंगे भी मुस्कराते हुए साथ ही जीवन में सकारात्मक रहने के लिए कुछ टिप्स भी शेयर किए:
  • जीवन की हर एक घटना में आपको किसी न किसी रूप में लाभ ही प्राप्त होता है परोक्ष तथा अपरोक्ष रूप से होने वाले लाभ के बारे में सोचिए|
  • भूतकाल की गलतियों का पश्चाताप न करें और आने वाले भविष्य की चिंता न करें सिर्फ वर्तमान को सफल बनाने के लिए पूरा प्रयत्न करें|
  • आप दु:ख पहुंचाने वाले को क्षमा कर दो और उसे भूल जाओ|
  • अपने जीवन की तुलना किसी के भी साथ करके चिंतित न हों क्यों कि प्रत्येक व्यक्ति अपने आप में      अनोखा और विशिष्ट है आपके जैसा इस विश्व में कोई भी नहीं|
  • जिस परिस्थिति को आप बदल नहीं सकते उसके बारे में सोचकर दु:खी न हो याद रखिए समय एक श्रेष्ठ दवाई है |
  • बदला न लो अपितु स्वयं को बदलने का प्रयत्न करो| बदला लेने कि इच्छा रखने से मानसिक तनाव ही बढ़ता है और स्वयं को बदलने का लक्ष्य रखने से जीवन में प्रगति होती है|  साथ ही भाई जी ने सुबह उठते ही कुछ अभ्यास करने के लिए सभी से आग्रह किया कि यदि आप यह अभ्यास प्रतिदिन करते हैं कि मै महान आत्मा हूँ, मै सर्वशक्तिमान परमपिता कि संतान मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ तो हम अपनी खोयी हुई शक्तियों को पुन: प्राप्त करने लगेंगे|

कार्यक्रम में माउंट आबू से आई बी. के. गीता बहिन ने वर्तमान समय की सबसे बड़ी कमजोरी विशेष ‘क्रोध’ पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हर परिस्थिति में शांत रहना सीखें, धैर्य रखें क्यों कि क्रोध एक ऐसी अग्नि है जो अंदर कि शांति और शक्ति को जलाती है| उन्होने कहा क्रोध को इंग्लिश में ‘एंगर’ कहते हैं और एंगर कब ‘डेंजर’ में बदल जाए पता ही नहीं चलता| कहावत है कि जिस घर में क्रोध होता है उस घर में पानी के घड़े ही सूख जाते हैं परंतु पानी ही क्या क्रोधी व्यक्ति का खून भी सूख जाता है अत: मनुष्य को क्रोध नहीं करना चाहिए बल्कि उसका निरोध करना चाहिए| उन्होने बताया कि क्रोध मनुष्य को अनेक रूपों में सताता है द्वेष, ईर्ष्या, बदले की भावना, रूष्ट होना, हिंसा, वैर, विरोध कि भावनाएं सब क्रोध के ही भिन्न- भिन्न रूप हैं|एकबार क्रोध करने से हम अपनी 6घंटे की कार्यक्षमता को खो देते हैं यहाँ तक कि अनेकानेक बीमारियों की भी चपेट में आ जाते हैं| उन्होने कहा कि अपनी स्थिति बिगाड़कर कोई दूसरों कि स्थिति ठीक नहीं कर सकता| और कहा कि क्रोध मुक्त होना कोई बड़ी बात नहीं हैं केवल स्म्रती की ही बात है स्म्रती से सब चीज़ें ठीक हो जाती हैं| उन्होने इसके लिए एक सुंदर सा अभ्यास भी बताया कि यदि आप 21 दिन यह छोटा सा चिंतन करते हैं कि “मैं आत्मा शांत हूँ” तो 21 दिनों में निश्चित ही आपके अंदर शांति आने लगेगी|

पुणे से आए बी. के. संदीप भाई ने बताया कि नियमित रूप से मेडिटेशन का अभ्यास हमें आंतरिक रूप से मजबूत बनाता हैं और स्थायी सुख व शांति प्रदान करता है|

कार्यक्रम के अंत मे सामाजिक एवं व्यापारिक संगठनों के द्वारा बी.के. सूरज भाई जी का सम्मान किया गया।

पंजाबी सेवा समिति ग्वालियर,

ग्वालियर प्रिंटिंग एसोसिएसन,

नया बाजार होलसेल क्लॉथ मर्चेन्टायल्स एसोसियेसन,

तुलसी मानस प्रतिष्ठान

दाल बाजार व्यापार समिति

लॉयन्स क्लब,

कमला सिंह बेलफेयर फाउंडेशन,

लक्ष्मी कंस्ट्रक्शन,

कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स,

भारतीय योग संस्थान,

सिन्धविहार कम्युनिटी आदि संस्थानों ने सम्मान किया।

कार्यक्रम में 2000 एसई अधिक लोगो ने भाग लिया |

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हेलीपेड कॉलोनी ग्वालियर: खुशनुमा जीवनशैली पर हुआ कार्यक्रम आयोजित

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– सदा खुश रहने के लिए सुव्यवस्थित दिनचर्या बहुत आवश्यक – प्रहलाद भाई
– परमात्मा से मन की तार जोंडे तो सब समस्याएं समाप्त हो जाएँगी – आदर्श दीदी
ग्वालियर: सदा खुश रहने के लिए हमें किसी व्यक्ति, वस्तु या वैभव की आवश्यकता नहीं यह तो परमात्मा का अनमोल उपहार है। परन्तु सदा खुश वही रह पाता है जिसकी मन की तार परमात्मा से जुडी है उक्त बात बीके आदर्श दीदी ने अपने आशीर्वचन में कही। यह कार्यक्रम प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के द्वारा हेलीपेड कॉलोनी समिति के सहयोग से श्री हनुमान मंदिर प्रांगण पार्क में आयोजित खुशनुमा जीवनशैली एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम में कही | दीदी ने आगे कहा कि आज भागती दौड़ती जिन्दगी में अनेक उतार चढाव है व्यक्ति स्वयं के लिए समय ही नहीं निकाल पाता आज हर व्यक्ति छोटी छोटी बातों को लेकर दुखी हो जाता है, परिवार में मधुरता कम होती जा रही है जीवन में अगर ख़ुशी नहीं तो जीवन नीरस है| आज व्यक्ति अच्छे मकान में रह रहा है। अच्छी सिटी में रह रहा है। अच्छी सुविधाएँ मिली हुई है। फिर भी खुश नहीं रह पा रहा है तो उसका मूल कारण है कि कहीं न कहीं हमारे में आन्तरिक गुण और शक्तियों की कमी है। यदि हम चाहते है कि हम अपने आपको दिव्य गुणों और शक्तियों से सुसज्जित करें तो उसके लिए हमें मन की तार को परमात्मा से जोड़ना पड़ेगा तो हम सदा खुश रह सकते है। और समस्यामुक्त भी रह सकते है।
कार्यक्रम में आगे प्रेरक वक्ता वाम राजयोग ध्यान प्रशिक्षक बीके प्रहलाद भाई ने खुशनुमा जीवन शैली पर सभी को संबोधित करते हुए कहा कि यदि हम अपनी दिनचर्या सुव्यवस्थित रखे तो हम हमेशा खुश रह सकते है| आज यह देखा गया कि अधिकतर लोगो की दिनचर्या अस्त व्यस्त होती है जिस कारण समय पर सभी कार्य नहीं हो पाते। जहाँ कम समय देना होता है वहाँ अधिक चला जाता है और जहाँ अधिक समय देना चाहिए उसके लिए समय ही नहीं बचता जिस कारण प्रेसर क्रियेट होता है और समय पर सभी कार्य नहीं हो पाते जिसकी बजह से हमारी ख़ुशी गुम हो जाती है। उन्होंने आगे एक स्लोगन बोलते हुए कहा कि “पेड़ न खाते कभी अपना फल और नदी न पीती कभी अपना जल” यह सदैव दूसरों को देते है। तो हमारा जीवन भी ऐसा ही होना चाहिए यदि हम दूसरों की सेवा करते है तो यह भी एक सबसे अच्छा माध्यम है खुश रहने का। यदि आपके पास लोगो को देने के लिए कुछ नहीं है तो लोगो से मुस्कराकर बात करो तो यह भी एक सेवा है। जो चीज आपको चाहिए वह देना प्रारंभ करो आपके पास स्वतः बढ़ जाएगी। आगे भाई जी ने सभी को राजयोग ध्यान का आभ्यास भी कराया जिसकी अनुभूति सभी ने की।
कार्यक्रम में डॉ. के.के. तिवारी एवं पूर्व पार्षद विनती शर्मा ने भी अपनी शुभकामाएं व्यक्त की|
इसके साथ ही कार्यक्रम में बाल कलाकारों के द्वारा सुन्दर सुन्दर प्रस्तुतियां दी गई जिसे देखकर सभी मंत्र मुग्ध हो गए। प्रस्तुतियां देंने बाले बच्चो में मन्नत रोहिरा, लयेशा घई, रूचि राठौर, संकल्प गुप्ता, श्रेष्ठा गुप्ता, बीके पवन थे ।
कार्यक्रम में हेलीपेड कॉलोनी समिति के पदाधिकारी एवं कॉलोनी निवासी रामसेवक शर्मा, भारतेंदु गुप्ता, महेश आर्य, दीपक जैसवानी, मनोज गंडोत्रा, शिवकुमार तोतलानी, हेमंत ढींगरा, डॉ वीके जैन, गीता तिवारी, रेखा गंडोत्रा, मोना चांदवानी, मंजू गंडोत्रा, अंकिता जसेजा, पूजा गाबरा, कंचन गाबरा, गीता गाबरा, साबी केशवानी, रजनी नागवानी सहित कॉलोनी के अनेकानेक लोग उपस्थित थे।

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शिव ध्वजारोहण कर लिया बुराईयों को छोड़ने का संकल्प

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ब्रह्माकुमारीज़ के सभी सेवाकेन्द्रों पर धूमधाम से मनाया गया 88वीं त्रिमूर्ति शिव जयंती महोत्सव (महाशिवरात्रि पर्व)

  • जीवन की बुराईयां शिव पर अर्पण करना ही सच्ची शिवरात्रि मनाना – बीके प्रहलाद भाई
  • ग्वालियर । महाशिवरात्रि का महापर्व कई आध्यात्मिक रहस्यों को समेटे हुए हैं। यह पर्व सभी पर्वों में महान और श्रेष्ठ है, क्योंकि शिवरात्रि परमात्मा के दिव्य अवतरण का यादगार महापर्व है। परमात्मा ने श्रीमद् भागवत गीता में कहा है- ‘यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥ परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥’
    गीता के इस श्लोक में किए अपने वादे के अनुसार- परमात्मा कहते हैं कि जब-जब इस सृष्टि पर धर्म की अति ग्लानि हो जाती है, अधर्म और पाप कर्म बढ़ जाते हैं, तब मैं भारत सहित पूरी सृष्टि का उत्थान करने और नई दुनिया का सृजन करने साकार रूप में लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूं। मैं इस धरा पर अवतरित होकर सज्जन-साधु लोगों की रक्षा, दुष्टों का विनाश और एक सतधर्म की स्थापना करता हूं। चारों युगों में कल्प के अंत में एक बार ही मेरा इस धरा पर अवतरण होता है। उक्त बात बीके प्रहलाद ने महाशिवरात्रि के पावन पर कही उन्होंने आगे कहा कि परमात्मा के गीता में वर्णित इन महावाक्यों के अनुसार, वर्तमान में वही समय नई सृष्टि के सृजन का संधिकाल चल रहा है। इसमें सृष्टि के सृजनकर्ता स्वयं नवसृजन की पटकथा लिख रहे हैं। वह इस धरा पर आकर मानव को देव समान स्वरूप में खुद को ढालने का गुरुमंत्र ‘राजयोग’ सिखा रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात दुनिया की यह सबसे बड़ी और महान घटना बहुत ही गुप्त रूप में घटित हो रही है। वक्त की नजाकत को देखते हुए जिन्होंने इस महापरिवर्तन को भाप लिया है वह निराकार परमात्मा की भुजा बनकर संयम के पथ पर बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे लोगों की संख्या एक दो नहीं बल्कि लाखों में है। इन्होंने न केवल परमात्मा की सूक्ष्म उपस्थिति को महसूस किया है वरन इस महान कार्य के साक्षी भी हैं। शिवरात्रि में रात्रि शब्द अज्ञान अंधकार को सूचित कर रहा है अर्थात इस कलियुग रुपी अज्ञान अँधेरी रात में मनुष्य जब काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार से ग्रसित होने लगता है तब परमात्मा शिव इस धरा पर अवतरित होकर मनुष्य को इन विकारों से छुडाते है और सुख-शांति-पवित्रता का वर्सा देते है यही वह समय जब हम अपनी अक धतूरे सामान जहरीली बुराईयाँ परमात्मा को अर्पण करके उनसे दिव्य गुणों का वरदान लेते है |


परमात्मा का स्वरूप ज्योतिर्बिंदु है, इसलिए 12 ज्योतिर्लिंग उनकी यादगार – बीके डॉ गुरचरण सिंह

कार्यक्रम में आगे में आगे बीके डॉ. गुरचरन भाई जी ने कहा कि भारत में 12 ज्योतिर्लिंग प्रसिद्ध हैं और गली-गली में शिवालय बने हुए हैं। इससे स्पष्ट होता है कि परमपिता परमात्मा कभी इस सृष्टि पर आएं हैं और विश्व कल्याण का कार्य किया है, तभी तो हम उन्हें याद करते हैं। परमात्मा का स्वरूप ज्योतिर्बिंदु है। श्रीमद्भ भगवत गीता से लेकर महाभारत, शिव पुराण, रामायण, यजुर्वेद, मनुस्मृति सभी में कहीं न कहीं परमात्मा के अवतरण की बात कही गई है। किसी भी धर्म ग्रंथ में परमात्मा के जन्म लेने की बात नहीं है। हर जगह प्रकट होने, अवतरण या परकाया प्रवेश की बात को ही इंगित किया गया है। क्योंकि परमात्मा का अपना कोई शरीर नहीं होता है। क्योकि वह जन्म और मृत्यु के चक्र से परे होने के कारण उनका जन्म नहीं होता वल्कि वह परकाया प्रवेश कर नई सतयुगी सृष्टि की स्थापना का दिव्य कार्य कराते हैं। वह ब्रह्मा, विष्णु और शंकर के भी रचयिता त्रिमूर्ति हैं, जिन्हें हम परमात्मा शिव कहते हैं।पुराने हाई कोर्ट लाईन स्थित संगम भवन केंद्र सहित ग्वालियर के सभी केन्द्रों पर शिव ध्वजारोहण हुआ।

तत्पश्चात शिव ध्वजारोहण कर सभी को इस शिवरात्रि पर बुराईयों का त्यागने और दिव्य गुणों को जीवन में धारण करने की प्रतिज्ञा कराई गई।
आज महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर प्रभु उपहार भवन माधौगंज, पुराने हाई कोर्ट लाईन स्थित संगम भवन केंद्र सहित ग्वालियर के सभी केन्द्रों पर शिव ध्वजारोहण हुआ।

कार्यक्रम में बीके लक्ष्मी, बीके सुरभि, बीके रोशनी, बीके विजेंद्र, गजेन्द्र अरोरा, संतोष बंसल, संतोष गुप्ता, कविता पमनानी, किरण सारडा, शान्या, अनुष्का खत्री, माधवी गुप्ता, सुरेन्द्र वैस, आशीष सहित सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे ।

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ग्वालियर। दुसरे दिन – तनावमुक्ति रहने के लिए करें नियमित करे मेडीटेशन: मोटीवेशनल स्पीकर उषा दीदी ने दिए तमामुक्त जीवन के मंत्र

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 जब व्यक्ति की आध्यात्मिक क्षमता क्षीण हो जाती है, तो उसके जीवन में तनाव बढऩे लगता है। फिर उसका दिमाग भी उसी तरह रिएक्ट करने लगता है। छोटी छोटी बात पर तनाव हो जाना हमारी मानसिक कमजोरी को प्रकट करता है। ब्रह्माकुमारीज के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय माउंट आबू से आई प्रेरक वक्ता बी के उषा दीदी ने चेंबर ऑफ  कॉमर्स के राजमाता विजयाराजे सिंधिया सभागार में तनाव मुक्त जीवन विषय पर बोलते हुए व्यक्त किए। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी के ग्वालियर केंद्र द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि तनाव का नकारात्मक प्रभाव हमारे मन के साथ हमारे तन पर भी पड़ता है। जब हम गहरे अवसाद में चले जाते हैं, तो नींद नहीं आती और हमें मनोचिकित्सकों का सहारा लेना पड़ता है। मोटी फीस लेने के बाद भी वह हमें एक ही सलाह देते हैं कि आप नियमित रूप से मेडिटेशन करें। इससे अच्छा तो यह है कि हम तनावग्रस्त हो, उससे पहले ही मेडिटेशन आरंभ कर दें। दिमाग पर जब दबाव बढ़ता है तो तनाव आना स्वाभाविक है। तनाव मुक्त होने के लिए अपनी स्पिरिचुअल इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए प्रयास करें। जिस प्रकार से हमें स्वस्थ शरीर के लिए स्वस्थ खुराक की जरूरत होती है, इसी प्रकार स्वस्थ मन के लिए भी अच्छे विचारों की खुराक की जरूरत होती है। जब हमारा मन विचारों से पुष्ट होता तो छोटी-छोटी बातें दिमाग को प्रभावित नहीं करती। जब हम थोड़ी देर के लिए भी मेडिटेशन के लिए बैठते हैं तो व्यक्ति दिन भर के लिए असीम ऊर्जा से भर जाता है । इसलिए अपने जीवन को संवारने के लिए आधा घंटा अवश्य निकालें। उन्होंने एक घटना का उदाहरण देते हुए कहा कि जिस तरह कुल्हाड़ी से लकड़ी काटने के लिए उसे लगातार धार देनी होती है। इसी तरह मन को तनाव मुक्त रखने के लिए लगातार उसे मेडिटेशन और सकारात्मक विचारों की खुराक देनी पड़ती है। आज घरों में तनाव की वजह से रिश्ते खराब हो रहे हैं, जिन्हें बचाने के लिए बुद्धि की धार को तेज करना जरूरी है और वह आध्यात्मिक भोजन से ही तेज होगी l उन्होंने बताया जापान में मेडिटेशन करने वाले और नहीं करने वालों पर शोध हो चुका है। मेडिटेशन करने वाले व्यक्ति तनाव मुक्त और अधिक क्षमतावान होते हैं। जापान की फैक्ट्री में भी काम शुरू करने से पहले मेडिटेशन कराया जाता है ताकि घर का तनाव कार्यक्षेत्र में न पहुंचे और घर आते समय भी मेडिटेशन कराया जाता है ताकि काम का तनाव घर ना ले जाए।
*6 बहनों ने चुनी ब्रह्माकुमारी बन जग कल्याण की राह 
शाम के सत्र में अंतरराष्ट्रीय प्रेरक वक्ता राजयोगिनी उषा दीदी ने आध्यात्मिक सशक्तिकरण विषय पर प्रेरक व्याख्यान दिया। आपने कहा कि व्यक्ति के सर्वांगीण व्यक्तित्व विकास के लिए आध्यात्मिक सशक्तिकरण की बेहद आवश्यता है । इससे पूर्व ब्रह्माकुमारी बहनों का समर्पण समारोह आयोजित किया गया ।जिसमें एक बहिन बीके महिमा (पीजी ह्यूमन रिसोर्स) ने पूर्णत: स्वयं को जगत कल्याण के लिए समर्पित कर भगवान शिव से विवाह किया। पूर्व में ही समर्पण कर चुकी दो बहिनों का रिसेप्शन हुआ बीके रोशनी, बीके सुरभि, तथा तीन बहिनों बीके कुमकुम, बीके काजल, बीके पूनम ने बुद्धि समर्पण कर शिव से विवाह करने का संकल्प लेकर ईश्वरीय राह की ओर कदम बढ़ा दिया।
इस मौके पर ठीक उसी तरह उत्सव मनाया गया, जैसे किसी कन्या के विवाह मेें मनाया जाता है। हल्दी मेंहदी और साज श्रृंगार से लेकर शिव बाबा की बारात में शिव के भक्त झूमकर नाचे।
जबकि व्याख्यान कार्यक्रम के शुभारंभ में दीप प्रज्वलन किया गया। सुबह के सत्र में डॉ प्रशांत लहारिया (आई एम ए अध्यक्ष), डॉ जे पी गुप्ता, वरिष्ठ समाज सेविका श्रीमती आशा सिंह, श्री शालिग्राम गोयल (भारत विकास परिषद), श्री निगम (पूर्व डिप्टी कमीश्नर ट्रांसपोर्ट), श्रीमती कल्पना बोहरे, श्री अभय चौधरी (भाजपा अध्यक्ष) श्री रमेश अग्रवाल (पूर्व विधायक), श्री प्रवीण अग्रवाल, श्री महेश कुमार (स्थानीय सम्पादक दैनिक भास्कर), श्री बसंत गोड़याले (प्रांतीय पदाधिकारी हिन्दू जागरण मंच), डॉ निर्मला शर्मा सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
जवकि कार्यक्रम के अंत में चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स, नया बाजार असोसिएशन, पंजाबी सेवा समिति, भारत विकास परिषद, अखिल भारतीय स्वास्थ्य संघ सहित विभिन्न संगठनों ने आदरणीय दीदी जी का सम्मान किया । दीदी ने उन्हें ब्रह्माकुमारी की ओर से स्मृति चिन्ह प्रदान किया।
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