Indraganj Lashkar
सिंधिया राज वंश की छत्री में कृष्ण भजनों पर झूमे श्रोता

सिंधिया राज वंश की छत्री में कृष्ण भजनों पर झूमे श्रोता
ब्रह्माकुमारीज ने अम्मा महाराज की छतरी में बनें मंदिर में मनाया जन्माष्टमी उत्सव
– बच्चों की रंगारंग प्रस्तुतियों ने मनमोहा
ग्वालियर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव सिंधिया राजवंश की छत्री कटोरा ताल रोड स्थित भगवान श्री सत्यनारायण मंदिर में हर्षोल्लास से मनाया गया। इस मौके पर बच्चों ने एक से बढ़कर एक रंगारंगा सांस्कृतिक प्रस्तुतियों देकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। जिसमें कृष्ण सुदामा मिलन एवं श्री कृष्ण लीला का प्रस्तुति रहीं।
ब्रह्माकुमारीज के बाल कलाकारों की रंगारंग प्रस्तुति ने लोगो का मन मोहा।
ब्रह्माकुमार प्रहलाद भाई ने भी इस मौके पर कृष्ण भजनों की शानदार प्रस्तुति देकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।
इस मौके पर बीके आदर्श दीदी ने उपस्थितजनों को संबोधित करते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण जब इस धरा पर होता तो धरती सुख और चैन की वंशी बजती है। हर मनुष्य का जीवन खुशहाल होता है। भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं से हम गौसंरक्षण, प्रकृति संरक्षण के साथ जीवन जीने का बेहतर तरीका सीख सकते है। भगवान श्रीकृष्ण की बांसुरी में गांठ नहीं होती जो हमें सिखाती है कि मन में किसी प्रकार की गांठ मत रखो। जब तक उसमें फूंक मत मारो तब वह आवाज नहीं निकालती, जो यह संदेश है कि जब तक बोलने के लिए न कहा जाए मत बोलो। बांसुरी मधुर बजती है, जो यह संदेश है कि जब भी बोले मीठा बोलो। यानि कम बोलो, धीरे बोलो, मीठा बोलो।
उनके सिर पर सुशोभित मोरमुकुट हमें बताता है कि जीवन में पवित्रता का बहुत महत्व है। ब्रह्मचर्य के बगैर व्यक्ति ध्यान नहीं कर सकता है। या अच्छा योगी नहीं बन सकता। राजयोग ध्यान के लिए विषय भोगों से मन को दूर करना होगा, तभी आत्मा का परमात्मा से मिलन हो सकता है। वे गले में वैजयंती माला पहनते थे, जो सदा ही चमकदार रहती है, जो यह संदेश है है कि जब तक जीवन मेें रहो चमकदार बने रहो। कृष्ण को माखन मिश्री पसंद थी। जब भी मक्खन को मिश्री से मिलाया जाता है तो उसकी मिठास मक्खन में मिल जाती है, जो यह संदेश है कि आपके व्यक्तित्व की मिठास दूसरे लोगों तक भी पहुंचे।
इस अवसर पर सरदार श्री विजय सिंह फाल्के (ट्रस्ट सचिव), श्री जयंत जपे(प्रबंधक), एवं अम्मा महाराज की छतरी के सभी कर्मचारी, ब्रह्माकुमारीज संस्थान के बीके सुरभि, बीके रोशनी, बीके पवन, बीके विजेंद्र,सुरेन्द्र,अशोक, पंकज सहित सैकड़ों शहर से श्रद्धालु उपस्थित थे।
इसी तारतम्य में छतरी परिसर में दिनांक 7 सितंबर को झांकी एवं भजन का रहेगा।
साथ ही ब्रह्माकुमारीज केंद्र माधौगंज में भी कार्यक्रम आयोजित होगा।
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म.प्र. के माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी ने ‘सामाजिक समरसता’ कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी बहनों को शॉल ओढ़ाकर किया सम्मानित

Gwalior : म.प्र. के माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी, भारत सरकार के केंद्रीय संचार मंत्री माननीय श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जी, म.प्र. विधानसभा अध्यक्ष माननीय श्री नरेंद्र सिंह तोमर जी ने ग्वालियर के दत्तोपंत ठेंगड़ी सभागार, कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित ‘सामाजिक समरसता’ कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी बहनों को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। जिसमें ब्रह्माकुमारी रोशनी, ब्रह्माकुमारी सुरभि, बीके डॉ.गुरचरण सिंह को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में प्रदेश के अनेकानेक कैबिनेट मंत्री गण, सांसद, विधायक सहित अन्य जनप्रतिनिधि तथा प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित थे।
इस अवसर पर बीके रोशनी, बीके सुरभि, बीके डॉ.गुरचरण सिंह ने माननीय मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव जी का अभिनंदन करते हुए उन्हें ईश्वरीय सौगात भेंट की।
कार्यक्रम में शहर से अनेकानेक सम्माननीय धर्मगुरु, धार्मिक संस्थान, सामाजिक संस्थान से तथा गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
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बाल व्यक्तित्व विकास शिविर
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ब्रह्माकुमारीज केंद्र पर तीन दिवसीय बाल व्यक्तित्व विकास शिविर का हुआ शुभारंभ

बच्चों में प्रेम, दया, क्षमा, आत्मविश्वास, सहनशीलता जैसे गुणों का विकास बहुत आवश्यक – आदर्श दीदी
जो बच्चे आज्ञाकारी होते है उन्हें सभी की दुवाएं एवं स्नेह मिलता है – प्रहलाद भाई
ग्वालियर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की भगिनी संस्था राजयोग एजुकेशन एंड रिसर्च फाऊंडेशन के युवा प्रभाग और शिक्षा प्रभाग के द्वारा माधवगंज स्थित प्रभु उपहार भवन में तीन दिवसीय बाल व्यक्तित्व विकास शिविर का शुभारंभ हुआ।
इस शिविर में बच्चों के सम्पूर्ण विकास के लिए आध्यात्मिकता, नैतिक शिक्षा, व्यवहारिक ज्ञान और सकारात्मक सोच आदि विषयों को रचनात्मक ढंग से बताया जायेगा।
शिविर के शुभारंभ में मुख्य प्रशिक्षक के रूप में उपस्थित मोटिवेशनल स्पीकर एवं वरिष्ठ राजयोग ध्यान प्रशिक्षक बीके प्रहलाद भाई ने नए सभी बच्चों को मोटिवेट करते हुए मजेदार शिक्षाप्रद कहानियाँ सुनाकर शिविर की शुरुआत की। उन्होंने एक रचनात्मक एक्टिविटी के माध्यम से शिविर में उपस्थित बच्चों को सिखाया कि हमें ध्यान से सुनना चाहिए। क्योकि ध्यान से सुनने का बहुत महत्व है। जबकि सुनने से ज्यादा हम देखकर कर्म करते है, हम जैसा देखते है वैसा हम बनते चले जाते है। यदि हम कुछ गलत चीजों को देखते है या हमारे सामने कोई गलती कर रहा है तो उसका प्रभाव भी हमारे जीवन पर पड़ता है। इसलिए हमेशा टीवी या मोबाईल पर कुछ देखते है तो अच्छा ही देखे।
उन्होंने कहा कि अच्छे गुणों और संस्कारों का बीज बोने का यह सही समय है। इस समय अंदर लचीलापन होता है। सही शब्दों में कहा जाए तो व्यक्तित्व का निर्माण और जीवन को दिशा देने का काम इसी समयावधि में हो सकता है। हम जैसा बनना चाहें वैसा अपने को बना सकते हैं। आजकल कई बच्चे अपना कीमती समय मोबाइल पर नष्ट कर रहे हैं। अभिभावक और शिक्षक चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। इस समय में मोबाईल का ज्यादा उपयोग करना हमारे लिए बहुत नुकशान दायक है । मोबाईल हमारी सुविधा के लिए है पढ़ाई आदि के लिए ही हम इसे थोडा बहुत उपयोग कर सकते है। बांकी और और चीजों में हमें नहीं जाना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि सभी बच्चो को प्रातः सूर्योदय से पहले जाग जाना चाहिए तथा रात्रि को जल्दी सोना चाहिए। देर रात तक नहीं जागना चाहिए। सभी बच्चों को अपने माता पिता कहना मानना चाहिए। हरेक माता पिता अपने बच्चों की भलाई के लिए ही उन्हें समझाते है कभी भी माता पिता से नाराज नहीं होना चाहिए। जो बच्चे आज्ञाकारी होते है उन्हें सभी की दुवाएं एवं स्नेह मिलता है। और वह जीवन में आगे बढ़ते जाते है। इस पर एक रोचक कहानी भी बच्चों को सुनाई।
आगे भाई जी ने बच्चों को मन बुद्धि और संस्कार के बारे में बताया कि कैसे हम अच्छा सोचकर अपने अन्दर अच्छी आदतों को डाल सकते है। और अपनी ख़राब आदतों को छोड़ सकते है।
कार्यक्रम में बच्चो को मेडिटेशन (ध्यान) की सरल विधि सिखाई गई साथ ही ध्यान का अभ्यास भी कराया गया।
इस अवसर पर केंद्र प्रमुख बीके आदर्श दीदी ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि यदि हम थोडा समय पढ़ाई से पूर्व या कोई कार्य करने से पूर्व राजयोग ध्यान का अभ्यास करते है। अथवा परमात्मा को याद करते है तो हमें सफलता अवश्य मिलती है, साथ ही हमारी एकाग्रता भी बढती है। दीदी ने आगे कहा कि हमें इतना सुंदर जीवन मिला है तो उसके लिए हमें ईश्वर का शुक्रिया अदा करना चाहिए, साथ ही उन सभी का शुक्रिया करना चाहिए जो हमारे जीवन को अच्छा बनाने में हमारे मददगार है जैसे माता-पिता एवं गुरुजन आदि।
दीदी ने आगे बताया कि बच्चों में प्रेम, दया, क्षमा, आत्मविश्वास और सहनशीलता जैसे गुणों का विकास बहुत आवश्यक है। यह शिविर निश्चित ही बच्चों में दिव्य गुणों की धारणा और चारित्रिक विकास में मददगार साबित होगा। जो बच्चे बचपन से ही आध्यात्मिक शिक्षा और नैतिक शिक्षा और व्यवहारिक शिक्षा से जुड़ते है, तो वह न केवल बड़े होकर एक अच्छे नागरिक बनते है, बल्कि समाज और विश्व के लिए भी एक प्रेरणा और आदर्श बनकर उभरते है।
अंत में शिक्षाप्रद गेम भी खिलाये गए जिसका बच्चों ने आनंद लिया|
इस अवसर पर बीके जीतू, बीके सुरभि, बीके रोशनी, रीता मिड्ढा सहित अनेकानेक बच्चो के पैरेंट्स भी उपस्थित थे।
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