Indraganj Lashkar
नशा शारीरिक और आर्थिक पतन की ओर ले जाता है – डॉ. बनारसी भाई माउंट आबू (04-12-2022)

नशा शारीरिक और आर्थिक पतन की ओर ले जाता है – डॉ. बनारसी भाई माउंट आबू
विकृत सोच का परिणाम है नशा – डॉ. प्रताप मिड्ढा माउंट आबू
लश्कर ग्वालियर: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की भगिनी संस्था राजयोग एजुकेशन एण्ड रिसर्च फाउंडेशन के मेडिकल विंग के द्वारा राष्ट्रीय अभियान मेरा भारत व्यसन मुक्त भारत के अंतर्गत “मेरा ग्वालियर व्यसन मुक्त ग्वालियर” अभियान का शुभारम्भ रविवार 04 दिसंबर 2022 के श्री शीतला सहाय सभागार में हुआ।
यह कार्यक्रम ब्रह्माकुमारीज़ मेडिकल विंग, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन एवं कैंसर हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च इंस्टीट्यूट के सयुंक्त तत्वाधान में हुआ।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से माउंट आबू से बी.के. डॉ. प्रताप भाई जी (डायरेक्टर ग्लोबल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर माउंट आबू एवं वाइस प्रेसिडेंट मेडिकल विंग), बी.के. डॉ. बनारसीलाल भाईजी (सेक्रेटरी मेडिकल विंग ब्रह्माकुमारीज़ माउंट आबू), बी.के. डॉ. गोमती अग्रवाल, बी.के. रंजू , बी. के. मनीषा बहन (माउंट आबू), डॉ. राहुल सप्रा(अध्यक्ष IMA), डॉ. ब्रजेश सिंघल(सेक्रेटरी IMA), मेंटल हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. संजय लहारिया, कैंसर हॉस्पिटल के निदेशक श्री बी आर श्रीवास्तव, डॉ अजीत सिंह (डायरेक्ट बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च ग्वा.) श्री कमल मखीजनी (पूर्व जिलाध्यक्ष भा.ज.पा.) ब्रह्माकुमारीज़ लश्कर सेवाकेंद्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी आदर्श दीदी, बी.के. डॉ. गुरचरण सिंह और ब्रह्माकुमार प्रह्लाद भाई उपस्थित रहे ।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ ।
तत्पश्चात डॉ. राहुल सप्रा ने सभी को स्वागत उद्बोधन दिया और कहा कि राजयोग मेडिटेशन से दुनिया में शांति स्थापित करने का बहुत श्रेष्ठ कार्य यह बहनें कर रहीं हैं। समाज में आज ऐसे कार्यों की जरूरत है। ये बहनें देश के साथ विदेश में भी हमारी भारतीय संस्कृति और सभ्यता का प्रचार-प्रसार करने का कार्य कर रही हैं।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन इस अभियान के जुड़कर हर कार्यक्रम में ग्वालियर क्षेत्र में सभी को बेसिक लाइफ सपोर्ट की ट्रेनिंग देगी साथ ही व्यसन मुक्त अभियान में पूरी तरह से सहयोग बनेगें।
कार्यक्रम में डॉ. गोमती अग्रवाल सभी को संबोधित करते हुए कहा कि ब्रह्माकुमारी संस्थान समाज में व्यसनमुक्ति जनजागृति का अभियान चला रही है जो समय की जरूरत है।
डॉ. बी.आर श्रीवास्तव ने अपने संबोधन में कहा कि जो लोग नशा करते है उन्हें पता है कि यह हमारे लिए नुकसान दायक है फिर भी वह करते है क्योंकि कई लोग इसे स्टेटस सिंबल मानते है।
उन्होंने एक व्यक्ति का उदाहरण देकर बताया कि कैसे उसके बच्चे ने नशा छोड़ने में उसकी मदद की।
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि पहले 60 वर्ष से ऊपर की उम्र के व्यक्ति मुख के कैंसर का इलाज कराने आते थे। लेकिन आज 30 वर्ष के व्यक्ति को भी मुख का कैंसर हो जाता है। उसका कारण है कि आज छोटी उम्र के बच्चे सुपारी का सेवन करते है बाद ने वही उनकी आदत बन जाती है। मुझे विश्वास है कि ब्रह्माकुमारीज़ संस्था जो प्रयास कर रही है उसका रिजल्ट बहुत अच्छा होगा।
कार्यक्रम में माउंट आबू से मेडिकल विंग के सेक्रेटरी बी.के. डॉ. बनारसी भाई ने कहा कि वर्ष 1985 में ब्रह्माकुमारीज द्वारा मेडिकल विंग की नींव रखी गई थी। तब से लेकर मेडिकल विंग समाज की सेवा में समर्पित है। इन वर्षों में मेडिकल क्षेत्र में आध्यात्मिकता और स्वास्थ्य को लेकर कई प्रयोग भी किए हैं जो सफल रहे हैं एवं इनसे कई लोगों की गंभीर बीमारियां ठीक हुई हैं। एक कैड प्रोग्राम हार्ट रोगियों के लिए शुरू किया गया है। इसके तहत प्रशिक्षण लेकर अब तक करीब 8 हजार हृदय रोगी राजयोग मेडिटेशन, नियमित व्यायाम और संतुलित दिनचर्या को अपनाकर पूरी तरह स्वस्थ हो गए हैं। इसके अलावा विंग द्वारा नशामुक्ति, हेल्थफेयर जैसे कई प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं। मेडिकल विंग द्वारा चलाए गए विभिन्न अभियानों से प्रेरणा लेकर अब तक 12 लाख से अधिक लोग नशामुक्त हो चुके हैं जो संस्थान के लिए गौरव की बात है।
व्यसन न केवल व्यक्ति को बल्कि पूरे समाज को आर्थिक, शारीरिक रूप से पतन की ओर ले जाता है। इससे हमें हर हाल में अपने को बचाना है | ऐसे नेक कार्यों में हम सभी को आगे आना होगा।
मेन्टल हॉस्पिटल के निदेशक डॉ संजय लहारिया ने इस अभियान को एक आंदोलन के रूप में बताया। उन्होंने कहा कि हमें हमारे अंदर विद्यमान सभी विकृति से मुक्ति पानी ही है। तो इसमें आध्यात्म हमें बहुत मदद करेगा क्योकि आध्यात्म का ज्ञान हमें खुद से जोड़ता है।
ब्रह्माकुमारीज द्वारा समाज में उत्कृष्ट कार्य किए जा रहे हैं। लोगों को नेक राह पर चलने का संदेश दिया जा रहा है। ऐसे अभियानों से लोगों को नशे से दूर रहने की प्रेरणा मिलती है। मुझे खुशी है कि इस तरह के अभियान में मुझे शामिल किया । मैं हर तरह से सहयोगी रहूंगा।
ब्रह्माकुमारीज़ आदर्श दीदी ने सभी को अभियान से संबंधित सभी जानकारियों से अवगत कराते हुए कहा कि यह अभियान एक सप्ताह में 50 से भी अधिक कार्यक्रम स्कूल, कॉलेज, शासकीय,अशासकीय संस्थाओं, बस्ती, ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र में कार्यक्रम होंगे साथ ही एक व्यसन मुक्ति की प्रदर्शनी का एक गाड़ी तैयार की है जिससे अनेको को संदेश मिलेगा।
डॉ. प्रताप मिड्ढा (डारेक्टर ग्लोबल हॉस्पिटल माउंट आबू) ने व्यसन से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में बताया कि नशा और कुछ नहीं हमारी नकारात्मक सोच का ही परिणाम है। नशे की शुरुआत हमारे गलत विचारों, नकारात्मक विचारों, विकृत सोच से ही शुरु होती है। किसी भी तरह का नशा करने के बाद कुछ समय के लिए हमारे माइंड में जो संदेशवाहक कोशिकाएं हैं वह शांत हो जाती हैं, अपना संदेश देना माइंड को बंद कर देती हैं और हमें लगता है कि नशे से हमें आनंद आ रहा है। जबकि हकीकत ये है कि इससे हमारी माइंड की पावर ही कम होती है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राजयोग मन के लिए एक औषधि की तरह है ।
डॉ अजीत सिंह ने कहा कि हम शुरुआत अपने घर से करें कि हम अपने परिवार के सदस्यों किसी भी हालत में नशा नही करने देंगे।
इस अवसर पर कमल मखीजानी सहित सभी वक्तओं ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम के अंत मे माउंट आबू से पधारी बी.के. मनीषा बहन ने सभी को राजयोग ध्यान का अभ्यास कराया।
इस मौके पर बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
मंच का कुशल संचालन बी.के. डॉ गुरचरण भाई के द्वारा किया गया तथा आभार डॉ. ब्रजेश सिंघल ने किया।
कार्यक्रम में बी.के. जीतू, बी.के. पवन, बी.के.सौरभ, बी.के. विजेंद्र सहित अनेकानेक सेवाधारी उपस्थित रहे।
RIGHT TO LEFT – ब्रह्माकुमारी आदर्श दीदी, डॉ. राहुल सप्रा(अध्यक्ष IMA), बी.के. डॉ. बनारसीलाल भाईजी, कैंसर हॉस्पिटल के निदेशक श्री बी आर श्रीवास्तव, मेंटल हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. संजय लहारिया, श्री कमल मखीजनी (पूर्व जिलाध्यक्ष भा.ज.पा.), बी.के. डॉ. प्रताप भाई जी, डॉ. ब्रजेश सिंघल(सेक्रेटरी IMA)
दीप प्रज्ज्वलन करते हुए ग्रुप फोटो
श्री कमल मखीजनी जी (पूर्व जिलाध्यक्ष भा.ज.पा.)
मेंटल हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. संजय लहारिया
श्री बी आर श्रीवास्तव (कैंसर हॉस्पिटल निदेशक)
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मालनपुर ग्वालियर – ब्रह्माकुमारीज़ के युवा प्रभाग द्वारा आयोजित डिवाइन यूथ फोरम तीन दिवसीय रिट्रीट सम्पन

ब्रह्माकुमारीज़ के युवा प्रभाग द्वारा आयोजित डिवाइन यूथ फोरम तीन दिवसीय रिट्रीट सम्पन
तीन दिवसीय रिट्रीट में प्रदेश भर से आई युवा बहनों ने सीखे व्यक्तितव विकास गुर
दुआएं लेना और दुआएं देना अर्थात जीवन को सुंदर बनाना – अनुसूईया दीदी
ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान में आना अर्थात आनंद की अनुभूति करना -आशीष प्रताप सिंह
बिना कहे जब हम काम करते हैं तो दुआएं मिलती हैं – रेखा दीदी
ग्वालियर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्व विद्यालय की भगिनी संस्था राजयोग एज्युकेशन एण्ड रिसर्च फाउंडेशन के युवा प्रभाग द्वारा नई उमंग नई तरंग के अंतर्गत गोल्डन वर्ल्ड रिट्रीट सेंटर में तीन दिवसीय आवासीय रिट्रीट डिवाइन यूथ फोरम का आयोजन किया गया था। जिसमे पूरे प्रदेश से युवा बहनों ने हिस्सा लिया। इस रिट्रीट का उद्देश्य व्यक्तित्व विकास का प्रशिक्षण देना था।
आज कार्यक्रम के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में भाजपा के प्रदेश कार्य समिति सदस्य आशीष प्रताप सिंह राठौड़, दिल्ली से पधारी बीके अनुसूईया दीदी, बीके वर्णिका दीदी, सीधी से रेखा दीदी, ग्वालियर गोल्डन वर्ल्ड रिट्रीट सेंटर प्रमुख बीके ज्योति बहन, युवा प्रभाग के राष्ट्रीय सदस्य बीके प्रहलाद भाई, बीके जानकी आदि उपस्थित थीं।
कार्यक्रम के शुभारंभ ने दिल्ली से आई बीके अनुसूईया दीदी ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि दुवाओं के वारे में सभी को बताया और कहा कि दुआएं यह कोई खरीदी-बेची जाने वाली वस्तु नहीं, बल्कि हमारे कर्मों की खामोश कमाई होती हैं। जब हम निस्वार्थ भाव से, श्रद्धा और सेवा-भाव से कार्य करते हैं, तो दुआएं स्वतः ही हमारे खाते में जमा होती जाती हैं।
दुआएं कमाने का मार्ग कर्म से होकर जाता है। जब हम अपने कर्मों से अपने बड़ों, गुरुजनों और समाज को निश्चिंत करते हैं। जब हम बिना कहे उनके सुख-दुख में साथ खड़े होते हैं, तो वह आशीर्वाद नहीं, बल्कि दिल से दुआएं भी देते हैं। यह दुआएं हमारी रक्षा करती हैं, मार्ग प्रशस्त करती हैं, और जीवन को सार्थक बनाती हैं।
दीदी ने आगे कहा कि हम जिनको लोगो के साथ रहते है या जहां कार्य करते है। या फिर कोई सेवा का कार्य करते है। वह हमें अपना समझ करके और बिना कहे करना चाहिए यह सबसे ऊँचा कर्म है। जो काम किसी ने कहा नहीं, पर हमने देख लिया और कर दिया। वही असली सेवा है। सेवा में दिखावा नहीं, समर्पण होना चाहिए। जब हम अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर दूसरों के लिए कार्य करते हैं, तो हमें दुआओं की पूंजी मिलती है। हमें ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि “यह मेरा काम नहीं है।” कर्म का धर्म यही कहता है कि जहां ज़रूरत हो, वहां सहयोग दिया जाए। यही सहयोग एक दिन हमारी ज़रूरत के समय कई गुना होकर लौटता है।
यूथ विंग की भोपाल ज़ोन की संयोजिका बीके रेखा बहन ने कहा कि जितनी ज़रूरत हो, उतना ही लेना सीखें। आज की दुनिया में लालच हर किसी को खींचता है, पर संतोष और संयम ही वह गुण है जो दूसरों के हिस्से की चीज़ें भी उन्हें लौटाकर हमें दुआएं दिलवाता है। सीमित संसाधनों में संतुलन बनाना, यही सच्चे संस्कारों का परिचायक है।
कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य आशीष प्रताप सिंह राठौड़ ने बतौर मुख्य अतिथि विचार व्यक्त करते हुए कहा कि समष्टि के प्रति एकात्मता, सर्वभूत हितेरेता:
एवं सर्वे भवंतु सुखिनः जैसे उच्च स्तरीय मूल्यों के उपासक होने पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के भाइयों बहनों ने हम सब को गौरवान्वित किया हैं। हमारे जो गुरुजन होते हैं उनकी शिक्षा से ही हमारा विकास होता हैं
जिस प्रकार हमारा देश आगे बढ़ रहा हैं। और आज हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बड़ी हैं।
मैं पिछले कुछ वर्षो से ब्रह्माकुमारीज़ संस्था से जुड़ा हुआ हूँ। और मुझे यहां आकर के आनंद की अनुभूति होती हैं।
आज की पीढ़ी अपने नेचर को भूलती जा रही हैं
यह संस्था सभी लोगों को नेचर और सांस्कृतिक से जोड़ती हैं।
कार्यक्रम में दिल्ली से आई बीके वर्णिका बहन ने कहा कि “सर्वे भवन्तु सुखिनः” की भावना ही दुआओं की कुंजी है। जब हम केवल अपने लिए नहीं, बल्कि सभी के भले की कामना करते हैं, उनके लिए कुछ करते हैं, तो संपूर्ण सृष्टि से हमें सकारात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।
बचपन से ही हमें ऐसे मूल्य और सोच अपनाने चाहिए कि जहाँ भी हम जाएँ, वहाँ शांति, सहयोग, और करुणा का संचार हो। यही हमारे जीवन की सबसे बड़ी कमाई है। दुआएं सिर्फ शब्दों से नहीं, व्यवहार से दी जाती हैं। प्रेरणा देकर, मार्गदर्शन देकर।
गोल्डन वर्ल्ड रिट्रीट सेंटर की प्रभारी बीके ज्योति दीदी ने भी अपनी शुभकामनाएं दीं और कहा कि जिस दिन हमारे अंदर संतोष धन आ जाता हैं फिर बाहर का कोई भी आकर्षण महसूस नहीं होता हैं।
अपने लिए जिए तो क्या जिए, जीवन में दूसरों का भला ही असली जीवन है।
कार्यक्रम का कुशल संचालन बीके प्रहलाद भाई ने किया तथा सभी का आभार बीना से पधारी बीके जानकी दीदी ने किया।
इस अवसर पर नीलम बहन, रेखा बहन, खुशबू बहन, महेश भाई, आशीष भाई, मीरा बहन, अर्चना बहन, सपना बहन सहित अनेकानेक बहने उपस्थित थीं
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न्यूज़ कवरेज – जीवन की असली पूँजी दौलत या प्रतिष्ठा नहीं, बल्कि खुशी, संतुष्टि और शांति है
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मालनपुर ग्वालियर – जीवन की असली पूँजी दौलत या प्रतिष्ठा नहीं, बल्कि खुशी, संतुष्टि और शांति है

जीवन की असली पूँजी दौलत या प्रतिष्ठा नहीं, बल्कि खुशी, संतुष्टि और शांति है – बीके वर्णिका बहन
यदि सच्ची कमाई करनी है तो हमें अपनी वाणी को मधुर और प्रेमपूर्ण बनाना होगा – बी के अनुसुईया दीदी
ग्वालियर: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के माधवगंज स्थित प्रभु उपहार भवन में दिल्ली से आई बीके अनुसुईया दीदी एवं वर्णिका बहन का स्वागत अभिनन्दन किया गया।
इस अवसर पर ब्रह्माकुमारीज़ लश्कर केंद्र प्रमुख बीके आदर्श दीदी ने शब्दों से एवं पुष्पगुच्छों से पधारे हुए अतिथियों का स्वागत अभिनन्दन किया। और कहा कि मानव जीवन बहुत ही अनमोल हैं इसकी हमें हमेशा वैल्यू करनी चाहिए। और हमेशा श्रेष्ठ कर्म ही करना चाहिए। आज हमारे बीच अनुसुईया दीदी पहुंची है जो कि पिछले 60 वर्षों एवं वर्णिका बहन पिछले 11 वर्षों से ब्रह्माकुमारीज संस्थान में प्रेरक वक्ता एवं राजयोग ध्यान प्रशिक्षका के रूप में समर्पित होकर अपनी सेवाएँ दें रही है। और आपके माध्यम से हजारों, लाखों लोगो को श्रेष्ठ जीवन जीने की प्रेरणा मिल रही है। यह बहुत ही खुशी कोई बात है कि आप आगमन ग्वालियर हुआ है। निश्चित ही यहाँ के लोगो को आपके प्रेरक उद्बोधन का लाभ मिलेगा।
कार्यक्रम में बी.के. वर्णिका बहन ने कहा कि हर व्यक्ति का जीवन अलग होता है, उसके अनुभव, उसके संस्कार, उसकी सोच और उसकी चाहतें भी भिन्न होती हैं। कोई सफलता को सबसे बड़ा लक्ष्य मानता है, तो कोई संतोष को ही जीवन का सार समझता है। लेकिन जब हम गहराई से सोचते हैं, तो समझ आता है कि जीवन की असली पूँजी दौलत या प्रतिष्ठा नहीं, बल्कि खुशी, संतुष्टि और शांति है। ये खजाने बाजारों में नहीं मिलते, ये न किसी चीज़ से खरीदे जा सकते हैं और न ही किसी को देकर लिए जा सकते हैं। ये खजाने परमात्मा के पास हैं, और उनका अनुभव तभी होता है जब इंसान स्वयं से जुड़ता है, अपने भीतर झाँकता है। जिंदगी शुरू होती है एक छोटे से मासूम सपने से – पढ़ाई पूरी हो जाए, अच्छे नंबर आ जाएँ। फिर उस सपने में एक और सपना जुड़ जाता है – नौकरी लग जाए, भविष्य सुरक्षित हो जाए। नौकरी मिलती है तो एक और चाह जागती है – अच्छा घर हो, गाड़ी हो, जीवनसाथी हो। फिर एक परिवार बसता है, बच्चे होते हैं, उनके सपनों को पूरा करने की दौड़ शुरू होती है। एक के पीछे एक लक्ष्य आता जाता है, और इंसान उन्हें पूरा करने की कोशिश में पूरी जिंदगी गुजार देता है। लेकिन इन सबके बीच वह भूल जाता है कि वह भाग किसके लिए रहा है, किस मंज़िल की तलाश में है। हर सफलता के बाद एक नई कमी महसूस होती है। हर उपलब्धि के साथ एक नया खालीपन जन्म लेता है। और जब उम्र ढलने लगती है, तब जाकर कहीं दिल से एक धीमी आवाज़ उठती है – अब कुछ नहीं चाहिए, बस थोड़ा सा सुकून चाहिए, थोड़ा सा प्यार चाहिए, थोड़ी सी शांति मिल जाए। यही वह क्षण होता है जब इंसान को समझ आता है कि असली खजाना बाहर नहीं, भीतर है। जो बात शुरुआत में समझ में नहीं आती, वह अंत में साफ हो जाती है – कि जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता है आत्मिक संतुलन। जब हम खुद से कट जाते हैं, तो सारी दुनिया मिलने पर भी अधूरे रहते हैं। लेकिन जब हम खुद से जुड़ जाते हैं, जब हम परमात्मा के प्रति समर्पण भाव रखकर जीवन को जीते हैं, तब वह खजाना स्वयं हमारे भीतर प्रकट होता है। शांति कोई चीज़ नहीं, यह एक अनुभव है। प्रेम कोई लेन-देन नहीं, यह एक भावना है। संतुष्टि कोई लक्ष्य नहीं, यह जीवन का भाव है। और जब तक हम इन अनुभवों को नहीं जीते, तब तक चाहे हम कुछ भी पा लें, वह अधूरा ही रहता है। इसलिए ज़रूरी है कि हम अपने जीवन की रफ्तार को थोड़ा धीमा करें, अपने भीतर झाँकें, उस मौन को सुनें जो हर पल हमें आवाज़ दे रहा है। तभी हमें जीवन का असली खजाना मिलेगा – वह खजाना जो नष्ट नहीं होता, जो सदा हमारे साथ रहता है – परमात्मा की कृपा में बसी हुई शांति, प्रेम और संतोष।
कार्यक्रम में अनुसुईया दीदी ने अपना उद्बोधन देते हुए कहा कि मनुष्य केवल शरीर नहीं है, बल्कि एक चेतन्य शक्ति आत्मा है। यह आत्मा ही शरीर के माध्यम से सभी कर्म करती है। हमारे हर अच्छे या बुरे कर्म का मूल स्रोत हमारी आत्मा ही होती है। शरीर तो एक माध्यम है। जब आत्मा शुद्ध होती है, तो उसके विचार, वाणी और कर्म भी शुद्ध होते हैं। यदि सच्ची कमाई करनी है तो हमें अपनी वाणी को मधुर और प्रेमपूर्ण बनाना होगा। जब हम प्रेम से, शांति से और आदरपूर्वक बोलते हैं तो हमारे शब्द केवल शब्द नहीं रहते, वे दुआएँ बन जाते हैं। इन दुआओं का कोई मूल्य नहीं लगा सकता, क्योंकि ये आत्मा को ऊँचा उठाती हैं, कर्मों को हल्का बनाती हैं और जीवन में सच्ची सुख-शांति का आधार बनती हैं।
जब हम किसी के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं, मीठे बोल बोलते हैं, सहायता करते हैं, शुभ सोचते हैं और सद्विचारों को सुनते हैं, तो यह सब आत्मा के भीतर जमा होता जाता है। यह जमा पूँजी ऐसी है जिसे कोई देखे या न देखे, कोई जाने या न जाने, पर आत्मा जानती है कि कुछ अच्छा संचित हुआ है। कभी-कभी हम दिन भर अच्छा व्यवहार करते हैं, सभी से प्रेम से बोलते हैं, और फिर भी कोई हमारी सराहना नहीं करता। पड़ोसियों को पता नहीं चलता, परिवार के लोग नज़रअंदाज़ कर देते हैं, और हम भीतर ही भीतर दुःखी हो जाते हैं। हमें लगता है कि हमारी अच्छाई का कोई मूल्य ही नहीं रहा, कोई उसे समझ नहीं रहा। पर यहाँ हमें यह समझना चाहिए कि हर व्यक्ति की किस्मत उसके कर्मों से बनती है। मेरे कर्म मेरी किस्मत बनाते हैं और किसी और के कर्म उसकी किस्मत तय करते हैं। अगर कोई मेरी अच्छाई को नहीं मानता, मेरी बात को नहीं समझता, मेरी सेवा का आदर नहीं करता, तो मुझे दुःखी नहीं होना चाहिए। अगर मैं अच्छा करते हुए भी दुःखी हूँ, तो यह मेरी समझ की कमी है। क्योंकि बुरा कर्म करने वाला तो दुःखी रहता ही है, लेकिन जो अच्छा कर्म करके भी दुःखी हो जाए, वह तो और भी बड़ी भूल कर रहा है। परमात्मा सब देखते है। हम उनके बच्चे हैं। जब हम अच्छे कर्म करते हैं, प्रेम से बोलते हैं, शांति से जीते हैं, सेवा में रहते हैं, तो परमात्मा की कृपा हमारे साथ होती है। इसलिए किसी के न मानने या सराहने न करने से हमें हताश नहीं होना चाहिए। हमारा हर अच्छा कर्म, चाहे वह छोटा हो या बड़ा, कहीं न कहीं आत्मा में दर्ज हो रहा है। यही हमारे जीवन की असली पूँजी है।
अतः हमें सदा यही याद रखना चाहिए कि कोई देखे या न देखे, कोई माने या न माने, लेकिन यदि हम सही मार्ग पर चल रहे हैं, प्रेम और सेवा के भाव में जी रहे हैं, तो हमें कभी दुःखी नहीं होना चाहिए। क्योंकि अंततः आत्मा को शांति उसके अपने कर्मों से ही मिलती है, और परमात्मा की दृष्टि से कोई भी अच्छा कर्म कभी व्यर्थ नहीं जाता।
कार्यक्रम का कुशल संचालन बीके ज्योति बहन (मोहना) ने किया तथा आभार बीके प्रहलाद भाई ने किया।
इस अवसर पर बीके जीतू, बीके पवन, बीके सुरभि, बीके रोशनी, सुरेन्द्र, विजेंद्र, पंकज, पीयूस, रवि, गजेन्द्र अरोरा, डॉ स्वेता माहेश्वरी सहित अनेकानेक लोग उपस्थित थे।
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