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Indraganj Lashkar

हमारे जीवन का लक्ष्य – निर्मल और निर्माणता का गुण (15.06.2022)

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हमारे जीवन का लक्ष्य – निर्मल और निर्माणता का गुण

लश्कर  ग्वालियर  :  आज़ादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर अभियान के अंतर्गत आज प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्व विद्यालय एवं राजयोग एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन द्वारा पुराना हाई कोर्ट लेन स्थित “संगम भवन” सेवा केंद्र पर एक विशेष कार्यक्रम संपन्न हुआ |

इस कार्यक्रम में विशेष रूप से भोपाल से आए हुए आदरणीय भ्राता श्री प्रकाश भाईजी, बी.के.प्रसाद भाईजी, लश्कर ग्वालियर की मुख्य संचालिका बी.के.आदर्श दीदी जी, बी.के.डॉ. गुरुचरण भाई जी, बी.के.प्रहलाद भाई जी उपस्थित थे |

कार्यक्रम का  शुभारम्भ अतिथियों के सम्मान के साथ किया गया ।

 बी.के.आदर्श दीदीजी  ने सभी का स्वागत अभिनन्दन किया और बताया कि श्रेष्ठ  जीवन का दूसरा नाम ही है  निर्माणचित्त । सभी के प्रति निर्माण की भावना यही आदर्श जीवन की विशेषता है | आज सम्बन्ध – संपर्क या हमारे घर परिवार मे रहने वाले लोगो से मन मुटाव का सबसे बड़ा कारण है की कोई भी मनुष्य आज झुकना नहीं चाहता । जबकि जो जितना झुकता है वो उतना ही निर्माण बनता जाता है और आपसी संबंध सुधरते जाते हैं | आपसी मन – मुटाव होने पर हम सामने वाले से उम्मीद रखते हैं की वो झुके परन्तु क्या कभी हमने स्वयं से शुरुवात की है । तो जब हम स्वयं को निर्माण स्वरुप बनाते जायेंगे,  सहनशीलता का गुण  स्वतः आप में आता जायेगा । इसी के साथ दुसरो के प्रति बैर की भावना, बदला लेने की भावना भी ख़त्म हो जाएगी |

आगे बी.के.प्रकाश भाईजी  ने सभी को संबोधित करते हुए बताया कि आदर्श जीवन में व्यर्थ आना मतलब कहीं ना कहीं अभी भी हमारे शुद्ध संकल्पों में मिलावट है | तो उसके लिए –

  • पहली सबसे ज़्यादा ज़रूरी बात है एकांत में बैठ कर विचार – सागर – मंथन करें  | स्वयं से सुबह उठ कर बातें करें, चेक करें की क्या वजह है जो मेरे संकल्पों की रफ़्तार इतनी तेज़ हो रही है और शुद्धता में अशुद्धता की मिलावट हो रही है  ।
  • दूसरी बात सुबह के समय में स्वयं को सकारात्मक संकल्पों से भरपूर करें और  पूरे दिन की दिनचर्या में उन संकल्पों को बार बार याद करें |
  • तीसरी बात लिखने की आदत डालें इससे हमारी एकाग्रता की शक्ति बहुत तेज़ी से बढेगी |

तत्पश्चात बी.के.प्रसाद भाईजी  ने बताया कि अगर हम अपने जीवन मे कुछ हासिल करना चाहते हैं तो सबसे ज़रूरी है स्वयं पर भरोसा या  विश्वास जागृत करना  –  कुछ भी कार्य जब हम कर रहे हैं तो यह सोच कर करें की मैं यह काम अच्छे से अच्छा करूँगा | मुझे इसमें सफलता अवश्य मिलेगी | किसी भी कार्य को करने से पहले स्वयं को सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर करें क्योंकि सब कुछ आपकी मानसिक स्थिति पर आधारित है । अगर मासिक स्तिथि अच्छी होगी तो आप जो भी आप अपने जीवन में प्राप्त करना चाहते हैं वो ज़रूर प्राप्त  कर सकेंगे |

कार्यक्रम में बी.के.डॉ.गुरचरण भाईजी  ने भी सभी को अपनी शुभ कामनाएं दीं तथा कार्यक्रम का कुशल संचालन बी.के.प्रहलाद भाईजी  के द्वारा हुआ |

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म.प्र. के माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी ने ‘सामाजिक समरसता’ कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी बहनों को शॉल ओढ़ाकर किया सम्मानित

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Gwalior : म.प्र. के माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी, भारत सरकार के केंद्रीय संचार मंत्री माननीय श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जी, म.प्र. विधानसभा अध्यक्ष माननीय श्री नरेंद्र सिंह तोमर जी ने ग्वालियर के दत्तोपंत ठेंगड़ी सभागार, कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित सामाजिक समरसता’ कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी बहनों को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। जिसमें ब्रह्माकुमारी रोशनी, ब्रह्माकुमारी सुरभि, बीके डॉ.गुरचरण सिंह को सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में प्रदेश के अनेकानेक कैबिनेट मंत्री गण, सांसद, विधायक सहित अन्य जनप्रतिनिधि तथा प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित थे।

इस अवसर पर बीके रोशनी, बीके सुरभि, बीके डॉ.गुरचरण सिंह ने माननीय मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव जी का अभिनंदन करते हुए उन्हें ईश्वरीय सौगात भेंट की।

कार्यक्रम में शहर से अनेकानेक सम्माननीय धर्मगुरु, धार्मिक संस्थान, सामाजिक संस्थान से तथा गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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बाल व्यक्तित्व विकास शिविर

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ब्रह्माकुमारीज केंद्र पर तीन दिवसीय बाल व्यक्तित्व विकास शिविर का हुआ शुभारंभ

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बच्चों में प्रेम, दया, क्षमा, आत्मविश्वास, सहनशीलता जैसे गुणों का विकास बहुत आवश्यक – आदर्श दीदी

जो बच्चे आज्ञाकारी होते है उन्हें सभी की दुवाएं एवं स्नेह मिलता है – प्रहलाद भाई

ग्वालियर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की भगिनी संस्था राजयोग एजुकेशन एंड रिसर्च फाऊंडेशन के युवा प्रभाग और शिक्षा प्रभाग के द्वारा माधवगंज स्थित प्रभु उपहार भवन में तीन दिवसीय बाल व्यक्तित्व विकास शिविर का शुभारंभ हुआ।
इस शिविर में बच्चों के सम्पूर्ण विकास के लिए आध्यात्मिकता, नैतिक शिक्षा, व्यवहारिक ज्ञान और सकारात्मक सोच आदि विषयों को रचनात्मक ढंग से बताया जायेगा।
शिविर के शुभारंभ में मुख्य प्रशिक्षक के रूप में उपस्थित मोटिवेशनल स्पीकर एवं वरिष्ठ राजयोग ध्यान प्रशिक्षक बीके प्रहलाद भाई ने नए सभी बच्चों को मोटिवेट करते हुए मजेदार शिक्षाप्रद कहानियाँ सुनाकर शिविर की शुरुआत की। उन्होंने एक रचनात्मक एक्टिविटी के माध्यम से शिविर में उपस्थित बच्चों को सिखाया कि हमें ध्यान से सुनना चाहिए। क्योकि ध्यान से सुनने का बहुत महत्व है। जबकि सुनने से ज्यादा हम देखकर कर्म करते है, हम जैसा देखते है वैसा हम बनते चले जाते है। यदि हम कुछ गलत चीजों को देखते है या हमारे सामने कोई गलती कर रहा है तो उसका प्रभाव भी हमारे जीवन पर पड़ता है। इसलिए हमेशा टीवी या मोबाईल पर कुछ देखते है तो अच्छा ही देखे।
उन्होंने कहा कि अच्छे गुणों और संस्कारों का बीज बोने का यह सही समय है। इस समय अंदर लचीलापन होता है। सही शब्दों में कहा जाए तो व्यक्तित्व का निर्माण और जीवन को दिशा देने का काम इसी समयावधि में हो सकता है। हम जैसा बनना चाहें वैसा अपने को बना सकते हैं। आजकल कई बच्चे अपना कीमती समय मोबाइल पर नष्ट कर रहे हैं। अभिभावक और शिक्षक चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। इस समय में मोबाईल का ज्यादा उपयोग करना हमारे लिए बहुत नुकशान दायक है । मोबाईल हमारी सुविधा के लिए है पढ़ाई आदि के लिए ही हम इसे थोडा बहुत उपयोग कर सकते है। बांकी और और चीजों में हमें नहीं जाना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि सभी बच्चो को प्रातः सूर्योदय से पहले जाग जाना चाहिए तथा रात्रि को जल्दी सोना चाहिए। देर रात तक नहीं जागना चाहिए। सभी बच्चों को अपने माता पिता कहना मानना चाहिए। हरेक माता पिता अपने बच्चों की भलाई के लिए ही उन्हें समझाते है कभी भी माता पिता से नाराज नहीं होना चाहिए। जो बच्चे आज्ञाकारी होते है उन्हें सभी की दुवाएं एवं स्नेह मिलता है। और वह जीवन में आगे बढ़ते जाते है। इस पर एक रोचक कहानी भी बच्चों को सुनाई।
आगे भाई जी ने बच्चों को मन बुद्धि और संस्कार के बारे में बताया कि कैसे हम अच्छा सोचकर अपने अन्दर अच्छी आदतों को डाल सकते है। और अपनी ख़राब आदतों को छोड़ सकते है।


कार्यक्रम में बच्चो को मेडिटेशन (ध्यान) की सरल विधि सिखाई गई साथ ही ध्यान का अभ्यास भी कराया गया।
इस अवसर पर केंद्र प्रमुख बीके आदर्श दीदी ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि यदि हम थोडा समय पढ़ाई से पूर्व या कोई कार्य करने से पूर्व राजयोग ध्यान का अभ्यास करते है। अथवा परमात्मा को याद करते है तो हमें सफलता अवश्य मिलती है, साथ ही हमारी एकाग्रता भी बढती है। दीदी ने आगे कहा कि हमें इतना सुंदर जीवन मिला है तो उसके लिए हमें ईश्वर का शुक्रिया अदा करना चाहिए, साथ ही उन सभी का शुक्रिया करना चाहिए जो हमारे जीवन को अच्छा बनाने में हमारे मददगार है जैसे माता-पिता एवं गुरुजन आदि।
दीदी ने आगे बताया कि बच्चों में प्रेम, दया, क्षमा, आत्मविश्वास और सहनशीलता जैसे गुणों का विकास बहुत आवश्यक है। यह शिविर निश्चित ही बच्चों में दिव्य गुणों की धारणा और चारित्रिक विकास में मददगार साबित होगा। जो बच्चे बचपन से ही आध्यात्मिक शिक्षा और नैतिक शिक्षा और व्यवहारिक शिक्षा से जुड़ते है, तो वह न केवल बड़े होकर एक अच्छे नागरिक बनते है, बल्कि समाज और विश्व के लिए भी एक प्रेरणा और आदर्श बनकर उभरते है।
अंत में शिक्षाप्रद गेम भी खिलाये गए जिसका बच्चों ने आनंद लिया|
इस अवसर पर बीके जीतू, बीके सुरभि, बीके रोशनी, रीता मिड्ढा सहित अनेकानेक बच्चो के पैरेंट्स भी उपस्थित थे।

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