Indraganj Lashkar
“आनन्द का आधार – परिवार” (15.05.2022)
“आनन्द का आधार – परिवार”
ग्वालियर : म.प्र. राज्य आनन्द संस्थान, आनन्दक टीम और प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा “अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस (15 मई, 2022)” के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम आयोजन किया गया जिसका विषय था “आनन्द का आधार – परिवार” |
इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से भोपाल से म.प्र.राज्य आनन्द संस्थान से मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री अखिलेश अर्गल जी ऑनलाइन जुड़े तथा
विजय कुमार (डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम लीडर), बी.के. डॉ. मुकुल भाई (पुणे), ब्रह्माकुमारीज़ लश्कर ग्वालियर की इंचार्ज बी.के.आदर्श दीदीजी, बी.के.प्रहलाद भाई कार्यक्रम में उपस्थित रहे |
कार्यक्रम की शुरुवात में सभी उपस्थित मुख्य अतिथियों का स्वागत तिलक और फूल माला के साथ किया गया |
इसी के साथ कार्यक्रम का कुशल संचालन बी.के.प्रहलाद भाईजी ने किया तथा विषय को स्पष्ट रूप से समझाते हुए बताया कि आज जीवन में ख़ुशी की कमी, आनंद की कमी है तो उसका मूल कारण यह है की आज हम अपने संयुक्त परिवार से कहीं ना कहीं दूर हो गए हैं और आनंद, ख़ुशी और प्रेम की अनुभूति हमें हमारे परिवार के साथ रह कर ही होती है इसलिए आज ज़रूरी है अपनी दिनचर्या में से कुछ समय परिवार के साथ बिताना चाहिए |
आगे विजय कुमार (उपमन्यु) ने सभी को परिवार दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि अगर परिवार की सबसे बड़ी व्याख्या है तो वह यहाँ ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान में हैं | इसी के साथ उन्होंने बताया कि हमारे जीवन में तमाम भौतिक सुख सुविधा होने के बाद भी हमारी प्रसन्नता स्थाई रूप से नहीं रहती है | तो अगर हम चाहते है की हमारे जीवन मे ख़ुशी, आनंद सदैव बरकरार रहे तो वो बाहर किसी व्यक्ति या वस्तु से नहीं बल्कि अपने परिवार के साथ रहकर ही अनुभव होगी ।
बी.के.मुकुल भाई जी ने सभी को संबोधित करते हुए बताया कि देश के घर – घर में असंतोष, मन मुटाव बढ़ता हुआ नज़र आ रहा है | आज साधनों की, धन की कोई कमी नहीं है लेकिन संबंधो की आज सबसे ज़्यादा कमी है | एक दूसरे को पारिवारिक सहयोग नहीं मिल पा रहा है और यह संस्कृति दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जबकि हमारी भारतीय संस्कृति यह कहती है की परिवार में जितने भी सदस्य हैं एक साथ बैठकर प्रभु स्मृति में, शांति से अन्न को प्रसाद समझ कर स्वीकार करें , हमारी जो संस्कृति है उसे वापिस से धारण करने लग जायें तो अवश्य ही हम सब भारत को फिरसे एक स्वर्णिम परिवार और संपन्न देश में परिवर्तन कर सकेंगे |
कार्यक्रम में अखिलेश अर्गल जी ने बताया कि पुराने समय से आज वर्तमान समय में देखा जाए तो दूरियां बढ़ी हुई नज़र आती हैं और इन दूरियों का सबसे बड़ा कारण क्या है इस पर विचार करने की बहुत आवश्यकता है | अगर हम देखें तो परिवार का जो आधार है वो सम्बन्ध है और सम्बन्ध का आधार है भावनाएं | आज जिस प्रकार हम अपने बच्चों को अधिक से अधिक सुविधाएं देने की कोशिश करते हैं परन्तु वहीं हम उनके सम्बन्ध के प्रति समझ बढ़ाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं । भौतिक वस्तुओं से, सुख-सुविधाओं से एक परिवार परिवार नहीं कहलाता परन्तु यहाँ बात है एक दूसरे को समय देने की, प्रेम, स्नेह से एक दूसरे की बात को समझने की ।
कार्यक्रम में बी.के.आदर्श दीदी जी ने अपने आशीर्वचन देते हुए सभी को परिवार दिवस की शुभकामनाएं दीं और बताया कि इतना बड़ा विश्व होने के बाद भी आज व्यक्ति स्वयं को अकेला समझता है और इसका मूल कारण है कि जो आनंद के, प्रेम के सागर हैं उन से हम डिसकनेक्ट हो गए हैं | तो अभी वर्तमान समय में स्वयं ईश्वर एक स्वर्णिम संसार, विश्व को एक परिवार बनाने का कार्य कर रहे हैं तो इस समय हम सभी भी अपना कनेक्शन परमात्मा के साथ जोडें और विश्व को स्वर्णिम बनाने में सहयोगी बनें |
कार्यक्रम के अंत में बी.के. पवन ने सभी का आभार प्रकट किया ।
कार्यक्रम का ऑनलाइन प्रसारण भी किया गया जिसमे आनन्द संस्थान से जुड़े अनेकानेक लोगो ने लाभ लिया |
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सीआरपीएफ संतुलित आहार
सीआरपीएफ समूह केंद्र में क्षेत्रीय परिवार कल्याण केन्द्र के सहयोग से सेमिनार का आयोजन
ग्वालियर। सीआरपीएफ समूह केंद्र में क्षेत्रीय परिवार कल्याण केन्द्र के सहयोग से एक सेमिनार व वक्तव्य का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम समूह केन्द्र के तानसेन क्लब में आयोजित हुआ। कार्यक्रम में मुख्य रूप से डाईटीशियन सौम्या चड्ढा, ब्रह्माकुमारीज संस्थान से प्रेरक वक्ता बी के प्रहलाद भाई उपस्थित थे।
इस अवसर पर क्षेत्रीय कावा अध्यक्षा श्रीमती सुनीता निगम, श्रीमती भावना गुप्ता, डिप्टी कमांडेंट दिलाबर सिंह, श्रीमती गीता, श्रीमती आशा सहित क्षेत्रीय कावा के अन्य सदस्य भी उपस्थित थे।
केन्द्र में निवासरत महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता व उनको लाभान्वित करने के लिए विशेषज्ञों द्वारा पोषण एवं अंधत्व नियंत्रण के विषय पर चर्चा की गयी
मुख्य आहार विशेषज्ञ सौम्या चड्ढा नें सभी को सम्बोधित करते हुए कहा कि सभी को यह ध्यान रखना चाहिए कि हमारा आहार इस तरह का हो जिसमें वह सभी पोषक तत्व आ जाए जो शरीर के लिए आवश्यक है। उन्होंने बताया कि
लें। थाली में अनाज, दाल/ प्रोटीन, सब्जी, फल, दूध, दही जैसी चीजें शामिल करें। समय पर भोजन करें, सीजनल फल और सब्जियां लें, दिनभर में 8 से 10 गिलास पानी पिएं, शारीरिक व्यायाम करें या कम से कम 30 मिनिट पैदल चलें, जरूरत से ज्यादा भोजन न करें।
ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के मेडिटेशन विशेषज्ञ बीके प्रहलाद भाई एवं बीके सुरभि नें सभी को मन को स्वस्थ्य रखने के लिए टिप्स दिए एवं राजयोग ध्यान को जीवन का हिस्सा बनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि राजयोग ध्यान करने से अनेक लाभ होते है। जैसे – यह तनाव कम करता है, मन को शांति और स्थिरता देता है, गुस्सा, चिंता और नकारात्मक सोच को घटाता है, एकाग्रता और स्मरण शक्ति बढ़ाता है, नींद की गुणवत्ता में सुधार लाता है। यह सब ठीक है तो शारीरिक स्वास्थ्य भी ठीक रहता है।
सेमिनार में ग्रुप केन्द्र के सैंकड़ों कार्मिकों एवं इस ग्रुप केन्द्र में निवासरत महिलाओं द्वारा बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया गया। सेमिनार के अंत में क्षेत्रीय कावा अध्यक्षा श्रीमती सुनीता निगम द्वारा डाईटीशियन सौम्या चड्ढा एवं बी के प्रहलाद भाई को स्मृति चिन्ह भेंट किए एवं विशेषज्ञों द्वारा इस विषय पर महत्वपूर्ण ज्ञानवर्धन करने हेतु धन्यवाद एवं आभार व्यक्त किया।
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खुशनुमा और स्वस्थ जीवन (एसएएफ 13 बटालियन)
प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्व विद्यालय के द्वारा 13वीं वाहिनी विशेष सशस्त्र बल (एसएएफ 13 बटालियन) में “तनाव प्रबंधन, खुशनुमा और स्वस्थ जीवन शैली” विषय पर एक प्रेरणादायक सत्र आयोजित किया गया। जिसका उद्देश्य लोगों को मानसिक शांति, सकारात्मक सोच और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना था।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में प्रेरक वक्ता एवं वरिष्ठ राजयोग ध्यान प्रशिक्षक बीके प्रहलाद भाई तथा ब्रह्माकुमारीज़ केंद्र की मुख्य संचालिका बीके आदर्श दीदी उपस्थित थीं।
इस अवसर पर एस ए एफ 13 बटालियन से प्रभारी सेनानी अनुराग पांडे, सहायक सेनानी, गुलबाग सिंह, डॉक्टर ओ पी वर्मा निरीक्षक मुनेन्द्र सिंह भदोरिया, निरीक्षक, धर्मेंद्र वर्मा, निरीक्षक मुकेश परिहार, निरीक्षक पुष्पेंद्र सिंह भदौरिया, निरीक्षक जादौन, निरीक्षक राय सिंह जयंत, समस्त पी टी एस स्टाफ एवं 350 से अधिक प्रशिक्षणार्थी सहित ब्रह्माकुमारीज से बीके सुरभि, बीके रोशनी, बीके पवन उपस्थित थे।
कार्यक्रम में बीके प्रहलाद भाई ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि आज के तेज रफ़्तार जीवन में तनाव हर किसी की दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है। जिसकी वजह से हमारे जीवन में काफी उतार चढाव आते है। इन सबसे छूटने के लिए तनाव का सही ढंग से प्रबंधन करना ही खुशनुमा और स्वस्थ जीवन जीने की कला है। यदि तनाव पर नियंत्रण न हो तो यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ को प्रभावित करता है। इसके लिए कुछ सरल उपाय अपनाकर हम संतुलित, आनंदमय और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। उन्होंने कहा कि – सकारात्मक सोच विकसित करें, हर परिस्थिति में अच्छा पक्ष देखने का प्रयास करें, नकारात्मक विचारों से दूर रहें, योग और ध्यान को जीवन का हिस्सा बनाये, रोजाना 15 से 20 मिनिट ध्यान करें जिससे मन स्थिर रहता है एवं मानसिक शांति भी मिलती है, प्राणायाम और योगासन से शरीर स्वस्थ्य रहता है, 6 से 8 घंटे की पर्याप्त नींद लें, संतुलित भोजन लें, नशे से दूरी बनाकर रखें, जंक फ़ूड से बचें, व्यवस्थित दिनचर्या बनायें, कोई न कोई रोज अच्छी पुस्तक पढ़ने की आदत डालें, कार्यक्रम स्थल पर किसी भी तरह का दवाव आता है तो घबरायें नहीं, परिवार के साथ समय विताएं, हर कार्य को एक खेल की तरह से लें।
बीके प्रहलाद भाई नें अनेकानेक रचनात्मक गतिविधि भी कराई जिससे सभी का मन हल्का हुआ और उमंग उत्साह भी बढ़ा। और दिन कि शुरुआत किस तरह से करें वह भी बताया।
कार्यक्रम में बीके आदर्श दीदी नें कहा कि तनाव को दूर करने के लिए योग, ध्यान, प्राणायाम, सकारात्मक चिंतन और समय प्रबंधन जैसे उपाय बेहद प्रभावी हैं। पर्याप्त नींद और रुचियों के लिए समय निकालना जीवन को सुखद और तनावमुक्त बना सकता है साथ ही कहा कि तनाव प्रबंध केवल एक तकनीक नहीं बल्कि एक जीवन जीने की कला है यदि हम स्वस्थ दिनचर्या और आत्म नियंत्रण को अपनाएं तो जीवन अधिक खुशनुमा और आनंदमय बन सकता है। दीदी नें सभी को राजयोग ध्यान की विधि बताई तथा सभी को उसके फायदे बताते हुए अभ्यास भी कराया।
इस अवसर पर उपस्थित प्रतिभागियों ने संकल्प लिया कि वे अपने जीवन में स्वस्थ दिनचर्या, योग ध्यान और सकारात्मक सोच को अपनायेंगे और परिवार एवं समाज के प्रेरणास्त्रोत बनेगें।
कार्यक्रम में मेडिकल ऑफिसर डॉ ओपी वर्मा ने बताया कि तनाव आता है तो लोग आसानी से नशे की तरफ भागते है जबकि वह समाधान नहीं है। समाधान के लिए हमें ब्रह्माकुमारीज़ जैसे आध्यात्मिक संस्थानों से जुड़कर ध्यान के माध्यम में हमें अपने को सकारात्मक बनाना चाहिए। इस अवसर पर अन्य पदाधिकारियों नें भी अपने विचार रखे।
कार्यक्रम में संस्थान के लोंगो का अभिनन्दन करते हुए पौधे भेंट किए गए।

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