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Indraganj Lashkar

“खेलेगा इंडिया तो जीतेगा इंडिया”  कार्यक्रम आयोजित – ब्रह्माकुमारीज़ ग्वालियर(19-02-2022)

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“खेलेगा इंडिया तो जीतेगा इंडिया”  कार्यक्रम आयोजित – ब्रह्माकुमारीज़ ग्वालियर

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की भगिनी संस्थान राजयोगा एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन के स्पोर्ट्स प्रभाग के द्वारा “आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर “खेलेगा इंडिया जीतेगा इंडिया” का आयोजन किया गया । यह आयोजन अंतर्राष्ट्रीय “टग ऑफ वार डे”  के उपलक्ष में विशेष रूप से स्थानीय सेवा केंद्र ओल्ड हाई कोर्ट स्थित संगम भवन में आयोजित किया गया । जिसमें खेल जगत से जुड़े हुए विशिष्ट महानुभावों ने अपने अनुभव व्यक्त किए । कार्यक्रम में विशेष रूप से किस प्रकार से हम जीतने का दृष्टिकोण अपने जीवन में धारण कर सकते हैं इस बारे में हमारे विशेषज्ञों ने अनेक प्रकार के टिप्स दिए ।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आईटीएम यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ स्पोर्ट्स एजुकेशन के डीन डॉ प्रोफेसर कपिल दवे जी ने कहा कि हमारे जीवन को स्वस्थ रुप से आगे बढ़ाने के लिए खेलकूद का बहुत ही महत्व है । यहां तक कि अगर हम इस महामारी के समय पर देखें तो वह भाई बहने जो कि शारीरिक रूप से एक्टिव थे उन्हें इस महामारी ने कम प्रभावित किया । इसी तथ्य को सामने रखते हुए हमें स्पोर्ट्स को अपने जीवन में विशेष स्थान देना चाहिए, जैसे हम और चीजों को महत्व देते हैं । रिसर्च में यहां तक भी देखा गया है कि जो माताएं खेलकूद में ध्यान देती हैं तो उनके होने वाले बच्चे भी शारीरिक मानसिक रूप से स्वस्थ रहते हैं ।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्पोर्ट्स प्रभाग के नेशनल कोऑर्डिनेटर बी के राजयोगी डॉ जगबीर सिंह भाई जी ने अपने अनुभव व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे मानसिक संतुलन का खेल में संतुलित रूप से खेलने के लिए एवं अपनी विजय प्राप्त करने के लिए बहुत आवश्यक है । आपने अपने पिछले अनुभवों के आधार पर कई खिलाड़ियों के साथ किए गए प्रयोगों का वर्णन करते हुए बताया कि इस प्रकार से सकारात्मक चिंतन जिसमें-
1- मेडिटेशन
2- विजुलाइजेशन
3- सकारात्मक एफर्मेशन
4- सेल्फ टॉक और
5-  साइलेंस
इन पांचों टूल्स का उपयोग करके हम अपने परफॉर्मेंस में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं । आपने ब्रह्मा कुमारीज ग्वालियर का धन्यवाद करते हुए कहा कि आज के इस अंतरराष्ट्रीय टग ऑफ वॉर डे पर इस प्रकार का आयोजन किया । अपने कहा कि हमारी आदरणीय दादी जी और शशि दीदी जी भी हमारे पीस पार्क हेड क्वार्टर में सभी भाई बहनों को टग ऑफ वार खेल खिलाते हैं ।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एम पी व्हीलचेयर क्रिकेट टीम के कैप्टन श्री कबीर सिंह भदोरिया ने अपने अनुभवों को व्यक्त करते हुए कहा कि एक समय ऐसा होता था जबकि पैरा स्पोर्ट्स इतने प्रचलित नहीं थे परंतु आज के समय पर सरकारें इस ओर ध्यान दे रही है जिस वजह से कई भाई बहने बहुत इस ओर अग्रसर हो रहे हैं और अच्छा परफॉर्म कर रहे हैं । तो हमें इन स्पोर्ट्स को अपने जीवन में धारण करते हुए उमंग उत्साह के साथ अपने परफॉर्मेंस अच्छे से अच्छा करने  का लक्ष्य में जीवन में रखना है । अपने माइंड और बॉडी को फिट रखने के लिए स्पोर्ट्स बहुत जरूरी है ।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आर्मी ऑफिसर कर्नल डॉ. अरविंद झा जी ने कहा कि सकारात्मक चिंतन का और राजयोग का बहुत ही सकारात्मक प्रभाव हमारे खेल के परिणामों पर पड़ता है इसके अभ्यास से हम मनचाहे  परिणाम अपने खेल के परफॉर्मेंस में प्राप्त कर सकते हैं । आपने कहा कि जगबीर भाई जी के साथ कई ओलंपिक्स में आपने खिलाड़ियों के लिए सकारात्मक चिंतन की ट्रेनिंग दी है और आप इसके सकारात्मक प्रभावों से भलीभांति परिचित हैं । आपने अपनी सेवाएं भविष्य में भी संस्थान को प्रदान करने के लिए कहा कि खिलाड़ियों के लिए जिस भी प्रकार के सहयोग की आवश्यकता हो वह हमेशा इस बारे में तत्पर है ।
इसके पश्चात संस्थान के युवा भाईयों ने मिलकर रस्साकशी अथवा टग ऑफ़ वॉर का आनंद भी लिया । जिसमें एक टीम फरिश्ता और दूसरी महावीर टीम थी, जिसमें टीम फरिश्ता ने इस खेल को जीतकर आदरणीय दीदी जी से सम्मान भी प्राप्त किया । कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्थानीय सेवा केंद्र प्रभारी बी के आदर्श दीदी जी ने कहा कि हमारे जीवन में स्पोर्ट्स चाहे वह किसी भी प्रकार का हो उसका होना अति आवश्यक है, ताकि हम शारीरिक रूप से जागरूक और चुस्त बने । जिसके आधार पर हम अपने कार्यों को और अच्छे से कर पाऐंगे । आपने कहा कि ध्यान एकाग्र करने के लिए भी स्पोर्ट्स का जीवन में होना अति आवश्यक है और इसकी शिक्षाएं विशेष रूप से संस्थान का स्पोर्ट्स प्रभाग बखूबी प्रदान कर रहा है । आपने आह्वान किया स्पोर्ट्स से जुड़े भाई बहनों का जो कि इस सकारात्मक चिंतन के इस विशेष शिविर से विशेष लाभ प्राप्त कर सकते हैं ।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बी के डॉ गुरचरन सिंह ने कहा कि हमें विशेष रूप से पांच बातों का ध्यान रखना चाहिए-
1- अपने जीवन में और खेलकूद में निरंतर प्रगति को प्राप्त करने के लिए हमेशा सपोर्ट स्पिरिट यानि कि खेल की भावना को हमेशा बनाए रखना चाहिए ।
2- हर परिस्थिति में सकारात्मक सोचना चाहिए, विपरीत परिस्थितियां भी ज्यादा से ज्यादा क्या कर सकती है और अगर हम पॉजिटिव सोचते हैं तो हम क्या कुछ कर सकते हैं
3- हमेशा स्वदर्शन करना है अर्थात अपनी जहां कमी कमजोरियों को चेक करते हुए उनको निकालने का प्रयास करना है साथ-साथ अपनी शक्तियों को बढ़ाने का भी प्रयास निरंतर जारी रखना है ।
4- हर परिस्थिति को साक्षी होकर देखना है साक्षी माना न्यारे हो कर ।जब हम न्यारे होते हैं तो हर परिस्थिति में हमारी निर्णय शक्ति बढ़ जाती है । इसीलिए खेल में निर्णय करने के लिए रेफरी या एम्पायरस की आवश्यकता होती है ।
5- अंत में सकारात्मक रूप से अपने जीवन को चलाने के लिए अपनी सारी जिम्मेदारियों का बोझ पिता परमात्मा को दे देना है अर्थात उनको समर्पित कर देना है । समर्पण भाव से बड़े से बड़े कार्य सहज रूप से हो सकते हैं ।
आपने कहा कि इस प्रकार से खेलकूद करने से हमारे अंदर हैप्पी हारमोंस का भी निर्माण होता है जिसकी वजह से हम हमेशा खुशी उमंग उत्साह में रह सकते हैं ।
अंत में सभी भाई बहनों का धन्यवाद करते हुए बी के प्रहलाद भाई ने कहा कि यह विशेष आयोजन इस चीज को ध्यान में रखते हुए किया गया है कि हम अपने जीवन में आने वाली परिस्थितियों और खेलकूद में आने वाली विपरीत परिस्थितियों का सहजता से सामना कर सकें । कार्यक्रम का लाइव प्रसारण ब्रह्माकुमारीज़  ग्वालियर के यूट्यूब चैनल पर भी किया गया ।


Programme Link :

 

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मालनपुर ग्वालियर – ब्रह्माकुमारीज़ के युवा प्रभाग द्वारा आयोजित डिवाइन यूथ फोरम तीन दिवसीय रिट्रीट सम्पन

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ब्रह्माकुमारीज़ के युवा प्रभाग द्वारा आयोजित डिवाइन यूथ फोरम तीन दिवसीय रिट्रीट सम्पन

तीन दिवसीय रिट्रीट में प्रदेश भर से आई युवा बहनों ने सीखे व्यक्तितव विकास गुर

दुआएं लेना और दुआएं देना अर्थात जीवन को सुंदर बनाना – अनुसूईया दीदी

ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान में आना अर्थात आनंद की अनुभूति करना -आशीष प्रताप सिंह

बिना कहे जब हम काम करते हैं तो दुआएं मिलती हैं – रेखा दीदी

ग्वालियर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्व विद्यालय की भगिनी संस्था राजयोग एज्युकेशन एण्ड रिसर्च फाउंडेशन के युवा प्रभाग द्वारा नई उमंग नई तरंग के अंतर्गत गोल्डन वर्ल्ड रिट्रीट सेंटर में तीन दिवसीय आवासीय रिट्रीट डिवाइन यूथ फोरम का आयोजन किया गया था। जिसमे पूरे प्रदेश से युवा बहनों ने हिस्सा लिया। इस रिट्रीट का उद्देश्य व्यक्तित्व विकास का प्रशिक्षण देना था।
आज कार्यक्रम के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में भाजपा के प्रदेश कार्य समिति सदस्य आशीष प्रताप सिंह राठौड़, दिल्ली से पधारी बीके अनुसूईया दीदी, बीके वर्णिका दीदी, सीधी से रेखा दीदी, ग्वालियर गोल्डन वर्ल्ड रिट्रीट सेंटर प्रमुख बीके ज्योति बहन, युवा प्रभाग के राष्ट्रीय सदस्य बीके प्रहलाद भाई, बीके जानकी आदि उपस्थित थीं।

कार्यक्रम के शुभारंभ ने दिल्ली से आई बीके अनुसूईया दीदी ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि दुवाओं के वारे में सभी को बताया और कहा कि दुआएं यह कोई खरीदी-बेची जाने वाली वस्तु नहीं, बल्कि हमारे कर्मों की खामोश कमाई होती हैं। जब हम निस्वार्थ भाव से, श्रद्धा और सेवा-भाव से कार्य करते हैं, तो दुआएं स्वतः ही हमारे खाते में जमा होती जाती हैं।
दुआएं कमाने का मार्ग कर्म से होकर जाता है। जब हम अपने कर्मों से अपने बड़ों, गुरुजनों और समाज को निश्चिंत करते हैं। जब हम बिना कहे उनके सुख-दुख में साथ खड़े होते हैं, तो वह आशीर्वाद नहीं, बल्कि दिल से दुआएं भी देते हैं। यह दुआएं हमारी रक्षा करती हैं, मार्ग प्रशस्त करती हैं, और जीवन को सार्थक बनाती हैं।
दीदी ने आगे कहा कि हम जिनको लोगो के साथ रहते है या जहां कार्य करते है। या फिर कोई सेवा का कार्य करते है। वह हमें अपना समझ करके और बिना कहे करना चाहिए यह सबसे ऊँचा कर्म है। जो काम किसी ने कहा नहीं, पर हमने देख लिया और कर दिया। वही असली सेवा है। सेवा में दिखावा नहीं, समर्पण होना चाहिए। जब हम अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर दूसरों के लिए कार्य करते हैं, तो हमें दुआओं की पूंजी मिलती है। हमें ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि “यह मेरा काम नहीं है।” कर्म का धर्म यही कहता है कि जहां ज़रूरत हो, वहां सहयोग दिया जाए। यही सहयोग एक दिन हमारी ज़रूरत के समय कई गुना होकर लौटता है।
यूथ विंग की भोपाल ज़ोन की संयोजिका बीके रेखा बहन ने कहा कि जितनी ज़रूरत हो, उतना ही लेना सीखें। आज की दुनिया में लालच हर किसी को खींचता है, पर संतोष और संयम ही वह गुण है जो दूसरों के हिस्से की चीज़ें भी उन्हें लौटाकर हमें दुआएं दिलवाता है। सीमित संसाधनों में संतुलन बनाना, यही सच्चे संस्कारों का परिचायक है।


कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य आशीष प्रताप सिंह राठौड़ ने बतौर मुख्य अतिथि विचार व्यक्त करते हुए कहा कि समष्टि के प्रति एकात्मता, सर्वभूत हितेरेता:
एवं सर्वे भवंतु सुखिनः जैसे उच्च स्तरीय मूल्यों के उपासक होने पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के भाइयों बहनों ने हम सब को गौरवान्वित किया हैं। हमारे जो गुरुजन होते हैं उनकी शिक्षा से ही हमारा विकास होता हैं
जिस प्रकार हमारा देश आगे बढ़ रहा हैं। और आज हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बड़ी हैं।
मैं पिछले कुछ वर्षो से ब्रह्माकुमारीज़ संस्था से जुड़ा हुआ हूँ। और मुझे यहां आकर के आनंद की अनुभूति होती हैं।
आज की पीढ़ी अपने नेचर को भूलती जा रही हैं
यह संस्था सभी लोगों को नेचर और सांस्कृतिक से जोड़ती हैं।
कार्यक्रम में दिल्ली से आई बीके वर्णिका बहन ने कहा कि “सर्वे भवन्तु सुखिनः” की भावना ही दुआओं की कुंजी है। जब हम केवल अपने लिए नहीं, बल्कि सभी के भले की कामना करते हैं, उनके लिए कुछ करते हैं, तो संपूर्ण सृष्टि से हमें सकारात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।
बचपन से ही हमें ऐसे मूल्य और सोच अपनाने चाहिए कि जहाँ भी हम जाएँ, वहाँ शांति, सहयोग, और करुणा का संचार हो। यही हमारे जीवन की सबसे बड़ी कमाई है। दुआएं सिर्फ शब्दों से नहीं, व्यवहार से दी जाती हैं। प्रेरणा देकर, मार्गदर्शन देकर।


गोल्डन वर्ल्ड रिट्रीट सेंटर की प्रभारी बीके ज्योति दीदी ने भी अपनी शुभकामनाएं दीं और कहा कि जिस दिन हमारे अंदर संतोष धन आ जाता हैं फिर बाहर का कोई भी आकर्षण महसूस नहीं होता हैं।
अपने लिए जिए तो क्या जिए, जीवन में दूसरों का भला ही असली जीवन है।
कार्यक्रम का कुशल संचालन बीके प्रहलाद भाई ने किया तथा सभी का आभार बीना से पधारी बीके जानकी दीदी ने किया।
इस अवसर पर नीलम बहन, रेखा बहन, खुशबू बहन, महेश भाई, आशीष भाई, मीरा बहन, अर्चना बहन, सपना बहन सहित अनेकानेक बहने उपस्थित थीं

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न्यूज़ कवरेज – जीवन की असली पूँजी दौलत या प्रतिष्ठा नहीं, बल्कि खुशी, संतुष्टि और शांति है

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मालनपुर ग्वालियर – जीवन की असली पूँजी दौलत या प्रतिष्ठा नहीं, बल्कि खुशी, संतुष्टि और शांति है

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जीवन की असली पूँजी दौलत या प्रतिष्ठा नहीं, बल्कि खुशी, संतुष्टि और शांति है – बीके वर्णिका बहन

यदि सच्ची कमाई करनी है तो हमें अपनी वाणी को मधुर और प्रेमपूर्ण बनाना होगा – बी के अनुसुईया दीदी

ग्वालियर: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के माधवगंज स्थित प्रभु उपहार भवन में दिल्ली से आई बीके अनुसुईया दीदी एवं वर्णिका बहन का स्वागत अभिनन्दन किया गया।


इस अवसर पर ब्रह्माकुमारीज़ लश्कर केंद्र प्रमुख बीके आदर्श दीदी ने शब्दों से एवं पुष्पगुच्छों से पधारे हुए अतिथियों का स्वागत अभिनन्दन किया। और कहा कि मानव जीवन बहुत ही अनमोल हैं इसकी हमें हमेशा वैल्यू करनी चाहिए। और हमेशा श्रेष्ठ कर्म ही करना चाहिए। आज हमारे बीच अनुसुईया दीदी पहुंची है जो कि पिछले 60 वर्षों एवं वर्णिका बहन पिछले 11 वर्षों से ब्रह्माकुमारीज संस्थान में प्रेरक वक्ता एवं राजयोग ध्यान प्रशिक्षका के रूप में समर्पित होकर अपनी सेवाएँ दें रही है। और आपके माध्यम से हजारों, लाखों लोगो को श्रेष्ठ जीवन जीने की प्रेरणा मिल रही है। यह बहुत ही खुशी कोई बात है कि आप आगमन ग्वालियर हुआ है। निश्चित ही यहाँ के लोगो को आपके प्रेरक उद्बोधन का लाभ मिलेगा।

कार्यक्रम में बी.के. वर्णिका बहन ने कहा कि हर व्यक्ति का जीवन अलग होता है, उसके अनुभव, उसके संस्कार, उसकी सोच और उसकी चाहतें भी भिन्न होती हैं। कोई सफलता को सबसे बड़ा लक्ष्य मानता है, तो कोई संतोष को ही जीवन का सार समझता है। लेकिन जब हम गहराई से सोचते हैं, तो समझ आता है कि जीवन की असली पूँजी दौलत या प्रतिष्ठा नहीं, बल्कि खुशी, संतुष्टि और शांति है। ये खजाने बाजारों में नहीं मिलते, ये न किसी चीज़ से खरीदे जा सकते हैं और न ही किसी को देकर लिए जा सकते हैं। ये खजाने परमात्मा के पास हैं, और उनका अनुभव तभी होता है जब इंसान स्वयं से जुड़ता है, अपने भीतर झाँकता है। जिंदगी शुरू होती है एक छोटे से मासूम सपने से – पढ़ाई पूरी हो जाए, अच्छे नंबर आ जाएँ। फिर उस सपने में एक और सपना जुड़ जाता है – नौकरी लग जाए, भविष्य सुरक्षित हो जाए। नौकरी मिलती है तो एक और चाह जागती है – अच्छा घर हो, गाड़ी हो, जीवनसाथी हो। फिर एक परिवार बसता है, बच्चे होते हैं, उनके सपनों को पूरा करने की दौड़ शुरू होती है। एक के पीछे एक लक्ष्य आता जाता है, और इंसान उन्हें पूरा करने की कोशिश में पूरी जिंदगी गुजार देता है। लेकिन इन सबके बीच वह भूल जाता है कि वह भाग किसके लिए रहा है, किस मंज़िल की तलाश में है। हर सफलता के बाद एक नई कमी महसूस होती है। हर उपलब्धि के साथ एक नया खालीपन जन्म लेता है। और जब उम्र ढलने लगती है, तब जाकर कहीं दिल से एक धीमी आवाज़ उठती है – अब कुछ नहीं चाहिए, बस थोड़ा सा सुकून चाहिए, थोड़ा सा प्यार चाहिए, थोड़ी सी शांति मिल जाए। यही वह क्षण होता है जब इंसान को समझ आता है कि असली खजाना बाहर नहीं, भीतर है। जो बात शुरुआत में समझ में नहीं आती, वह अंत में साफ हो जाती है – कि जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता है आत्मिक संतुलन। जब हम खुद से कट जाते हैं, तो सारी दुनिया मिलने पर भी अधूरे रहते हैं। लेकिन जब हम खुद से जुड़ जाते हैं, जब हम परमात्मा के प्रति समर्पण भाव रखकर जीवन को जीते हैं, तब वह खजाना स्वयं हमारे भीतर प्रकट होता है। शांति कोई चीज़ नहीं, यह एक अनुभव है। प्रेम कोई लेन-देन नहीं, यह एक भावना है। संतुष्टि कोई लक्ष्य नहीं, यह जीवन का भाव है। और जब तक हम इन अनुभवों को नहीं जीते, तब तक चाहे हम कुछ भी पा लें, वह अधूरा ही रहता है। इसलिए ज़रूरी है कि हम अपने जीवन की रफ्तार को थोड़ा धीमा करें, अपने भीतर झाँकें, उस मौन को सुनें जो हर पल हमें आवाज़ दे रहा है। तभी हमें जीवन का असली खजाना मिलेगा – वह खजाना जो नष्ट नहीं होता, जो सदा हमारे साथ रहता है – परमात्मा की कृपा में बसी हुई शांति, प्रेम और संतोष।

कार्यक्रम में अनुसुईया दीदी ने अपना उद्बोधन देते हुए कहा कि मनुष्य केवल शरीर नहीं है, बल्कि एक चेतन्य शक्ति आत्मा है। यह आत्मा ही शरीर के माध्यम से सभी कर्म करती है। हमारे हर अच्छे या बुरे कर्म का मूल स्रोत हमारी आत्मा ही होती है। शरीर तो एक माध्यम है। जब आत्मा शुद्ध होती है, तो उसके विचार, वाणी और कर्म भी शुद्ध होते हैं। यदि सच्ची कमाई करनी है तो हमें अपनी वाणी को मधुर और प्रेमपूर्ण बनाना होगा। जब हम प्रेम से, शांति से और आदरपूर्वक बोलते हैं तो हमारे शब्द केवल शब्द नहीं रहते, वे दुआएँ बन जाते हैं। इन दुआओं का कोई मूल्य नहीं लगा सकता, क्योंकि ये आत्मा को ऊँचा उठाती हैं, कर्मों को हल्का बनाती हैं और जीवन में सच्ची सुख-शांति का आधार बनती हैं।
जब हम किसी के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं, मीठे बोल बोलते हैं, सहायता करते हैं, शुभ सोचते हैं और सद्विचारों को सुनते हैं, तो यह सब आत्मा के भीतर जमा होता जाता है। यह जमा पूँजी ऐसी है जिसे कोई देखे या न देखे, कोई जाने या न जाने, पर आत्मा जानती है कि कुछ अच्छा संचित हुआ है। कभी-कभी हम दिन भर अच्छा व्यवहार करते हैं, सभी से प्रेम से बोलते हैं, और फिर भी कोई हमारी सराहना नहीं करता। पड़ोसियों को पता नहीं चलता, परिवार के लोग नज़रअंदाज़ कर देते हैं, और हम भीतर ही भीतर दुःखी हो जाते हैं। हमें लगता है कि हमारी अच्छाई का कोई मूल्य ही नहीं रहा, कोई उसे समझ नहीं रहा। पर यहाँ हमें यह समझना चाहिए कि हर व्यक्ति की किस्मत उसके कर्मों से बनती है। मेरे कर्म मेरी किस्मत बनाते हैं और किसी और के कर्म उसकी किस्मत तय करते हैं। अगर कोई मेरी अच्छाई को नहीं मानता, मेरी बात को नहीं समझता, मेरी सेवा का आदर नहीं करता, तो मुझे दुःखी नहीं होना चाहिए। अगर मैं अच्छा करते हुए भी दुःखी हूँ, तो यह मेरी समझ की कमी है। क्योंकि बुरा कर्म करने वाला तो दुःखी रहता ही है, लेकिन जो अच्छा कर्म करके भी दुःखी हो जाए, वह तो और भी बड़ी भूल कर रहा है। परमात्मा सब देखते है। हम उनके बच्चे हैं। जब हम अच्छे कर्म करते हैं, प्रेम से बोलते हैं, शांति से जीते हैं, सेवा में रहते हैं, तो परमात्मा की कृपा हमारे साथ होती है। इसलिए किसी के न मानने या सराहने न करने से हमें हताश नहीं होना चाहिए। हमारा हर अच्छा कर्म, चाहे वह छोटा हो या बड़ा, कहीं न कहीं आत्मा में दर्ज हो रहा है। यही हमारे जीवन की असली पूँजी है।


अतः हमें सदा यही याद रखना चाहिए कि कोई देखे या न देखे, कोई माने या न माने, लेकिन यदि हम सही मार्ग पर चल रहे हैं, प्रेम और सेवा के भाव में जी रहे हैं, तो हमें कभी दुःखी नहीं होना चाहिए। क्योंकि अंततः आत्मा को शांति उसके अपने कर्मों से ही मिलती है, और परमात्मा की दृष्टि से कोई भी अच्छा कर्म कभी व्यर्थ नहीं जाता।

कार्यक्रम का कुशल संचालन बीके ज्योति बहन (मोहना) ने किया तथा आभार बीके प्रहलाद भाई ने किया।

इस अवसर पर बीके जीतू, बीके पवन, बीके सुरभि, बीके रोशनी, सुरेन्द्र, विजेंद्र, पंकज, पीयूस, रवि, गजेन्द्र अरोरा, डॉ स्वेता माहेश्वरी सहित अनेकानेक लोग उपस्थित थे।

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