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त्रिदिवसीय बाल व्यक्तित्व विकास शिविर “दिव्यउड़ान” संपन्न

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त्रिदिवसीय बाल व्यक्तित्व विकास शिविर “दिव्यउड़ान” संपन्न  

ग्वालियर: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय माधवगंज में बच्चों में नैतिक मूल्यों के विकास हेतु आयोजित त्रिदिवसीय बाल व्यक्तित्व विकास शिविर “दिव्य उडान” संपन्न | कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में, डॉ. एस. पी. बत्रा (डायरेक्टर भारतीयम विद्या पीठ ग्वालियर), श्री मती उमा चौहान (चेयरपर्सन, अखिल भारतीय स्वास्थ्य संघ), श्री विनय कुमार अग्रवाल (सदस्य रेल उपभोक्ता सलाहकार समिति), श्री प्रदीप गर्ग (हेड क्वार्टर कमिश्नर, भारत स्काउट गाइड) के साथ बीके आदर्श दीदी जी (सेवाकेंद्र संचालिका), बीके प्रहलाद भाई, बीके ज्योति बहन, आशा बहन, खुशबू बहन, दिव्या बहन उपस्थित थे | इस त्रिदिवसीय शिविर में बच्चों को नैतिक मूल्यों के बारे में बताया गया और कई रोचक  खेलों के माध्यम से उन्हें कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी गयीं|

आज के समय में बच्चों को ऐसे जीवन मूल्यों युक्त कार्यक्रमों की आवश्यकता है| ताकि बच्चों को श्रेष्ठ मार्गदर्शन प्राप्त हो सके और वह अपनी क्षमताओं का सही दिशा में प्रयोग कर सकें उक्त कथन कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य अतिथियों के रहे| और सभी बच्चों को तीन दिन के इस शिविर को पूरा करने के  लिए बधाइयाँ दी|

सेवाकेंद्र संचालिका राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी आदर्श दीदी जी ने कहा कि आज सामान्यत: सभी में नैतिक मूल्यों का अभाव देखने को मिलता है आज के समय की प्रमुख कमजोरी है नैतिक मूल्यों का अभाव व मानसिक कमजोरी | हमें उस दिशा में कार्य करने की जरुरत है | और बाल्यकाल ही एक ऐसा समय है जब इन मूल्यों रुपी बीज का रोपण बच्चों में किया जा  सकता है| जो कि आजीवन उसके व्यक्तित्व से प्रत्यक्ष होता है| और एक श्रेष्ठ भविष्य व श्रेष्ठ समाज के लिए हम सभी को अपने जीवन को नैतिक मूल्यों से सजाना होगा | दीदी जी ने कहा कि 10 वर्ष की उम्र के पहले तक बच्चों में तीन शक्तियां बहुत ही पावरफुल स्थिति में होतीं हैं हम उनका पूरा-पूरा उपयोग कर बच्चों का सर्वांगीण विकास कर सकते हैं| ये तीन शक्तियां हैं अनुकरण करने की शक्ति, ग्रहण करने की शक्ति और रचनात्मक शक्ति | क्यों कि यह उम्र का वह पड़ाव है जिसमें बच्चों को हम जो भी सिखायेंगे ,जैसा भी सिखायेंगे वैसा ही वह ग्रहण कर लेते हैं| विशेषकर माता-पिता को 10 वर्ष की उम्र तक सावधानी बरतनी चाहिए| बच्चों को संस्कारी  बनाना है तो उन्हें उपदेश देकर नहीं सिखा सकते| बच्चे वही सीखते हैं जो माता-पिता और परिवारजन को करते देखते हैं| उक्त कथन दीदीजी ने कार्यक्रम में उपस्थित बच्चों के माता-पिता के लिए कहे |

राजयोग प्रशिक्षिका बी.के. ज्योति दीदी जी ने बच्चों के समक्ष सफलता प्राप्त करने के रहस्य को स्पष्ट किया | उन्होंने बताया एक लक्ष्य को लेकर सतत प्रयास, श्रेष्ठ  विचार व सकारात्मक चिंतन ही सफलता की कुंजी है | उन्होंने बताया सफलता एक सफ़र है मंजिल नहीं कि जहाँ पहुंचकर हम रुक जाएँ| एक लक्ष्य जाने के बाद हमारे सामने दूसरा लक्ष्य आता है फिर तीसरा और फिर अगला | जीवन में सफलता इस बात से नहीं मापी जाती की दूसरों के मुकाबले हम कैसा कर रहे है बल्कि हमारी सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि हम अपनी क्षमताओं की तुलना में क्या कर रहे हैं| सफल व्यक्ति खुद से ही मुकाबला करता है| वो अपने ही काम में सुधार लाकर, अपने ही रिकॉर्ड तोड़ते और तरक्की करते जाते हैं |

पर्सनालिटी डेवलपर बी.के. प्रहलाद भाई ने  सभी बच्चों को “मन की असीम व अद्भुत शक्ति” के विषय में  बताया | उन्होंने बताया हमारे विचारों में इतनी शक्ति है कि आप जो चाहे वह जीवन में बन सकते हैं जो आपका लक्ष्य है उसे प्राप्त कर सकते हैं | आपकी सफलता निश्चित है | बस जरुरत है दृढ़ संकल्प, मेहनत, स्वयं पर विश्वास, धैर्य और एक सही दिशा में उस शक्ति को कार्यान्वित करने की | यदि इस असीम शक्ति को आध्यात्मिकता के द्वारा सही दिशा प्राप्त होती है तो वह व्यक्ति महानता के शिखर पर पहुँच जाता है| उन्होंने बताया कि व्यक्ति के बचपन की श्रेष्ठ शिक्षा एंव श्रेष्ठ संस्कार ही उसे ताउम्र जीवन पथ पर बांधे रखते हैं| फिर लाख परेशानियाँ और बाधाएं ही क्यों न आएं वह पल–पल पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं | साथ ही उन्होंने  अनुशासन, ईमानदारी, एकता, एकाग्रता, समय के महत्व को भी स्पष्ट किया| जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए एकाग्रता का होना बहुत जरुरी है किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एकाग्रता जितनी अधिक होगी लक्ष्य की प्राप्ति उतनी ही सहज व निकट होगी | उन्होंने कहा कि कोई भी कार्य या लक्ष्य मुश्किल नहीं होता हर कार्य चाहे जितना भी कठिन हो उसे एकाग्रता से सरल बनाया जा सकता है| जिस प्रकार अरुणिमा सिन्हा ने दिव्यांग होते हुए भी माउन्ट एवरेस्ट फतह की | साथ ही समय के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि समय प्रत्येक व्यक्ति के लिए अमूल्य है|हमें हर पल समय से नियमितता,निरंतरता, और प्रतिबद्धता सीखनी चाहिए| क्यों कि समय बिना किसी रुकावट के निरंतर चलता रहता है समय किसी के लिए रुकता नहीं हैं इसलिए हमें समय के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने की कोशिश करना चाहिए| उन्होंने विद्यार्थी जीवन के इस बहुमूल्य समय का अच्छी रीति उपयोग करने पर जोर दिया साथ ही सभी बच्चों को अपनी सुव्यवस्थित दिनचर्या बनाने, टालने की वृत्ति समाप्त करने और समय का सदुपयोग करने के लिए कहा |

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तनाव प्रबंध केवल एक तकनीक नहीं बल्कि एक जीवन जीने की कला है – बीके आदर्श दीदी(न्यूज़ कवरेज)

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तनाव प्रबंध केवल एक तकनीक नहीं बल्कि एक जीवन जीने की कला है – बीके आदर्श दीदी

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24 सितंबर 2025

खुशनुमा और स्वस्थ जीवन के लिए तनाव प्रबंधन आवश्यक – बीके प्रहलाद भाई

एसएएफ 13 बटालियन में तनाव प्रबंधन, खुशनुमा और स्वस्थ जीवन शैली विषय पर प्रेरणादायक सत्र आयोजित

ग्वालियर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्व विद्यालय के द्वारा 13वीं वाहिनी विशेष सशस्त्र बल (एसएएफ 13 बटालियन) में “तनाव प्रबंधन, खुशनुमा और स्वस्थ जीवन शैली” विषय पर एक प्रेरणादायक सत्र आयोजित किया गया। जिसका उद्देश्य लोगों को मानसिक शांति, सकारात्मक सोच और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना था।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में प्रेरक वक्ता एवं वरिष्ठ राजयोग ध्यान प्रशिक्षक बीके प्रहलाद भाई तथा ब्रह्माकुमारीज़ केंद्र की मुख्य संचालिका बीके आदर्श दीदी उपस्थित थीं।


इस अवसर पर एस ए एफ 13 बटालियन से प्रभारी सेनानी अनुराग पांडे, सहायक सेनानी, गुलबाग सिंह, डॉक्टर ओ पी वर्मा निरीक्षक मुनेन्द्र सिंह भदोरिया, निरीक्षक, धर्मेंद्र वर्मा, निरीक्षक मुकेश परिहार, निरीक्षक पुष्पेंद्र सिंह भदौरिया, निरीक्षक जादौन, निरीक्षक राय सिंह जयंत, समस्त पी टी एस स्टाफ एवं 350 से अधिक प्रशिक्षणार्थी सहित ब्रह्माकुमारीज से बीके सुरभि, बीके रोशनी, बीके पवन उपस्थित थे।
कार्यक्रम में बीके प्रहलाद भाई ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि आज के तेज रफ़्तार जीवन में तनाव हर किसी की दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है। जिसकी वजह से हमारे जीवन में काफी उतार चढाव आते है। इन सबसे छूटने के लिए तनाव का सही ढंग से प्रबंधन करना ही खुशनुमा और स्वस्थ जीवन जीने की कला है। यदि तनाव पर नियंत्रण न हो तो यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ को प्रभावित करता है। इसके लिए कुछ सरल उपाय अपनाकर हम संतुलित, आनंदमय और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। उन्होंने कहा कि – सकारात्मक सोच विकसित करें, हर परिस्थिति में अच्छा पक्ष देखने का प्रयास करें, नकारात्मक विचारों से दूर रहें, योग और ध्यान को जीवन का हिस्सा बनाये, रोजाना 15 से 20 मिनिट ध्यान करें जिससे मन स्थिर रहता है एवं मानसिक शांति भी मिलती है, प्राणायाम और योगासन से शरीर स्वस्थ्य रहता है, 6 से 8 घंटे की पर्याप्त नींद लें, संतुलित भोजन लें, नशे से दूरी बनाकर रखें, जंक फ़ूड से बचें, व्यवस्थित दिनचर्या बनायें, कोई न कोई रोज अच्छी पुस्तक पढ़ने की आदत डालें, कार्यक्रम स्थल पर किसी भी तरह का दवाव आता है तो घबरायें नहीं, परिवार के साथ समय विताएं, हर कार्य को एक खेल की तरह से लें।
बीके प्रहलाद भाई नें अनेकानेक रचनात्मक गतिविधि भी कराई जिससे सभी का मन हल्का हुआ और उमंग उत्साह भी बढ़ा। और दिन कि शुरुआत किस तरह से करें वह भी बताया।


कार्यक्रम में बीके आदर्श दीदी नें कहा कि तनाव को दूर करने के लिए योग, ध्यान, प्राणायाम, सकारात्मक चिंतन और समय प्रबंधन जैसे उपाय बेहद प्रभावी हैं। पर्याप्त नींद और रुचियों के लिए समय निकालना जीवन को सुखद और तनावमुक्त बना सकता है साथ ही कहा कि तनाव प्रबंध केवल एक तकनीक नहीं बल्कि एक जीवन जीने की कला है यदि हम स्वस्थ दिनचर्या और आत्म नियंत्रण को अपनाएं तो जीवन अधिक खुशनुमा और आनंदमय बन सकता है। दीदी नें सभी को राजयोग ध्यान की विधि बताई तथा सभी को उसके फायदे बताते हुए अभ्यास भी कराया।
इस अवसर पर उपस्थित प्रतिभागियों ने संकल्प लिया कि वे अपने जीवन में स्वस्थ दिनचर्या, योग ध्यान और सकारात्मक सोच को अपनायेंगे और परिवार एवं समाज के प्रेरणास्त्रोत बनेगें।


कार्यक्रम में मेडिकल ऑफिसर डॉ ओपी वर्मा ने बताया कि तनाव आता है तो लोग आसानी से नशे की तरफ भागते है जबकि वह समाधान नहीं है। समाधान के लिए हमें ब्रह्माकुमारीज़ जैसे आध्यात्मिक संस्थानों से जुड़कर ध्यान के माध्यम में हमें अपने को सकारात्मक बनाना चाहिए। इस अवसर पर अन्य पदाधिकारियों नें भी अपने विचार रखे।
कार्यक्रम में संस्थान के लोंगो का अभिनन्दन करते हुए पौधे भेंट किए गए।

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ब्रह्माकुमारीज़ के माधौगंज केंद्र पर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में भव्य कार्यक्रम का हुआ आयोजन

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ग्वालियर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्व विद्यालय के माधौगंज स्थित प्रभु उपहार भवन में भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी उत्सव को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।


कार्यक्रम में संस्थान के बाल कलाकारों ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का मंचन किया। जिसने सभी का मन मोह लिया तो वहीं भजन गायकों द्वारा सुंदर भजनों की प्रस्तुति ने सभी को आनंदित कर दिया।
कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारीज़ केंद्र प्रमुख बीके आदर्श दीदी ने सभी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की बधाई दी और कहा कि आज हम भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को हर्ष और उल्लास के साथ मना रहे हैं। यह केवल एक धार्मिक त्योहार ही नहीं, बल्कि हमारे जीवन को दिशा देने वाला आध्यात्मिक संदेश है। भगवान श्रीकृष्ण जी का जीवन हमें सिखाता है कि धर्म की रक्षा और अन्याय तथा बुराइयों का अंत करना ही जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य होना चाहिए।


भगवान ने गीता में कहा है कि अपने कर्तव्यों को निष्ठा और ईमानदारी से करना चाहिए, फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। यह शिक्षा आज के समाज के लिए बहुत प्रासंगिक है। यदि हर व्यक्ति अपना कर्तव्य सही भावना से निभाए, तो समाज में अन्याय, भ्रष्टाचार और असमानता स्वतः ही समाप्त हो सकती है।
भगवान श्रीकृष्ण का जीवन हमें गहन शिक्षाएँ देता है। उनका जन्म कारागार में दिखाते है, लेकिन परिस्थितियाँ कैसी भी रही हों, उन्होंने हमेशा धर्म और न्याय की स्थापना का कार्य किया। उनका पूरा जीवन हमें यह संदेश देता है कि मनुष्य को अपने कर्तव्य का पालन निस्वार्थ भाव से करना चाहिए।
यह पर्व हमें नई श्रेष्ठाचारी और पावन दुनिया की याद दिलाता है। जब-जब संसार में अन्याय, अधर्म और असत्य बढ़ता है, तब ईश्वर अवतरित होकर मानवता को सही दिशा दिखाते हैं।

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कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार महेश कुमार, प्रेरक वक्ता बीके प्रहलाद ने भी सभी को जन्माष्टमी की शुभकामनाएं देते हुए अपने विचार प्रकट किए।
कार्यक्रम में सुंदर झांकी लगाई गई थी। जिसका दर्शन लाभ सभी ने लिया। साथ ही भजनों की सुंदर प्रस्तुति एवं भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का मंचन करने वाले कलाकारों में कु. रोशनी, कु. तनवी, कु. पीहू, कु. नंदनी, कु. हंसिका, कु. रुचि, कु. नव्या, रूबी, सोनिया, पवन, अखिलेश, निलक्ष तथा बीके जीतू आदि शामिल थे।

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