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ग्वालियर : विश्व पर्यावरण दिवस सेवा समाचार

“प्रकृति का अस्तित्व अनादी है आज इसके संरक्षण की अति आवश्यकता है|”
ग्वालियर: विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में माधवगंज स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की सहयोगी संस्था राजयोग एजुकेशन एण्ड रिसर्च फाउंडेशन के कृषि एवं ग्राम विकास प्रभाग द्वारा एक जन जागृति हेतु एक कार्यक्रम का आयोजन किया किया गया | कार्यक्रम में मुख्य अथिति के रूपमें राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्व विद्यालय से डॉ. जी. एस. रावत (विभागाध्यक्ष, सस्य विज्ञान) रिटा. प्रोफेसर डॉ आर. एस. वर्मा, ब्रह्माकुमारीज सेवाकेंद्र संचालिका बी.के. आदर्श दीदी, राजयोग प्रशिक्षक बी.के. प्रहलाद भाई आशा सिंह आदि उपस्थित थी |
कार्यक्रम के शुभारंभ में उद्देशय को स्पष्ट करते हुए बी. के. प्रहलाद भाई ने कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रकृति को समर्पित दुनियाभर में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा उत्सव है| इस अवसर पर पर्यावरण के संरक्षण, संवरधन और विकास का संकल्प लेते है UNEP का जन्म सन् 1972 में हुआ तथा हर वर्ष 5 जून को ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ आयोजित करके नागरिकों को प्रदूषण की समस्या से अवगत कराने तथा प्रकति की सुरक्षा की चेतना को जागृत करने के लिये निश्चय किया गया | सम्पूर्ण विश्व में ब्रहामाकुमारीज द्वारा पर्यावरण जागृति लाने के लिए किये गए विशेष प्रयास को देखते हुए UNEP में NGO के रूप में 2014 से observer status प्राप्त हुआ | ब्रहामाकुमारीज का सहयोगी संस्थान राजयोग एज्युकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन के ‘कृषि एवं ग्राम विकास प्रभाग’ इस कार्यक्रम को आगे बढाने में विशेष प्रयास कर रहा है | पर्यावरण की गुणवत्ता, पर्यावरण संरक्षण हेतु आवश्यक कदम, पर्यावरण प्रदूषण के निवारण तथा नियंत्रण की जागृति के लिये राष्ट्रव्यापी प्रयास के रूप में विश्व पर्यावरण दिवस पर पर्यावरण जागृति कार्यक्रम का आयोजन किया गया है|
वर्तमान समय को प्लास्टिक युग कहते है | यूज एंड थ्रो का जमाना भी कहते है | आज जहाँ जहाँ प्लास्टिक वेस्ट होने के कारण स्वच्छ्ता के ऊपर तो असर हुआ ही है, लेकिन जमीन पर आज प्लास्टिक का स्तर बढ़ता जा रहा है की वजह से जमीन बंजर होती जा रही है इससे बरसाती पानी का संचयन सीट होती जा रही है भूगर्भ जल की गुणवत्ता पर भी प्रभाव पड़ा है सबसे पहले स्वच्छता के पहलू को समझेंगे तो सुरक्षा काफी हद तक कर सकेंगे |
हमें उस चीज को सही जगह पर पहुंचाना है जिससे उस चीज का सम्मान हो और ऐसी जगह ढूंढ कर सुनिश्चित कर उसे वहां पहुंचाने की व्यवस्था करनी होगी | इसको सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट कहते हैं मैनेजमेंट के लिए हमें 5r R को प्रैक्टिकल जीवन में अपनाना होगा |
REDUCE (रिड्युस) – जहाँ तक हो समझदारी से प्लास्टिक के उपयोग को कम करते जाना है | ऐसे विकल्प ढूंढने होंगे जो पर्यावरण के अनुकूल हों |
REFUSE (रीफ्युज) – यूज एंड थ्रो प्लास्टिक वस्तुओं का उपयोग ना करें |
REUSE (रीयूज) – कई ऐसी चीजें होती है जिसका एक या दूसरे रूप में पुनः उपयोग हो सकता है ऐसा करने से हम वेस्ट को कम कर सकते हैं|
RECYCLE (रिसायकल) – कुछ ऐसी बस्तुएं है जो पुरानी हो जाए तो उस मैटेरियल रीसाइकल के माध्यम से पुनः उपयोगी बनाया जा सकता है |
REMOVE (रिमूव) – प्लास्टिक का कचरा फैलने से रोके
कार्यक्रम में उपस्थित डॉ. जी.एस. रावत ने कहा कि – पर्यावरण संरक्षण हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है उन्होंने इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस की थीम “एयरपोल्यूशन” के विषय पर बताया कि किस प्रकार हम सभी के समक्ष वायु प्रदूषण एक वैश्विक संकट बन गया है | इससे निपटने के लिए जितना हो सके वृक्षों का संरक्षणकरें और वृक्ष लगायें क्यों कि “पेड़ हैं तो जीवन है|” जी.एस. रावत ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है वायु प्रदूषण को कम करना हम सभीके समक्ष वायु प्रदूषण एक वैश्विक संकट बन गया है | इससे निपटने के लिए जितना हो सके वृक्षों का संरक्षण करें और वृक्ष लगायें क्यों कि “पेड़ हैं तो जीवन है|”
आदर्श दीदी जी ने कहा कि प्रकृति का अस्तित्व अनादी है आज इसके संरक्षण की अति आवश्यकता है | उन्होंने कहा कि पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के साथ-साथसर्वप्रथम अपने मन के विचारों को स्वच्छ बनाएं| आज मानव निर्मित सुख सुविधाओं की चीजें वातावरण पर अपना दुष्प्रभाव दिखा रहीं हैं जिससे पर्यावरण दिन-प्रतिदिनप्रदूषित होते जा रहा है|
आज यदि हम वायु प्रदूषण की बात करें तो वातावरण का हर घटक आज प्रदूषण के जहर से दूषित दिखाई देता है| हवा श्वास लेने लायक नहीं रही तो इसका छोटे बच्चों पर गहरा असर पड़ता है | आज देश में 80 प्रतिशत शहरों में वायु प्रदूषण इतना है कि वह श्वांस लेने लायक नहीं रही है| कारण अनेक है जैसा की फसलों को जलाए गए अबशेष, वाहनों से निकलता हुआ धुआं, कारखानों से निकलता हुआ धुंआ तथा दीपावली जो आज धुएं का उत्सव बन गया है | आदि आज देश में मृत्यु का सबसे बड़ा कारण वायु प्रदूषण माना जाता है| दिल्ली के वायु प्रदूषण के बारे में सब जानते हैं जिसे इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने नेशनल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है | 20 लाख से 30 लाख बच्चे वायु प्रदूषण के दुष्परिणामों को अपने फेफड़ो में लेकर घूम रहे है | अगर यही स्थिति रही तो हमें बच्चों को आईसीयू में ही पालने पड़ेंगे और यह स्थिति बहुत भयानक होगी | अपने बच्चों के जीवन की तबाही को कौन गिफ्ट में देना चाहेगा ऐसी दुनिया जहां पर सांस लेना ही मुश्किल हो चाहेगा हम ऐसे सार्थक प्रयास करें कि हम आने वाली पीढ़ी को स्वच्छ साफ सुथरी दुनिया दे सके | आदमी पेड़ काटता जा रहा है कारखाना बढ़ाता जा रहा है बिना सोचे समझे गाड़ियों को भगाता जा रहा है वाहनों से निकलता हुआ धुँआ पूरे आकाश में छा रहा है मानव निर्मित क्लोरो फ्लोरो कार्बन से ओजोन परत में छेद हो गया है | जिससे सूर्य की अल्ट्रा वायले्ट किरणें धरती पर सीधा पहुँचती है और इसका मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है |
तो हम सभी का कर्तव्य है कि पर्यावरण को स्वच्छ व प्रदूषण मुक्त बनाने में अपना सहयोग करें| साथ ही अपनी शुभभावनाओं के प्रकम्पन से प्रकृति के पाँचों तत्वों कोपोषित करें |
मैं धरती का चेतन सितारा हूं…. मैं दिव्य आत्मा कल्याणकारी होकर विश्व ग्लोब पर विराजमान हूँ मुझ पर ज्ञान सूर्य की किरने फैली हुई है…… मैं परमात्मा स्नेह और शक्तियों की किरणों से संपन्न होती जा रही हूं…..मै सर्व शक्तियों से चार्ज होती जा रही हूं….. परमात्मा की पवित्र किरणें प्रकृति के पांचों तत्वों को भी पावन बना रही है….और स्वयं में मैं इन किरणों को समाकर सारे खेतों में चारों तरफ फैला रही हूं….प्रकृति के पांचों तत्व पवित्र बनते जा रहे हैं… प्रकृतिपति परमात्मा से पवित्र किरणें पाकर सारी बसुंधरा पुनः सतोप्रधान बनती जा रही है… सारे ही विश्व में इस भूमि से शक्तिशाली पवित्र प्रकाश की किरणें फ़ैल रही है…. जल में शांति की किरणें फ़ैल रही है…. शक्ति की किरणें फैल रही है…. वायु द्वारा प्रेम की किरणें फैल रही है….. आकाश में ज्ञान की किरणें फैल रही है…. सारा संसार परमात्मा की दिव्य शक्तियों से जगमगाता जा रहा है….. मै आत्मा आनंद स्वरूप हूं, परम पिता परमात्मा आनंद के सागर है, उस आनंद की वायब्रेशंस मै प्रकृति सहित पशु पंछी, जीव जंतु और पेड़ों को दे रही हूँ…. जिसकी वजह से पशु पंछी में भी उमंग उत्साह बढ़ता है…..ओम शांति|
प्रोफेसर आर. एस. वर्मा ने बताया कि- ब्रह्माकुमारीज संस्थान माउंट आबू के द्वारा पर्वारण संरक्षण के कई कार्यक्रम किये जाते रहते हैं| वहाँ जाकर लोगो को देखना चाहिए कि किस तरह से पर्यावरण संरक्षण के लिए संस्था कार्य कर रही है | उन्होंने ‘प्लास्टिक प्रदूषण’ के बारे में सभी को बताया कि कैसे आज हमप्लास्टिक के आदि हो गये हैं चाहते हुए भी उसके उपयोग को कम नहीं कर पा रहे हैं | उन्होंने बताया कि प्लास्टिक एक ऐसा पदार्थ है जो कि हजारों सालों तक ज्यों कात्यों पड़ा रहता है जो कि आज मानव के साथ साथ प्रकृति के लिए भी खतरा बन गया है| उन्होंने प्लास्टिक से होने वाले दुष्प्रभावों को सभी को बताया कि प्लास्टिक नकेवल मृदा को प्रदूषित करता है वरन जल, जीव-जंतु, समुद्री जीव, मानवजीवन, वायु पर भी इसका उतना ही दुष्प्रभाव पड़ता है और सभी से अनुरोध किया कि जितना होसके प्लास्टिक का कम से कम उपयोग करें और पर्यावरण संरक्षण के लिए अपनी जिम्मेवारी का ईमानदारी के साथ निर्वहन करें |
कार्यक्रम का कुशल संचालन आशा बहिन ने किया तथा कार्यक्रम के अंत में बी. के. प्रह्लाद भाई ने सभी को प्रतिज्ञा करवाई एवं सभी का आभार व्यक्त भी किया |
प्रतिज्ञायें जो सभी को कराई गई
- हम प्रतिज्ञा करते हैं कि कम से कम एक वृक्ष जरुर लगाऊँगा और उसका संरक्षण करूँगा |
- धरती माता की हरित श्रृंगार बनाए रखने के लिए तथा जंगलों को बचाने में पूरा सहयोग करूंगा|
- धरती पर और वायुमंडल के लिए घातक प्लास्टिक का कम से कम उपयोग करूंगा|
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मालनपुर ग्वालियर – ब्रह्माकुमारीज़ के युवा प्रभाग द्वारा आयोजित डिवाइन यूथ फोरम तीन दिवसीय रिट्रीट सम्पन

ब्रह्माकुमारीज़ के युवा प्रभाग द्वारा आयोजित डिवाइन यूथ फोरम तीन दिवसीय रिट्रीट सम्पन
तीन दिवसीय रिट्रीट में प्रदेश भर से आई युवा बहनों ने सीखे व्यक्तितव विकास गुर
दुआएं लेना और दुआएं देना अर्थात जीवन को सुंदर बनाना – अनुसूईया दीदी
ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान में आना अर्थात आनंद की अनुभूति करना -आशीष प्रताप सिंह
बिना कहे जब हम काम करते हैं तो दुआएं मिलती हैं – रेखा दीदी
ग्वालियर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्व विद्यालय की भगिनी संस्था राजयोग एज्युकेशन एण्ड रिसर्च फाउंडेशन के युवा प्रभाग द्वारा नई उमंग नई तरंग के अंतर्गत गोल्डन वर्ल्ड रिट्रीट सेंटर में तीन दिवसीय आवासीय रिट्रीट डिवाइन यूथ फोरम का आयोजन किया गया था। जिसमे पूरे प्रदेश से युवा बहनों ने हिस्सा लिया। इस रिट्रीट का उद्देश्य व्यक्तित्व विकास का प्रशिक्षण देना था।
आज कार्यक्रम के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में भाजपा के प्रदेश कार्य समिति सदस्य आशीष प्रताप सिंह राठौड़, दिल्ली से पधारी बीके अनुसूईया दीदी, बीके वर्णिका दीदी, सीधी से रेखा दीदी, ग्वालियर गोल्डन वर्ल्ड रिट्रीट सेंटर प्रमुख बीके ज्योति बहन, युवा प्रभाग के राष्ट्रीय सदस्य बीके प्रहलाद भाई, बीके जानकी आदि उपस्थित थीं।
कार्यक्रम के शुभारंभ ने दिल्ली से आई बीके अनुसूईया दीदी ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि दुवाओं के वारे में सभी को बताया और कहा कि दुआएं यह कोई खरीदी-बेची जाने वाली वस्तु नहीं, बल्कि हमारे कर्मों की खामोश कमाई होती हैं। जब हम निस्वार्थ भाव से, श्रद्धा और सेवा-भाव से कार्य करते हैं, तो दुआएं स्वतः ही हमारे खाते में जमा होती जाती हैं।
दुआएं कमाने का मार्ग कर्म से होकर जाता है। जब हम अपने कर्मों से अपने बड़ों, गुरुजनों और समाज को निश्चिंत करते हैं। जब हम बिना कहे उनके सुख-दुख में साथ खड़े होते हैं, तो वह आशीर्वाद नहीं, बल्कि दिल से दुआएं भी देते हैं। यह दुआएं हमारी रक्षा करती हैं, मार्ग प्रशस्त करती हैं, और जीवन को सार्थक बनाती हैं।
दीदी ने आगे कहा कि हम जिनको लोगो के साथ रहते है या जहां कार्य करते है। या फिर कोई सेवा का कार्य करते है। वह हमें अपना समझ करके और बिना कहे करना चाहिए यह सबसे ऊँचा कर्म है। जो काम किसी ने कहा नहीं, पर हमने देख लिया और कर दिया। वही असली सेवा है। सेवा में दिखावा नहीं, समर्पण होना चाहिए। जब हम अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर दूसरों के लिए कार्य करते हैं, तो हमें दुआओं की पूंजी मिलती है। हमें ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि “यह मेरा काम नहीं है।” कर्म का धर्म यही कहता है कि जहां ज़रूरत हो, वहां सहयोग दिया जाए। यही सहयोग एक दिन हमारी ज़रूरत के समय कई गुना होकर लौटता है।
यूथ विंग की भोपाल ज़ोन की संयोजिका बीके रेखा बहन ने कहा कि जितनी ज़रूरत हो, उतना ही लेना सीखें। आज की दुनिया में लालच हर किसी को खींचता है, पर संतोष और संयम ही वह गुण है जो दूसरों के हिस्से की चीज़ें भी उन्हें लौटाकर हमें दुआएं दिलवाता है। सीमित संसाधनों में संतुलन बनाना, यही सच्चे संस्कारों का परिचायक है।
कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य आशीष प्रताप सिंह राठौड़ ने बतौर मुख्य अतिथि विचार व्यक्त करते हुए कहा कि समष्टि के प्रति एकात्मता, सर्वभूत हितेरेता:
एवं सर्वे भवंतु सुखिनः जैसे उच्च स्तरीय मूल्यों के उपासक होने पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के भाइयों बहनों ने हम सब को गौरवान्वित किया हैं। हमारे जो गुरुजन होते हैं उनकी शिक्षा से ही हमारा विकास होता हैं
जिस प्रकार हमारा देश आगे बढ़ रहा हैं। और आज हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बड़ी हैं।
मैं पिछले कुछ वर्षो से ब्रह्माकुमारीज़ संस्था से जुड़ा हुआ हूँ। और मुझे यहां आकर के आनंद की अनुभूति होती हैं।
आज की पीढ़ी अपने नेचर को भूलती जा रही हैं
यह संस्था सभी लोगों को नेचर और सांस्कृतिक से जोड़ती हैं।
कार्यक्रम में दिल्ली से आई बीके वर्णिका बहन ने कहा कि “सर्वे भवन्तु सुखिनः” की भावना ही दुआओं की कुंजी है। जब हम केवल अपने लिए नहीं, बल्कि सभी के भले की कामना करते हैं, उनके लिए कुछ करते हैं, तो संपूर्ण सृष्टि से हमें सकारात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।
बचपन से ही हमें ऐसे मूल्य और सोच अपनाने चाहिए कि जहाँ भी हम जाएँ, वहाँ शांति, सहयोग, और करुणा का संचार हो। यही हमारे जीवन की सबसे बड़ी कमाई है। दुआएं सिर्फ शब्दों से नहीं, व्यवहार से दी जाती हैं। प्रेरणा देकर, मार्गदर्शन देकर।
गोल्डन वर्ल्ड रिट्रीट सेंटर की प्रभारी बीके ज्योति दीदी ने भी अपनी शुभकामनाएं दीं और कहा कि जिस दिन हमारे अंदर संतोष धन आ जाता हैं फिर बाहर का कोई भी आकर्षण महसूस नहीं होता हैं।
अपने लिए जिए तो क्या जिए, जीवन में दूसरों का भला ही असली जीवन है।
कार्यक्रम का कुशल संचालन बीके प्रहलाद भाई ने किया तथा सभी का आभार बीना से पधारी बीके जानकी दीदी ने किया।
इस अवसर पर नीलम बहन, रेखा बहन, खुशबू बहन, महेश भाई, आशीष भाई, मीरा बहन, अर्चना बहन, सपना बहन सहित अनेकानेक बहने उपस्थित थीं
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न्यूज़ कवरेज – जीवन की असली पूँजी दौलत या प्रतिष्ठा नहीं, बल्कि खुशी, संतुष्टि और शांति है
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मालनपुर ग्वालियर – जीवन की असली पूँजी दौलत या प्रतिष्ठा नहीं, बल्कि खुशी, संतुष्टि और शांति है

जीवन की असली पूँजी दौलत या प्रतिष्ठा नहीं, बल्कि खुशी, संतुष्टि और शांति है – बीके वर्णिका बहन
यदि सच्ची कमाई करनी है तो हमें अपनी वाणी को मधुर और प्रेमपूर्ण बनाना होगा – बी के अनुसुईया दीदी
ग्वालियर: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के माधवगंज स्थित प्रभु उपहार भवन में दिल्ली से आई बीके अनुसुईया दीदी एवं वर्णिका बहन का स्वागत अभिनन्दन किया गया।
इस अवसर पर ब्रह्माकुमारीज़ लश्कर केंद्र प्रमुख बीके आदर्श दीदी ने शब्दों से एवं पुष्पगुच्छों से पधारे हुए अतिथियों का स्वागत अभिनन्दन किया। और कहा कि मानव जीवन बहुत ही अनमोल हैं इसकी हमें हमेशा वैल्यू करनी चाहिए। और हमेशा श्रेष्ठ कर्म ही करना चाहिए। आज हमारे बीच अनुसुईया दीदी पहुंची है जो कि पिछले 60 वर्षों एवं वर्णिका बहन पिछले 11 वर्षों से ब्रह्माकुमारीज संस्थान में प्रेरक वक्ता एवं राजयोग ध्यान प्रशिक्षका के रूप में समर्पित होकर अपनी सेवाएँ दें रही है। और आपके माध्यम से हजारों, लाखों लोगो को श्रेष्ठ जीवन जीने की प्रेरणा मिल रही है। यह बहुत ही खुशी कोई बात है कि आप आगमन ग्वालियर हुआ है। निश्चित ही यहाँ के लोगो को आपके प्रेरक उद्बोधन का लाभ मिलेगा।
कार्यक्रम में बी.के. वर्णिका बहन ने कहा कि हर व्यक्ति का जीवन अलग होता है, उसके अनुभव, उसके संस्कार, उसकी सोच और उसकी चाहतें भी भिन्न होती हैं। कोई सफलता को सबसे बड़ा लक्ष्य मानता है, तो कोई संतोष को ही जीवन का सार समझता है। लेकिन जब हम गहराई से सोचते हैं, तो समझ आता है कि जीवन की असली पूँजी दौलत या प्रतिष्ठा नहीं, बल्कि खुशी, संतुष्टि और शांति है। ये खजाने बाजारों में नहीं मिलते, ये न किसी चीज़ से खरीदे जा सकते हैं और न ही किसी को देकर लिए जा सकते हैं। ये खजाने परमात्मा के पास हैं, और उनका अनुभव तभी होता है जब इंसान स्वयं से जुड़ता है, अपने भीतर झाँकता है। जिंदगी शुरू होती है एक छोटे से मासूम सपने से – पढ़ाई पूरी हो जाए, अच्छे नंबर आ जाएँ। फिर उस सपने में एक और सपना जुड़ जाता है – नौकरी लग जाए, भविष्य सुरक्षित हो जाए। नौकरी मिलती है तो एक और चाह जागती है – अच्छा घर हो, गाड़ी हो, जीवनसाथी हो। फिर एक परिवार बसता है, बच्चे होते हैं, उनके सपनों को पूरा करने की दौड़ शुरू होती है। एक के पीछे एक लक्ष्य आता जाता है, और इंसान उन्हें पूरा करने की कोशिश में पूरी जिंदगी गुजार देता है। लेकिन इन सबके बीच वह भूल जाता है कि वह भाग किसके लिए रहा है, किस मंज़िल की तलाश में है। हर सफलता के बाद एक नई कमी महसूस होती है। हर उपलब्धि के साथ एक नया खालीपन जन्म लेता है। और जब उम्र ढलने लगती है, तब जाकर कहीं दिल से एक धीमी आवाज़ उठती है – अब कुछ नहीं चाहिए, बस थोड़ा सा सुकून चाहिए, थोड़ा सा प्यार चाहिए, थोड़ी सी शांति मिल जाए। यही वह क्षण होता है जब इंसान को समझ आता है कि असली खजाना बाहर नहीं, भीतर है। जो बात शुरुआत में समझ में नहीं आती, वह अंत में साफ हो जाती है – कि जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता है आत्मिक संतुलन। जब हम खुद से कट जाते हैं, तो सारी दुनिया मिलने पर भी अधूरे रहते हैं। लेकिन जब हम खुद से जुड़ जाते हैं, जब हम परमात्मा के प्रति समर्पण भाव रखकर जीवन को जीते हैं, तब वह खजाना स्वयं हमारे भीतर प्रकट होता है। शांति कोई चीज़ नहीं, यह एक अनुभव है। प्रेम कोई लेन-देन नहीं, यह एक भावना है। संतुष्टि कोई लक्ष्य नहीं, यह जीवन का भाव है। और जब तक हम इन अनुभवों को नहीं जीते, तब तक चाहे हम कुछ भी पा लें, वह अधूरा ही रहता है। इसलिए ज़रूरी है कि हम अपने जीवन की रफ्तार को थोड़ा धीमा करें, अपने भीतर झाँकें, उस मौन को सुनें जो हर पल हमें आवाज़ दे रहा है। तभी हमें जीवन का असली खजाना मिलेगा – वह खजाना जो नष्ट नहीं होता, जो सदा हमारे साथ रहता है – परमात्मा की कृपा में बसी हुई शांति, प्रेम और संतोष।
कार्यक्रम में अनुसुईया दीदी ने अपना उद्बोधन देते हुए कहा कि मनुष्य केवल शरीर नहीं है, बल्कि एक चेतन्य शक्ति आत्मा है। यह आत्मा ही शरीर के माध्यम से सभी कर्म करती है। हमारे हर अच्छे या बुरे कर्म का मूल स्रोत हमारी आत्मा ही होती है। शरीर तो एक माध्यम है। जब आत्मा शुद्ध होती है, तो उसके विचार, वाणी और कर्म भी शुद्ध होते हैं। यदि सच्ची कमाई करनी है तो हमें अपनी वाणी को मधुर और प्रेमपूर्ण बनाना होगा। जब हम प्रेम से, शांति से और आदरपूर्वक बोलते हैं तो हमारे शब्द केवल शब्द नहीं रहते, वे दुआएँ बन जाते हैं। इन दुआओं का कोई मूल्य नहीं लगा सकता, क्योंकि ये आत्मा को ऊँचा उठाती हैं, कर्मों को हल्का बनाती हैं और जीवन में सच्ची सुख-शांति का आधार बनती हैं।
जब हम किसी के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं, मीठे बोल बोलते हैं, सहायता करते हैं, शुभ सोचते हैं और सद्विचारों को सुनते हैं, तो यह सब आत्मा के भीतर जमा होता जाता है। यह जमा पूँजी ऐसी है जिसे कोई देखे या न देखे, कोई जाने या न जाने, पर आत्मा जानती है कि कुछ अच्छा संचित हुआ है। कभी-कभी हम दिन भर अच्छा व्यवहार करते हैं, सभी से प्रेम से बोलते हैं, और फिर भी कोई हमारी सराहना नहीं करता। पड़ोसियों को पता नहीं चलता, परिवार के लोग नज़रअंदाज़ कर देते हैं, और हम भीतर ही भीतर दुःखी हो जाते हैं। हमें लगता है कि हमारी अच्छाई का कोई मूल्य ही नहीं रहा, कोई उसे समझ नहीं रहा। पर यहाँ हमें यह समझना चाहिए कि हर व्यक्ति की किस्मत उसके कर्मों से बनती है। मेरे कर्म मेरी किस्मत बनाते हैं और किसी और के कर्म उसकी किस्मत तय करते हैं। अगर कोई मेरी अच्छाई को नहीं मानता, मेरी बात को नहीं समझता, मेरी सेवा का आदर नहीं करता, तो मुझे दुःखी नहीं होना चाहिए। अगर मैं अच्छा करते हुए भी दुःखी हूँ, तो यह मेरी समझ की कमी है। क्योंकि बुरा कर्म करने वाला तो दुःखी रहता ही है, लेकिन जो अच्छा कर्म करके भी दुःखी हो जाए, वह तो और भी बड़ी भूल कर रहा है। परमात्मा सब देखते है। हम उनके बच्चे हैं। जब हम अच्छे कर्म करते हैं, प्रेम से बोलते हैं, शांति से जीते हैं, सेवा में रहते हैं, तो परमात्मा की कृपा हमारे साथ होती है। इसलिए किसी के न मानने या सराहने न करने से हमें हताश नहीं होना चाहिए। हमारा हर अच्छा कर्म, चाहे वह छोटा हो या बड़ा, कहीं न कहीं आत्मा में दर्ज हो रहा है। यही हमारे जीवन की असली पूँजी है।
अतः हमें सदा यही याद रखना चाहिए कि कोई देखे या न देखे, कोई माने या न माने, लेकिन यदि हम सही मार्ग पर चल रहे हैं, प्रेम और सेवा के भाव में जी रहे हैं, तो हमें कभी दुःखी नहीं होना चाहिए। क्योंकि अंततः आत्मा को शांति उसके अपने कर्मों से ही मिलती है, और परमात्मा की दृष्टि से कोई भी अच्छा कर्म कभी व्यर्थ नहीं जाता।
कार्यक्रम का कुशल संचालन बीके ज्योति बहन (मोहना) ने किया तथा आभार बीके प्रहलाद भाई ने किया।
इस अवसर पर बीके जीतू, बीके पवन, बीके सुरभि, बीके रोशनी, सुरेन्द्र, विजेंद्र, पंकज, पीयूस, रवि, गजेन्द्र अरोरा, डॉ स्वेता माहेश्वरी सहित अनेकानेक लोग उपस्थित थे।
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