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Indraganj Lashkar

ग्वालियर हेलीपेड कॉलोनी में त्रिदिवसीय राजयोग शिविर संपन्न

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ग्वालियर:  श्री हनुमानजी मंदिर पार्क हेलीपेड कॉलोनी में त्रिदिवसीय राजयोग शिविर संपन्न|

जैसा कि हम सभी वर्तमान समय देख रहे हैं कि इतनी भागती – दौड़ती व्यस्त जीवनशैली में किसी भी उम्र के लोग अनावश्यक ही किसी भी समय डिप्रेशन, अनिंद्रा, भय का शिकार हो जाते हैं | इस त्रिदिवसीय शिविर में आप सीखेंगे उस सर्वशक्तिमान परमात्मा से कनेक्ट होने वाले “राजयोग मैडिटेशन” को और साथ ही मुक्त होंगे व्यर्थ के तनाव, चिंता, भय और परेशानियों से और अनुभव करेंगे अपने जीवन में एक विशेष परिवर्तन | उक्त बातें आज ब्रह्माकुमारीज संस्थान से पधारे राजयोगी बी.के. प्रह्लाद भाई जी ने कहीं इसके साथ ही उन्होंने बताया कि प्रत्येक व्यक्ति अपने आप में विशेष है, शक्तिशाली है, उसके अन्दर असीम शक्ति है| लेकिन हम यह भूल चुके हैं कि हम सर्वशक्तिमान परमात्मा की संतान हैं और भूलने के कारण ही हम दु:खी हो जाते हैं और अनावश्यक ही दुःख, चिंता परेशानियों में घिर जाते हैं क्यों कि दुनियां में हमारा सबके साथ बहुत अच्छा कनेक्शन है लेकिन एक कनेक्शन टूटा हुआ है वो भी इस संसार के डायरेक्टर के साथ, कनेक्शन हमारा पक्का नहीं है इसलिए आज से जीवन में खुश रहने के लिए, तनावमुक्त और सकारात्मक रहने के लिए एक चीज को जानकर पक्का कर लें कि मेरा इस स्रष्टि के सृजनहार से क्या कनेक्शन है उससे अपना कनेक्शन जोड़ लें क्यों कि यह स्रष्टि एक रंगमंच है और इस पर हम सभी अभिनय कर रहे हैं | हर एक का अभिनय अपना–अपना है लेकिन हम दूसरों के अभिनय को देखकर प्रभावित हो जाते हैं | और टेंशन में आ जाते हैं कि उसको मेरे साथ ऐसा नहीं करना चाहिए था | लेकिन हर कोई अपने –अपने पार्ट को एक्यूरेट प्ले कर रहा है | यदि आप खुश रहना चाहते हैं तो तीन चीजों की जानकारी होना आवश्यक है :”मै कौन हूँ ?“ “मुझे किसने यहाँ भेजा है इस खेल का डायरेक्टर कौन है?”, और “यह खेल क्या है?” दुनियाँ में सभी एक्टर्स के साथ अच्छा कनेक्शन होना जरुरी है लेकिन उससे भी ज्यादा जरुरी है उस डायरेक्टर के साथ कनेक्शन, जो भी व्यक्ति उसके साथ कनेक्शन रखता है उसको दुनियां में कोई भी ताकत हरा नहीं सकती | इसका एक उदहारण महाभारत में मिलता है कि कौरवो के पास अक्षोंहिणी सेना थी फिर भी हार गए जबकि पांडवों के पास अक्षोंहिणी सेना नहीं थी लेकिन भगवान का साथ था उसमें भी भगवान ने अस्त्र शस्त्र नहीं उठाये बल्कि अर्जुन को केवल गाईड किया था उस आधार पर ही पांडवो की विजय हुई ठीक उसी प्रकार भगवान को हम अपने साथ रखते है तो हमारी हर कार्य में विजय निश्चित है | इसी स्मृति के साथ जीवन में खुश रहने के लिए, शांत रहने के लिए हमें अपने चिंतन को श्रेष्ठ बनाना होगा उसके लिए थोडा समय हम मैडिटेशन के लिए निकालें |

बी. के. प्रह्लाद भाई ने शिविर के दूसरे दिन सभी को संबोधित करते हुए कहा कि आज मनुष्य के पास ज्ञान सुनने का या मैडिटेशन करने का समय नहीं है लोग ऐसा मानते है कि 60 वर्ष के बाद यह सब करना चाहिए पर वास्तव में ज्ञान सुनने के लिए उम्र नहीं होती | वल्कि जब जिस घडी से ज्ञान मिले उसी क्षण से ज्ञान को जीवन में धारण करने की आवश्यकता है जैसे शरीर को चलाने के लिए भोजन की आवश्यकता होती उसी तरह से जीवन को सही रीति से जीने के लिए सत्य ज्ञान की आवश्यकता है|

यदि ऐसा मान लें कि कलियुग में मनुष्य की ओसतन आयु 60 वर्ष है तो उसके हिसाब से

(1)    5 वर्ष उसके वचपन में,

(2)    6 वर्ष शिक्षा में,

(3)    6.5 वर्ष खेलकूंद में,

(4)    14 वर्ष नौकरी में या व्यवसाय में(10 घंटे प्रतिदिन के हिसाब से),

(5)    18 वर्ष सोने में(8 घंटे प्रत्दीन के हिसाब से),

(6)    4.5 वर्ष नहाना/धोना/भोजन इत्यादि में,

(7)    4 वर्ष शोपिंग/विश्राम में

जीवन के 58 वर्ष तो ऐसे ही निकल गए अब सिर्फ 2 वर्ष बचते है वह इन 2 वर्षों में क्या कर सकता है| इसलिए जैसे इन सभी कार्यो के लिए समय फिक्स है वैसे ही थोडा समय मैडिटेशन/ध्यान के लिए फिक्स करना चाहिए जिससे मन शांत रहेगा| जीवन में खुशियाँ रहेंगी | और अपने जीवन का सही आनंद ले सकेगे |

इसके साथ ही राजयोग मैडिटेशन के बारे में बताते हुए कहा कि राजयोग एक बहुत ही सरल और सहज प्रक्रिया है जिसमें हम अपने मन के द्वारा चिंतन करते है और उसी चिंतन को बुद्धि के द्वारा मानस पटल पर चित्रित करते है ऐसा करने पर हम अपने मन और बुद्धि को एकाग्र कर सकते है | ऐसा करने पर सहज ही हम अपने मन को ईश्वर से जोड़ लेते है उसकी शक्तियां मुझे मिलने लगती है | और उसकी याद से हम अपने हर कार्य को सफलता पूर्वक कर सकते है | और जब हम राजयोग का नित्य प्रितिदीन अभ्यास करते है तो हमारे जीवन में अष्ठ शक्तियां आ जाती है | जो हमारे जीवन के लिए अति आवश्यक है | और अष्ट शक्तियों के बारे में सभी को विस्तार से बताया| इसके तत्पश्चात कमेंटरी के माध्यम से सभी को राजयोग मैडिटेशन की गहन अनुभूति भी कराई |

शिविर के तीसरे दिन ग्वालियर सेवाकेंद्र संचालिका राजयोगिनी बीके आदर्श दीदीजी, सीनियर राजयोग टीचर बीके डॉ गुरुचरण भाई औरमोटिवेशनल स्पीकर बीके प्रह्लाद भाई उपस्थित थे| बी.के. डॉ. गुरुचरण भाई ने कहा कि हम सभी उस सर्वशक्तिमान पिता परमात्मा दाता कि संताने हैं तो हमें सर्व के प्रति सहयोग, स्नेह, सम्मान कि भावना रखनी है चाहे कोई मुझे सहयोग दे या न दे लेकिन मुझे देना है, कोई स्नेह दे या न दे मुझे सर्व के प्रति स्नेह कि भावना रखनी है क्यों कि में उस दाता का बच्चा हूँ| इस बात को पक्का कर लें तो तनाव आपके आसपास आ भी नहीं सकता ” जिसका साथी हो भगवान् उसको क्या रोकेगा आंधी और तूफ़ान”| और सभी को अंडरलाइन करवाया कि हम सभी विशेष हैं तो हमारी सोच भी साधारण नहीं होनी चाहिए, यदि कोई भी संकल्प  ऐ-वैसा आये तो सदैव स्मृति रहे कि में उस परमात्मा सर्वोच्च सत्ता कि संतान हूँ तो मेरे संकल्प,विचार भी श्रेष्ठ होने चाहिए|

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म.प्र. के माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी ने ‘सामाजिक समरसता’ कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी बहनों को शॉल ओढ़ाकर किया सम्मानित

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Gwalior : म.प्र. के माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी, भारत सरकार के केंद्रीय संचार मंत्री माननीय श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जी, म.प्र. विधानसभा अध्यक्ष माननीय श्री नरेंद्र सिंह तोमर जी ने ग्वालियर के दत्तोपंत ठेंगड़ी सभागार, कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित सामाजिक समरसता’ कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी बहनों को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। जिसमें ब्रह्माकुमारी रोशनी, ब्रह्माकुमारी सुरभि, बीके डॉ.गुरचरण सिंह को सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में प्रदेश के अनेकानेक कैबिनेट मंत्री गण, सांसद, विधायक सहित अन्य जनप्रतिनिधि तथा प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित थे।

इस अवसर पर बीके रोशनी, बीके सुरभि, बीके डॉ.गुरचरण सिंह ने माननीय मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव जी का अभिनंदन करते हुए उन्हें ईश्वरीय सौगात भेंट की।

कार्यक्रम में शहर से अनेकानेक सम्माननीय धर्मगुरु, धार्मिक संस्थान, सामाजिक संस्थान से तथा गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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बाल व्यक्तित्व विकास शिविर

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ब्रह्माकुमारीज केंद्र पर तीन दिवसीय बाल व्यक्तित्व विकास शिविर का हुआ शुभारंभ

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बच्चों में प्रेम, दया, क्षमा, आत्मविश्वास, सहनशीलता जैसे गुणों का विकास बहुत आवश्यक – आदर्श दीदी

जो बच्चे आज्ञाकारी होते है उन्हें सभी की दुवाएं एवं स्नेह मिलता है – प्रहलाद भाई

ग्वालियर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की भगिनी संस्था राजयोग एजुकेशन एंड रिसर्च फाऊंडेशन के युवा प्रभाग और शिक्षा प्रभाग के द्वारा माधवगंज स्थित प्रभु उपहार भवन में तीन दिवसीय बाल व्यक्तित्व विकास शिविर का शुभारंभ हुआ।
इस शिविर में बच्चों के सम्पूर्ण विकास के लिए आध्यात्मिकता, नैतिक शिक्षा, व्यवहारिक ज्ञान और सकारात्मक सोच आदि विषयों को रचनात्मक ढंग से बताया जायेगा।
शिविर के शुभारंभ में मुख्य प्रशिक्षक के रूप में उपस्थित मोटिवेशनल स्पीकर एवं वरिष्ठ राजयोग ध्यान प्रशिक्षक बीके प्रहलाद भाई ने नए सभी बच्चों को मोटिवेट करते हुए मजेदार शिक्षाप्रद कहानियाँ सुनाकर शिविर की शुरुआत की। उन्होंने एक रचनात्मक एक्टिविटी के माध्यम से शिविर में उपस्थित बच्चों को सिखाया कि हमें ध्यान से सुनना चाहिए। क्योकि ध्यान से सुनने का बहुत महत्व है। जबकि सुनने से ज्यादा हम देखकर कर्म करते है, हम जैसा देखते है वैसा हम बनते चले जाते है। यदि हम कुछ गलत चीजों को देखते है या हमारे सामने कोई गलती कर रहा है तो उसका प्रभाव भी हमारे जीवन पर पड़ता है। इसलिए हमेशा टीवी या मोबाईल पर कुछ देखते है तो अच्छा ही देखे।
उन्होंने कहा कि अच्छे गुणों और संस्कारों का बीज बोने का यह सही समय है। इस समय अंदर लचीलापन होता है। सही शब्दों में कहा जाए तो व्यक्तित्व का निर्माण और जीवन को दिशा देने का काम इसी समयावधि में हो सकता है। हम जैसा बनना चाहें वैसा अपने को बना सकते हैं। आजकल कई बच्चे अपना कीमती समय मोबाइल पर नष्ट कर रहे हैं। अभिभावक और शिक्षक चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। इस समय में मोबाईल का ज्यादा उपयोग करना हमारे लिए बहुत नुकशान दायक है । मोबाईल हमारी सुविधा के लिए है पढ़ाई आदि के लिए ही हम इसे थोडा बहुत उपयोग कर सकते है। बांकी और और चीजों में हमें नहीं जाना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि सभी बच्चो को प्रातः सूर्योदय से पहले जाग जाना चाहिए तथा रात्रि को जल्दी सोना चाहिए। देर रात तक नहीं जागना चाहिए। सभी बच्चों को अपने माता पिता कहना मानना चाहिए। हरेक माता पिता अपने बच्चों की भलाई के लिए ही उन्हें समझाते है कभी भी माता पिता से नाराज नहीं होना चाहिए। जो बच्चे आज्ञाकारी होते है उन्हें सभी की दुवाएं एवं स्नेह मिलता है। और वह जीवन में आगे बढ़ते जाते है। इस पर एक रोचक कहानी भी बच्चों को सुनाई।
आगे भाई जी ने बच्चों को मन बुद्धि और संस्कार के बारे में बताया कि कैसे हम अच्छा सोचकर अपने अन्दर अच्छी आदतों को डाल सकते है। और अपनी ख़राब आदतों को छोड़ सकते है।


कार्यक्रम में बच्चो को मेडिटेशन (ध्यान) की सरल विधि सिखाई गई साथ ही ध्यान का अभ्यास भी कराया गया।
इस अवसर पर केंद्र प्रमुख बीके आदर्श दीदी ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि यदि हम थोडा समय पढ़ाई से पूर्व या कोई कार्य करने से पूर्व राजयोग ध्यान का अभ्यास करते है। अथवा परमात्मा को याद करते है तो हमें सफलता अवश्य मिलती है, साथ ही हमारी एकाग्रता भी बढती है। दीदी ने आगे कहा कि हमें इतना सुंदर जीवन मिला है तो उसके लिए हमें ईश्वर का शुक्रिया अदा करना चाहिए, साथ ही उन सभी का शुक्रिया करना चाहिए जो हमारे जीवन को अच्छा बनाने में हमारे मददगार है जैसे माता-पिता एवं गुरुजन आदि।
दीदी ने आगे बताया कि बच्चों में प्रेम, दया, क्षमा, आत्मविश्वास और सहनशीलता जैसे गुणों का विकास बहुत आवश्यक है। यह शिविर निश्चित ही बच्चों में दिव्य गुणों की धारणा और चारित्रिक विकास में मददगार साबित होगा। जो बच्चे बचपन से ही आध्यात्मिक शिक्षा और नैतिक शिक्षा और व्यवहारिक शिक्षा से जुड़ते है, तो वह न केवल बड़े होकर एक अच्छे नागरिक बनते है, बल्कि समाज और विश्व के लिए भी एक प्रेरणा और आदर्श बनकर उभरते है।
अंत में शिक्षाप्रद गेम भी खिलाये गए जिसका बच्चों ने आनंद लिया|
इस अवसर पर बीके जीतू, बीके सुरभि, बीके रोशनी, रीता मिड्ढा सहित अनेकानेक बच्चो के पैरेंट्स भी उपस्थित थे।

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