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ब्रह्माकुमारीज़ केंद्र पर श्रद्धालुओं ने लिया पर्यावरण संरक्षण का संकल्प
ब्रह्माकुमारीज़ केंद्र पर श्रद्धालुओं ने लिया पर्यावरण संरक्षण का संकल्प

ग्वालियर: आज प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की सहयोगी संस्था राजयोग एज्युकेशन एण्ड रिसर्च फाउंडेशन के कृषि एवं ग्राम विकास प्रभाग के द्वारा माधवगंज स्थित प्रभु उपहार भवन में विश्व पर्यावरण दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जो कि बीट प्लास्टिक पॉल्युशन (Beat Plastic Pollution) अर्थात ‘प्लास्टिक प्रदूषण को हराना’ थींम के अंतर्गत हुआ।

कार्यक्रम के शुभारंभ में ब्रह्माकुमारीज़ लश्कर केंद्र प्रमुख बी.के. आदर्श दीदी ने विश्व पर्यावरण दिवस के बारे में सभी को बताते हुए कहा कि प्रत्येक वर्ष 5 जून को मनाया जाने वाला एक वैश्विक आयोजन है, जिसे संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा पर्यावरण संरक्षण, संवर्धन और जागरूकता के उद्देश्य से प्रारंभ किया गया था। यूनाइटेड नेशंस इनवायरमेंट प्रोग्राम (UNEP) अर्थात संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का शुभारंभ 5 जून 1972 में केन्या के नैरोबी शहर में हुआ। इस दिन का मुख्य उद्देश्य नागरिकों को प्रदूषण और पर्यावरणीय समस्याओं के प्रति सजग करना और प्रकृति की रक्षा के लिए जन-जागरूकता उत्पन्न करना है। इसी उद्देश्य के अंतर्गत प्रति वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस आयोजित किया जाता है।
इस दिशा में अनेक संस्थाएँ सक्रिय हैं। जिसमें ब्रह्माकुमारीज़ भी शामिल है।
सम्पूर्ण विश्व में पर्यावरण के प्रति जागृति लाने के लिए किये गए विशेष प्रयासों को देखते हुए ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान को UNEP में गैर सरकारी संगठन NGO के रूप में वर्ष 2014 से पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त है।
इस संस्था से जुड़ा “कृषि एवं ग्राम विकास प्रभाग” वर्ष 1995 से देशभर में पर्यावरण के संरक्षण और गुणवत्ता सुधार के लिए अनेक प्रयास कर रहा है। प्रत्येक वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर यह संस्था विविध कार्यक्रमों का आयोजन करती है, जिनके माध्यम से समाज में पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाई जाती है।

इन आयोजनों में वृक्षारोपण, स्वच्छता अभियान, प्रदूषण नियंत्रण पर कार्यशालाएँ, सिंगल यूज़ प्लास्टिक के उपयोग में कमी, जल और ऊर्जा संरक्षण, शान्ति यात्राएँ, प्रदर्शनियाँ, प्रतियोगिताएँ, सेमिनार, पर्यावरण प्रदूषण को दूर करने के विषय पर संवाद तथा पर्यावरण कार्यकर्ताओं का सम्मान आदि।गतिविधियाँ सम्मिलित हैं। इन प्रयासों का उद्देश्य न केवल पर्यावरणीय समस्याओं की ओर ध्यान आकृष्ट करना है, बल्कि उनके स्थायी समाधान की दिशा में समाज को सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित करना भी है।
प्लास्टिक प्रदूषण से लड़ना अब विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता है।” इस वर्ष की थीम “Beat Plastic Pollution” हमें एकजुट होकर प्लास्टिक मुक्त भारत की दिशा में कार्य करने का आह्वान करती है। भारत हर वर्ष लगभग 1.50 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न करता है, जिसमें से केवल 10% ही पुनर्चक्रित हो पाता है। प्लास्टिक एक गैर-बायोडिग्रेडेबल पदार्थ है जो न केवल भूमि और जल को प्रदूषित करता है, बल्कि जलीय जीवों, पशुओं और मानव स्वास्थ्य पर भी घातक प्रभाव डालता है।
प्लास्टिक का उपयोग कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बन रहा है और यह मिट्टी की उर्वरा शक्ति, पेयजल की गुणवत्ता तथा पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचा रहा है। ऐसे में आवश्यक है कि हम अपनी दैनिक आदतों में बदलाव करें, जैसे कपड़े के थैले का प्रयोग, सिंगल यूज़ प्लास्टिक का बहिष्कार और पुन: प्रयोग योग्य वस्तुओं का उपयोग।
यह अभियान एक व्यापक जन-आंदोलन बन सकता है अगर हम सब मिलकर प्रयास करें। आइए हम एक प्रदूषण मुक्त जीवनशैली अपनाएं और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित, स्वच्छ और हरित पर्यावरण सुनिश्चित करें।
“हमारी पृथ्वी, हमारा भविष्य”
एक चेतावनी है कि पृथ्वी ही जीवन का एकमात्र आधार है, जहां जल, वायु, ऑक्सीजन जैसे जीवन-आवश्यक तत्व उपलब्ध हैं। लेकिन मनुष्य की अनैतिक गतिविधियों और प्रकृति के प्रति उपेक्षा ने पृथ्वी को संकट में डाल दिया है। वनों की अंधाधुंध कटाई, प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग और प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन पृथ्वी की संरचना को नष्ट कर रहा है।
इन कारणों से पृथ्वी पर जीवन कठिन होता जा रहा है और आने वाले समय में मानव अस्तित्व के लिए गंभीर खतरे उत्पन्न हो सकते हैं। अतः हमें अपने जीवनशैली में प्रकृति के अनुकूल बदलाव लाने की आवश्यकता है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम पर्यावरण की रक्षा करें और इस दिशा में वैश्विक स्तर पर जन-जागरूकता फैलाएं, ताकि हमारी पृथ्वी और भविष्य दोनों सुरक्षित रह सकें।
एक पेड़ मां के नामः
भारतीय संस्कृति में धरती को मां माना गया है, जब हम एक पेड़ लगाते है तो सिर्फ जड़े नही गाड़ते बल्कि हम संस्कृति, कर्तव्य और भविष्य को भी रोपते है। माता एवं प्रकृति निःस्वार्थ प्रेम को प्रतिमूर्ति है। माँ जीवन देती है और पेड़ जीवन को संजोते है। यह धरती मां के प्रेम, आदर, सम्मान, कर्तव्य और निष्ठा का अभियान है। मातृशक्ति और प्रकृति के संवर्धन के उद्धेश्य से जन्मधात्री मां के सम्मान में लगाया हर पेड़ एक आशीर्वाद है। यह पहल पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ मातृशक्ति को समर्पित एक अनूठा प्रयास है। इस अभियान में विशेष पौधारोपण किया जाए। यह पुनीत पहल, मातृत्व भावना को जगाने के लिए समर्पित है। यह पूरे देश को हरियाली भरे भविष्य की ओर बढ़ाने के लिए सशक्त बनायेगी। आप इस अभियान का हिस्सा बनें।
आइये, एक कदम बढ़ाइये और एक पेड़ माँ के नाम लगाइये।
प्रकृति को हरा भरा बनाना है, एक पेड़ मां के नाम लगाना है।
कार्यक्रम में बीके डॉ गुरचरण सिंह, बीके पवन, बीके सुरभि, बीके रोशनी, बीके जीतू सहित संस्थान से जुड़े लगभग 400 से भी अधिक श्रद्धालु उपस्थित थे।
कार्यक्रम में अंत मे दीदी जी सभी श्रद्धालुओं को पर्यावरण संरक्षण में योगदान देने का संकल्प भी कराया साथ ही साथ सिंगल यूज प्लास्टिक का वहिष्कार तथा कम से कम हर एक व्यक्ति को एक पेड लगाने का संकल्प भी दिलाया।
संकल्प जो लिए –
– पानी बचायेंगे, बिजली बचायेंगे।
– पेड़ लगायेंगे, पेड़ बचायेंगे।
– गौ सेवा करेंगे, पक्षियों की सेवा करेंगे।
– पेट्रोल बचायेंगे, गैस बचायेंगे।
– अक्षय ऊर्जा का अधिक उपयोग करेंगे।
– जैवविविधता को बचायेंगे।
– प्रदूषण रोकने में सहयोग करेंगे।
– प्लास्टिक का काम से कम उपयोग करेंगे।
– शाश्वत यौगिके खेती अपनाकर पर्यावरण की रक्षा करेंगे।
– स्वच्छ भारत बनाएंगे।
– भारतीय संस्कृति को बचाएंगे।
– हम अपनी आदतों में सुधार लाएंगे। आदि आदि।
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सीआरपीएफ संतुलित आहार
सीआरपीएफ समूह केंद्र में क्षेत्रीय परिवार कल्याण केन्द्र के सहयोग से सेमिनार का आयोजन
ग्वालियर। सीआरपीएफ समूह केंद्र में क्षेत्रीय परिवार कल्याण केन्द्र के सहयोग से एक सेमिनार व वक्तव्य का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम समूह केन्द्र के तानसेन क्लब में आयोजित हुआ। कार्यक्रम में मुख्य रूप से डाईटीशियन सौम्या चड्ढा, ब्रह्माकुमारीज संस्थान से प्रेरक वक्ता बी के प्रहलाद भाई उपस्थित थे।
इस अवसर पर क्षेत्रीय कावा अध्यक्षा श्रीमती सुनीता निगम, श्रीमती भावना गुप्ता, डिप्टी कमांडेंट दिलाबर सिंह, श्रीमती गीता, श्रीमती आशा सहित क्षेत्रीय कावा के अन्य सदस्य भी उपस्थित थे।
केन्द्र में निवासरत महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता व उनको लाभान्वित करने के लिए विशेषज्ञों द्वारा पोषण एवं अंधत्व नियंत्रण के विषय पर चर्चा की गयी
मुख्य आहार विशेषज्ञ सौम्या चड्ढा नें सभी को सम्बोधित करते हुए कहा कि सभी को यह ध्यान रखना चाहिए कि हमारा आहार इस तरह का हो जिसमें वह सभी पोषक तत्व आ जाए जो शरीर के लिए आवश्यक है। उन्होंने बताया कि
लें। थाली में अनाज, दाल/ प्रोटीन, सब्जी, फल, दूध, दही जैसी चीजें शामिल करें। समय पर भोजन करें, सीजनल फल और सब्जियां लें, दिनभर में 8 से 10 गिलास पानी पिएं, शारीरिक व्यायाम करें या कम से कम 30 मिनिट पैदल चलें, जरूरत से ज्यादा भोजन न करें।
ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के मेडिटेशन विशेषज्ञ बीके प्रहलाद भाई एवं बीके सुरभि नें सभी को मन को स्वस्थ्य रखने के लिए टिप्स दिए एवं राजयोग ध्यान को जीवन का हिस्सा बनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि राजयोग ध्यान करने से अनेक लाभ होते है। जैसे – यह तनाव कम करता है, मन को शांति और स्थिरता देता है, गुस्सा, चिंता और नकारात्मक सोच को घटाता है, एकाग्रता और स्मरण शक्ति बढ़ाता है, नींद की गुणवत्ता में सुधार लाता है। यह सब ठीक है तो शारीरिक स्वास्थ्य भी ठीक रहता है।
सेमिनार में ग्रुप केन्द्र के सैंकड़ों कार्मिकों एवं इस ग्रुप केन्द्र में निवासरत महिलाओं द्वारा बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया गया। सेमिनार के अंत में क्षेत्रीय कावा अध्यक्षा श्रीमती सुनीता निगम द्वारा डाईटीशियन सौम्या चड्ढा एवं बी के प्रहलाद भाई को स्मृति चिन्ह भेंट किए एवं विशेषज्ञों द्वारा इस विषय पर महत्वपूर्ण ज्ञानवर्धन करने हेतु धन्यवाद एवं आभार व्यक्त किया।
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खुशनुमा और स्वस्थ जीवन (एसएएफ 13 बटालियन)
प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्व विद्यालय के द्वारा 13वीं वाहिनी विशेष सशस्त्र बल (एसएएफ 13 बटालियन) में “तनाव प्रबंधन, खुशनुमा और स्वस्थ जीवन शैली” विषय पर एक प्रेरणादायक सत्र आयोजित किया गया। जिसका उद्देश्य लोगों को मानसिक शांति, सकारात्मक सोच और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना था।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में प्रेरक वक्ता एवं वरिष्ठ राजयोग ध्यान प्रशिक्षक बीके प्रहलाद भाई तथा ब्रह्माकुमारीज़ केंद्र की मुख्य संचालिका बीके आदर्श दीदी उपस्थित थीं।
इस अवसर पर एस ए एफ 13 बटालियन से प्रभारी सेनानी अनुराग पांडे, सहायक सेनानी, गुलबाग सिंह, डॉक्टर ओ पी वर्मा निरीक्षक मुनेन्द्र सिंह भदोरिया, निरीक्षक, धर्मेंद्र वर्मा, निरीक्षक मुकेश परिहार, निरीक्षक पुष्पेंद्र सिंह भदौरिया, निरीक्षक जादौन, निरीक्षक राय सिंह जयंत, समस्त पी टी एस स्टाफ एवं 350 से अधिक प्रशिक्षणार्थी सहित ब्रह्माकुमारीज से बीके सुरभि, बीके रोशनी, बीके पवन उपस्थित थे।
कार्यक्रम में बीके प्रहलाद भाई ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि आज के तेज रफ़्तार जीवन में तनाव हर किसी की दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है। जिसकी वजह से हमारे जीवन में काफी उतार चढाव आते है। इन सबसे छूटने के लिए तनाव का सही ढंग से प्रबंधन करना ही खुशनुमा और स्वस्थ जीवन जीने की कला है। यदि तनाव पर नियंत्रण न हो तो यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ को प्रभावित करता है। इसके लिए कुछ सरल उपाय अपनाकर हम संतुलित, आनंदमय और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। उन्होंने कहा कि – सकारात्मक सोच विकसित करें, हर परिस्थिति में अच्छा पक्ष देखने का प्रयास करें, नकारात्मक विचारों से दूर रहें, योग और ध्यान को जीवन का हिस्सा बनाये, रोजाना 15 से 20 मिनिट ध्यान करें जिससे मन स्थिर रहता है एवं मानसिक शांति भी मिलती है, प्राणायाम और योगासन से शरीर स्वस्थ्य रहता है, 6 से 8 घंटे की पर्याप्त नींद लें, संतुलित भोजन लें, नशे से दूरी बनाकर रखें, जंक फ़ूड से बचें, व्यवस्थित दिनचर्या बनायें, कोई न कोई रोज अच्छी पुस्तक पढ़ने की आदत डालें, कार्यक्रम स्थल पर किसी भी तरह का दवाव आता है तो घबरायें नहीं, परिवार के साथ समय विताएं, हर कार्य को एक खेल की तरह से लें।
बीके प्रहलाद भाई नें अनेकानेक रचनात्मक गतिविधि भी कराई जिससे सभी का मन हल्का हुआ और उमंग उत्साह भी बढ़ा। और दिन कि शुरुआत किस तरह से करें वह भी बताया।
कार्यक्रम में बीके आदर्श दीदी नें कहा कि तनाव को दूर करने के लिए योग, ध्यान, प्राणायाम, सकारात्मक चिंतन और समय प्रबंधन जैसे उपाय बेहद प्रभावी हैं। पर्याप्त नींद और रुचियों के लिए समय निकालना जीवन को सुखद और तनावमुक्त बना सकता है साथ ही कहा कि तनाव प्रबंध केवल एक तकनीक नहीं बल्कि एक जीवन जीने की कला है यदि हम स्वस्थ दिनचर्या और आत्म नियंत्रण को अपनाएं तो जीवन अधिक खुशनुमा और आनंदमय बन सकता है। दीदी नें सभी को राजयोग ध्यान की विधि बताई तथा सभी को उसके फायदे बताते हुए अभ्यास भी कराया।
इस अवसर पर उपस्थित प्रतिभागियों ने संकल्प लिया कि वे अपने जीवन में स्वस्थ दिनचर्या, योग ध्यान और सकारात्मक सोच को अपनायेंगे और परिवार एवं समाज के प्रेरणास्त्रोत बनेगें।
कार्यक्रम में मेडिकल ऑफिसर डॉ ओपी वर्मा ने बताया कि तनाव आता है तो लोग आसानी से नशे की तरफ भागते है जबकि वह समाधान नहीं है। समाधान के लिए हमें ब्रह्माकुमारीज़ जैसे आध्यात्मिक संस्थानों से जुड़कर ध्यान के माध्यम में हमें अपने को सकारात्मक बनाना चाहिए। इस अवसर पर अन्य पदाधिकारियों नें भी अपने विचार रखे।
कार्यक्रम में संस्थान के लोंगो का अभिनन्दन करते हुए पौधे भेंट किए गए।

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तनाव प्रबंध केवल एक तकनीक नहीं बल्कि एक जीवन जीने की कला है – बीके आदर्श दीदी(न्यूज़ कवरेज)
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