Indraganj Lashkar
नशे को ‘न’ कहें जिंदगी को हाँ
ग्वालियर: द्वतीय वाहिनी वि.स.बल ग्वालियर द्वारा नशा मुक्त सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय से ब्रह्माकुमारी आदर्श दीदी, बीके प्रहलाद भाई को इस पर व्याख्यान देने के लिए मुख्य रूप से आमंत्रित किया गया।
इस अवसर पर कमान्डेंट श्री राकेश कुमार सगर(आई.पी.एस), कार्यक्रम में यूनिट चिकित्सक डॉ. ओ पी वर्मा, डी.एस.पी. रजनीश भार्गव
कार्यक्रम के शुभारम्भ में कमान्डेंट श्री राकेश कुमार सगर(आई.पी.एस) ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि नशा मुक्ति की आवश्यकता आज क्यों हो रही है। क्योकि आज नशे का चलन बहुत बढ़ रहा है। कभी कभी क्या होता है कि हमारी सामान्य संरचना ऐसी होती है कि न चाहते हुए भी नशे की तरफ ले जाती है, हमारा वातावरण कैसा है, हमारी परिस्थिति कैसी है, हमारा संग कैसा है। इन सबके बीच ऐसे कारण बनते है जो व्यक्ति नशे की तरफ झुकता है| कारण भले कोई भी हो लेकिन किसी भी तरह का नशा हमारे लिए लाभकारी नहीं है। आज तरह के तरह नशे की चीजों से सम्बंधित विज्ञापन दिखाए जाते है कि ऐसा करने से ऐसा होता है जबकि वह भ्रामक होते है किसी भी तरह के नशे से किसी को कोई फायदा नहीं हो सकता। सभी अपना ध्यान रखे अपने परिवार का ध्यान रख्रे अपने जीवन का प्रबंधन ऐसा रखे जो तनाव हमारे जीवन में न हो। और नशीले पदार्थों के सेवन से भी अपने आप को बचाएं।
कार्यक्रम में यूनिट चिकित्सक डॉ. ओ पी वर्मा ने बताया कि हम क्षणिक आनंद के लिए नशे का सेवन करते है और अपने जीवन को ख़राब कर लेते है। उन्होंने वैज्ञानिक तरीके से डोपामाइन के बारे में बताया कि यह एक प्रकार का न्यूरोट्रांसमीटर है। आपका शरीर इसे बनाता है, आपका तंत्रिका तंत्र तंत्रिका कोशिकाओं के बीच सन्देश भेजने के लिए इसका उपयोग करता है। इसलिए इसे कभी कभी रासायनिक सन्देश वाहक भी कहा जाता है। हम कैसे आनंद महसूस करते है इसमें डोपामाइन एक भूमिका निभाता है | सभी अपना खानपान अच्छा रखे और सदा आनंद देने वाली सकारात्मक आदतों को अपने जीवन का हिस्सा बनाये।
कार्यक्रम में बीके प्रह्लाद ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि आज के समय में नशा एक ऐसी समस्या बन गई है जिसका प्रभाव व्यक्ति, परिवार और समाज के सभी स्तरों पर दिखाई पड़ता है। आज हर नागरिक को एकजुट होकर नशा के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाना चाहिए।
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के साथ पूरे भारत में नशा मुक्त भारत अभियान चला रहा है। जिसके अंतर्गत लाखों लोगो को जागरूक किया जा रहा है।
बीके प्रह्लाद ने आगे कहा कि जिस तरह से हमारा देश विकास कर रहा है लोगों के रहन-सहन का तरीका भी बदल गया है। अब लोगों के मन में यह धारणा हो गई है कि नशीले पदार्थ हाई सोसाइटी का फैशन है। बड़े और युवा उसी को अपने जीवन का हिस्सा मानने लगते हैं और नशीले पदार्थों का सेवन करना शुरू कर देते हैं।
व्यक्ति शुरू में तो इन नशीले पदार्थों के सेवन शौक से करता है लेकिन किसी भी तरह के नशीले पदार्थों का निरंतर उपयोग उस व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक बीमारियां की तरफ धकेल देता है। और अगर यही लतें विकराल रूप ले लें तो व्यक्ति का पारिवारिक और सामाजिक जीवन भी खराब हो जाता है। फिर चाहकर भी व्यक्ति इन लतों से छुटकारा नहीं पा सकता है। लोग ऐसा मान लेते है। कि कोई भी तनाव आये तो नशा से कम कर सकते है। जबकि ऐसा नहीं है। आज कितना पैसा लोग नशे में बर्बाद कर देते है नशा कभी भी किसी का समस्या का समाधान नहीं हो सकता। आज यदि हमने नशे को अपने से दूर नहीं किया तो यह नशा हमारे जीवन को वार्बाद कर देगा। चाहे वह शराव का नशा हो, सिगरेट, बीडी, गुटखा या अन्य कोई भी, सभी नशा हमारे स्वास्थ्य के लिए और समाज के लिए हानिकारक है। यदि हम आज नशा करते है तो एक दिन नशा हम पर हाबी हो जाता है। समय रहते हम सबको अपने आपको नशे से दूर रखना है और अपने समाज को अच्छा बनाना है। यह हम सबकी नैतिक जिम्मेबारी है। आज हम देखते है कि भरता में प्रतिदिन हजारों लोग नशे की बजह से दम तोड़ देते है।
उन्होंने आगे कहा कि नशे को कम करने के लिए अपने अन्दर अच्छी आदतों को डाले जैसे व्यायाम करे, योगाभ्यास करे, ध्यान करे, संगीत सुने आदि आदि| जब हमारा ध्यान अच्छी आदतों की तरफ होता है तो बुरी आदतें स्वतः ही समाप्त हो जाती है।
कार्यक्रम में बीके आदर्श दीदी ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि नशा मुक्त भारत बनाने के लिए सभी के सहयोग और संगठन से एक समर्पित प्रयास की आवश्यकता है। हमें नशे के प्रति खुद भी जागुरुक रहना चाहिए और अपने घरों में बच्चों को नशे के प्रति जागरूक करना चाहिए तथा उन्हें इससे होने वाले नुकसान के बारे में भी अवगत कराना चाहिए। ताकि स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकें। इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता कि नशीले पदार्थों का सेवन आज की सोसाइटी में बड़प्पन का सूचक बन गया है, लेकिन हमें इस बात को समझना होगा कि यह लत कभी भी हमारा भला नहीं कर सकती है। नशा नाश की जड़ है। समाज में सभी को नशा मुक्ति के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण रखना होगा। तभी यह समाज नशा मुक्त बन पाएगा।
दीदी ने कहा कि राजयोग ध्यान की युक्ति नशे से मुक्ति अर्थात सभी को राजयोग ध्यान से होने वाले फायदे बताये साथ ही उसकी विधि बताते हुए सभी को राजयोग ध्यान का अभ्यास भी कराया। जो नशा छोड़ने में हमारी मदद करेगा।
कार्यक्रम में सभी का आभार डी.एस.पी. रजनीश भार्गव ने किया तथा कार्यक्रम का संचालन
सुरेश यादव (एडज्यूटेंट) ने किया। इस अवसर पर डी.एस.पी. अजीत कुमार शाक्य, निरीक्षक नरेन्द्र सिंह कुशवाह, कोर्डिनेटर जी.आर. त्यागी सहित दो सैकड़ा से अधिक पुलिस के सीनियर जवान उपस्थित थे। साथ ही ब्रह्माकुमारीज से बीके रोशनी एवं बीके पवन भी उपस्थित रहे।




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मालनपुर ग्वालियर – ब्रह्माकुमारीज़ के युवा प्रभाग द्वारा आयोजित डिवाइन यूथ फोरम तीन दिवसीय रिट्रीट सम्पन

ब्रह्माकुमारीज़ के युवा प्रभाग द्वारा आयोजित डिवाइन यूथ फोरम तीन दिवसीय रिट्रीट सम्पन
तीन दिवसीय रिट्रीट में प्रदेश भर से आई युवा बहनों ने सीखे व्यक्तितव विकास गुर
दुआएं लेना और दुआएं देना अर्थात जीवन को सुंदर बनाना – अनुसूईया दीदी
ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान में आना अर्थात आनंद की अनुभूति करना -आशीष प्रताप सिंह
बिना कहे जब हम काम करते हैं तो दुआएं मिलती हैं – रेखा दीदी
ग्वालियर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्व विद्यालय की भगिनी संस्था राजयोग एज्युकेशन एण्ड रिसर्च फाउंडेशन के युवा प्रभाग द्वारा नई उमंग नई तरंग के अंतर्गत गोल्डन वर्ल्ड रिट्रीट सेंटर में तीन दिवसीय आवासीय रिट्रीट डिवाइन यूथ फोरम का आयोजन किया गया था। जिसमे पूरे प्रदेश से युवा बहनों ने हिस्सा लिया। इस रिट्रीट का उद्देश्य व्यक्तित्व विकास का प्रशिक्षण देना था।
आज कार्यक्रम के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में भाजपा के प्रदेश कार्य समिति सदस्य आशीष प्रताप सिंह राठौड़, दिल्ली से पधारी बीके अनुसूईया दीदी, बीके वर्णिका दीदी, सीधी से रेखा दीदी, ग्वालियर गोल्डन वर्ल्ड रिट्रीट सेंटर प्रमुख बीके ज्योति बहन, युवा प्रभाग के राष्ट्रीय सदस्य बीके प्रहलाद भाई, बीके जानकी आदि उपस्थित थीं।
कार्यक्रम के शुभारंभ ने दिल्ली से आई बीके अनुसूईया दीदी ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि दुवाओं के वारे में सभी को बताया और कहा कि दुआएं यह कोई खरीदी-बेची जाने वाली वस्तु नहीं, बल्कि हमारे कर्मों की खामोश कमाई होती हैं। जब हम निस्वार्थ भाव से, श्रद्धा और सेवा-भाव से कार्य करते हैं, तो दुआएं स्वतः ही हमारे खाते में जमा होती जाती हैं।
दुआएं कमाने का मार्ग कर्म से होकर जाता है। जब हम अपने कर्मों से अपने बड़ों, गुरुजनों और समाज को निश्चिंत करते हैं। जब हम बिना कहे उनके सुख-दुख में साथ खड़े होते हैं, तो वह आशीर्वाद नहीं, बल्कि दिल से दुआएं भी देते हैं। यह दुआएं हमारी रक्षा करती हैं, मार्ग प्रशस्त करती हैं, और जीवन को सार्थक बनाती हैं।
दीदी ने आगे कहा कि हम जिनको लोगो के साथ रहते है या जहां कार्य करते है। या फिर कोई सेवा का कार्य करते है। वह हमें अपना समझ करके और बिना कहे करना चाहिए यह सबसे ऊँचा कर्म है। जो काम किसी ने कहा नहीं, पर हमने देख लिया और कर दिया। वही असली सेवा है। सेवा में दिखावा नहीं, समर्पण होना चाहिए। जब हम अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर दूसरों के लिए कार्य करते हैं, तो हमें दुआओं की पूंजी मिलती है। हमें ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि “यह मेरा काम नहीं है।” कर्म का धर्म यही कहता है कि जहां ज़रूरत हो, वहां सहयोग दिया जाए। यही सहयोग एक दिन हमारी ज़रूरत के समय कई गुना होकर लौटता है।
यूथ विंग की भोपाल ज़ोन की संयोजिका बीके रेखा बहन ने कहा कि जितनी ज़रूरत हो, उतना ही लेना सीखें। आज की दुनिया में लालच हर किसी को खींचता है, पर संतोष और संयम ही वह गुण है जो दूसरों के हिस्से की चीज़ें भी उन्हें लौटाकर हमें दुआएं दिलवाता है। सीमित संसाधनों में संतुलन बनाना, यही सच्चे संस्कारों का परिचायक है।
कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य आशीष प्रताप सिंह राठौड़ ने बतौर मुख्य अतिथि विचार व्यक्त करते हुए कहा कि समष्टि के प्रति एकात्मता, सर्वभूत हितेरेता:
एवं सर्वे भवंतु सुखिनः जैसे उच्च स्तरीय मूल्यों के उपासक होने पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के भाइयों बहनों ने हम सब को गौरवान्वित किया हैं। हमारे जो गुरुजन होते हैं उनकी शिक्षा से ही हमारा विकास होता हैं
जिस प्रकार हमारा देश आगे बढ़ रहा हैं। और आज हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बड़ी हैं।
मैं पिछले कुछ वर्षो से ब्रह्माकुमारीज़ संस्था से जुड़ा हुआ हूँ। और मुझे यहां आकर के आनंद की अनुभूति होती हैं।
आज की पीढ़ी अपने नेचर को भूलती जा रही हैं
यह संस्था सभी लोगों को नेचर और सांस्कृतिक से जोड़ती हैं।
कार्यक्रम में दिल्ली से आई बीके वर्णिका बहन ने कहा कि “सर्वे भवन्तु सुखिनः” की भावना ही दुआओं की कुंजी है। जब हम केवल अपने लिए नहीं, बल्कि सभी के भले की कामना करते हैं, उनके लिए कुछ करते हैं, तो संपूर्ण सृष्टि से हमें सकारात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।
बचपन से ही हमें ऐसे मूल्य और सोच अपनाने चाहिए कि जहाँ भी हम जाएँ, वहाँ शांति, सहयोग, और करुणा का संचार हो। यही हमारे जीवन की सबसे बड़ी कमाई है। दुआएं सिर्फ शब्दों से नहीं, व्यवहार से दी जाती हैं। प्रेरणा देकर, मार्गदर्शन देकर।
गोल्डन वर्ल्ड रिट्रीट सेंटर की प्रभारी बीके ज्योति दीदी ने भी अपनी शुभकामनाएं दीं और कहा कि जिस दिन हमारे अंदर संतोष धन आ जाता हैं फिर बाहर का कोई भी आकर्षण महसूस नहीं होता हैं।
अपने लिए जिए तो क्या जिए, जीवन में दूसरों का भला ही असली जीवन है।
कार्यक्रम का कुशल संचालन बीके प्रहलाद भाई ने किया तथा सभी का आभार बीना से पधारी बीके जानकी दीदी ने किया।
इस अवसर पर नीलम बहन, रेखा बहन, खुशबू बहन, महेश भाई, आशीष भाई, मीरा बहन, अर्चना बहन, सपना बहन सहित अनेकानेक बहने उपस्थित थीं
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न्यूज़ कवरेज – जीवन की असली पूँजी दौलत या प्रतिष्ठा नहीं, बल्कि खुशी, संतुष्टि और शांति है
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मालनपुर ग्वालियर – जीवन की असली पूँजी दौलत या प्रतिष्ठा नहीं, बल्कि खुशी, संतुष्टि और शांति है

जीवन की असली पूँजी दौलत या प्रतिष्ठा नहीं, बल्कि खुशी, संतुष्टि और शांति है – बीके वर्णिका बहन
यदि सच्ची कमाई करनी है तो हमें अपनी वाणी को मधुर और प्रेमपूर्ण बनाना होगा – बी के अनुसुईया दीदी
ग्वालियर: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के माधवगंज स्थित प्रभु उपहार भवन में दिल्ली से आई बीके अनुसुईया दीदी एवं वर्णिका बहन का स्वागत अभिनन्दन किया गया।
इस अवसर पर ब्रह्माकुमारीज़ लश्कर केंद्र प्रमुख बीके आदर्श दीदी ने शब्दों से एवं पुष्पगुच्छों से पधारे हुए अतिथियों का स्वागत अभिनन्दन किया। और कहा कि मानव जीवन बहुत ही अनमोल हैं इसकी हमें हमेशा वैल्यू करनी चाहिए। और हमेशा श्रेष्ठ कर्म ही करना चाहिए। आज हमारे बीच अनुसुईया दीदी पहुंची है जो कि पिछले 60 वर्षों एवं वर्णिका बहन पिछले 11 वर्षों से ब्रह्माकुमारीज संस्थान में प्रेरक वक्ता एवं राजयोग ध्यान प्रशिक्षका के रूप में समर्पित होकर अपनी सेवाएँ दें रही है। और आपके माध्यम से हजारों, लाखों लोगो को श्रेष्ठ जीवन जीने की प्रेरणा मिल रही है। यह बहुत ही खुशी कोई बात है कि आप आगमन ग्वालियर हुआ है। निश्चित ही यहाँ के लोगो को आपके प्रेरक उद्बोधन का लाभ मिलेगा।
कार्यक्रम में बी.के. वर्णिका बहन ने कहा कि हर व्यक्ति का जीवन अलग होता है, उसके अनुभव, उसके संस्कार, उसकी सोच और उसकी चाहतें भी भिन्न होती हैं। कोई सफलता को सबसे बड़ा लक्ष्य मानता है, तो कोई संतोष को ही जीवन का सार समझता है। लेकिन जब हम गहराई से सोचते हैं, तो समझ आता है कि जीवन की असली पूँजी दौलत या प्रतिष्ठा नहीं, बल्कि खुशी, संतुष्टि और शांति है। ये खजाने बाजारों में नहीं मिलते, ये न किसी चीज़ से खरीदे जा सकते हैं और न ही किसी को देकर लिए जा सकते हैं। ये खजाने परमात्मा के पास हैं, और उनका अनुभव तभी होता है जब इंसान स्वयं से जुड़ता है, अपने भीतर झाँकता है। जिंदगी शुरू होती है एक छोटे से मासूम सपने से – पढ़ाई पूरी हो जाए, अच्छे नंबर आ जाएँ। फिर उस सपने में एक और सपना जुड़ जाता है – नौकरी लग जाए, भविष्य सुरक्षित हो जाए। नौकरी मिलती है तो एक और चाह जागती है – अच्छा घर हो, गाड़ी हो, जीवनसाथी हो। फिर एक परिवार बसता है, बच्चे होते हैं, उनके सपनों को पूरा करने की दौड़ शुरू होती है। एक के पीछे एक लक्ष्य आता जाता है, और इंसान उन्हें पूरा करने की कोशिश में पूरी जिंदगी गुजार देता है। लेकिन इन सबके बीच वह भूल जाता है कि वह भाग किसके लिए रहा है, किस मंज़िल की तलाश में है। हर सफलता के बाद एक नई कमी महसूस होती है। हर उपलब्धि के साथ एक नया खालीपन जन्म लेता है। और जब उम्र ढलने लगती है, तब जाकर कहीं दिल से एक धीमी आवाज़ उठती है – अब कुछ नहीं चाहिए, बस थोड़ा सा सुकून चाहिए, थोड़ा सा प्यार चाहिए, थोड़ी सी शांति मिल जाए। यही वह क्षण होता है जब इंसान को समझ आता है कि असली खजाना बाहर नहीं, भीतर है। जो बात शुरुआत में समझ में नहीं आती, वह अंत में साफ हो जाती है – कि जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता है आत्मिक संतुलन। जब हम खुद से कट जाते हैं, तो सारी दुनिया मिलने पर भी अधूरे रहते हैं। लेकिन जब हम खुद से जुड़ जाते हैं, जब हम परमात्मा के प्रति समर्पण भाव रखकर जीवन को जीते हैं, तब वह खजाना स्वयं हमारे भीतर प्रकट होता है। शांति कोई चीज़ नहीं, यह एक अनुभव है। प्रेम कोई लेन-देन नहीं, यह एक भावना है। संतुष्टि कोई लक्ष्य नहीं, यह जीवन का भाव है। और जब तक हम इन अनुभवों को नहीं जीते, तब तक चाहे हम कुछ भी पा लें, वह अधूरा ही रहता है। इसलिए ज़रूरी है कि हम अपने जीवन की रफ्तार को थोड़ा धीमा करें, अपने भीतर झाँकें, उस मौन को सुनें जो हर पल हमें आवाज़ दे रहा है। तभी हमें जीवन का असली खजाना मिलेगा – वह खजाना जो नष्ट नहीं होता, जो सदा हमारे साथ रहता है – परमात्मा की कृपा में बसी हुई शांति, प्रेम और संतोष।
कार्यक्रम में अनुसुईया दीदी ने अपना उद्बोधन देते हुए कहा कि मनुष्य केवल शरीर नहीं है, बल्कि एक चेतन्य शक्ति आत्मा है। यह आत्मा ही शरीर के माध्यम से सभी कर्म करती है। हमारे हर अच्छे या बुरे कर्म का मूल स्रोत हमारी आत्मा ही होती है। शरीर तो एक माध्यम है। जब आत्मा शुद्ध होती है, तो उसके विचार, वाणी और कर्म भी शुद्ध होते हैं। यदि सच्ची कमाई करनी है तो हमें अपनी वाणी को मधुर और प्रेमपूर्ण बनाना होगा। जब हम प्रेम से, शांति से और आदरपूर्वक बोलते हैं तो हमारे शब्द केवल शब्द नहीं रहते, वे दुआएँ बन जाते हैं। इन दुआओं का कोई मूल्य नहीं लगा सकता, क्योंकि ये आत्मा को ऊँचा उठाती हैं, कर्मों को हल्का बनाती हैं और जीवन में सच्ची सुख-शांति का आधार बनती हैं।
जब हम किसी के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं, मीठे बोल बोलते हैं, सहायता करते हैं, शुभ सोचते हैं और सद्विचारों को सुनते हैं, तो यह सब आत्मा के भीतर जमा होता जाता है। यह जमा पूँजी ऐसी है जिसे कोई देखे या न देखे, कोई जाने या न जाने, पर आत्मा जानती है कि कुछ अच्छा संचित हुआ है। कभी-कभी हम दिन भर अच्छा व्यवहार करते हैं, सभी से प्रेम से बोलते हैं, और फिर भी कोई हमारी सराहना नहीं करता। पड़ोसियों को पता नहीं चलता, परिवार के लोग नज़रअंदाज़ कर देते हैं, और हम भीतर ही भीतर दुःखी हो जाते हैं। हमें लगता है कि हमारी अच्छाई का कोई मूल्य ही नहीं रहा, कोई उसे समझ नहीं रहा। पर यहाँ हमें यह समझना चाहिए कि हर व्यक्ति की किस्मत उसके कर्मों से बनती है। मेरे कर्म मेरी किस्मत बनाते हैं और किसी और के कर्म उसकी किस्मत तय करते हैं। अगर कोई मेरी अच्छाई को नहीं मानता, मेरी बात को नहीं समझता, मेरी सेवा का आदर नहीं करता, तो मुझे दुःखी नहीं होना चाहिए। अगर मैं अच्छा करते हुए भी दुःखी हूँ, तो यह मेरी समझ की कमी है। क्योंकि बुरा कर्म करने वाला तो दुःखी रहता ही है, लेकिन जो अच्छा कर्म करके भी दुःखी हो जाए, वह तो और भी बड़ी भूल कर रहा है। परमात्मा सब देखते है। हम उनके बच्चे हैं। जब हम अच्छे कर्म करते हैं, प्रेम से बोलते हैं, शांति से जीते हैं, सेवा में रहते हैं, तो परमात्मा की कृपा हमारे साथ होती है। इसलिए किसी के न मानने या सराहने न करने से हमें हताश नहीं होना चाहिए। हमारा हर अच्छा कर्म, चाहे वह छोटा हो या बड़ा, कहीं न कहीं आत्मा में दर्ज हो रहा है। यही हमारे जीवन की असली पूँजी है।
अतः हमें सदा यही याद रखना चाहिए कि कोई देखे या न देखे, कोई माने या न माने, लेकिन यदि हम सही मार्ग पर चल रहे हैं, प्रेम और सेवा के भाव में जी रहे हैं, तो हमें कभी दुःखी नहीं होना चाहिए। क्योंकि अंततः आत्मा को शांति उसके अपने कर्मों से ही मिलती है, और परमात्मा की दृष्टि से कोई भी अच्छा कर्म कभी व्यर्थ नहीं जाता।
कार्यक्रम का कुशल संचालन बीके ज्योति बहन (मोहना) ने किया तथा आभार बीके प्रहलाद भाई ने किया।
इस अवसर पर बीके जीतू, बीके पवन, बीके सुरभि, बीके रोशनी, सुरेन्द्र, विजेंद्र, पंकज, पीयूस, रवि, गजेन्द्र अरोरा, डॉ स्वेता माहेश्वरी सहित अनेकानेक लोग उपस्थित थे।
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