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विद्यार्थी जीवन की शिक्षा ही जीवन की दिशा और दशा तय करता है – ब्रह्मा कुमारी आदर्श दीदी तीन दिवसीय पर्सनालिटी डेवलपमेंट समर कैंप संगम भवन पुराना हाईकोर्ट केंद्र पर संपन्न हुआ

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विद्यार्थी जीवन की शिक्षा ही जीवन की दिशा और दशा तय करता है – ब्रह्मा कुमारी आदर्श दीदी

तीन दिवसीय पर्सनालिटी डेवलपमेंट समर कैंप संगम भवन पुराना हाईकोर्ट केंद्र पर संपन्न हुआ

 

ग्वालियर : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की सहयोगी संस्था राजयोग एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन के शिक्षा प्रभाग और युवा प्रभाग के द्वारा तीन दिवसीय पर्सनालिटी डेवलपमेंट समर कैंप संगम भवन पुराना हाईकोर्ट केंद्र पर संपन्न हुआ |

यह कैंप दो भागों में अलग अलग उम्र के बच्चों के लिए रखा गया | प्रातः सुबह 9 बजे से 11 बजे तक 5 वर्ष से 11 वर्ष की उम्र के बच्चों के लिए जबकि शाम 5 बजे से 7 बजे तक 12  वर्ष से 18 वर्ष के तक के बच्चो के लिए आयोजित किया गया |

प्रथम दिवस – कार्यक्रम में मुख्य रूप से ब्रह्माकुमारीज लशकर की प्रभारी ब्रह्माकुमारी आदर्श दीदी, ब्रह्माकुमार प्रह्लाद भाई, राजेंद्र सिंह (रिटा.रेलवे), दिव्या पंजवानी, दीपा अगीचा, नारायण चौरसिया, माधवी गुप्ता, ऋतु बंसल, ममता माहौर उपस्थित थीं | इसके साथ ही कैम्प में 60 से भी अधिक स्कूली बच्चों ने भाग लिया |

कैम्प का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुया | तत्पश्चात राजयोगिनी बी.के. आदर्श दीदी ने बताया कि आज बच्चों को स्कूली पढ़ाई के साथ साथ नैतिकता एवं आध्यात्मिकता की पढ़ाई की भी आवश्यकता है। इसी बात को ध्यान में रख कर यह 3 दिवसीय शिविर का आयोजन हर वर्ष की तरह किया जा रहा है। इस शिविर में मानसिक बौद्धिक औऱ आध्यात्मिक गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। मानसिक स्थिति श्रेष्ठ औऱ विचार शुद्ध बने शरीर स्वस्थ और शक्तिशाली बने इसी को ध्यान में रख कर योग ध्यान, ज्ञान वर्धक कहानियां, एकग्रता, रचनात्मकता बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं को शामिल किया गया है। साथ ही रोचक ज्ञानवर्धक मनोरंजन के खेलों को शामिल किया गया है।

बी. के. प्रह्लाद भाई ने कहा कि यह शिविर बहुत ही उद्देश्यपूर्ण और आवश्यकता के अनुरूप है माता पिता अपने बच्चों को अवश्य भेजे यह आज के समय की जरूरत है। शहर में यूं तो ग्रीष्मावकाश में बहुत से शिविर आयोजित किये जा रहे है परंतु यह अपने आप में एक अनूठा है जहां बच्चे बोलचाल व्यवहार और शालीनता सीख रहे है |

कार्यक्रम में सभी बच्चो को राजयोग ध्यान के बारे में बताया और उसका अभ्यास भी बच्चो को कराया जिससे बच्चो की एकाग्रता बढ़ेगी|  शिविर में बी.के. दीपा, बी.के. दिव्या ने बच्चों को इनडोर एक्टिविटी कराई | साथ ही राजेंद्र सिंह, ऋतू बंसल, माधवी गुप्ता और ममता माहौर ने भी बहुत ही अच्छी जीवन उपयोगी बातें बच्चों को बताई।

 

द्वितीय दिवस पर बच्चों ने सीखे अध्यात्म के गुण

द्वितीय दिवस पर ब्रह्माकुमारीज केंद्र प्रभारी बी.के. आदर्श दीदी ने बच्चो को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान समय में बच्चों में किसी भी प्रकार के तनाव से बचाव हेतु व् अध्ययन में एकाग्रता के विकास के लिए राजयोग मैडिटेशन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है | आज के समय में जब छोटी छोटी बातो में बच्चे नाराज हो जाते टेंशन में आ जाते है तो यह  आध्यात्मिक ज्ञान जीवन में आने वाली परिस्थितियों से उबरने में मदद करता है | ब्रह्माकुमारीज संस्थान के द्वारा बच्चों की उन्नति को ध्यान में रखते हुए पूरे देश में अलग अलग स्थानों पर  कैंप आयोजित किये जा रहे है |

बी. के. प्रहलाद ने बच्चों को स्वयं का सत्य परिचय देते हुए मन बुद्धि संस्कार और मस्तिष्क की कार्य प्रणाली के बारे में बताया कि हमारा मन सोचता है, बुद्धि उस पर निर्णय करती है मन और बुद्धि के द्वारा हम जो कर्म करते है वह हमारी आदत बन जाती है इसलिए हमें सदैव सकारात्मक ही सोचना चाहिए | इसके साथ ही ध्यान करने से होने वाले फायदे बताते हुए अपनी दिनचर्या में ध्यान को शामिल करने पर जोर दिया|

कार्यक्रम में पधारी डेंटिस्ट डॉ. रुचि शर्मा ने बच्चो को दांतों की सफाई कैसे रखनी चाहिए यह बताया साथ ही चॉकलेट मिठाई कम से कम खाने का संदेश दिया|

कार्यक्रम में बी. के. इतिशा के द्वारा आपसी सहयोग प्रेम से रहते हुए क्रोध पर नियंत्रण का महत्व समझाया |

कार्यक्रम में पेंटिंग प्रतियोगिता, डांस प्रतियोगिता और कई मनोरंजनात्मक एक्टिविटी बी.के. दिव्या और बी.के. दीपा ने कराई ।

कार्यक्रम में अनेकानेक वीडिओ के माध्यम से सन्देश दिया कि मोबाइल का प्रयोग पढ़ाई में किस तरह से बाधक है, तो हमें इसका प्रयोग कम से कम करना चाहिए | वीडिओ से प्रेरणा लेकर सभी बच्चो ने संकल्प लिया आवश्यकता अनुसार ही मोबाइल का प्रयोग करेंगे |

कार्यक्रम में आयोजित प्रतियोगिताओं में प्रथम द्वितीय एवं तृतीय स्थान पर आने वाले बच्चों को पुरस्कृत किया गया।

 

तृतीय दिवस – छात्रों को साधना, नैतिक मूल्यों का ज्ञान और खुश रहने के तौर तरीके सीखने के साथ हुआ व्यक्तित्व विकास कैंप का समापन

कार्यक्रम में मुख्य रूप से ब्रह्माकुमारीज केंद्र प्रभारी बी.के. आदर्श दीदी, मुख्य रूप से डॉ. एस.पी. बत्रा (प्रांतीय अध्यक्ष आरोग्य भारती), डॉ. निर्मला कंचन, पवन जेठवानी, राजेन्द्र सिंह, बी.के. प्रह्लाद, प्राची गाबरा सहित अन्य लोग उपस्थित थे |

कार्यक्रम में बी.के. आदर्श दीदी ने बताया कि बच्चे नन्हे पौधे के समान होते है जिनमे सिंचाई का कार्य उनके माता पिता द्वारा किया जाता है इसलिए बच्चों को शिक्षा के साथ साथ अध्यात्म की ओर अग्रसर करना चाहिए जिससे बच्चों का सभी प्रकार का विकास हो सके | आगे दीदी ने कहा कि यही वह समय है जो हमारे जीवन की दिशा और दशा तय करता है | आज नम्रता, धर्यता, मधुरता, सरलता, समरसता, गुणग्राहकता सत्यता आदि गुण कम देखने में मिलते है | विद्यार्थी जीवन में यदि हमें इन दिव्य गुणों की शिक्षा मिले तो निश्चित तौर पर पूरा जीवन सुन्दर व्यतीत होगा| संस्थान के द्वारा यह जो कैंप लगाया गया इसका उद्देश्य ही बच्चो के जीवन में नैतिक शिक्षा व्यावहारिक शिक्षा के साथ साथ आध्यात्मिकता का समावेश भी उनके जीवन में हो |

डॉ. एस. पी. बत्रा ने कहा कि बच्चों को स्कूली पढ़ाई के साथ साथ नैतिकता के गुण अवश्य सीखने चाहिए| ब्रह्माकुमारीज संस्थान का प्रयास सराहनीय है और मुझे विश्वास है कि इस कैंप से बच्चे बहुत कुछ सीखकर जायेंगे| इस तरह के कैंप से बच्चो को मूल्यनिष्ठ जीवन बनाने की शिक्षा के साथ साथ महापुरुषों के बारे में भी गहराई से जानने का मौका मिलता है |

बी.के. प्रहलाद ने बच्चों को राजयोग ध्यान के बारे में विस्तार से बताया साथ ही नैतिक मूल्यों पर आधारित प्रतियोगिता भी कराई साथ ही बच्चों से परमात्मा के नाम पत्र भी लिखाया| इसके साथ ही बच्चों के माता पिता ने भी ध्यान को अपनी जीवन शैली में उतारने का संकल्प लिया बच्चों ने कहा वे सदैव अपने माता पिता का कहना मानेंगे बच्चो ने सत्यता ईमानदारी सरलता जैसे अनेक गुणों का महत्व सीखा| बच्चो का मनोबल बढ़ाते हुए कहा कि स्वयं को कभी कमजोर मत समझो किसी भी परिस्थिति अथवा परीक्षा में घबराने की बजाय मुस्कुराते हुए सामना करना चाहिए साथ ही बच्चों ने प्रण लिया कि वे सदीव व्यसनों से दूर रहेंगे|

टी.व्ही. और मोबाईल का उपयोग भी कम से कम करेंगे |

इस अवसर पर डॉ. निर्मला शर्मा, राजेन्द्र सिंह, एवं प्राची गाबरा ने भी अपनी शुभकामनाएँ रखी |

बच्चों में काफी उत्साह था बच्चों ने कई प्रेरणादायक कहानियां सुनी इनडोर गेम्स व विडियोज के माध्यम से प्रेरणादायक संदेश सुने| साथ ही बिभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेकर छात्रों ने व्यक्तित्व विकास की गहराई प्राप्त की|

यह समर कैंप अनुभवशील योग्य मार्गदर्शकों के साथ आयोजित किया गया था जो छात्रों के संपूर्ण विकास और सफलता के प्रति समर्पित थे।

कार्यक्रम के अंत में बी.के. प्रह्लाद ने सभी बच्चों को राजयोग ध्यान का अभ्यास कराया तत्पश्चात सभी अतिथियों के द्वारा बच्चो को प्रमाण पत्र देकर सभी को ईश्वरीय उपहार भी दिया किया |

कार्यक्रम में इस अवसर पर कार्यक्रम में माधवी, ममता, मिथलेश, रीता, ध्रुव, आदर्श रहे।
रीता, दीपा, दिव्या, नव्या, ध्रुव, गीता, उमा, महिमा, इतिशा, कंचन, नारायण, जयकिशन आदि भाई बहने उपस्थित थे |

 

 

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मालनपुर ग्वालियर – ब्रह्माकुमारीज़ के युवा प्रभाग द्वारा आयोजित डिवाइन यूथ फोरम तीन दिवसीय रिट्रीट सम्पन

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ब्रह्माकुमारीज़ के युवा प्रभाग द्वारा आयोजित डिवाइन यूथ फोरम तीन दिवसीय रिट्रीट सम्पन

तीन दिवसीय रिट्रीट में प्रदेश भर से आई युवा बहनों ने सीखे व्यक्तितव विकास गुर

दुआएं लेना और दुआएं देना अर्थात जीवन को सुंदर बनाना – अनुसूईया दीदी

ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान में आना अर्थात आनंद की अनुभूति करना -आशीष प्रताप सिंह

बिना कहे जब हम काम करते हैं तो दुआएं मिलती हैं – रेखा दीदी

ग्वालियर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्व विद्यालय की भगिनी संस्था राजयोग एज्युकेशन एण्ड रिसर्च फाउंडेशन के युवा प्रभाग द्वारा नई उमंग नई तरंग के अंतर्गत गोल्डन वर्ल्ड रिट्रीट सेंटर में तीन दिवसीय आवासीय रिट्रीट डिवाइन यूथ फोरम का आयोजन किया गया था। जिसमे पूरे प्रदेश से युवा बहनों ने हिस्सा लिया। इस रिट्रीट का उद्देश्य व्यक्तित्व विकास का प्रशिक्षण देना था।
आज कार्यक्रम के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में भाजपा के प्रदेश कार्य समिति सदस्य आशीष प्रताप सिंह राठौड़, दिल्ली से पधारी बीके अनुसूईया दीदी, बीके वर्णिका दीदी, सीधी से रेखा दीदी, ग्वालियर गोल्डन वर्ल्ड रिट्रीट सेंटर प्रमुख बीके ज्योति बहन, युवा प्रभाग के राष्ट्रीय सदस्य बीके प्रहलाद भाई, बीके जानकी आदि उपस्थित थीं।

कार्यक्रम के शुभारंभ ने दिल्ली से आई बीके अनुसूईया दीदी ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि दुवाओं के वारे में सभी को बताया और कहा कि दुआएं यह कोई खरीदी-बेची जाने वाली वस्तु नहीं, बल्कि हमारे कर्मों की खामोश कमाई होती हैं। जब हम निस्वार्थ भाव से, श्रद्धा और सेवा-भाव से कार्य करते हैं, तो दुआएं स्वतः ही हमारे खाते में जमा होती जाती हैं।
दुआएं कमाने का मार्ग कर्म से होकर जाता है। जब हम अपने कर्मों से अपने बड़ों, गुरुजनों और समाज को निश्चिंत करते हैं। जब हम बिना कहे उनके सुख-दुख में साथ खड़े होते हैं, तो वह आशीर्वाद नहीं, बल्कि दिल से दुआएं भी देते हैं। यह दुआएं हमारी रक्षा करती हैं, मार्ग प्रशस्त करती हैं, और जीवन को सार्थक बनाती हैं।
दीदी ने आगे कहा कि हम जिनको लोगो के साथ रहते है या जहां कार्य करते है। या फिर कोई सेवा का कार्य करते है। वह हमें अपना समझ करके और बिना कहे करना चाहिए यह सबसे ऊँचा कर्म है। जो काम किसी ने कहा नहीं, पर हमने देख लिया और कर दिया। वही असली सेवा है। सेवा में दिखावा नहीं, समर्पण होना चाहिए। जब हम अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर दूसरों के लिए कार्य करते हैं, तो हमें दुआओं की पूंजी मिलती है। हमें ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि “यह मेरा काम नहीं है।” कर्म का धर्म यही कहता है कि जहां ज़रूरत हो, वहां सहयोग दिया जाए। यही सहयोग एक दिन हमारी ज़रूरत के समय कई गुना होकर लौटता है।
यूथ विंग की भोपाल ज़ोन की संयोजिका बीके रेखा बहन ने कहा कि जितनी ज़रूरत हो, उतना ही लेना सीखें। आज की दुनिया में लालच हर किसी को खींचता है, पर संतोष और संयम ही वह गुण है जो दूसरों के हिस्से की चीज़ें भी उन्हें लौटाकर हमें दुआएं दिलवाता है। सीमित संसाधनों में संतुलन बनाना, यही सच्चे संस्कारों का परिचायक है।


कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य आशीष प्रताप सिंह राठौड़ ने बतौर मुख्य अतिथि विचार व्यक्त करते हुए कहा कि समष्टि के प्रति एकात्मता, सर्वभूत हितेरेता:
एवं सर्वे भवंतु सुखिनः जैसे उच्च स्तरीय मूल्यों के उपासक होने पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के भाइयों बहनों ने हम सब को गौरवान्वित किया हैं। हमारे जो गुरुजन होते हैं उनकी शिक्षा से ही हमारा विकास होता हैं
जिस प्रकार हमारा देश आगे बढ़ रहा हैं। और आज हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बड़ी हैं।
मैं पिछले कुछ वर्षो से ब्रह्माकुमारीज़ संस्था से जुड़ा हुआ हूँ। और मुझे यहां आकर के आनंद की अनुभूति होती हैं।
आज की पीढ़ी अपने नेचर को भूलती जा रही हैं
यह संस्था सभी लोगों को नेचर और सांस्कृतिक से जोड़ती हैं।
कार्यक्रम में दिल्ली से आई बीके वर्णिका बहन ने कहा कि “सर्वे भवन्तु सुखिनः” की भावना ही दुआओं की कुंजी है। जब हम केवल अपने लिए नहीं, बल्कि सभी के भले की कामना करते हैं, उनके लिए कुछ करते हैं, तो संपूर्ण सृष्टि से हमें सकारात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।
बचपन से ही हमें ऐसे मूल्य और सोच अपनाने चाहिए कि जहाँ भी हम जाएँ, वहाँ शांति, सहयोग, और करुणा का संचार हो। यही हमारे जीवन की सबसे बड़ी कमाई है। दुआएं सिर्फ शब्दों से नहीं, व्यवहार से दी जाती हैं। प्रेरणा देकर, मार्गदर्शन देकर।


गोल्डन वर्ल्ड रिट्रीट सेंटर की प्रभारी बीके ज्योति दीदी ने भी अपनी शुभकामनाएं दीं और कहा कि जिस दिन हमारे अंदर संतोष धन आ जाता हैं फिर बाहर का कोई भी आकर्षण महसूस नहीं होता हैं।
अपने लिए जिए तो क्या जिए, जीवन में दूसरों का भला ही असली जीवन है।
कार्यक्रम का कुशल संचालन बीके प्रहलाद भाई ने किया तथा सभी का आभार बीना से पधारी बीके जानकी दीदी ने किया।
इस अवसर पर नीलम बहन, रेखा बहन, खुशबू बहन, महेश भाई, आशीष भाई, मीरा बहन, अर्चना बहन, सपना बहन सहित अनेकानेक बहने उपस्थित थीं

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न्यूज़ कवरेज – जीवन की असली पूँजी दौलत या प्रतिष्ठा नहीं, बल्कि खुशी, संतुष्टि और शांति है

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मालनपुर ग्वालियर – जीवन की असली पूँजी दौलत या प्रतिष्ठा नहीं, बल्कि खुशी, संतुष्टि और शांति है

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जीवन की असली पूँजी दौलत या प्रतिष्ठा नहीं, बल्कि खुशी, संतुष्टि और शांति है – बीके वर्णिका बहन

यदि सच्ची कमाई करनी है तो हमें अपनी वाणी को मधुर और प्रेमपूर्ण बनाना होगा – बी के अनुसुईया दीदी

ग्वालियर: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के माधवगंज स्थित प्रभु उपहार भवन में दिल्ली से आई बीके अनुसुईया दीदी एवं वर्णिका बहन का स्वागत अभिनन्दन किया गया।


इस अवसर पर ब्रह्माकुमारीज़ लश्कर केंद्र प्रमुख बीके आदर्श दीदी ने शब्दों से एवं पुष्पगुच्छों से पधारे हुए अतिथियों का स्वागत अभिनन्दन किया। और कहा कि मानव जीवन बहुत ही अनमोल हैं इसकी हमें हमेशा वैल्यू करनी चाहिए। और हमेशा श्रेष्ठ कर्म ही करना चाहिए। आज हमारे बीच अनुसुईया दीदी पहुंची है जो कि पिछले 60 वर्षों एवं वर्णिका बहन पिछले 11 वर्षों से ब्रह्माकुमारीज संस्थान में प्रेरक वक्ता एवं राजयोग ध्यान प्रशिक्षका के रूप में समर्पित होकर अपनी सेवाएँ दें रही है। और आपके माध्यम से हजारों, लाखों लोगो को श्रेष्ठ जीवन जीने की प्रेरणा मिल रही है। यह बहुत ही खुशी कोई बात है कि आप आगमन ग्वालियर हुआ है। निश्चित ही यहाँ के लोगो को आपके प्रेरक उद्बोधन का लाभ मिलेगा।

कार्यक्रम में बी.के. वर्णिका बहन ने कहा कि हर व्यक्ति का जीवन अलग होता है, उसके अनुभव, उसके संस्कार, उसकी सोच और उसकी चाहतें भी भिन्न होती हैं। कोई सफलता को सबसे बड़ा लक्ष्य मानता है, तो कोई संतोष को ही जीवन का सार समझता है। लेकिन जब हम गहराई से सोचते हैं, तो समझ आता है कि जीवन की असली पूँजी दौलत या प्रतिष्ठा नहीं, बल्कि खुशी, संतुष्टि और शांति है। ये खजाने बाजारों में नहीं मिलते, ये न किसी चीज़ से खरीदे जा सकते हैं और न ही किसी को देकर लिए जा सकते हैं। ये खजाने परमात्मा के पास हैं, और उनका अनुभव तभी होता है जब इंसान स्वयं से जुड़ता है, अपने भीतर झाँकता है। जिंदगी शुरू होती है एक छोटे से मासूम सपने से – पढ़ाई पूरी हो जाए, अच्छे नंबर आ जाएँ। फिर उस सपने में एक और सपना जुड़ जाता है – नौकरी लग जाए, भविष्य सुरक्षित हो जाए। नौकरी मिलती है तो एक और चाह जागती है – अच्छा घर हो, गाड़ी हो, जीवनसाथी हो। फिर एक परिवार बसता है, बच्चे होते हैं, उनके सपनों को पूरा करने की दौड़ शुरू होती है। एक के पीछे एक लक्ष्य आता जाता है, और इंसान उन्हें पूरा करने की कोशिश में पूरी जिंदगी गुजार देता है। लेकिन इन सबके बीच वह भूल जाता है कि वह भाग किसके लिए रहा है, किस मंज़िल की तलाश में है। हर सफलता के बाद एक नई कमी महसूस होती है। हर उपलब्धि के साथ एक नया खालीपन जन्म लेता है। और जब उम्र ढलने लगती है, तब जाकर कहीं दिल से एक धीमी आवाज़ उठती है – अब कुछ नहीं चाहिए, बस थोड़ा सा सुकून चाहिए, थोड़ा सा प्यार चाहिए, थोड़ी सी शांति मिल जाए। यही वह क्षण होता है जब इंसान को समझ आता है कि असली खजाना बाहर नहीं, भीतर है। जो बात शुरुआत में समझ में नहीं आती, वह अंत में साफ हो जाती है – कि जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता है आत्मिक संतुलन। जब हम खुद से कट जाते हैं, तो सारी दुनिया मिलने पर भी अधूरे रहते हैं। लेकिन जब हम खुद से जुड़ जाते हैं, जब हम परमात्मा के प्रति समर्पण भाव रखकर जीवन को जीते हैं, तब वह खजाना स्वयं हमारे भीतर प्रकट होता है। शांति कोई चीज़ नहीं, यह एक अनुभव है। प्रेम कोई लेन-देन नहीं, यह एक भावना है। संतुष्टि कोई लक्ष्य नहीं, यह जीवन का भाव है। और जब तक हम इन अनुभवों को नहीं जीते, तब तक चाहे हम कुछ भी पा लें, वह अधूरा ही रहता है। इसलिए ज़रूरी है कि हम अपने जीवन की रफ्तार को थोड़ा धीमा करें, अपने भीतर झाँकें, उस मौन को सुनें जो हर पल हमें आवाज़ दे रहा है। तभी हमें जीवन का असली खजाना मिलेगा – वह खजाना जो नष्ट नहीं होता, जो सदा हमारे साथ रहता है – परमात्मा की कृपा में बसी हुई शांति, प्रेम और संतोष।

कार्यक्रम में अनुसुईया दीदी ने अपना उद्बोधन देते हुए कहा कि मनुष्य केवल शरीर नहीं है, बल्कि एक चेतन्य शक्ति आत्मा है। यह आत्मा ही शरीर के माध्यम से सभी कर्म करती है। हमारे हर अच्छे या बुरे कर्म का मूल स्रोत हमारी आत्मा ही होती है। शरीर तो एक माध्यम है। जब आत्मा शुद्ध होती है, तो उसके विचार, वाणी और कर्म भी शुद्ध होते हैं। यदि सच्ची कमाई करनी है तो हमें अपनी वाणी को मधुर और प्रेमपूर्ण बनाना होगा। जब हम प्रेम से, शांति से और आदरपूर्वक बोलते हैं तो हमारे शब्द केवल शब्द नहीं रहते, वे दुआएँ बन जाते हैं। इन दुआओं का कोई मूल्य नहीं लगा सकता, क्योंकि ये आत्मा को ऊँचा उठाती हैं, कर्मों को हल्का बनाती हैं और जीवन में सच्ची सुख-शांति का आधार बनती हैं।
जब हम किसी के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं, मीठे बोल बोलते हैं, सहायता करते हैं, शुभ सोचते हैं और सद्विचारों को सुनते हैं, तो यह सब आत्मा के भीतर जमा होता जाता है। यह जमा पूँजी ऐसी है जिसे कोई देखे या न देखे, कोई जाने या न जाने, पर आत्मा जानती है कि कुछ अच्छा संचित हुआ है। कभी-कभी हम दिन भर अच्छा व्यवहार करते हैं, सभी से प्रेम से बोलते हैं, और फिर भी कोई हमारी सराहना नहीं करता। पड़ोसियों को पता नहीं चलता, परिवार के लोग नज़रअंदाज़ कर देते हैं, और हम भीतर ही भीतर दुःखी हो जाते हैं। हमें लगता है कि हमारी अच्छाई का कोई मूल्य ही नहीं रहा, कोई उसे समझ नहीं रहा। पर यहाँ हमें यह समझना चाहिए कि हर व्यक्ति की किस्मत उसके कर्मों से बनती है। मेरे कर्म मेरी किस्मत बनाते हैं और किसी और के कर्म उसकी किस्मत तय करते हैं। अगर कोई मेरी अच्छाई को नहीं मानता, मेरी बात को नहीं समझता, मेरी सेवा का आदर नहीं करता, तो मुझे दुःखी नहीं होना चाहिए। अगर मैं अच्छा करते हुए भी दुःखी हूँ, तो यह मेरी समझ की कमी है। क्योंकि बुरा कर्म करने वाला तो दुःखी रहता ही है, लेकिन जो अच्छा कर्म करके भी दुःखी हो जाए, वह तो और भी बड़ी भूल कर रहा है। परमात्मा सब देखते है। हम उनके बच्चे हैं। जब हम अच्छे कर्म करते हैं, प्रेम से बोलते हैं, शांति से जीते हैं, सेवा में रहते हैं, तो परमात्मा की कृपा हमारे साथ होती है। इसलिए किसी के न मानने या सराहने न करने से हमें हताश नहीं होना चाहिए। हमारा हर अच्छा कर्म, चाहे वह छोटा हो या बड़ा, कहीं न कहीं आत्मा में दर्ज हो रहा है। यही हमारे जीवन की असली पूँजी है।


अतः हमें सदा यही याद रखना चाहिए कि कोई देखे या न देखे, कोई माने या न माने, लेकिन यदि हम सही मार्ग पर चल रहे हैं, प्रेम और सेवा के भाव में जी रहे हैं, तो हमें कभी दुःखी नहीं होना चाहिए। क्योंकि अंततः आत्मा को शांति उसके अपने कर्मों से ही मिलती है, और परमात्मा की दृष्टि से कोई भी अच्छा कर्म कभी व्यर्थ नहीं जाता।

कार्यक्रम का कुशल संचालन बीके ज्योति बहन (मोहना) ने किया तथा आभार बीके प्रहलाद भाई ने किया।

इस अवसर पर बीके जीतू, बीके पवन, बीके सुरभि, बीके रोशनी, सुरेन्द्र, विजेंद्र, पंकज, पीयूस, रवि, गजेन्द्र अरोरा, डॉ स्वेता माहेश्वरी सहित अनेकानेक लोग उपस्थित थे।

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