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Indraganj Lashkar

 विश्व साइकिल दिवस के उपलक्ष्य में कार्यक्रम आयोजित (03.06.2022)

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                                             विश्व साइकिल दिवस के उपलक्ष्य में कार्यक्रम आयोजित
ग्वालियर लश्कर :  विश्व साइकिल दिवस के उपलक्ष्य में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के खेल प्रभाग द्वारा संस्थान के स्थानीय सेवाकेंद्र “ब्रह्माकुमारीज़ लश्कर ग्वालियर में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया । साइकिल के अधिकतम प्रयोग करने तथा इसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव, प्रकृति पर पड़ने वाले प्रभाव, ग्लोबल वार्मिंग, व प्राकृतिक संसाधनों के श्रेष्ठतम प्रयोग के लिए जन मानस में जागरूकता लाना इस कार्क्रम का मुख्या उद्देश्य रहा ।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ब्रह्मकुमारीज़ संस्थान के स्थानीय सेवाकेंद्र से ब्रह्माकुमार डॉ. गुरचरण जी ने विश्व साइकिल दिवस के इतिहास, उद्देश्य और महत्व को दर्शाते हुए कहा-
विश्व साइकिल दिवस (World Bicycle Day) 3 जून को दैनिक जीवन में साइकिल के उपयोग को लोकप्रिय बनाने के लिए सामूहिक सवारी का आयोजन करके विश्व स्तर पर मनाया जाता है। हर साल 3 जून को दुनियाभर में विश्व साइकिल दिवस मनाया जाता है।
यूरोपीय देशों में साइकिल के इस्तेमाल का विचार 18वीं शताब्दी के दौरान लोगों को आया था लेकिन 1816 में पेरिस में पहली बार एक कारीगर ने साइकिल का आविष्कार किया, उस समय इसका नाम हॉबी हॉर्न यानी काठ का घोड़ा कहा जाता था। बाद में 1865 में पैर से पैडल घुमाने वाले पहिए का आविष्कार किया। इसे वेलासिपीड कहा जाता था। इसे चलाने से बहुत ज्यादा थकावट होने के कारण इसे हाड़तोड़ कहा जाने लगा। साल 1872 में इसे सुंदर रूप दिया गया। लोहे की पतली पट्टी के पहिए लगाए गए। इसे आधुनिक साइकिल कहा गया। आज साइकिल का यही रूप उपलब्ध है।
विश्व साइकिल दिवस मनाने के पीछे कई उद्देश्य और फायदे हैं। साइकिल हमारे पर्यावरण के लिए फायदेमंद हैं तो वहीं साइकिल चलाना सेहत के लिए भी लाभकारी है। ऐसे में साइकिल का हमारे जीवन में अहम स्थान है। यह पर्यावरण के लिए बहुत अच्छा साधन है। डीजल-पेट्रोल का दोहन कम होने के साथ ही शहर का प्रदूषण स्तर भी कम होता है। वहीं स्वस्थ रहने के लिए भी साइकिल का उपयोग किया जाता है। साइकिल चलाने से वजन कम करने से लेकर मांसपेशियों को मजबूती, अच्छा व्यायाम आदि हो जाता है। यह दिन साइकिल को परिवहन के एक किफायती, विश्वसनीय, स्वच्छ और पर्यावरण के अनुकूल टिकाऊ साधन के रूप में भी उजागर करता है क्योंकि वे किसी भी वायु-जनित प्रदूषक, धुएं, ग्रीनहाउस गैसों का उत्पादन नहीं करती हैं और यहां तक कि देशों के कार्बन फुटप्रिंट को भी कम करती हैं। इसी तरह के कई फायदों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए विश्व साइकिल दिवस मनाया जाता है।
उन्होंने बताया कि, दरअसल, तकनीक के विकास के साथ ही गाड़ियों का उपयोग बढ़ने लगा । लेकिन इससे लोगों की दिनचर्या पर गहरा असर पड़ा। लोगों ने समय की बचत और सुविधा के लिए साइकिल चलाना कम कर दिया। बाइक, कार आदि को परिवहन का साधन बना लिया। अत: साइकिल के उपयोग और जरूरत के बारे में बच्चों और अन्य लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से इस दिन की शुरुआत हुई। स्कूल, कॉलेज, शैक्षणिक संस्थानों, ऑफिस, सोसायटी आदि में साइकिल चलाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए इस दिन की शुरुआत हुई।
जब संयुक्त राष्ट्र महासभा ने साल 2018 में 3 जून को विश्व साइकिल दिवस मनाने की घोषणा की तो उनके इस निर्णय का कई देशों ने समर्थन किया। इस दिन की शुरुआत को लेकर लेसजेक सिबिल्स्की ने कैंपेन चलाया था, जिसके आधार पर दुनिया के तमाम देश विश्व साइकिल दिवस मनाते हैं।
इसके पश्चात् कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ब्रह्मकुमारीज़ संस्थान की स्थानीय सेवाकेंद्र की मुख्य संचालिका ब्रह्माकुमारी आदर्श दीदी ने कहा-
 कि आज के इस आधुनिक युग में हर बदलता हुआ समय एक नया परिवर्तन लेकर आ रहा है । जैसे आज से कुछ समय पहले जब यातायात के इतने साधन नहीं हुआ करते थे तब भी सीमित संसाधनों के साथ मानव जीवन सुचारू रूप से चला करता था । लोग काम भी करते थे स्वस्थ भी रहते थे। बल्कि स्वस्थ रहने के लिए मनुष्य जितना परिश्रम आज करते है इतना परिश्रम उन दिनों में काम करने से ही हो जाता था । व्यायाम व अन्य किसी परिश्रम की आवश्यकता नहीं होती थी। व्यक्ति अपने कारोबार, दफ्तर, नौकरी या अन्य किसी भी कार्य के लिए साइकल या पैदल या फिर सामूहिक यातायात के साधनों का प्रयोग करते थे ।  वहीँ अब हम देखते है कि व्यक्ति भिन्न भिन्न साधनों को उपयोग भी करते है तथा जिम में जाकर शारीरिक स्वस्थ के लिए साइकल जैसे उपकरणों से घंटों तक परिश्रम, व्यायाम करते हैं। अत: साकिलिंग के महत्व को वह भी समझते है। साथ ही आज हम अपने चारो और के परिवेश में प्रकृति के बदलते व्यवहार को भी अनुभव कर सकते है। आधुनिकीकरण के कारण बढता हुआ प्रदुषण चाहे वह यातायात के साधनों से हो अथ्वा मशीनीकरण से हो, इसके साथ ही प्राकृतिक संसाधनों का निरंतर तीव्र गति से होने वाला प्रयोग निश्चित ही प्रकृति के संतुलन को प्रभावित कर रहा है । इसी कारण से आज मानव जीवन कई प्रकार की प्राकृतिक चुनौतियों का सामना कर रहा हैं । कही ग्रीन हाउस गैसों का प्रभाव है, तो कहीं ग्लोबल वार्मिंग की समस्या है, कहीं ग्लेशियेर पिघल रहे है, महासागरों का जलस्तर बड रहा है, तो कहीं पीने के पानी की समस्यायें विश्व भर में देखने को मिलती है, अकाल, सूखा, भूकंप आदि ये सब प्राकृतिक चुनौतियां है । ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव इतना अधिक प्रभावशाली है कि पिछले कुछ वर्षो में हमने देखा के विश्व भर में कितने ही जंगलों को आग ने अपनी चपेट में किये है । इससे न केवल हजारों हेक्टेयर भूमि में फैले जंगल के पेड़ पौधे वनस्पति बर्बाद हुए है साथ ही इको सिस्टम का संतुलन बनाने वाले हज़ारों लाखों जीव, जंतु, और जानवरों की जीवन भी समाप्त हो गयी है। इनमे से कई तो जलकर मर गये और पक्षियों को पलायन करना पड़ा ।   ऐसी परिस्थितियों का कारण प्रकृति के संसाधनों का निरंतर दोहन है । इन सभी कारणों की दृष्टि से भी आज के दिवस का महत्व बड जाता है । कुछ लोगों का यह भी मानना है कि केवल साइकल चलने मात्र से इतनी गंभीर चुनौतियों को कैसे सामना किया जा सकता है। परन्तु हमें यह सोचना होगा कि यदि हम सभी मिलकर इन छोटे- छोटे कदम उठाकर प्रकृति के संरक्षण के लिए अपना योगदान दे तो यह प्रयास निश्चित ही एक बड़ा परिवर्तन ला सकता है । साथ ही स्वास्थ्य की दृष्टि से भी यह महत्वपूर्ण है कि हम अपनी दिनचर्या में यातायात के साधनों को प्रयोग करने की सूची में साइकल को भी स्थान देना शुरू करें ।
वर्तमान समय में शारीरिक स्वास्थ्य के साथ साथ मानसिक स्वास्थ्य के महत्व के विषय में बताते हुए ब्रह्माकुमारी आदर्श दीदी ने कहा- कि आज चारो ही ओर तनाव, अशांति, भय, अनिश्चितता का वातावरण है तथा इसका प्रभाव समाज में रहने वाले हर वर्ग के मनुष्य चाहे वह बच्चा हो, बुजुर्ग हो, महिला हो, पुरुष हो, या युवा हो सभी पर पद रहा है। इसीलिए स्वयं को नकारात्मक वायुमंडल के प्रभाव से सुरक्षित रखने के लिए तथा स्वयं की आतंरिक शक्तियों को पहचानकर, इन शक्तियों के सदुपयोग द्वारा हम अपने जीवन में आने वाली सभी चुनौतियों का सकारात्मक शक्तिशाली स्थिर मानसिकता द्वारा सामना कर सकें। इसके लिए ही स्वयं परमात्मा शिव ने हम सभी को राजयोग की शिक्षा दी है।
अपने वक्तव्य के पश्चात दीदी जी ने राजयोग के प्रभावशाली महत्व को स्पष्ट करते हुए सभा में उपस्थित सभी आमंत्रित मेहमानों को राजयोग का अभ्यास कराया । व सभी को नि:शुल्क राजयोग प्रशिक्षण शिविर जो कि प्रतिदिन ब्रह्माकुमारीज़ के सेवाकेंद्र पर नि:शुल्क आयोजित किया जाता है, के लिए निमंत्रण दिया, व  राजयोग के नियमित अभ्यास द्वारा सकारात्मक जीवनशैली अपनाने के लिए, सभी का आवाहन किया।
कार्यक्रम के अंत सभी आमंत्रित मेहमानों का अभिवादन अभिनन्दन किया गया ।

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तनाव प्रबंध केवल एक तकनीक नहीं बल्कि एक जीवन जीने की कला है – बीके आदर्श दीदी(न्यूज़ कवरेज)

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तनाव प्रबंध केवल एक तकनीक नहीं बल्कि एक जीवन जीने की कला है – बीके आदर्श दीदी

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24 सितंबर 2025

खुशनुमा और स्वस्थ जीवन के लिए तनाव प्रबंधन आवश्यक – बीके प्रहलाद भाई

एसएएफ 13 बटालियन में तनाव प्रबंधन, खुशनुमा और स्वस्थ जीवन शैली विषय पर प्रेरणादायक सत्र आयोजित

ग्वालियर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्व विद्यालय के द्वारा 13वीं वाहिनी विशेष सशस्त्र बल (एसएएफ 13 बटालियन) में “तनाव प्रबंधन, खुशनुमा और स्वस्थ जीवन शैली” विषय पर एक प्रेरणादायक सत्र आयोजित किया गया। जिसका उद्देश्य लोगों को मानसिक शांति, सकारात्मक सोच और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना था।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में प्रेरक वक्ता एवं वरिष्ठ राजयोग ध्यान प्रशिक्षक बीके प्रहलाद भाई तथा ब्रह्माकुमारीज़ केंद्र की मुख्य संचालिका बीके आदर्श दीदी उपस्थित थीं।


इस अवसर पर एस ए एफ 13 बटालियन से प्रभारी सेनानी अनुराग पांडे, सहायक सेनानी, गुलबाग सिंह, डॉक्टर ओ पी वर्मा निरीक्षक मुनेन्द्र सिंह भदोरिया, निरीक्षक, धर्मेंद्र वर्मा, निरीक्षक मुकेश परिहार, निरीक्षक पुष्पेंद्र सिंह भदौरिया, निरीक्षक जादौन, निरीक्षक राय सिंह जयंत, समस्त पी टी एस स्टाफ एवं 350 से अधिक प्रशिक्षणार्थी सहित ब्रह्माकुमारीज से बीके सुरभि, बीके रोशनी, बीके पवन उपस्थित थे।
कार्यक्रम में बीके प्रहलाद भाई ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि आज के तेज रफ़्तार जीवन में तनाव हर किसी की दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है। जिसकी वजह से हमारे जीवन में काफी उतार चढाव आते है। इन सबसे छूटने के लिए तनाव का सही ढंग से प्रबंधन करना ही खुशनुमा और स्वस्थ जीवन जीने की कला है। यदि तनाव पर नियंत्रण न हो तो यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ को प्रभावित करता है। इसके लिए कुछ सरल उपाय अपनाकर हम संतुलित, आनंदमय और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। उन्होंने कहा कि – सकारात्मक सोच विकसित करें, हर परिस्थिति में अच्छा पक्ष देखने का प्रयास करें, नकारात्मक विचारों से दूर रहें, योग और ध्यान को जीवन का हिस्सा बनाये, रोजाना 15 से 20 मिनिट ध्यान करें जिससे मन स्थिर रहता है एवं मानसिक शांति भी मिलती है, प्राणायाम और योगासन से शरीर स्वस्थ्य रहता है, 6 से 8 घंटे की पर्याप्त नींद लें, संतुलित भोजन लें, नशे से दूरी बनाकर रखें, जंक फ़ूड से बचें, व्यवस्थित दिनचर्या बनायें, कोई न कोई रोज अच्छी पुस्तक पढ़ने की आदत डालें, कार्यक्रम स्थल पर किसी भी तरह का दवाव आता है तो घबरायें नहीं, परिवार के साथ समय विताएं, हर कार्य को एक खेल की तरह से लें।
बीके प्रहलाद भाई नें अनेकानेक रचनात्मक गतिविधि भी कराई जिससे सभी का मन हल्का हुआ और उमंग उत्साह भी बढ़ा। और दिन कि शुरुआत किस तरह से करें वह भी बताया।


कार्यक्रम में बीके आदर्श दीदी नें कहा कि तनाव को दूर करने के लिए योग, ध्यान, प्राणायाम, सकारात्मक चिंतन और समय प्रबंधन जैसे उपाय बेहद प्रभावी हैं। पर्याप्त नींद और रुचियों के लिए समय निकालना जीवन को सुखद और तनावमुक्त बना सकता है साथ ही कहा कि तनाव प्रबंध केवल एक तकनीक नहीं बल्कि एक जीवन जीने की कला है यदि हम स्वस्थ दिनचर्या और आत्म नियंत्रण को अपनाएं तो जीवन अधिक खुशनुमा और आनंदमय बन सकता है। दीदी नें सभी को राजयोग ध्यान की विधि बताई तथा सभी को उसके फायदे बताते हुए अभ्यास भी कराया।
इस अवसर पर उपस्थित प्रतिभागियों ने संकल्प लिया कि वे अपने जीवन में स्वस्थ दिनचर्या, योग ध्यान और सकारात्मक सोच को अपनायेंगे और परिवार एवं समाज के प्रेरणास्त्रोत बनेगें।


कार्यक्रम में मेडिकल ऑफिसर डॉ ओपी वर्मा ने बताया कि तनाव आता है तो लोग आसानी से नशे की तरफ भागते है जबकि वह समाधान नहीं है। समाधान के लिए हमें ब्रह्माकुमारीज़ जैसे आध्यात्मिक संस्थानों से जुड़कर ध्यान के माध्यम में हमें अपने को सकारात्मक बनाना चाहिए। इस अवसर पर अन्य पदाधिकारियों नें भी अपने विचार रखे।
कार्यक्रम में संस्थान के लोंगो का अभिनन्दन करते हुए पौधे भेंट किए गए।

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ब्रह्माकुमारीज़ के माधौगंज केंद्र पर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में भव्य कार्यक्रम का हुआ आयोजन

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ग्वालियर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्व विद्यालय के माधौगंज स्थित प्रभु उपहार भवन में भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी उत्सव को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।


कार्यक्रम में संस्थान के बाल कलाकारों ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का मंचन किया। जिसने सभी का मन मोह लिया तो वहीं भजन गायकों द्वारा सुंदर भजनों की प्रस्तुति ने सभी को आनंदित कर दिया।
कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारीज़ केंद्र प्रमुख बीके आदर्श दीदी ने सभी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की बधाई दी और कहा कि आज हम भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को हर्ष और उल्लास के साथ मना रहे हैं। यह केवल एक धार्मिक त्योहार ही नहीं, बल्कि हमारे जीवन को दिशा देने वाला आध्यात्मिक संदेश है। भगवान श्रीकृष्ण जी का जीवन हमें सिखाता है कि धर्म की रक्षा और अन्याय तथा बुराइयों का अंत करना ही जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य होना चाहिए।


भगवान ने गीता में कहा है कि अपने कर्तव्यों को निष्ठा और ईमानदारी से करना चाहिए, फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। यह शिक्षा आज के समाज के लिए बहुत प्रासंगिक है। यदि हर व्यक्ति अपना कर्तव्य सही भावना से निभाए, तो समाज में अन्याय, भ्रष्टाचार और असमानता स्वतः ही समाप्त हो सकती है।
भगवान श्रीकृष्ण का जीवन हमें गहन शिक्षाएँ देता है। उनका जन्म कारागार में दिखाते है, लेकिन परिस्थितियाँ कैसी भी रही हों, उन्होंने हमेशा धर्म और न्याय की स्थापना का कार्य किया। उनका पूरा जीवन हमें यह संदेश देता है कि मनुष्य को अपने कर्तव्य का पालन निस्वार्थ भाव से करना चाहिए।
यह पर्व हमें नई श्रेष्ठाचारी और पावन दुनिया की याद दिलाता है। जब-जब संसार में अन्याय, अधर्म और असत्य बढ़ता है, तब ईश्वर अवतरित होकर मानवता को सही दिशा दिखाते हैं।

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कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार महेश कुमार, प्रेरक वक्ता बीके प्रहलाद ने भी सभी को जन्माष्टमी की शुभकामनाएं देते हुए अपने विचार प्रकट किए।
कार्यक्रम में सुंदर झांकी लगाई गई थी। जिसका दर्शन लाभ सभी ने लिया। साथ ही भजनों की सुंदर प्रस्तुति एवं भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का मंचन करने वाले कलाकारों में कु. रोशनी, कु. तनवी, कु. पीहू, कु. नंदनी, कु. हंसिका, कु. रुचि, कु. नव्या, रूबी, सोनिया, पवन, अखिलेश, निलक्ष तथा बीके जीतू आदि शामिल थे।

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