Indraganj Lashkar
आज़ादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर दया एवं करुणा के लिए आध्यात्मिक सशक्तिकरण 4 दिवसीय मैडिटेशन शिविर का शुभारंभ (30.04.2022)
आज़ादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर दया एवं करुणा के लिए आध्यात्मिक सशक्तिकरण 4 दिवसीय मैडिटेशन शिविर का शुभारंभ –
लश्कर ग्वालियर : आज़ादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर, “दया एवं करुणा के लिए आध्यात्मिक सशक्तिकरण” 4 दिवसीय ध्यान-मैडिटेशन शिविर का शुभारंभ आज 30 अप्रेल, 2022 को प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के स्थानीय “प्रभु उपहार भवन” माधौगंज स्थित सेवाकेंद्र पर किया गया । इस कार्यक्रम के लिए विशेष रूप से ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के भीनमाल (राजस्थान) सेवाकेंद्र की प्रमुख, वरिष्ठ राजयोग प्रशिक्षिका बी. के. गीता दीदी जी विशेष रूप से पधारे तथा अगले चार दिनों तक आपके द्वारा ही यह कार्यक्रम सम्पन्न किया जायेगा ।
4 दिवसीय ध्यान-मैडिटेशन शिविर का शुभारंभ कार्यक्रम में विशेष रूप से आदरणीय संत श्री कृपाल सिंह जी महाराज (आध्यात्म निकेतन), बी. के. गीता दीदी जी, (वरिष्ठ राजयोग प्रशिक्षिका) भीनमाल राजस्थान, श्रीमती समीक्षा गुप्ता जी (पूर्व महापौर), बी.के. आदर्श दीदी (स्थानीय सेवाकेंद्र प्रमुख), डॉ. बी.के. गुरचरण जी (राजयोग प्रशिक्षक), बी.के. प्रहलाद (राजयोग प्रशिक्षक) एवं अन्य द्वारा कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ किया गया।
4 दिवसीय शिविर के उद्देश्य के विषय में बताते हुए डॉ. बी.के. गुरचरण जी ने कहा: वर्तमान समय में मानव जीवन एक कठिन दौर से गुजर रहा है । आज सारे विश्व में अशांति व भय का वातावरण है । निर्धन हो या धनवान सभी अपनी अपनी रीति से परेशान है । जिन मनुष्यों के पास धन है, साधन है, वे भी सच्ची शांति से वंचित है। कहीं विश्व में शक्ति प्रदर्शन का प्रभाव है, राजनैतिक प्रभाव है या आर्थिक कारण, कहीं प्राकृतिक आपदायें है, कही धार्मिक वैमनस्यता का प्रभाव है, कहीं कोई महामारी अपना प्रभाव दिखा रही है, हर तरफ असंतोष, नीरसता दिखाई देती है । इस प्रकार के वातावरण में सभी स्थाई सुख- शांति की तलाश कर रहे है । देखा जाए तो इन सबका कारण मानव जीवन में पांच मनोविकारों काम, क्रोध, लोभ, मोह और अभिमान द्वारा उत्पन्न हुआ नैतिक पतन है । इन मनो विकारों की उत्पत्ति आतंरिक शक्ति की कमी अथवा आध्यात्मिक कमजोरी से होती है । राजनैतिक सशक्तिकरण, आर्थिक सशक्तिकरण, शिक्षा एवं विज्ञान द्वारा सशक्तिकरण, महिलाओं का सशक्तिकरण आदि अनेकों कोशिशों के बाद भी हिंसा, अपराध, अन्याय, भ्रष्टाचार कम नहीं हुआ बल्कि बढ़ता ही जा रहा हैं । क्योकि इन सब प्रयासों के बाद भी मानव जीवन में श्रेष्ठ चरित्र का निर्माण व उत्थान नहीं हो सका । जब तक मानव जीवन में शुभ-भावना व श्रेष्ठ कामना का अभाव है तब तक कर्मों में दिव्यता नहीं आ सकती ।
गीता दीदी जी ने कहा : स्वर्णिम युग एक ऐसा समय था जबकि विश्व में सम्पूर्ण सुख शांति का साम्राज्य था । और यह श्रृष्टि फूलों का बगीचा कहलाती थी । प्रकृति भी सतोप्रधान थी और किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदाएं नहीं थी । सभी मनुष्य सतोप्रधान एवं दैवीय गुणों से सम्पन्न थे। सर्व के मनोभावों में महानता थी । तब उस समय यह संसार स्वर्ग कहलाता था । ऐसे स्वर्ग काल में समृद्धि, सुख और शांति का मुख्य कारण उस समय के सभी मनुष्य जिन्हें देवता कहा जाता है, वे मन, वचन, कर्म से सम्पूर्ण पवित्र थे । उस स्वर्णिम संसार की तुलना में आज का मनुष्य विकारी, दुखी व अशांत बन गया हैं । हर एक मानव के मनोभावों का स्तर अत्यंत ही दयनीय स्थिति में है । हर मानव में काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या, द्वेष, घृणा, अभिमान, झूठ, शक्ति व आर्थिक सम्पन्नता का प्रदर्शन करने की प्रतिस्पर्धा जैसे दूषित मनोविकृतियों विद्यमान है । जिनके कारण हर मानव के भीतर से मानवीय संस्कारों का हनन हो गया है । जिसका प्रभाव हम वर्तमान समय अपने चारों और देख रहे है । आज हर मानव अपनी अपनी समस्याओं से त्रस्त होकर ईश्वर से शांति और सुख सम्पन्न संसार की प्रार्थना व कामना करते है ।
अब ऐसे स्वर्णिम समय को फिर से धरा पर साकार करने के लिए मानव का आध्यात्मिक सशक्तिकरण ही सबसे उत्तम उपाय है । मन के विचार ही मानव जीवन में संस्कारों का निर्माण करते है । मन में उत्पन्न होने वाले विचारों के आधार पर ही मानव कर्म करता है तथा कर्म के आधार पर ही मनुष्य को सुख और दुःख की प्राप्ति होती है । आध्यात्मिक सशक्तिकरण द्वारा मन के व्यर्थ विचारों व मनोविकृतियों को नियंत्रित कर व आध्यात्मिक ज्ञान का चिंतन, मनन करने से मन व बुद्धि का दिव्यीकरण होता है । साथ ही राजयोग मैडिटेशन वह विधि है जिसके माध्यम से मनुष्यात्मा का सम्बन्ध सर्वशक्तिमान, पतित-पावन, परलौकिक परमपिता परमात्मा शिव के साथ जुड़ता हैं जिससे उसे विकारो पर विजय प्राप्त करने का मनोबल प्राप्त होता है । जब मानव जीवन अपने पूर्व के विकार्मो के बोझ अथ्वा कर्मों के हिसाब किताब से मुक्त होता है तब स्वत: ही वह जीवन में हल्का पन अनुभव करता है । इसी प्रकार दिव्य गुणों की धारणा ही मनुष्य को जीवन में सुख शांति का अनुभव कराती है । जीवन में मानवीय मूल्यों- प्रेम, सन्तोष, गंभीरता, विनम्रता, सहनशीलता, आदि की धारणा तथा आदरयुक्त दिव्य व्यवहार ही मनुष्य को सर्व का प्रिय बनाता है । इस प्रकार मनुष्यात्मा आध्यात्मिक ज्ञान व राजयोग मैडिटेशन के नियमित अभ्यास द्वारा आध्यात्मिक सशक्तिकरण कर परमात्मा से सुख, शांतिमय जीवन का अपना जन्मसिद्ध अधिकार प्राप्त कर सकती हैं।
बी. के. आदर्श दीदी जी ने कहा: आज मानव समाज को आध्यात्मिक सशक्तिकरण की आवश्यकता है । आध्यात्मिक सशक्तिकरण का अर्थ है अपने अन्दर के विकारों का उन्मूलन करना और आत्मा को अपने आदि-अनादि गुणोंव शक्तियों में वापस ले जाना। जब तक मनुष्य नहीं बदलेगा तब तक समाज भी नहीं बदल सकता। समाज व विश्व की व्यवस्था में परिवर्तन कर सुखदायी स्थिति का निर्माण करने के लिए सर्वप्रथम मनुष्य को स्वयं को बदलना पड़ेगा। तभी स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन आएगा। कई लोग आध्यात्मिकता और धर्म में अंतर नहीं जानते । आध्यात्मिकता का अर्थ है आत्मा के मौलिक गुणों शांति, प्रेम, आनंद, पवित्रता और शक्तियों को बढाना तथा सर्व को एक परमपिता परमात्मा की संतान समझकर कर्म-सम्बन्ध में आना।
आदरणीय संत श्री करपाल सिंह जी महाराज ने कार्यक्रम के प्रति अपनी शुभ–कामनाये देते हुए कहा: आध्यात्मिक सशक्तिकरण के बिना स्वर्ग या राम राज्य केवल कल्पना ही है। उसे वास्तविकता में परिणित नहीं किया जा सकता। आध्यत्मिकता द्वारा ही मानव जीवन में मूल्यों का पुनर्वास होगा । जिससे ही यह समाज सुखमय बन सकेगा।
श्रीमती समीक्षा गुप्ता जी ने कहा: वर्तमान विषम परिस्थितियों में जहाँ चारो और भय और अशांति का वातावरण है। वहां आध्यात्मिक ज्ञान की धारणा द्वारा व आत्मा चिंतन से आत्म परिवर्तन करना आवश्यक है । मुझे आपार प्रसन्नता है कि इस कार्यक्रम के माध्यम से आध्यात्मिक शक्तियों को जीवन में अपनाने की प्रेरणा मिलेगी । जिससे व्यक्तित्व में दिव्यता आयेगी ।
भ्राता राजीव गुप्ता जी : कार्यक्रम के लिए आयोजकों का धन्यवाद करते हुए श्रेष्ठ समाज के निर्माण में संस्थान के प्रयासों की सराहना की । मैडिटेशन का नियमित अभ्यास मन को शांति और शक्ति का अनुभव करता हैं।
अंत में बी.के. प्रहलाद के द्वारा आये हुए सभी मेहमानों का धन्यवाद करते हुए कार्यक्रम को सम्पन्न किया गया ।
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तनाव प्रबंध केवल एक तकनीक नहीं बल्कि एक जीवन जीने की कला है – बीके आदर्श दीदी(न्यूज़ कवरेज)
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तनाव प्रबंध केवल एक तकनीक नहीं बल्कि एक जीवन जीने की कला है – बीके आदर्श दीदी
24 सितंबर 2025
खुशनुमा और स्वस्थ जीवन के लिए तनाव प्रबंधन आवश्यक – बीके प्रहलाद भाई

एसएएफ 13 बटालियन में तनाव प्रबंधन, खुशनुमा और स्वस्थ जीवन शैली विषय पर प्रेरणादायक सत्र आयोजित
ग्वालियर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्व विद्यालय के द्वारा 13वीं वाहिनी विशेष सशस्त्र बल (एसएएफ 13 बटालियन) में “तनाव प्रबंधन, खुशनुमा और स्वस्थ जीवन शैली” विषय पर एक प्रेरणादायक सत्र आयोजित किया गया। जिसका उद्देश्य लोगों को मानसिक शांति, सकारात्मक सोच और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना था।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में प्रेरक वक्ता एवं वरिष्ठ राजयोग ध्यान प्रशिक्षक बीके प्रहलाद भाई तथा ब्रह्माकुमारीज़ केंद्र की मुख्य संचालिका बीके आदर्श दीदी उपस्थित थीं।

इस अवसर पर एस ए एफ 13 बटालियन से प्रभारी सेनानी अनुराग पांडे, सहायक सेनानी, गुलबाग सिंह, डॉक्टर ओ पी वर्मा निरीक्षक मुनेन्द्र सिंह भदोरिया, निरीक्षक, धर्मेंद्र वर्मा, निरीक्षक मुकेश परिहार, निरीक्षक पुष्पेंद्र सिंह भदौरिया, निरीक्षक जादौन, निरीक्षक राय सिंह जयंत, समस्त पी टी एस स्टाफ एवं 350 से अधिक प्रशिक्षणार्थी सहित ब्रह्माकुमारीज से बीके सुरभि, बीके रोशनी, बीके पवन उपस्थित थे।
कार्यक्रम में बीके प्रहलाद भाई ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि आज के तेज रफ़्तार जीवन में तनाव हर किसी की दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है। जिसकी वजह से हमारे जीवन में काफी उतार चढाव आते है। इन सबसे छूटने के लिए तनाव का सही ढंग से प्रबंधन करना ही खुशनुमा और स्वस्थ जीवन जीने की कला है। यदि तनाव पर नियंत्रण न हो तो यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ को प्रभावित करता है। इसके लिए कुछ सरल उपाय अपनाकर हम संतुलित, आनंदमय और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। उन्होंने कहा कि – सकारात्मक सोच विकसित करें, हर परिस्थिति में अच्छा पक्ष देखने का प्रयास करें, नकारात्मक विचारों से दूर रहें, योग और ध्यान को जीवन का हिस्सा बनाये, रोजाना 15 से 20 मिनिट ध्यान करें जिससे मन स्थिर रहता है एवं मानसिक शांति भी मिलती है, प्राणायाम और योगासन से शरीर स्वस्थ्य रहता है, 6 से 8 घंटे की पर्याप्त नींद लें, संतुलित भोजन लें, नशे से दूरी बनाकर रखें, जंक फ़ूड से बचें, व्यवस्थित दिनचर्या बनायें, कोई न कोई रोज अच्छी पुस्तक पढ़ने की आदत डालें, कार्यक्रम स्थल पर किसी भी तरह का दवाव आता है तो घबरायें नहीं, परिवार के साथ समय विताएं, हर कार्य को एक खेल की तरह से लें।
बीके प्रहलाद भाई नें अनेकानेक रचनात्मक गतिविधि भी कराई जिससे सभी का मन हल्का हुआ और उमंग उत्साह भी बढ़ा। और दिन कि शुरुआत किस तरह से करें वह भी बताया।

कार्यक्रम में बीके आदर्श दीदी नें कहा कि तनाव को दूर करने के लिए योग, ध्यान, प्राणायाम, सकारात्मक चिंतन और समय प्रबंधन जैसे उपाय बेहद प्रभावी हैं। पर्याप्त नींद और रुचियों के लिए समय निकालना जीवन को सुखद और तनावमुक्त बना सकता है साथ ही कहा कि तनाव प्रबंध केवल एक तकनीक नहीं बल्कि एक जीवन जीने की कला है यदि हम स्वस्थ दिनचर्या और आत्म नियंत्रण को अपनाएं तो जीवन अधिक खुशनुमा और आनंदमय बन सकता है। दीदी नें सभी को राजयोग ध्यान की विधि बताई तथा सभी को उसके फायदे बताते हुए अभ्यास भी कराया।
इस अवसर पर उपस्थित प्रतिभागियों ने संकल्प लिया कि वे अपने जीवन में स्वस्थ दिनचर्या, योग ध्यान और सकारात्मक सोच को अपनायेंगे और परिवार एवं समाज के प्रेरणास्त्रोत बनेगें।

कार्यक्रम में मेडिकल ऑफिसर डॉ ओपी वर्मा ने बताया कि तनाव आता है तो लोग आसानी से नशे की तरफ भागते है जबकि वह समाधान नहीं है। समाधान के लिए हमें ब्रह्माकुमारीज़ जैसे आध्यात्मिक संस्थानों से जुड़कर ध्यान के माध्यम में हमें अपने को सकारात्मक बनाना चाहिए। इस अवसर पर अन्य पदाधिकारियों नें भी अपने विचार रखे।
कार्यक्रम में संस्थान के लोंगो का अभिनन्दन करते हुए पौधे भेंट किए गए।
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ब्रह्माकुमारीज़ के माधौगंज केंद्र पर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में भव्य कार्यक्रम का हुआ आयोजन
ग्वालियर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्व विद्यालय के माधौगंज स्थित प्रभु उपहार भवन में भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी उत्सव को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।

कार्यक्रम में संस्थान के बाल कलाकारों ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का मंचन किया। जिसने सभी का मन मोह लिया तो वहीं भजन गायकों द्वारा सुंदर भजनों की प्रस्तुति ने सभी को आनंदित कर दिया।
कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारीज़ केंद्र प्रमुख बीके आदर्श दीदी ने सभी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की बधाई दी और कहा कि आज हम भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को हर्ष और उल्लास के साथ मना रहे हैं। यह केवल एक धार्मिक त्योहार ही नहीं, बल्कि हमारे जीवन को दिशा देने वाला आध्यात्मिक संदेश है। भगवान श्रीकृष्ण जी का जीवन हमें सिखाता है कि धर्म की रक्षा और अन्याय तथा बुराइयों का अंत करना ही जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य होना चाहिए।

भगवान ने गीता में कहा है कि अपने कर्तव्यों को निष्ठा और ईमानदारी से करना चाहिए, फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। यह शिक्षा आज के समाज के लिए बहुत प्रासंगिक है। यदि हर व्यक्ति अपना कर्तव्य सही भावना से निभाए, तो समाज में अन्याय, भ्रष्टाचार और असमानता स्वतः ही समाप्त हो सकती है।
भगवान श्रीकृष्ण का जीवन हमें गहन शिक्षाएँ देता है। उनका जन्म कारागार में दिखाते है, लेकिन परिस्थितियाँ कैसी भी रही हों, उन्होंने हमेशा धर्म और न्याय की स्थापना का कार्य किया। उनका पूरा जीवन हमें यह संदेश देता है कि मनुष्य को अपने कर्तव्य का पालन निस्वार्थ भाव से करना चाहिए।
यह पर्व हमें नई श्रेष्ठाचारी और पावन दुनिया की याद दिलाता है। जब-जब संसार में अन्याय, अधर्म और असत्य बढ़ता है, तब ईश्वर अवतरित होकर मानवता को सही दिशा दिखाते हैं।
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कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार महेश कुमार, प्रेरक वक्ता बीके प्रहलाद ने भी सभी को जन्माष्टमी की शुभकामनाएं देते हुए अपने विचार प्रकट किए।
कार्यक्रम में सुंदर झांकी लगाई गई थी। जिसका दर्शन लाभ सभी ने लिया। साथ ही भजनों की सुंदर प्रस्तुति एवं भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का मंचन करने वाले कलाकारों में कु. रोशनी, कु. तनवी, कु. पीहू, कु. नंदनी, कु. हंसिका, कु. रुचि, कु. नव्या, रूबी, सोनिया, पवन, अखिलेश, निलक्ष तथा बीके जीतू आदि शामिल थे।
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