Indraganj Lashkar
प्रजापिता ब्रह्मा बाबा की 143 वीं जयंती को ‘आध्यात्मिक सशक्तिकरण’ दिवस के रूप में मनाया गया

ग्वालियर: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के साकार संस्थापक प्रजापिता ब्रह्मा बाबा की 143 वीं जयंती समारोह को “आध्यात्मिक सशक्तिकरण दिवस” के रूप में स्थानीय सेवाकेंद्र माधवगंज लश्कर ग्वालियर में मनाया गया| कार्यक्रम में मुख्य रूप से ब्रह्माकुमारीज लश्कर सेवाकेंद्र की संचालिका आदरणीय आदर्श दीदी, राजयोग प्रशिक्षक बी.के. डॉ. गुरुचरण भाई, राजयोग प्रशिक्षक बी.के. प्रह्लाद भाई, बी. के. लक्ष्मी बहन, बी.के. ज्योति बहन, बी.के. पवन भाई सहित संस्थान से जुड़े सैकड़ो भाई एवं बहिनें उपस्थित रहे |
कार्यक्रम के शुभारम्भ में राजयोगिनी बी. के. आदर्श दीदी जी ने ब्रह्मा बाबा के जीवन पर प्रकाश डालते हुए ‘दादा लेखराज से प्रजापिता ब्रह्मा तक का अलौकिक सफ़र’ से सभी को अवगत कराते हुए बताया कि –
15 दिसंबर 1876 को आज ही के दिन एक ऐसे शिल्पकार, विश्व शांति के महानायक, आध्यात्म के प्रणेता जिन्होंने अनगिनत पत्थरों को तराशकर चमकदार हीरा बना दिया। उनके द्वारा सन 1937 में रोपा गया आध्यात्मिक क्रांति रूपी ये पौधा आज विशाल वटवृक्ष बनकर अपनी शीतल छांव में विश्व के 140 देशों के लाखों नागरिकों को शांति, शक्ति, पवित्रता, प्रेम, स्नेह, ज्ञान और जीवन मूल्यों से सुशोभित कर रहा है। आपके बताए गए मार्ग पर चलकर 12 लाख से अधिक लोग संयम के पथ के राही हैं। ऐसे युग पुरुष दादा लेखराज जिन्हें परमात्मा ने दिव्य नाम प्रजापिता ब्रह्मा (ब्रह्मा बाबा) दिया था |
*ब्रह्माकुमारीज संस्थान: बाबा की ज्ञान की ज्योत बनी मशाल*
1937 में इस आध्यात्म के महाकुंभ की रखी गई नींव
83 वर्षों से जारी है भारतीय संस्कृति को विश्व के कोने-कोने में पहुंचाने का अभियान
350 लोगों के छोटे से समूह से हुई शुरुआत
140 देशों में पहुंचा आध्यात्मिक संदेश
8500 से अधिक विश्वभर में राजयोग मेडिटेशन सेवाकेंद्र
46 हजार से अधिक ब्रह्माकुमारी बहनें विश्व सेवा में समर्पित रूप से तत्पर
लगभग लाख से अधिक ईश्वरीय विश्व विद्यालय के नियमित विद्यार्थी
20 विंग्स (प्रभाग) के माध्यम से समाज के सभी वर्गों की सेवा
आलौकिक जीवन का प्रारंभ दिव्य साक्षात्कार द्वारा
दादा का व्यापारिक और पारिवारिक जीवन लौकिक दृष्टी से सफल और संतुष्ट जीवन था | परन्तु जब दादा लगभग 60 वर्ष के थे तब उनका मन भक्ति की ओर अधिक झुक गया| वे अपने व्यापारिक जीवन से अवकाश निकाल कर ईश्वरीय मनन चिंतन में लवलीन तथा अंतर्मुखी होते गए| अनायास ही एक बार उन्हें विष्णु चतुर्भुज का साक्षात्कार हुआ और उन्होंने अव्यक्त शब्दों में दादा से कहा “अहम् चतुर्भुज तत त्वम्” अर्थात आप अपने वास्तविक स्वरुप में नारायण हो| कुछ समय बाद वाराणसी में वे अपने मित्र के यहाँ एक वाटिका में जब ध्यान में थे तब उन्हें परम पिता परमात्मा शिव का साक्षात्कार हुआ और उन्होंने इस कलयुगी सृष्टी का महापरिवर्तन (महाविनाश) होते देखा|
उसके कुछ दिन बाद जब दादा एक सत्संग में बैठे थे तो उसी समय दादा उठकर अपने कमरे में चले गए तो उनकी पत्नी और उनकी बहु ने देखा कि दादा कि भ्रकुटी के बीच से एक एक लाल प्रकाश निकल रहा है और उनके उनके मुख से आवाज आ रही है –
“निजानंद स्वरूपं शिवोहम शिवोहम…..ज्ञान स्वरूपं शिवोहम शिवोहम….प्रकाश स्वरूपं शिवोहम शिवोहम…”
वास्तव में दादा के तन में परमपिता परमात्मा शिव ने ही प्रविष्ट होकर यह महावाक्य उच्चारण किये थे| उन्होंने ने ही दादा को नई सतयुगी दैवीय सृष्टी की पुनर्स्थापना के लिए निर्देश दिया था| उसके बाद दादा परमात्मा शिव के साकार माध्यम बने| ज्योतिर्बिन्दु परमात्मा शिव ब्रह्मलोक से आकर दादा के तन में प्रविष्ट होकर उनके मुख द्वारा ज्ञान और योग के ऐसे अद्भुत रहस्य सुनाकर चले जाते जो प्रायः लुप्त हो चुके थे| परमपिता परमात्मा शिव ने ही दादा लेखराज को आलौकिक नाम प्रजापिता ब्रह्मा दिया था| 18 जनवरी 1969 को प्रजापिता ब्रह्मा बाबा ने अपनी सम्पूर्ण अवस्था को प्राप्त कर पुरानी देह का त्याग किया| उसके साथ ही बहनों के द्वारा भारतीय संस्कृति का सन्देश विश्व के 140 देशो में फैलाया गया| अभी वर्तमान समय संस्थान की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी जानकी जी हैं जिनकी उम्र 104 वर्ष है|
इस अवसर पर बी. के. प्रह्लाद भाई ने सभी को संबोधित करते हुए प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की स्थापना के बारे में विस्तार से सभी को बताया| साथ ही सभी को अपने अन्दर की बुराइयाँ छोड़ने का संकल्प कराया और मेडिटेशन (ध्यान) की अनुभूति भी कराई और इस अवसर पर ब्रह्मा बाबा के जीवन पर आधारित एक फिल्म सभी को दिखाई गई | कु. रिया ने भी ब्रह्मा बाबा की विशेषताओ को कविता के माध्यम से सुनाया |
इस अवसर पर बी.के. डॉ. गुरुचरण भाई ने भी अपनी शुभकामनायें दी और साथ ही कार्यक्रम के अंत में सभी का आभार व्यक्त किया |
इसके साथ ही तानसेन नगर सेवाकेंद्र द्वारा वार्ड में एक स्वच्छता का सन्देश देने हेतु स्वच्छता पैदल रैली निकाली गयी और घर-घर फूल देकर सभी को अपने घर का कचरा नगर निगम की गाडी में ही डालने का अनुरोध किया गया | इस अवसर पर वार्ड 12 के पार्षद कृष्णराव (कल्लू) दीक्षित ने झंडी दिखाकर पैदल रैली का शुभारम्भ किया | यह रैली रसूलाबाद, चार शहर का नाका शमशान रोड, बसोर मोहल्ला होते हुए रसूलाबाद में पूरी हुई | इस अवसर पर तानसेन नगर सेवाकेंद्र प्रभारी राजयोगिनी बी. के. सुधा दीदी की शुभ भावना से कार्यक्रम सम्पन्न हुआ | इस अवसर पर बी. के. सुमन बहन, बी.के. मनोज, बी.के. तिवारी, बी. के आकाश, बी. के. आशीष सहित अनेकानेक लोग पैदल रैली में शामिल हुए |
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म.प्र. के माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी ने ‘सामाजिक समरसता’ कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी बहनों को शॉल ओढ़ाकर किया सम्मानित

Gwalior : म.प्र. के माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी, भारत सरकार के केंद्रीय संचार मंत्री माननीय श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जी, म.प्र. विधानसभा अध्यक्ष माननीय श्री नरेंद्र सिंह तोमर जी ने ग्वालियर के दत्तोपंत ठेंगड़ी सभागार, कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित ‘सामाजिक समरसता’ कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी बहनों को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। जिसमें ब्रह्माकुमारी रोशनी, ब्रह्माकुमारी सुरभि, बीके डॉ.गुरचरण सिंह को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में प्रदेश के अनेकानेक कैबिनेट मंत्री गण, सांसद, विधायक सहित अन्य जनप्रतिनिधि तथा प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित थे।
इस अवसर पर बीके रोशनी, बीके सुरभि, बीके डॉ.गुरचरण सिंह ने माननीय मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव जी का अभिनंदन करते हुए उन्हें ईश्वरीय सौगात भेंट की।
कार्यक्रम में शहर से अनेकानेक सम्माननीय धर्मगुरु, धार्मिक संस्थान, सामाजिक संस्थान से तथा गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
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बाल व्यक्तित्व विकास शिविर
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ब्रह्माकुमारीज केंद्र पर तीन दिवसीय बाल व्यक्तित्व विकास शिविर का हुआ शुभारंभ

बच्चों में प्रेम, दया, क्षमा, आत्मविश्वास, सहनशीलता जैसे गुणों का विकास बहुत आवश्यक – आदर्श दीदी
जो बच्चे आज्ञाकारी होते है उन्हें सभी की दुवाएं एवं स्नेह मिलता है – प्रहलाद भाई
ग्वालियर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की भगिनी संस्था राजयोग एजुकेशन एंड रिसर्च फाऊंडेशन के युवा प्रभाग और शिक्षा प्रभाग के द्वारा माधवगंज स्थित प्रभु उपहार भवन में तीन दिवसीय बाल व्यक्तित्व विकास शिविर का शुभारंभ हुआ।
इस शिविर में बच्चों के सम्पूर्ण विकास के लिए आध्यात्मिकता, नैतिक शिक्षा, व्यवहारिक ज्ञान और सकारात्मक सोच आदि विषयों को रचनात्मक ढंग से बताया जायेगा।
शिविर के शुभारंभ में मुख्य प्रशिक्षक के रूप में उपस्थित मोटिवेशनल स्पीकर एवं वरिष्ठ राजयोग ध्यान प्रशिक्षक बीके प्रहलाद भाई ने नए सभी बच्चों को मोटिवेट करते हुए मजेदार शिक्षाप्रद कहानियाँ सुनाकर शिविर की शुरुआत की। उन्होंने एक रचनात्मक एक्टिविटी के माध्यम से शिविर में उपस्थित बच्चों को सिखाया कि हमें ध्यान से सुनना चाहिए। क्योकि ध्यान से सुनने का बहुत महत्व है। जबकि सुनने से ज्यादा हम देखकर कर्म करते है, हम जैसा देखते है वैसा हम बनते चले जाते है। यदि हम कुछ गलत चीजों को देखते है या हमारे सामने कोई गलती कर रहा है तो उसका प्रभाव भी हमारे जीवन पर पड़ता है। इसलिए हमेशा टीवी या मोबाईल पर कुछ देखते है तो अच्छा ही देखे।
उन्होंने कहा कि अच्छे गुणों और संस्कारों का बीज बोने का यह सही समय है। इस समय अंदर लचीलापन होता है। सही शब्दों में कहा जाए तो व्यक्तित्व का निर्माण और जीवन को दिशा देने का काम इसी समयावधि में हो सकता है। हम जैसा बनना चाहें वैसा अपने को बना सकते हैं। आजकल कई बच्चे अपना कीमती समय मोबाइल पर नष्ट कर रहे हैं। अभिभावक और शिक्षक चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। इस समय में मोबाईल का ज्यादा उपयोग करना हमारे लिए बहुत नुकशान दायक है । मोबाईल हमारी सुविधा के लिए है पढ़ाई आदि के लिए ही हम इसे थोडा बहुत उपयोग कर सकते है। बांकी और और चीजों में हमें नहीं जाना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि सभी बच्चो को प्रातः सूर्योदय से पहले जाग जाना चाहिए तथा रात्रि को जल्दी सोना चाहिए। देर रात तक नहीं जागना चाहिए। सभी बच्चों को अपने माता पिता कहना मानना चाहिए। हरेक माता पिता अपने बच्चों की भलाई के लिए ही उन्हें समझाते है कभी भी माता पिता से नाराज नहीं होना चाहिए। जो बच्चे आज्ञाकारी होते है उन्हें सभी की दुवाएं एवं स्नेह मिलता है। और वह जीवन में आगे बढ़ते जाते है। इस पर एक रोचक कहानी भी बच्चों को सुनाई।
आगे भाई जी ने बच्चों को मन बुद्धि और संस्कार के बारे में बताया कि कैसे हम अच्छा सोचकर अपने अन्दर अच्छी आदतों को डाल सकते है। और अपनी ख़राब आदतों को छोड़ सकते है।
कार्यक्रम में बच्चो को मेडिटेशन (ध्यान) की सरल विधि सिखाई गई साथ ही ध्यान का अभ्यास भी कराया गया।
इस अवसर पर केंद्र प्रमुख बीके आदर्श दीदी ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि यदि हम थोडा समय पढ़ाई से पूर्व या कोई कार्य करने से पूर्व राजयोग ध्यान का अभ्यास करते है। अथवा परमात्मा को याद करते है तो हमें सफलता अवश्य मिलती है, साथ ही हमारी एकाग्रता भी बढती है। दीदी ने आगे कहा कि हमें इतना सुंदर जीवन मिला है तो उसके लिए हमें ईश्वर का शुक्रिया अदा करना चाहिए, साथ ही उन सभी का शुक्रिया करना चाहिए जो हमारे जीवन को अच्छा बनाने में हमारे मददगार है जैसे माता-पिता एवं गुरुजन आदि।
दीदी ने आगे बताया कि बच्चों में प्रेम, दया, क्षमा, आत्मविश्वास और सहनशीलता जैसे गुणों का विकास बहुत आवश्यक है। यह शिविर निश्चित ही बच्चों में दिव्य गुणों की धारणा और चारित्रिक विकास में मददगार साबित होगा। जो बच्चे बचपन से ही आध्यात्मिक शिक्षा और नैतिक शिक्षा और व्यवहारिक शिक्षा से जुड़ते है, तो वह न केवल बड़े होकर एक अच्छे नागरिक बनते है, बल्कि समाज और विश्व के लिए भी एक प्रेरणा और आदर्श बनकर उभरते है।
अंत में शिक्षाप्रद गेम भी खिलाये गए जिसका बच्चों ने आनंद लिया|
इस अवसर पर बीके जीतू, बीके सुरभि, बीके रोशनी, रीता मिड्ढा सहित अनेकानेक बच्चो के पैरेंट्स भी उपस्थित थे।
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