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Indraganj Lashkar

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर “महिलाओं का सर्वांगीण विकास” विषय पर आयोजित कार्यक्रम (8 मार्च 2019)

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ग्वालियर: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय, महिला प्रभाग (राजयोग एज्युकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन) माधवगंज लश्कर ग्वालियर के द्वारा आज अंतरर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर “महिलाओं का सर्वांगीण विकास” विषय पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम में मुख्य रूप से श्रीमती अनीता जैन (अध्यक्ष, प्रेरणा लोएंस क्लब), श्रीमती ज्योति छाबडिया (रेंजर, वन विभाग) डॉ. कीर्ती धोंडे, ब्रह्माकुमारी आदर्श दीदी (संचालिका ब्रह्माकुमारीज सेंटर), बी.के. ज्योति दीदी (वरिष्ठ राजयोग प्रशिक्षिका), आशा सिंह (समाज सेविका), बी. के. प्रह्लाद आदि उपस्थित थे| कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलित करके किया गया एवं कु. रिया ने नृत्य के द्वारा सभी का स्वागत किया | तत्पश्चात बी. के. ज्योति बहन ने संस्थान का परिचय देते हुये पिछले 8 दशक से की जा रही सेवाओं के बारे में बताते हुए कहा कि ब्रह्माकुमारीज संस्थान एक ऐसा संस्थान है जो पूरे विश्व में बहनों के द्वारा संचालित होता है| यह नारी सशक्तिकरण का एक अनूठा उदहारण है |
इसके बाद संस्थान की संचालिका बी.के. आदर्श दीदी ने महिलाओं का सर्वांगीण विकास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि –
नारी बहुमुखी प्रतिभा की धनी है| वह स्वयंसिद्धा है| नारी के विकास में सर्व का विकास समाया हुआ है| नारी में नर भी आ जाता है और इंग्लिश में woman में man भी आ जाता है तो नारी के विकास में सबका विकास है| इसलिए कहा जाता है की अगर एक नारी को शिक्षित किया तो सारे परिवार को शिक्षित किया, क्यूंकि नारी परिवार की भी धुरी है तो समाज की भी धुरी है तो विश्व की भी धुरी है| नारी का उत्थान विश्व का उत्थान है| नारी के पतन से विश्व का पतन है| यह एक अटल सत्य है और इस सत्य को हम स्वीकार करते हैं और हम नारी हैं तो हमारे ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेवारी है| स्वयं का विकास कर समाज का विकास करना, देश का और फिर विश्व का करना |
साथ ही उन्होंने बताया कि 6 प्रकार का विकास हो सकता है
1. भौतिक विकास
2. मानसिक विकास
3. बौद्धिक विकास
4. भावनात्मक विकास
5. नैतिक विकास
6. अध्यात्मिक विकास
अगर एक भी कम है तो सर्वांगीण(holistic) नहीं कहेंगे whole में ये सब कुछ आ जाता है, लेकिन आज हम इन सर्व प्रकार के विकास पर ध्यान नहीं देते हैं| एक शरीर की सुन्दरता का भी विकास हम चाहते हैं साथ-साथ धन, मकान ज़मीन, बैंक बैलेंस आदि कई भौतिकों का विकास चाहते हैं| परन्तु यह विकास भी तभी सार्थक है जब अन्य विकास भी हमारे जीवन में है |
मानसिक विकास- का मतलब है हमारे ऊँचे विचार, अगर हमारे अन्दर नकारात्मक विचार है तो हम इस आधुनिक विकासशील युग में भी हम विकासशील अर्थात विकसित नहीं माने जायेंगे| इसलिए मानसिक विकास अगर हम चाहते हैं तो हर वक़्त पॉजिटिव एवं सकारात्मक सोचना होगा| हर पहलू में दो विपरीत बातें आ सकती है अब मुझे किस बात को स्वीकार करना है वह अपनी मानसिक शक्ति के आधार पर सोच सकते है | उसके लिए हमें अपनी मानसिक शक्ति का विकास करना होगा |
बौद्धिक विकास- बौद्धिक विकास के लिए हमारा IQ ऊँचा होना चाहिए क्यूंकि यदि हमारा IQ ऊँचा होगा हमें समाज का पूरा ज्ञान होगा, हम हर प्रकार से शिक्षित होंगे तो अवश्य ही इस बौद्धिक विकास से हम समाज में ऊँचा स्थान ले सकेंगे| इसलिए बौद्धिक विकास भी आवश्यक है| अतः हमारी सरकार भी यह कहती है कि “बेटी बचाओ-बेटी पढाओ” क्योकि पहले ज़माने में बेटियों को नहीं पढाया जाता था और अभी हम यह जो परिवर्तन देख रहे है यह बहुत अच्छी बात है, इस बदलाव से बेटियाँ भी आगे पढ़कर बहुत कुछ कर सकती हैं| हम देख भी रहें है कि लड़कों से लड़कियां इतने अच्छे नंबर ले लेती है तो ये उनके बौद्धिक विकास का ही प्रमाण है| बौद्धिक विकास होने से नारी का केवल विकास नहीं है बल्कि इस पूरे समाज का ही विकास है|
भावनात्मक विकास के बारे में बताते हुए कहा कि कई बार देखा जाता है की महिलाएं कमज़ोर पड़ जाती हैं और जहा भावनात्मक बात आती है तो नारी जल्दी पिघल जाती है तो वास्तव में हमें इससे भी मजबूत बनना चाहिए शारीरक रीति से मजबूती के लिए लडकियां कराटे एवं अन्य खेल में रूचि रखती हैं जिससे उनकी मसल पॉवर स्ट्रोंग हो लेकिन भावनात्मक विकास भी हमारा उतना ही श्रेष्ठ हो क्यूंकि कई परिस्थितियाँ हमारे सामने आती हैं और यदि हम भावुक होते हैं तो हम उनका सामना नहीं कर सकते इसलिए न ज्यादा भावुक बनें न ज्यादा कठोर बने परन्तु एक सुन्दर समन्वय, स्ट्रोंग भी बनना है, फ्लेक्सिबल भी बनना है| इसलिए बुद्धिमत्ता यही है हम हर परिस्थिति का सामना भी करे डरे भी नहीं, क्यूंकि नारी देवी का स्वरुप है| छुईमुई के पेड़ के समान कोमल इतना भी न बने की हाथ लगाने पर मुरझा कर झुक जाए| दबी हुई भावनाओं का प्रभाव हमारे शरीर पर भी पड़ता है क्यूंकि अन्दर दबाए रखा तो तनाव होगा तो इससे हमारे शरीर पर बुरा असर पड़ सकता है इसके लिए भावनात्मक रीति से अपने को बहुत मजबूत बनाना चाहिए |
नैतिक विकास के बारे में बताया कि कि हमारे जीवन में मूल्यों का विकास बहुत जरुरी है| यह नहीं की हम नैतिक मूल्यों को दरकिनार कर विकास के लिए जाएँ| आज दुनिया में हम देख रहे हैं कि लोग अपने मूल्यों को बेच कर धन कमाने में लगे हुए है| झूठ, छल, कपट, निन्दा आदि तरीके अपनाते हैं केवल धन कमाने के लिए अपने मूल्यों का ह्रास करते जा रहे हैं पर वो ये भूल जाते हैं की अगर हमने मूल्यों का ह्रास किया, सत्यता के मार्ग पर नहीं चले तो एक दिन ये झूठ खुल जाएगा| सत्य की नीव हिल सकती है लेकिन डूब नहीं सकती| अगर सचमुच नैतिक मूल्य है तो वो कभी भी हार नहीं खा सकता है | कभी भी उसका विकास न हो यह हो ही नहीं सकता क्यूंकि नैतिक मूल्य मनुष्य को बहुत आगे ले जा सकता हैं|
आध्यात्मिक विकास विकास तो बहुत ही ऊँचा है मानो हर पल हम यह महसूस करते हैं की हम परमात्मा की छत्रछाया में हैं| परमात्मा का हाथ हमारे सिर पर है| इसलिए किसी ने बहुत सुन्दर कहा है की ‘जाको राखे साईयां मार सके न कोए’| अगर भगवान् का साथ है तो मुझे कोई कुछ नहीं कर सकता| मनुष्य का हिसाब तब तक है जब तक हमारे कर्मो के हिसाब किताब है| जन्म जन्म का साथी तो केवल एक भगवान् ही है वो केवल एक परमात्मा है| जब मनुष्य परमात्मा को अपना साथी बनाएगा तो दुनिया की कोई भी परिस्थिति उसे रोक नहीं सकेंगे|
इस अवसर पर श्रीमती अनीता जैन ने अपनी शुभकामनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि परिवार में संतुलन बनाकर हमें आगे बढ़ना है | एवं श्रीमती ज्योति छाबडिया ने भी इस अवसर पर अपनी शुभकामनाएं व्यक्त की |
कार्यक्रम के दौरान कु. रिया और कु. शक्ति के द्वारा नारी सशक्तिकरण पर बहुत सुन्दर मंचन भी किया गया | मंच संचालन बी. के. आशा सिंह ने किया एवं कार्यक्रम के अंत में आभार बी के प्रह्लाद भाई द्वारा किया गया |

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म.प्र. के माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी ने ‘सामाजिक समरसता’ कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी बहनों को शॉल ओढ़ाकर किया सम्मानित

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Gwalior : म.प्र. के माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी, भारत सरकार के केंद्रीय संचार मंत्री माननीय श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जी, म.प्र. विधानसभा अध्यक्ष माननीय श्री नरेंद्र सिंह तोमर जी ने ग्वालियर के दत्तोपंत ठेंगड़ी सभागार, कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित सामाजिक समरसता’ कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी बहनों को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। जिसमें ब्रह्माकुमारी रोशनी, ब्रह्माकुमारी सुरभि, बीके डॉ.गुरचरण सिंह को सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में प्रदेश के अनेकानेक कैबिनेट मंत्री गण, सांसद, विधायक सहित अन्य जनप्रतिनिधि तथा प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित थे।

इस अवसर पर बीके रोशनी, बीके सुरभि, बीके डॉ.गुरचरण सिंह ने माननीय मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव जी का अभिनंदन करते हुए उन्हें ईश्वरीय सौगात भेंट की।

कार्यक्रम में शहर से अनेकानेक सम्माननीय धर्मगुरु, धार्मिक संस्थान, सामाजिक संस्थान से तथा गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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बाल व्यक्तित्व विकास शिविर

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ब्रह्माकुमारीज केंद्र पर तीन दिवसीय बाल व्यक्तित्व विकास शिविर का हुआ शुभारंभ

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बच्चों में प्रेम, दया, क्षमा, आत्मविश्वास, सहनशीलता जैसे गुणों का विकास बहुत आवश्यक – आदर्श दीदी

जो बच्चे आज्ञाकारी होते है उन्हें सभी की दुवाएं एवं स्नेह मिलता है – प्रहलाद भाई

ग्वालियर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की भगिनी संस्था राजयोग एजुकेशन एंड रिसर्च फाऊंडेशन के युवा प्रभाग और शिक्षा प्रभाग के द्वारा माधवगंज स्थित प्रभु उपहार भवन में तीन दिवसीय बाल व्यक्तित्व विकास शिविर का शुभारंभ हुआ।
इस शिविर में बच्चों के सम्पूर्ण विकास के लिए आध्यात्मिकता, नैतिक शिक्षा, व्यवहारिक ज्ञान और सकारात्मक सोच आदि विषयों को रचनात्मक ढंग से बताया जायेगा।
शिविर के शुभारंभ में मुख्य प्रशिक्षक के रूप में उपस्थित मोटिवेशनल स्पीकर एवं वरिष्ठ राजयोग ध्यान प्रशिक्षक बीके प्रहलाद भाई ने नए सभी बच्चों को मोटिवेट करते हुए मजेदार शिक्षाप्रद कहानियाँ सुनाकर शिविर की शुरुआत की। उन्होंने एक रचनात्मक एक्टिविटी के माध्यम से शिविर में उपस्थित बच्चों को सिखाया कि हमें ध्यान से सुनना चाहिए। क्योकि ध्यान से सुनने का बहुत महत्व है। जबकि सुनने से ज्यादा हम देखकर कर्म करते है, हम जैसा देखते है वैसा हम बनते चले जाते है। यदि हम कुछ गलत चीजों को देखते है या हमारे सामने कोई गलती कर रहा है तो उसका प्रभाव भी हमारे जीवन पर पड़ता है। इसलिए हमेशा टीवी या मोबाईल पर कुछ देखते है तो अच्छा ही देखे।
उन्होंने कहा कि अच्छे गुणों और संस्कारों का बीज बोने का यह सही समय है। इस समय अंदर लचीलापन होता है। सही शब्दों में कहा जाए तो व्यक्तित्व का निर्माण और जीवन को दिशा देने का काम इसी समयावधि में हो सकता है। हम जैसा बनना चाहें वैसा अपने को बना सकते हैं। आजकल कई बच्चे अपना कीमती समय मोबाइल पर नष्ट कर रहे हैं। अभिभावक और शिक्षक चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। इस समय में मोबाईल का ज्यादा उपयोग करना हमारे लिए बहुत नुकशान दायक है । मोबाईल हमारी सुविधा के लिए है पढ़ाई आदि के लिए ही हम इसे थोडा बहुत उपयोग कर सकते है। बांकी और और चीजों में हमें नहीं जाना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि सभी बच्चो को प्रातः सूर्योदय से पहले जाग जाना चाहिए तथा रात्रि को जल्दी सोना चाहिए। देर रात तक नहीं जागना चाहिए। सभी बच्चों को अपने माता पिता कहना मानना चाहिए। हरेक माता पिता अपने बच्चों की भलाई के लिए ही उन्हें समझाते है कभी भी माता पिता से नाराज नहीं होना चाहिए। जो बच्चे आज्ञाकारी होते है उन्हें सभी की दुवाएं एवं स्नेह मिलता है। और वह जीवन में आगे बढ़ते जाते है। इस पर एक रोचक कहानी भी बच्चों को सुनाई।
आगे भाई जी ने बच्चों को मन बुद्धि और संस्कार के बारे में बताया कि कैसे हम अच्छा सोचकर अपने अन्दर अच्छी आदतों को डाल सकते है। और अपनी ख़राब आदतों को छोड़ सकते है।


कार्यक्रम में बच्चो को मेडिटेशन (ध्यान) की सरल विधि सिखाई गई साथ ही ध्यान का अभ्यास भी कराया गया।
इस अवसर पर केंद्र प्रमुख बीके आदर्श दीदी ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि यदि हम थोडा समय पढ़ाई से पूर्व या कोई कार्य करने से पूर्व राजयोग ध्यान का अभ्यास करते है। अथवा परमात्मा को याद करते है तो हमें सफलता अवश्य मिलती है, साथ ही हमारी एकाग्रता भी बढती है। दीदी ने आगे कहा कि हमें इतना सुंदर जीवन मिला है तो उसके लिए हमें ईश्वर का शुक्रिया अदा करना चाहिए, साथ ही उन सभी का शुक्रिया करना चाहिए जो हमारे जीवन को अच्छा बनाने में हमारे मददगार है जैसे माता-पिता एवं गुरुजन आदि।
दीदी ने आगे बताया कि बच्चों में प्रेम, दया, क्षमा, आत्मविश्वास और सहनशीलता जैसे गुणों का विकास बहुत आवश्यक है। यह शिविर निश्चित ही बच्चों में दिव्य गुणों की धारणा और चारित्रिक विकास में मददगार साबित होगा। जो बच्चे बचपन से ही आध्यात्मिक शिक्षा और नैतिक शिक्षा और व्यवहारिक शिक्षा से जुड़ते है, तो वह न केवल बड़े होकर एक अच्छे नागरिक बनते है, बल्कि समाज और विश्व के लिए भी एक प्रेरणा और आदर्श बनकर उभरते है।
अंत में शिक्षाप्रद गेम भी खिलाये गए जिसका बच्चों ने आनंद लिया|
इस अवसर पर बीके जीतू, बीके सुरभि, बीके रोशनी, रीता मिड्ढा सहित अनेकानेक बच्चो के पैरेंट्स भी उपस्थित थे।

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