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ग्वालियर: “आपका स्वास्थ्य आपके हाथों में”

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“आपका स्वास्थ्य आपके हाथों में”
जिंदगी जबरदस्त है इसको जबरदस्ती नहीं खुलकर जियो – बी के डॉ. प्रेम मसंद (कैंसर स्पेशलिस्ट)

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय, मेडिकल विंग (राजयोग एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन) ग्वालियर
के द्वारा दिनांक 15 दिसम्बर को तीन दिवसीय निःशुल्क शिविर का उद्घाटन दीप प्रज्वलन के साथ किया गयाI
कार्यक्रम में मुख्य रूप से एम. एल. दौलतानी (ब्रांड एम्बेसडर स्वच्छता अभियान एवं पूर्व उपायुक्त न.नि.ग्वा.), श्री
राजेंद्र प्रसाद गुप्ता (प्रांतीय प्रधान भारतीय योग संस्थान ), श्री अश्विनी माहेश्वरी (चार्टेड एकाउंटेंट), अंतर्राष्ट्रीय
मोटिवेशनल वक्ता बीके डॉ. प्रेम मसंद (कैंसर स्पेशलिस्ट), बीके आदर्श बहिन (सेन्टर इंचार्ज), श्री पीताम्बर
लोकवानी, श्री इन्द्रमोहन वर्मा (मुख्य जनरल मैनेजर इलाहाबाद बैंक), बी.के. डॉ. गुरचरण सिंह, श्री महेश अग्रवाल,
श्री राजेंद्र अग्रवाल (भारतीय योग संस्थान ग्वा.), और शहर से अनेकानेक नागरिक उपस्थित थे I कार्यक्रम के
शुभारम्भ में कुमारी हर्षिता के द्वारा स्वागत नृत्य किया गया तत्पश्चात ब्रह्माकुमारी सेवाकेंद्र इंचार्ज बी.के. आदर्श
बहन ने सभी का शब्दों के द्वारा स्वागत किया गया | शिविर के प्रथम दिन को संबोधित करते हुए डॉ. प्रेम मसंद
ने कहा कि
स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण समस्या है अगर स्वास्थ्य ठीक है तो सब ठीक है I
जिंदगी जबरदस्त है इसको जबरदस्ती नहीं जबरदस्त तरीके से जीना चाहिए I जो शेष है वही विशेष है जो बीत
गया उस पर फुलस्टॉप लगाकर जो शेष है उसको जबरदस्त तरीके से एंजोयमेंट के साथ जीना चाहिए I
पाँव गरम – पेट नरम – सिर ठंडा ये है स्वस्थ्य जीवन का फंडा I
हमें अपनी दिनचर्या में स्वास्थ्य के लिये एक घंटा रोज देना ही चाहिए कम से कम दस हज़ार कदम रोजाना चलना
चाहिए I disease का अर्थ है शरीर का जो अंग कमजोर है वहां बीमारियों का उभरना I जब में अपने एनर्जी लेवल
को कम कर देता हूँ तो बीमारियाँ आती हैं बीमारियों का सबसे बड़ा कारण है शरीर में ऑक्सीजन की कमी I हमारे
शरीर के जिस भी भाग में ऑक्सीजन की कमी आती है या यूँ कहें की एनर्जी लेवल कम हो जाता है उस भाग में
बीमारी उभरने लगती है अगर ऑक्सीजन शरीर में पूरी तरह जाता है तो बीमारियाँ नहीं होती हैं I इसके साथ ही
उन्होंने बताया कि शरीर में ह्रदय व फेफड़े दो मत्वपूर्ण पंप हैं जैसे-जैसे तनाव बढता है हृदय का रिलैक्सेशन कम हो
जाता है यदि हृदय 0.5 रिलैक्स करता है तो 0.4 ही रिलैक्स करेगा और यदि तनाव जैसे जैसे बढता जायेगा हृदय
का रिलेक्सेशन 0.3 हो जायेगा अतः जितना हृदय कम रिलैक्स करेगा उतना कम ऑक्सीजन आएगी और बीमारी
आती जाएँगी I और आज जितना तनाव बढता जा रहा है हृदय का रिलैक्सेशन उतना ही कम होता जा रहा है जो
की आज हमें हार्ट-अटैक के रूप में देखने मिलता है I आज विश्व भर में डिप्रेशन इतनी कॉमन बीमारी हो गयी है
जो कि हर उम्र के लोगों में देखने को मिलती है यदि इसे जल्द से जल्द ठीक नहीं किया गया तो आने वाले समय
में हर चार व्यक्ति में से एक को इस बीमारी से ग्रसित देखेंगे I हमारी इमोशनल भावनाएं हमारे शरीर को नुकसान
पहुंचाती हैं हमारी 90% बीमारियों का कारण ही है इमोशनल स्ट्रेस I इसके लिये अपने आप को शारीरिक,मानसिक,
भावनात्मक, सामाजिक, आध्यात्मिक रूप से रोजाना चार्ज करें एनर्जी लें I हमारा शरीर, माइंड, रिलेशनशिप , सोशल
लाइफ ठीक होना चाहिए I भाईजी ने बताया दो चीजें हैं माइंड और मैटर I यदि में किसी चीज़ को माइंड नहीं करता
हूँ सीरियस नहीं लेता हूँ तो कुछ नहीं होगा मेरे शरीर पर उसका कोई इफ़ेक्ट नहीं पड़ेगा और यदि में किसी चीज़
को माइंड करता हूँ सीरियस लेता हूँ कि दूसरे क्या बोलेंगे या वह मेरे लिये क्या सोचेंगे और निरंतर व्यर्थ चिंतन

करता रहता हूँ तो में तनाव वाले हार्मोन्स रिलीज़ करने लगता हूँ और यदि में किसी चीज़ को ज्यादा सीरियस ले
रहा हूँ तो एड्रिनल हार्मोन ज्यादा रिलीज़ होने लगता है जो हार्मफुल है I जितना आप सीरियस रहेंगे उतना ही
बीमारियाँ आती जाएँगी और जितना ही आप लाइट रहेंगे मस्त रहेंगे उतना ही बीमारियाँ आपसे दूर रहेंगीI ना
दिखना है ना दिखाना है अपने को देखना है हमारा आधा तनाव दूसरों को दिखावा करने से आता है अगर किसी
ने कुछ बोल दिया या गलत कर दिया है तो पकड़कर नहीं बैठ जाना है एंजोयमेंट के साथ जीना है एन्जॉय का अर्थ
ही joy-in I अगर एंजोयमेंट के साथ जीयेंगे तो कभी एंजियोप्लास्टी नहीं करानी पड़ेगीI कभी कभी बच्चे बन जाओ जो
अच्छा लगे वही करो अपने बचपने को जीना है क्यों कि इससे जो हार्मोन्स रिलीज़ होते हैं उनकी शरीर को बड़ी
जरूरत होती है I
यदि में बीमार हूँ और मेरी स्वयं में आस्था है कि में ठीक होऊंगा , मेडिसिन का अपना रोल है लेकिन मेरे स्वयं
का मेरे शरीर को हील करने के लिये अपना रोल है बीमारी का अर्थ ही अपने आप को प्यार दें अटेंशन दें I रोज
अपने आप को प्यार करें अपने बीमारी वाले भाग को एनर्जी दें कि तुम बहुत अच्छे हो ठीक हो पूर्ण रूप से स्वस्थ
हो अपना काम अच्छी तरह से कर रहे हो अर्थात् स्वयं ही स्वयं को एनर्जी दें और मेडिसिन के साथ स्वयं ही स्वयं
को हील करें I स्वयं में परिवर्तन आदतों में परिवर्तन लायें और सुन्दर स्वस्थ हेल्दी लाइफ पायें I
साथ ही कुछ टिप्स भी शेयर किये कि यदि कब्ज निरंतर बनी रहती है तो डॉ. से कंसल्ट करें ऐसा आहार ना लें
जो आपको कब्ज बनाता है आहार में रेशेदार , फाइबर युक्त भोजन शामिल करें और भरपूर मात्र में पानी पियें
खाना धीमे –धीमे एन्जॉय करके खायें पानी सिप लेकर पियें I
सुगर लेवल मेन्टेन रखें खाने के बाद सुगर 140-150 से अधिक ना हो तथा बिना खाए सुगर 126 से अधिक न हो
क्यों कि 180 तक ब्लड में सुगर का लेवल बने रहना साइलेंट हार्ट-अटैक का कारण है I
खाने में कहीं न कहीं कुछ मात्रा में काली मिर्च व दालचीनी को शामिल करें क्योंकि काली मिर्च एस्पिरिन का काम
करती है I
6-7 घंटे की गहरी नींद लें क्योंकि 90% बॉडी रात में सोते समय हील होती है यदि नींद गहरी नहीं होगी तो शरीर
हील नहीं हो पायेगा जो कई बीमारीयों को आमंत्रण देगा I
अमरुद, पपीता, अनार जैसे फलों को डेली आहार में शामिल रखें क्योंकि ये फल कैंसर जैसे रोगों के होने को कम
करते हैं I
जितना हम अपने मन में सकारात्मक विचार लायेंगे उतना ही हम जीवन का आनंद ले पायेंगे –
ग्वालियर: ब्रह्माकुमारीज संस्थान द्वारा लगाये गए तीन दिवसीय शिविर के समापन सत्र में यह बात डॉ प्रेम मसंद
ने कही कि जितना हम अपने मन में सकारात्मक विचार लायेंगे उतना ही हम अपने जीवन का आनंद ले सकते है
क्योकि जब कोई व्यक्ति पैदा होता है या यूँ कहें कि जब कोई आत्मा इस सृष्टी पर आती है तो प्रत्येक अपनी एक
विशेषता के साथ आती है प्रत्येक आत्मा की अपनी क्षमता और प्रत्येक की अपनी एक जगह है स्पेस है जिस भी
व्यक्ति या आत्मा को वह स्पेस मिला वही ऊचाईयों तक गए हैं और जिनको यह स्पेस नही मिला वह उतना
आउटपुट नहीं दे सके जितना वो दे सकते थे अतः हम सभी को अपनी –अपनी आत्मा के उस फ्री स्पेस को
एक्टिवेट करना है साथ ही माता-पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चों में उपस्थित उस फ्री स्पेस को एक्टिवेट
करायें उन्हें कम से कम उपदेश दें क्योंकि प्रत्येक आत्मा की अपनी क्षमता है प्रत्येक अद्वितीय है I आज की सबसे

बड़ी समस्या है नकारात्मक विचार और एक बिजी माइंड I हमारा मन एक ही समय पर कई प्रकार की चीजें सोचता
रहता है कई विचार एक साथ मन में चलते रहते हैं या दूसरे शब्दों में यूँ कहें कि कई फाइल्स एकसाथ माइंड में
ओपन रहती हैं और हर फाइल अपनी एनर्जी लेती है इसलिए कौन सी फाइल कब खोलनी है यह मुझे आना चाहिए
I आजकल हमारी अपेक्षाएँ बढती ही जा रहीं हैं अनिश्चितता ने हमें घेर लिया है सबसे बड़ी घबराहट व्यक्ति को तब
आती है जब उसके मन में यह प्रश्न आता है कि यह क्यों हो रहा है या क्या होने वाला है लेकिन सही मायने में
जिंदगी पूरी ही अनिश्चित है अनिश्चितता हमारी ज़िन्दगी का पार्ट है निश्चितता होती ही नहीं है केवल एक ही चीज़
निश्चित है वह है अनिश्चितता I जब पूरी ज़िन्दगी ही अनिश्चित है तो क्या करें इसका सबसे बढ़िया तरीका है उस
अनिश्चितता को एन्जॉय करें मजे करें I किसी की भी ज़िन्दगी समस्याओं से मुक्त नहीं है प्रत्येक के जीवन में
कुछ न कुछ समस्याएं हैं हीं ऐसा कोई भी दिन नहीं आयेगा जब कोई समस्या नहीं आएगी इसलिए समस्याओं को
भी एन्जॉय करो समस्याएँ तो आती ही रहेंगी कुछ अपने आप ठीक हो जाएँगी कुछ स्वयं हमें ठीक करनी होंगी और
कुछ को परमात्मा पर छोड़ना होगा I आप वही बन रहें हैं जैसा आप सोच रहे हैं एनर्जी कहीं और नहीं हमारे
संकल्पों में ही है प्रत्येक व्यक्ति के अन्दर चार प्रकार के विचार होते हैं सकारात्मक, नकारात्मक, आवश्यक और
व्यर्थ I सबसे पहले हमें अपने नकारात्मक विचारों को समझना है और उनको परिवर्तित करना है अपने नकारात्मक
विचारों को सकारात्मक में परिवर्तित करो अगर हम अपनी नकारत्मक फाइल खोलते हैं तो नकारात्मक ही होगा
अगर सकारात्मक फाइल खोलते है तो सकारात्मक होगा I हर व्यक्ति के अंदर दोनों ही प्रकार की फाइल्स हैं
नकारात्मक और सकारात्मक I अगर नकारात्मक विचार मन में आ रहे हैं तो उन्हें सकारात्मक विचारों से हटा दो I
अपने मन और मस्तिष्क को सकारात्मकता की ट्रेनिंग देते रहो जो भी नकारात्मक भर रखा है उसको निकालते रहो
उसको पकड़कर के नहीं बैठना है पकड़कर के बैठेंगे तो समस्या दुःख देगी और छोड़ देंगे तो जीवन में हल्कापन
महसूस होगा I पहला परिवर्तन रोज सुबह अपने संकल्पों में करें कि में जो हूँ जैसा हूँ बहुत अच्छा हूँ जो है आपके
पास उसके लिये परमात्मा को धन्यवाद दें जो है उसी का उपयोग करें क्योंकि व्यक्ति की सबसे बड़ी समस्या यही
है की जो हमारे पास नहीं है हम उसकी चिंता करते हैं और जो है उसको देखते भी नहीं हैं एक भी नकारात्मक
कम्प्लेंट ना अपने लिये करें ना अपने से सम्बंधित लोगों के लिये करें तो सबकुछ ठीक होने लगेगा I प्रत्येक दिन
यह विचार जरुर करें कि आज के दिन मैंने अच्छा क्या किया I प्रत्येक दिन को प्लान करें और उसके अनुसार कार्य
करें I अपने लिये छोटे-छोटे लक्ष्य बनायें और उन्हें प्राप्त करें I पहले छोटा सोचें फिर बड़ा करें हमेशा सकारात्मक रहें
I
साथ ही कुछ हेल्थ टिप्स दिए-
विटामिन –डी और बी-12 का टेस्ट 25 के बाद जरुर करायें I अगर 200 pg/ml से बी-12 का लेवल कम है तो इसमें
इम्प्रूवमेंट लाना पड़ेगा I बी-12 के प्रोडक्ट, टेबलेट ,इंजेक्शन आज उपलब्ध हैं I साथ ही विटामिन –सी हमारी रोग
प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है खट्टे फल का उपयोग जरुर करें I एक खट्टा फल और एक मीठे फट का सेवन
जरुर करें I रेशा कम से कम 40 ग्राम रोजाना शरीर में जाना चाहिए I रेशा हमारे कई कैंसर को ठीक करता है
फाइबर हमारी आँतों को साफ़ करता है आँतों के कैंसर का एक मत्वपूर्ण कारण यही है कि रेशा मेरी आँतो में नहीं
जाते I और साथ ही मोबाइल का प्रयोग जितना जरुरी हो उतना ही करें क्योकि इससे भी रेडिएशन निकलता है I

कार्यक्रम के अंत में डॉ गुरचरण सिंह से ने सभी को एक्सरसाइज कराई एवं बी.के. आदर्श बहन जी ने राजयोग
मैडिटेशन के द्वारा सभी को गहन शांति की अनुभूति कराई साथ ही साथ सभी को स्वस्थ्य एवं सुखद जीवन के
लिये शुभकामनायें दी

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म.प्र. के माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी ने ‘सामाजिक समरसता’ कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी बहनों को शॉल ओढ़ाकर किया सम्मानित

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Gwalior : म.प्र. के माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी, भारत सरकार के केंद्रीय संचार मंत्री माननीय श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जी, म.प्र. विधानसभा अध्यक्ष माननीय श्री नरेंद्र सिंह तोमर जी ने ग्वालियर के दत्तोपंत ठेंगड़ी सभागार, कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित सामाजिक समरसता’ कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी बहनों को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। जिसमें ब्रह्माकुमारी रोशनी, ब्रह्माकुमारी सुरभि, बीके डॉ.गुरचरण सिंह को सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में प्रदेश के अनेकानेक कैबिनेट मंत्री गण, सांसद, विधायक सहित अन्य जनप्रतिनिधि तथा प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित थे।

इस अवसर पर बीके रोशनी, बीके सुरभि, बीके डॉ.गुरचरण सिंह ने माननीय मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव जी का अभिनंदन करते हुए उन्हें ईश्वरीय सौगात भेंट की।

कार्यक्रम में शहर से अनेकानेक सम्माननीय धर्मगुरु, धार्मिक संस्थान, सामाजिक संस्थान से तथा गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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बाल व्यक्तित्व विकास शिविर

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ब्रह्माकुमारीज केंद्र पर तीन दिवसीय बाल व्यक्तित्व विकास शिविर का हुआ शुभारंभ

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बच्चों में प्रेम, दया, क्षमा, आत्मविश्वास, सहनशीलता जैसे गुणों का विकास बहुत आवश्यक – आदर्श दीदी

जो बच्चे आज्ञाकारी होते है उन्हें सभी की दुवाएं एवं स्नेह मिलता है – प्रहलाद भाई

ग्वालियर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की भगिनी संस्था राजयोग एजुकेशन एंड रिसर्च फाऊंडेशन के युवा प्रभाग और शिक्षा प्रभाग के द्वारा माधवगंज स्थित प्रभु उपहार भवन में तीन दिवसीय बाल व्यक्तित्व विकास शिविर का शुभारंभ हुआ।
इस शिविर में बच्चों के सम्पूर्ण विकास के लिए आध्यात्मिकता, नैतिक शिक्षा, व्यवहारिक ज्ञान और सकारात्मक सोच आदि विषयों को रचनात्मक ढंग से बताया जायेगा।
शिविर के शुभारंभ में मुख्य प्रशिक्षक के रूप में उपस्थित मोटिवेशनल स्पीकर एवं वरिष्ठ राजयोग ध्यान प्रशिक्षक बीके प्रहलाद भाई ने नए सभी बच्चों को मोटिवेट करते हुए मजेदार शिक्षाप्रद कहानियाँ सुनाकर शिविर की शुरुआत की। उन्होंने एक रचनात्मक एक्टिविटी के माध्यम से शिविर में उपस्थित बच्चों को सिखाया कि हमें ध्यान से सुनना चाहिए। क्योकि ध्यान से सुनने का बहुत महत्व है। जबकि सुनने से ज्यादा हम देखकर कर्म करते है, हम जैसा देखते है वैसा हम बनते चले जाते है। यदि हम कुछ गलत चीजों को देखते है या हमारे सामने कोई गलती कर रहा है तो उसका प्रभाव भी हमारे जीवन पर पड़ता है। इसलिए हमेशा टीवी या मोबाईल पर कुछ देखते है तो अच्छा ही देखे।
उन्होंने कहा कि अच्छे गुणों और संस्कारों का बीज बोने का यह सही समय है। इस समय अंदर लचीलापन होता है। सही शब्दों में कहा जाए तो व्यक्तित्व का निर्माण और जीवन को दिशा देने का काम इसी समयावधि में हो सकता है। हम जैसा बनना चाहें वैसा अपने को बना सकते हैं। आजकल कई बच्चे अपना कीमती समय मोबाइल पर नष्ट कर रहे हैं। अभिभावक और शिक्षक चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। इस समय में मोबाईल का ज्यादा उपयोग करना हमारे लिए बहुत नुकशान दायक है । मोबाईल हमारी सुविधा के लिए है पढ़ाई आदि के लिए ही हम इसे थोडा बहुत उपयोग कर सकते है। बांकी और और चीजों में हमें नहीं जाना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि सभी बच्चो को प्रातः सूर्योदय से पहले जाग जाना चाहिए तथा रात्रि को जल्दी सोना चाहिए। देर रात तक नहीं जागना चाहिए। सभी बच्चों को अपने माता पिता कहना मानना चाहिए। हरेक माता पिता अपने बच्चों की भलाई के लिए ही उन्हें समझाते है कभी भी माता पिता से नाराज नहीं होना चाहिए। जो बच्चे आज्ञाकारी होते है उन्हें सभी की दुवाएं एवं स्नेह मिलता है। और वह जीवन में आगे बढ़ते जाते है। इस पर एक रोचक कहानी भी बच्चों को सुनाई।
आगे भाई जी ने बच्चों को मन बुद्धि और संस्कार के बारे में बताया कि कैसे हम अच्छा सोचकर अपने अन्दर अच्छी आदतों को डाल सकते है। और अपनी ख़राब आदतों को छोड़ सकते है।


कार्यक्रम में बच्चो को मेडिटेशन (ध्यान) की सरल विधि सिखाई गई साथ ही ध्यान का अभ्यास भी कराया गया।
इस अवसर पर केंद्र प्रमुख बीके आदर्श दीदी ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि यदि हम थोडा समय पढ़ाई से पूर्व या कोई कार्य करने से पूर्व राजयोग ध्यान का अभ्यास करते है। अथवा परमात्मा को याद करते है तो हमें सफलता अवश्य मिलती है, साथ ही हमारी एकाग्रता भी बढती है। दीदी ने आगे कहा कि हमें इतना सुंदर जीवन मिला है तो उसके लिए हमें ईश्वर का शुक्रिया अदा करना चाहिए, साथ ही उन सभी का शुक्रिया करना चाहिए जो हमारे जीवन को अच्छा बनाने में हमारे मददगार है जैसे माता-पिता एवं गुरुजन आदि।
दीदी ने आगे बताया कि बच्चों में प्रेम, दया, क्षमा, आत्मविश्वास और सहनशीलता जैसे गुणों का विकास बहुत आवश्यक है। यह शिविर निश्चित ही बच्चों में दिव्य गुणों की धारणा और चारित्रिक विकास में मददगार साबित होगा। जो बच्चे बचपन से ही आध्यात्मिक शिक्षा और नैतिक शिक्षा और व्यवहारिक शिक्षा से जुड़ते है, तो वह न केवल बड़े होकर एक अच्छे नागरिक बनते है, बल्कि समाज और विश्व के लिए भी एक प्रेरणा और आदर्श बनकर उभरते है।
अंत में शिक्षाप्रद गेम भी खिलाये गए जिसका बच्चों ने आनंद लिया|
इस अवसर पर बीके जीतू, बीके सुरभि, बीके रोशनी, रीता मिड्ढा सहित अनेकानेक बच्चो के पैरेंट्स भी उपस्थित थे।

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