Connect with us

Indraganj Lashkar

ग्वालियर: “आपका स्वास्थ्य आपके हाथों में”

Published

on

prem-masand

“आपका स्वास्थ्य आपके हाथों में”
जिंदगी जबरदस्त है इसको जबरदस्ती नहीं खुलकर जियो – बी के डॉ. प्रेम मसंद (कैंसर स्पेशलिस्ट)

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय, मेडिकल विंग (राजयोग एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन) ग्वालियर
के द्वारा दिनांक 15 दिसम्बर को तीन दिवसीय निःशुल्क शिविर का उद्घाटन दीप प्रज्वलन के साथ किया गयाI
कार्यक्रम में मुख्य रूप से एम. एल. दौलतानी (ब्रांड एम्बेसडर स्वच्छता अभियान एवं पूर्व उपायुक्त न.नि.ग्वा.), श्री
राजेंद्र प्रसाद गुप्ता (प्रांतीय प्रधान भारतीय योग संस्थान ), श्री अश्विनी माहेश्वरी (चार्टेड एकाउंटेंट), अंतर्राष्ट्रीय
मोटिवेशनल वक्ता बीके डॉ. प्रेम मसंद (कैंसर स्पेशलिस्ट), बीके आदर्श बहिन (सेन्टर इंचार्ज), श्री पीताम्बर
लोकवानी, श्री इन्द्रमोहन वर्मा (मुख्य जनरल मैनेजर इलाहाबाद बैंक), बी.के. डॉ. गुरचरण सिंह, श्री महेश अग्रवाल,
श्री राजेंद्र अग्रवाल (भारतीय योग संस्थान ग्वा.), और शहर से अनेकानेक नागरिक उपस्थित थे I कार्यक्रम के
शुभारम्भ में कुमारी हर्षिता के द्वारा स्वागत नृत्य किया गया तत्पश्चात ब्रह्माकुमारी सेवाकेंद्र इंचार्ज बी.के. आदर्श
बहन ने सभी का शब्दों के द्वारा स्वागत किया गया | शिविर के प्रथम दिन को संबोधित करते हुए डॉ. प्रेम मसंद
ने कहा कि
स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण समस्या है अगर स्वास्थ्य ठीक है तो सब ठीक है I
जिंदगी जबरदस्त है इसको जबरदस्ती नहीं जबरदस्त तरीके से जीना चाहिए I जो शेष है वही विशेष है जो बीत
गया उस पर फुलस्टॉप लगाकर जो शेष है उसको जबरदस्त तरीके से एंजोयमेंट के साथ जीना चाहिए I
पाँव गरम – पेट नरम – सिर ठंडा ये है स्वस्थ्य जीवन का फंडा I
हमें अपनी दिनचर्या में स्वास्थ्य के लिये एक घंटा रोज देना ही चाहिए कम से कम दस हज़ार कदम रोजाना चलना
चाहिए I disease का अर्थ है शरीर का जो अंग कमजोर है वहां बीमारियों का उभरना I जब में अपने एनर्जी लेवल
को कम कर देता हूँ तो बीमारियाँ आती हैं बीमारियों का सबसे बड़ा कारण है शरीर में ऑक्सीजन की कमी I हमारे
शरीर के जिस भी भाग में ऑक्सीजन की कमी आती है या यूँ कहें की एनर्जी लेवल कम हो जाता है उस भाग में
बीमारी उभरने लगती है अगर ऑक्सीजन शरीर में पूरी तरह जाता है तो बीमारियाँ नहीं होती हैं I इसके साथ ही
उन्होंने बताया कि शरीर में ह्रदय व फेफड़े दो मत्वपूर्ण पंप हैं जैसे-जैसे तनाव बढता है हृदय का रिलैक्सेशन कम हो
जाता है यदि हृदय 0.5 रिलैक्स करता है तो 0.4 ही रिलैक्स करेगा और यदि तनाव जैसे जैसे बढता जायेगा हृदय
का रिलेक्सेशन 0.3 हो जायेगा अतः जितना हृदय कम रिलैक्स करेगा उतना कम ऑक्सीजन आएगी और बीमारी
आती जाएँगी I और आज जितना तनाव बढता जा रहा है हृदय का रिलैक्सेशन उतना ही कम होता जा रहा है जो
की आज हमें हार्ट-अटैक के रूप में देखने मिलता है I आज विश्व भर में डिप्रेशन इतनी कॉमन बीमारी हो गयी है
जो कि हर उम्र के लोगों में देखने को मिलती है यदि इसे जल्द से जल्द ठीक नहीं किया गया तो आने वाले समय
में हर चार व्यक्ति में से एक को इस बीमारी से ग्रसित देखेंगे I हमारी इमोशनल भावनाएं हमारे शरीर को नुकसान
पहुंचाती हैं हमारी 90% बीमारियों का कारण ही है इमोशनल स्ट्रेस I इसके लिये अपने आप को शारीरिक,मानसिक,
भावनात्मक, सामाजिक, आध्यात्मिक रूप से रोजाना चार्ज करें एनर्जी लें I हमारा शरीर, माइंड, रिलेशनशिप , सोशल
लाइफ ठीक होना चाहिए I भाईजी ने बताया दो चीजें हैं माइंड और मैटर I यदि में किसी चीज़ को माइंड नहीं करता
हूँ सीरियस नहीं लेता हूँ तो कुछ नहीं होगा मेरे शरीर पर उसका कोई इफ़ेक्ट नहीं पड़ेगा और यदि में किसी चीज़
को माइंड करता हूँ सीरियस लेता हूँ कि दूसरे क्या बोलेंगे या वह मेरे लिये क्या सोचेंगे और निरंतर व्यर्थ चिंतन

करता रहता हूँ तो में तनाव वाले हार्मोन्स रिलीज़ करने लगता हूँ और यदि में किसी चीज़ को ज्यादा सीरियस ले
रहा हूँ तो एड्रिनल हार्मोन ज्यादा रिलीज़ होने लगता है जो हार्मफुल है I जितना आप सीरियस रहेंगे उतना ही
बीमारियाँ आती जाएँगी और जितना ही आप लाइट रहेंगे मस्त रहेंगे उतना ही बीमारियाँ आपसे दूर रहेंगीI ना
दिखना है ना दिखाना है अपने को देखना है हमारा आधा तनाव दूसरों को दिखावा करने से आता है अगर किसी
ने कुछ बोल दिया या गलत कर दिया है तो पकड़कर नहीं बैठ जाना है एंजोयमेंट के साथ जीना है एन्जॉय का अर्थ
ही joy-in I अगर एंजोयमेंट के साथ जीयेंगे तो कभी एंजियोप्लास्टी नहीं करानी पड़ेगीI कभी कभी बच्चे बन जाओ जो
अच्छा लगे वही करो अपने बचपने को जीना है क्यों कि इससे जो हार्मोन्स रिलीज़ होते हैं उनकी शरीर को बड़ी
जरूरत होती है I
यदि में बीमार हूँ और मेरी स्वयं में आस्था है कि में ठीक होऊंगा , मेडिसिन का अपना रोल है लेकिन मेरे स्वयं
का मेरे शरीर को हील करने के लिये अपना रोल है बीमारी का अर्थ ही अपने आप को प्यार दें अटेंशन दें I रोज
अपने आप को प्यार करें अपने बीमारी वाले भाग को एनर्जी दें कि तुम बहुत अच्छे हो ठीक हो पूर्ण रूप से स्वस्थ
हो अपना काम अच्छी तरह से कर रहे हो अर्थात् स्वयं ही स्वयं को एनर्जी दें और मेडिसिन के साथ स्वयं ही स्वयं
को हील करें I स्वयं में परिवर्तन आदतों में परिवर्तन लायें और सुन्दर स्वस्थ हेल्दी लाइफ पायें I
साथ ही कुछ टिप्स भी शेयर किये कि यदि कब्ज निरंतर बनी रहती है तो डॉ. से कंसल्ट करें ऐसा आहार ना लें
जो आपको कब्ज बनाता है आहार में रेशेदार , फाइबर युक्त भोजन शामिल करें और भरपूर मात्र में पानी पियें
खाना धीमे –धीमे एन्जॉय करके खायें पानी सिप लेकर पियें I
सुगर लेवल मेन्टेन रखें खाने के बाद सुगर 140-150 से अधिक ना हो तथा बिना खाए सुगर 126 से अधिक न हो
क्यों कि 180 तक ब्लड में सुगर का लेवल बने रहना साइलेंट हार्ट-अटैक का कारण है I
खाने में कहीं न कहीं कुछ मात्रा में काली मिर्च व दालचीनी को शामिल करें क्योंकि काली मिर्च एस्पिरिन का काम
करती है I
6-7 घंटे की गहरी नींद लें क्योंकि 90% बॉडी रात में सोते समय हील होती है यदि नींद गहरी नहीं होगी तो शरीर
हील नहीं हो पायेगा जो कई बीमारीयों को आमंत्रण देगा I
अमरुद, पपीता, अनार जैसे फलों को डेली आहार में शामिल रखें क्योंकि ये फल कैंसर जैसे रोगों के होने को कम
करते हैं I
जितना हम अपने मन में सकारात्मक विचार लायेंगे उतना ही हम जीवन का आनंद ले पायेंगे –
ग्वालियर: ब्रह्माकुमारीज संस्थान द्वारा लगाये गए तीन दिवसीय शिविर के समापन सत्र में यह बात डॉ प्रेम मसंद
ने कही कि जितना हम अपने मन में सकारात्मक विचार लायेंगे उतना ही हम अपने जीवन का आनंद ले सकते है
क्योकि जब कोई व्यक्ति पैदा होता है या यूँ कहें कि जब कोई आत्मा इस सृष्टी पर आती है तो प्रत्येक अपनी एक
विशेषता के साथ आती है प्रत्येक आत्मा की अपनी क्षमता और प्रत्येक की अपनी एक जगह है स्पेस है जिस भी
व्यक्ति या आत्मा को वह स्पेस मिला वही ऊचाईयों तक गए हैं और जिनको यह स्पेस नही मिला वह उतना
आउटपुट नहीं दे सके जितना वो दे सकते थे अतः हम सभी को अपनी –अपनी आत्मा के उस फ्री स्पेस को
एक्टिवेट करना है साथ ही माता-पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चों में उपस्थित उस फ्री स्पेस को एक्टिवेट
करायें उन्हें कम से कम उपदेश दें क्योंकि प्रत्येक आत्मा की अपनी क्षमता है प्रत्येक अद्वितीय है I आज की सबसे

बड़ी समस्या है नकारात्मक विचार और एक बिजी माइंड I हमारा मन एक ही समय पर कई प्रकार की चीजें सोचता
रहता है कई विचार एक साथ मन में चलते रहते हैं या दूसरे शब्दों में यूँ कहें कि कई फाइल्स एकसाथ माइंड में
ओपन रहती हैं और हर फाइल अपनी एनर्जी लेती है इसलिए कौन सी फाइल कब खोलनी है यह मुझे आना चाहिए
I आजकल हमारी अपेक्षाएँ बढती ही जा रहीं हैं अनिश्चितता ने हमें घेर लिया है सबसे बड़ी घबराहट व्यक्ति को तब
आती है जब उसके मन में यह प्रश्न आता है कि यह क्यों हो रहा है या क्या होने वाला है लेकिन सही मायने में
जिंदगी पूरी ही अनिश्चित है अनिश्चितता हमारी ज़िन्दगी का पार्ट है निश्चितता होती ही नहीं है केवल एक ही चीज़
निश्चित है वह है अनिश्चितता I जब पूरी ज़िन्दगी ही अनिश्चित है तो क्या करें इसका सबसे बढ़िया तरीका है उस
अनिश्चितता को एन्जॉय करें मजे करें I किसी की भी ज़िन्दगी समस्याओं से मुक्त नहीं है प्रत्येक के जीवन में
कुछ न कुछ समस्याएं हैं हीं ऐसा कोई भी दिन नहीं आयेगा जब कोई समस्या नहीं आएगी इसलिए समस्याओं को
भी एन्जॉय करो समस्याएँ तो आती ही रहेंगी कुछ अपने आप ठीक हो जाएँगी कुछ स्वयं हमें ठीक करनी होंगी और
कुछ को परमात्मा पर छोड़ना होगा I आप वही बन रहें हैं जैसा आप सोच रहे हैं एनर्जी कहीं और नहीं हमारे
संकल्पों में ही है प्रत्येक व्यक्ति के अन्दर चार प्रकार के विचार होते हैं सकारात्मक, नकारात्मक, आवश्यक और
व्यर्थ I सबसे पहले हमें अपने नकारात्मक विचारों को समझना है और उनको परिवर्तित करना है अपने नकारात्मक
विचारों को सकारात्मक में परिवर्तित करो अगर हम अपनी नकारत्मक फाइल खोलते हैं तो नकारात्मक ही होगा
अगर सकारात्मक फाइल खोलते है तो सकारात्मक होगा I हर व्यक्ति के अंदर दोनों ही प्रकार की फाइल्स हैं
नकारात्मक और सकारात्मक I अगर नकारात्मक विचार मन में आ रहे हैं तो उन्हें सकारात्मक विचारों से हटा दो I
अपने मन और मस्तिष्क को सकारात्मकता की ट्रेनिंग देते रहो जो भी नकारात्मक भर रखा है उसको निकालते रहो
उसको पकड़कर के नहीं बैठना है पकड़कर के बैठेंगे तो समस्या दुःख देगी और छोड़ देंगे तो जीवन में हल्कापन
महसूस होगा I पहला परिवर्तन रोज सुबह अपने संकल्पों में करें कि में जो हूँ जैसा हूँ बहुत अच्छा हूँ जो है आपके
पास उसके लिये परमात्मा को धन्यवाद दें जो है उसी का उपयोग करें क्योंकि व्यक्ति की सबसे बड़ी समस्या यही
है की जो हमारे पास नहीं है हम उसकी चिंता करते हैं और जो है उसको देखते भी नहीं हैं एक भी नकारात्मक
कम्प्लेंट ना अपने लिये करें ना अपने से सम्बंधित लोगों के लिये करें तो सबकुछ ठीक होने लगेगा I प्रत्येक दिन
यह विचार जरुर करें कि आज के दिन मैंने अच्छा क्या किया I प्रत्येक दिन को प्लान करें और उसके अनुसार कार्य
करें I अपने लिये छोटे-छोटे लक्ष्य बनायें और उन्हें प्राप्त करें I पहले छोटा सोचें फिर बड़ा करें हमेशा सकारात्मक रहें
I
साथ ही कुछ हेल्थ टिप्स दिए-
विटामिन –डी और बी-12 का टेस्ट 25 के बाद जरुर करायें I अगर 200 pg/ml से बी-12 का लेवल कम है तो इसमें
इम्प्रूवमेंट लाना पड़ेगा I बी-12 के प्रोडक्ट, टेबलेट ,इंजेक्शन आज उपलब्ध हैं I साथ ही विटामिन –सी हमारी रोग
प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है खट्टे फल का उपयोग जरुर करें I एक खट्टा फल और एक मीठे फट का सेवन
जरुर करें I रेशा कम से कम 40 ग्राम रोजाना शरीर में जाना चाहिए I रेशा हमारे कई कैंसर को ठीक करता है
फाइबर हमारी आँतों को साफ़ करता है आँतों के कैंसर का एक मत्वपूर्ण कारण यही है कि रेशा मेरी आँतो में नहीं
जाते I और साथ ही मोबाइल का प्रयोग जितना जरुरी हो उतना ही करें क्योकि इससे भी रेडिएशन निकलता है I

कार्यक्रम के अंत में डॉ गुरचरण सिंह से ने सभी को एक्सरसाइज कराई एवं बी.के. आदर्श बहन जी ने राजयोग
मैडिटेशन के द्वारा सभी को गहन शांति की अनुभूति कराई साथ ही साथ सभी को स्वस्थ्य एवं सुखद जीवन के
लिये शुभकामनायें दी

Indraganj Lashkar

सीआरपीएफ संतुलित आहार

Published

on

सीआरपीएफ समूह केंद्र में क्षेत्रीय परिवार कल्याण केन्द्र के सहयोग से सेमिनार का आयोजन

ग्वालियर। सीआरपीएफ समूह केंद्र में क्षेत्रीय परिवार कल्याण केन्द्र के सहयोग से एक सेमिनार व वक्तव्य का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम समूह केन्द्र के तानसेन क्लब में आयोजित हुआ। कार्यक्रम में मुख्य रूप से डाईटीशियन सौम्या चड्ढा, ब्रह्माकुमारीज संस्थान से प्रेरक वक्ता बी के प्रहलाद भाई उपस्थित थे।
इस अवसर पर क्षेत्रीय कावा अध्यक्षा श्रीमती सुनीता निगम, श्रीमती भावना गुप्ता, डिप्टी कमांडेंट दिलाबर सिंह, श्रीमती गीता, श्रीमती आशा सहित क्षेत्रीय कावा के अन्य सदस्य भी उपस्थित थे।
केन्द्र में निवासरत महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता व उनको लाभान्वित करने के लिए विशेषज्ञों द्वारा पोषण एवं अंधत्व नियंत्रण के विषय पर चर्चा की गयी
मुख्य आहार विशेषज्ञ सौम्या चड्ढा नें सभी को सम्बोधित करते हुए कहा कि सभी को यह ध्यान रखना चाहिए कि हमारा आहार इस तरह का हो जिसमें वह सभी पोषक तत्व आ जाए जो शरीर के लिए आवश्यक है। उन्होंने बताया कि लें। थाली में अनाज, दाल/ प्रोटीन, सब्जी, फल, दूध, दही जैसी चीजें शामिल करें। समय पर भोजन करें, सीजनल फल और सब्जियां लें, दिनभर में 8 से 10 गिलास पानी पिएं, शारीरिक व्यायाम करें या कम से कम 30 मिनिट पैदल चलें, जरूरत से ज्यादा भोजन न करें।
ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के मेडिटेशन विशेषज्ञ बीके प्रहलाद भाई एवं बीके सुरभि नें सभी को मन को स्वस्थ्य रखने के लिए टिप्स दिए एवं राजयोग ध्यान को जीवन का हिस्सा बनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि राजयोग ध्यान करने से अनेक लाभ होते है। जैसे – यह तनाव कम करता है, मन को शांति और स्थिरता देता है, गुस्सा, चिंता और नकारात्मक सोच को घटाता है, एकाग्रता और स्मरण शक्ति बढ़ाता है, नींद की गुणवत्ता में सुधार लाता है। यह सब ठीक है तो शारीरिक स्वास्थ्य भी ठीक रहता है।
सेमिनार में ग्रुप केन्द्र के सैंकड़ों कार्मिकों एवं इस ग्रुप केन्द्र में निवासरत महिलाओं द्वारा बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया गया। सेमिनार के अंत में क्षेत्रीय कावा अध्यक्षा श्रीमती सुनीता निगम द्वारा डाईटीशियन सौम्या चड्ढा एवं बी के प्रहलाद भाई को स्मृति चिन्ह भेंट किए एवं विशेषज्ञों द्वारा इस विषय पर महत्वपूर्ण ज्ञानवर्धन करने हेतु धन्यवाद एवं आभार व्‍यक्‍त किया।

Continue Reading

Indraganj Lashkar

खुशनुमा और स्वस्थ जीवन (एसएएफ 13 बटालियन)

Published

on

प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्व विद्यालय के द्वारा 13वीं वाहिनी विशेष सशस्त्र बल (एसएएफ 13 बटालियन) में “तनाव प्रबंधन, खुशनुमा और स्वस्थ जीवन शैली” विषय पर एक प्रेरणादायक सत्र आयोजित किया गया। जिसका उद्देश्य लोगों को मानसिक शांति, सकारात्मक सोच और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना था।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में प्रेरक वक्ता एवं वरिष्ठ राजयोग ध्यान प्रशिक्षक बीके प्रहलाद भाई तथा ब्रह्माकुमारीज़ केंद्र की मुख्य संचालिका बीके आदर्श दीदी उपस्थित थीं।
इस अवसर पर एस ए एफ 13 बटालियन से प्रभारी सेनानी अनुराग पांडे, सहायक सेनानी, गुलबाग सिंह, डॉक्टर ओ पी वर्मा निरीक्षक मुनेन्द्र सिंह भदोरिया, निरीक्षक, धर्मेंद्र वर्मा, निरीक्षक मुकेश परिहार, निरीक्षक पुष्पेंद्र सिंह भदौरिया, निरीक्षक जादौन, निरीक्षक राय सिंह जयंत, समस्त पी टी एस स्टाफ एवं 350 से अधिक प्रशिक्षणार्थी सहित ब्रह्माकुमारीज से बीके सुरभि, बीके रोशनी, बीके पवन उपस्थित थे।
कार्यक्रम में बीके प्रहलाद भाई ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि आज के तेज रफ़्तार जीवन में तनाव हर किसी की दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है। जिसकी वजह से हमारे जीवन में काफी उतार चढाव आते है। इन सबसे छूटने के लिए तनाव का सही ढंग से प्रबंधन करना ही खुशनुमा और स्वस्थ जीवन जीने की कला है। यदि तनाव पर नियंत्रण न हो तो यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ को प्रभावित करता है। इसके लिए कुछ सरल उपाय अपनाकर हम संतुलित, आनंदमय और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। उन्होंने कहा कि – सकारात्मक सोच विकसित करें, हर परिस्थिति में अच्छा पक्ष देखने का प्रयास करें, नकारात्मक विचारों से दूर रहें, योग और ध्यान को जीवन का हिस्सा बनाये, रोजाना 15 से 20 मिनिट ध्यान करें जिससे मन स्थिर रहता है एवं मानसिक शांति भी मिलती है, प्राणायाम और योगासन से शरीर स्वस्थ्य रहता है, 6 से 8 घंटे की पर्याप्त नींद लें, संतुलित भोजन लें, नशे से दूरी बनाकर रखें, जंक फ़ूड से बचें, व्यवस्थित दिनचर्या बनायें, कोई न कोई रोज अच्छी पुस्तक पढ़ने की आदत डालें, कार्यक्रम स्थल पर किसी भी तरह का दवाव आता है तो घबरायें नहीं, परिवार के साथ समय विताएं, हर कार्य को एक खेल की तरह से लें।
बीके प्रहलाद भाई नें अनेकानेक रचनात्मक गतिविधि भी कराई जिससे सभी का मन हल्का हुआ और उमंग उत्साह भी बढ़ा। और दिन कि शुरुआत किस तरह से करें वह भी बताया।
कार्यक्रम में बीके आदर्श दीदी नें कहा कि तनाव को दूर करने के लिए योग, ध्यान, प्राणायाम, सकारात्मक चिंतन और समय प्रबंधन जैसे उपाय बेहद प्रभावी हैं। पर्याप्त नींद और रुचियों के लिए समय निकालना जीवन को सुखद और तनावमुक्त बना सकता है साथ ही कहा कि तनाव प्रबंध केवल एक तकनीक नहीं बल्कि एक जीवन जीने की कला है यदि हम स्वस्थ दिनचर्या और आत्म नियंत्रण को अपनाएं तो जीवन अधिक खुशनुमा और आनंदमय बन सकता है। दीदी नें सभी को राजयोग ध्यान की विधि बताई तथा सभी को उसके फायदे बताते हुए अभ्यास भी कराया।
इस अवसर पर उपस्थित प्रतिभागियों ने संकल्प लिया कि वे अपने जीवन में स्वस्थ दिनचर्या, योग ध्यान और सकारात्मक सोच को अपनायेंगे और परिवार एवं समाज के प्रेरणास्त्रोत बनेगें।
कार्यक्रम में मेडिकल ऑफिसर डॉ ओपी वर्मा ने बताया कि तनाव आता है तो लोग आसानी से नशे की तरफ भागते है जबकि वह समाधान नहीं है। समाधान के लिए हमें ब्रह्माकुमारीज़ जैसे आध्यात्मिक संस्थानों से जुड़कर ध्यान के माध्यम में हमें अपने को सकारात्मक बनाना चाहिए। इस अवसर पर अन्य पदाधिकारियों नें भी अपने विचार रखे।
कार्यक्रम में संस्थान के लोंगो का अभिनन्दन करते हुए पौधे भेंट किए गए।

Continue Reading

Indraganj Lashkar

तनाव प्रबंध केवल एक तकनीक नहीं बल्कि एक जीवन जीने की कला है – बीके आदर्श दीदी(न्यूज़ कवरेज)

Published

on

Continue Reading

Brahmakumaris