Connect with us

Indraganj Lashkar

ग्वालियर: “आपका स्वास्थ्य आपके हाथों में”

Published

on

prem-masand

“आपका स्वास्थ्य आपके हाथों में”
जिंदगी जबरदस्त है इसको जबरदस्ती नहीं खुलकर जियो – बी के डॉ. प्रेम मसंद (कैंसर स्पेशलिस्ट)

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय, मेडिकल विंग (राजयोग एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन) ग्वालियर
के द्वारा दिनांक 15 दिसम्बर को तीन दिवसीय निःशुल्क शिविर का उद्घाटन दीप प्रज्वलन के साथ किया गयाI
कार्यक्रम में मुख्य रूप से एम. एल. दौलतानी (ब्रांड एम्बेसडर स्वच्छता अभियान एवं पूर्व उपायुक्त न.नि.ग्वा.), श्री
राजेंद्र प्रसाद गुप्ता (प्रांतीय प्रधान भारतीय योग संस्थान ), श्री अश्विनी माहेश्वरी (चार्टेड एकाउंटेंट), अंतर्राष्ट्रीय
मोटिवेशनल वक्ता बीके डॉ. प्रेम मसंद (कैंसर स्पेशलिस्ट), बीके आदर्श बहिन (सेन्टर इंचार्ज), श्री पीताम्बर
लोकवानी, श्री इन्द्रमोहन वर्मा (मुख्य जनरल मैनेजर इलाहाबाद बैंक), बी.के. डॉ. गुरचरण सिंह, श्री महेश अग्रवाल,
श्री राजेंद्र अग्रवाल (भारतीय योग संस्थान ग्वा.), और शहर से अनेकानेक नागरिक उपस्थित थे I कार्यक्रम के
शुभारम्भ में कुमारी हर्षिता के द्वारा स्वागत नृत्य किया गया तत्पश्चात ब्रह्माकुमारी सेवाकेंद्र इंचार्ज बी.के. आदर्श
बहन ने सभी का शब्दों के द्वारा स्वागत किया गया | शिविर के प्रथम दिन को संबोधित करते हुए डॉ. प्रेम मसंद
ने कहा कि
स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण समस्या है अगर स्वास्थ्य ठीक है तो सब ठीक है I
जिंदगी जबरदस्त है इसको जबरदस्ती नहीं जबरदस्त तरीके से जीना चाहिए I जो शेष है वही विशेष है जो बीत
गया उस पर फुलस्टॉप लगाकर जो शेष है उसको जबरदस्त तरीके से एंजोयमेंट के साथ जीना चाहिए I
पाँव गरम – पेट नरम – सिर ठंडा ये है स्वस्थ्य जीवन का फंडा I
हमें अपनी दिनचर्या में स्वास्थ्य के लिये एक घंटा रोज देना ही चाहिए कम से कम दस हज़ार कदम रोजाना चलना
चाहिए I disease का अर्थ है शरीर का जो अंग कमजोर है वहां बीमारियों का उभरना I जब में अपने एनर्जी लेवल
को कम कर देता हूँ तो बीमारियाँ आती हैं बीमारियों का सबसे बड़ा कारण है शरीर में ऑक्सीजन की कमी I हमारे
शरीर के जिस भी भाग में ऑक्सीजन की कमी आती है या यूँ कहें की एनर्जी लेवल कम हो जाता है उस भाग में
बीमारी उभरने लगती है अगर ऑक्सीजन शरीर में पूरी तरह जाता है तो बीमारियाँ नहीं होती हैं I इसके साथ ही
उन्होंने बताया कि शरीर में ह्रदय व फेफड़े दो मत्वपूर्ण पंप हैं जैसे-जैसे तनाव बढता है हृदय का रिलैक्सेशन कम हो
जाता है यदि हृदय 0.5 रिलैक्स करता है तो 0.4 ही रिलैक्स करेगा और यदि तनाव जैसे जैसे बढता जायेगा हृदय
का रिलेक्सेशन 0.3 हो जायेगा अतः जितना हृदय कम रिलैक्स करेगा उतना कम ऑक्सीजन आएगी और बीमारी
आती जाएँगी I और आज जितना तनाव बढता जा रहा है हृदय का रिलैक्सेशन उतना ही कम होता जा रहा है जो
की आज हमें हार्ट-अटैक के रूप में देखने मिलता है I आज विश्व भर में डिप्रेशन इतनी कॉमन बीमारी हो गयी है
जो कि हर उम्र के लोगों में देखने को मिलती है यदि इसे जल्द से जल्द ठीक नहीं किया गया तो आने वाले समय
में हर चार व्यक्ति में से एक को इस बीमारी से ग्रसित देखेंगे I हमारी इमोशनल भावनाएं हमारे शरीर को नुकसान
पहुंचाती हैं हमारी 90% बीमारियों का कारण ही है इमोशनल स्ट्रेस I इसके लिये अपने आप को शारीरिक,मानसिक,
भावनात्मक, सामाजिक, आध्यात्मिक रूप से रोजाना चार्ज करें एनर्जी लें I हमारा शरीर, माइंड, रिलेशनशिप , सोशल
लाइफ ठीक होना चाहिए I भाईजी ने बताया दो चीजें हैं माइंड और मैटर I यदि में किसी चीज़ को माइंड नहीं करता
हूँ सीरियस नहीं लेता हूँ तो कुछ नहीं होगा मेरे शरीर पर उसका कोई इफ़ेक्ट नहीं पड़ेगा और यदि में किसी चीज़
को माइंड करता हूँ सीरियस लेता हूँ कि दूसरे क्या बोलेंगे या वह मेरे लिये क्या सोचेंगे और निरंतर व्यर्थ चिंतन

करता रहता हूँ तो में तनाव वाले हार्मोन्स रिलीज़ करने लगता हूँ और यदि में किसी चीज़ को ज्यादा सीरियस ले
रहा हूँ तो एड्रिनल हार्मोन ज्यादा रिलीज़ होने लगता है जो हार्मफुल है I जितना आप सीरियस रहेंगे उतना ही
बीमारियाँ आती जाएँगी और जितना ही आप लाइट रहेंगे मस्त रहेंगे उतना ही बीमारियाँ आपसे दूर रहेंगीI ना
दिखना है ना दिखाना है अपने को देखना है हमारा आधा तनाव दूसरों को दिखावा करने से आता है अगर किसी
ने कुछ बोल दिया या गलत कर दिया है तो पकड़कर नहीं बैठ जाना है एंजोयमेंट के साथ जीना है एन्जॉय का अर्थ
ही joy-in I अगर एंजोयमेंट के साथ जीयेंगे तो कभी एंजियोप्लास्टी नहीं करानी पड़ेगीI कभी कभी बच्चे बन जाओ जो
अच्छा लगे वही करो अपने बचपने को जीना है क्यों कि इससे जो हार्मोन्स रिलीज़ होते हैं उनकी शरीर को बड़ी
जरूरत होती है I
यदि में बीमार हूँ और मेरी स्वयं में आस्था है कि में ठीक होऊंगा , मेडिसिन का अपना रोल है लेकिन मेरे स्वयं
का मेरे शरीर को हील करने के लिये अपना रोल है बीमारी का अर्थ ही अपने आप को प्यार दें अटेंशन दें I रोज
अपने आप को प्यार करें अपने बीमारी वाले भाग को एनर्जी दें कि तुम बहुत अच्छे हो ठीक हो पूर्ण रूप से स्वस्थ
हो अपना काम अच्छी तरह से कर रहे हो अर्थात् स्वयं ही स्वयं को एनर्जी दें और मेडिसिन के साथ स्वयं ही स्वयं
को हील करें I स्वयं में परिवर्तन आदतों में परिवर्तन लायें और सुन्दर स्वस्थ हेल्दी लाइफ पायें I
साथ ही कुछ टिप्स भी शेयर किये कि यदि कब्ज निरंतर बनी रहती है तो डॉ. से कंसल्ट करें ऐसा आहार ना लें
जो आपको कब्ज बनाता है आहार में रेशेदार , फाइबर युक्त भोजन शामिल करें और भरपूर मात्र में पानी पियें
खाना धीमे –धीमे एन्जॉय करके खायें पानी सिप लेकर पियें I
सुगर लेवल मेन्टेन रखें खाने के बाद सुगर 140-150 से अधिक ना हो तथा बिना खाए सुगर 126 से अधिक न हो
क्यों कि 180 तक ब्लड में सुगर का लेवल बने रहना साइलेंट हार्ट-अटैक का कारण है I
खाने में कहीं न कहीं कुछ मात्रा में काली मिर्च व दालचीनी को शामिल करें क्योंकि काली मिर्च एस्पिरिन का काम
करती है I
6-7 घंटे की गहरी नींद लें क्योंकि 90% बॉडी रात में सोते समय हील होती है यदि नींद गहरी नहीं होगी तो शरीर
हील नहीं हो पायेगा जो कई बीमारीयों को आमंत्रण देगा I
अमरुद, पपीता, अनार जैसे फलों को डेली आहार में शामिल रखें क्योंकि ये फल कैंसर जैसे रोगों के होने को कम
करते हैं I
जितना हम अपने मन में सकारात्मक विचार लायेंगे उतना ही हम जीवन का आनंद ले पायेंगे –
ग्वालियर: ब्रह्माकुमारीज संस्थान द्वारा लगाये गए तीन दिवसीय शिविर के समापन सत्र में यह बात डॉ प्रेम मसंद
ने कही कि जितना हम अपने मन में सकारात्मक विचार लायेंगे उतना ही हम अपने जीवन का आनंद ले सकते है
क्योकि जब कोई व्यक्ति पैदा होता है या यूँ कहें कि जब कोई आत्मा इस सृष्टी पर आती है तो प्रत्येक अपनी एक
विशेषता के साथ आती है प्रत्येक आत्मा की अपनी क्षमता और प्रत्येक की अपनी एक जगह है स्पेस है जिस भी
व्यक्ति या आत्मा को वह स्पेस मिला वही ऊचाईयों तक गए हैं और जिनको यह स्पेस नही मिला वह उतना
आउटपुट नहीं दे सके जितना वो दे सकते थे अतः हम सभी को अपनी –अपनी आत्मा के उस फ्री स्पेस को
एक्टिवेट करना है साथ ही माता-पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चों में उपस्थित उस फ्री स्पेस को एक्टिवेट
करायें उन्हें कम से कम उपदेश दें क्योंकि प्रत्येक आत्मा की अपनी क्षमता है प्रत्येक अद्वितीय है I आज की सबसे

बड़ी समस्या है नकारात्मक विचार और एक बिजी माइंड I हमारा मन एक ही समय पर कई प्रकार की चीजें सोचता
रहता है कई विचार एक साथ मन में चलते रहते हैं या दूसरे शब्दों में यूँ कहें कि कई फाइल्स एकसाथ माइंड में
ओपन रहती हैं और हर फाइल अपनी एनर्जी लेती है इसलिए कौन सी फाइल कब खोलनी है यह मुझे आना चाहिए
I आजकल हमारी अपेक्षाएँ बढती ही जा रहीं हैं अनिश्चितता ने हमें घेर लिया है सबसे बड़ी घबराहट व्यक्ति को तब
आती है जब उसके मन में यह प्रश्न आता है कि यह क्यों हो रहा है या क्या होने वाला है लेकिन सही मायने में
जिंदगी पूरी ही अनिश्चित है अनिश्चितता हमारी ज़िन्दगी का पार्ट है निश्चितता होती ही नहीं है केवल एक ही चीज़
निश्चित है वह है अनिश्चितता I जब पूरी ज़िन्दगी ही अनिश्चित है तो क्या करें इसका सबसे बढ़िया तरीका है उस
अनिश्चितता को एन्जॉय करें मजे करें I किसी की भी ज़िन्दगी समस्याओं से मुक्त नहीं है प्रत्येक के जीवन में
कुछ न कुछ समस्याएं हैं हीं ऐसा कोई भी दिन नहीं आयेगा जब कोई समस्या नहीं आएगी इसलिए समस्याओं को
भी एन्जॉय करो समस्याएँ तो आती ही रहेंगी कुछ अपने आप ठीक हो जाएँगी कुछ स्वयं हमें ठीक करनी होंगी और
कुछ को परमात्मा पर छोड़ना होगा I आप वही बन रहें हैं जैसा आप सोच रहे हैं एनर्जी कहीं और नहीं हमारे
संकल्पों में ही है प्रत्येक व्यक्ति के अन्दर चार प्रकार के विचार होते हैं सकारात्मक, नकारात्मक, आवश्यक और
व्यर्थ I सबसे पहले हमें अपने नकारात्मक विचारों को समझना है और उनको परिवर्तित करना है अपने नकारात्मक
विचारों को सकारात्मक में परिवर्तित करो अगर हम अपनी नकारत्मक फाइल खोलते हैं तो नकारात्मक ही होगा
अगर सकारात्मक फाइल खोलते है तो सकारात्मक होगा I हर व्यक्ति के अंदर दोनों ही प्रकार की फाइल्स हैं
नकारात्मक और सकारात्मक I अगर नकारात्मक विचार मन में आ रहे हैं तो उन्हें सकारात्मक विचारों से हटा दो I
अपने मन और मस्तिष्क को सकारात्मकता की ट्रेनिंग देते रहो जो भी नकारात्मक भर रखा है उसको निकालते रहो
उसको पकड़कर के नहीं बैठना है पकड़कर के बैठेंगे तो समस्या दुःख देगी और छोड़ देंगे तो जीवन में हल्कापन
महसूस होगा I पहला परिवर्तन रोज सुबह अपने संकल्पों में करें कि में जो हूँ जैसा हूँ बहुत अच्छा हूँ जो है आपके
पास उसके लिये परमात्मा को धन्यवाद दें जो है उसी का उपयोग करें क्योंकि व्यक्ति की सबसे बड़ी समस्या यही
है की जो हमारे पास नहीं है हम उसकी चिंता करते हैं और जो है उसको देखते भी नहीं हैं एक भी नकारात्मक
कम्प्लेंट ना अपने लिये करें ना अपने से सम्बंधित लोगों के लिये करें तो सबकुछ ठीक होने लगेगा I प्रत्येक दिन
यह विचार जरुर करें कि आज के दिन मैंने अच्छा क्या किया I प्रत्येक दिन को प्लान करें और उसके अनुसार कार्य
करें I अपने लिये छोटे-छोटे लक्ष्य बनायें और उन्हें प्राप्त करें I पहले छोटा सोचें फिर बड़ा करें हमेशा सकारात्मक रहें
I
साथ ही कुछ हेल्थ टिप्स दिए-
विटामिन –डी और बी-12 का टेस्ट 25 के बाद जरुर करायें I अगर 200 pg/ml से बी-12 का लेवल कम है तो इसमें
इम्प्रूवमेंट लाना पड़ेगा I बी-12 के प्रोडक्ट, टेबलेट ,इंजेक्शन आज उपलब्ध हैं I साथ ही विटामिन –सी हमारी रोग
प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है खट्टे फल का उपयोग जरुर करें I एक खट्टा फल और एक मीठे फट का सेवन
जरुर करें I रेशा कम से कम 40 ग्राम रोजाना शरीर में जाना चाहिए I रेशा हमारे कई कैंसर को ठीक करता है
फाइबर हमारी आँतों को साफ़ करता है आँतों के कैंसर का एक मत्वपूर्ण कारण यही है कि रेशा मेरी आँतो में नहीं
जाते I और साथ ही मोबाइल का प्रयोग जितना जरुरी हो उतना ही करें क्योकि इससे भी रेडिएशन निकलता है I

कार्यक्रम के अंत में डॉ गुरचरण सिंह से ने सभी को एक्सरसाइज कराई एवं बी.के. आदर्श बहन जी ने राजयोग
मैडिटेशन के द्वारा सभी को गहन शांति की अनुभूति कराई साथ ही साथ सभी को स्वस्थ्य एवं सुखद जीवन के
लिये शुभकामनायें दी

Indraganj Lashkar

मालनपुर ग्वालियर – ब्रह्माकुमारीज़ के युवा प्रभाग द्वारा आयोजित डिवाइन यूथ फोरम तीन दिवसीय रिट्रीट सम्पन

Published

on

ब्रह्माकुमारीज़ के युवा प्रभाग द्वारा आयोजित डिवाइन यूथ फोरम तीन दिवसीय रिट्रीट सम्पन

तीन दिवसीय रिट्रीट में प्रदेश भर से आई युवा बहनों ने सीखे व्यक्तितव विकास गुर

दुआएं लेना और दुआएं देना अर्थात जीवन को सुंदर बनाना – अनुसूईया दीदी

ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान में आना अर्थात आनंद की अनुभूति करना -आशीष प्रताप सिंह

बिना कहे जब हम काम करते हैं तो दुआएं मिलती हैं – रेखा दीदी

ग्वालियर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्व विद्यालय की भगिनी संस्था राजयोग एज्युकेशन एण्ड रिसर्च फाउंडेशन के युवा प्रभाग द्वारा नई उमंग नई तरंग के अंतर्गत गोल्डन वर्ल्ड रिट्रीट सेंटर में तीन दिवसीय आवासीय रिट्रीट डिवाइन यूथ फोरम का आयोजन किया गया था। जिसमे पूरे प्रदेश से युवा बहनों ने हिस्सा लिया। इस रिट्रीट का उद्देश्य व्यक्तित्व विकास का प्रशिक्षण देना था।
आज कार्यक्रम के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में भाजपा के प्रदेश कार्य समिति सदस्य आशीष प्रताप सिंह राठौड़, दिल्ली से पधारी बीके अनुसूईया दीदी, बीके वर्णिका दीदी, सीधी से रेखा दीदी, ग्वालियर गोल्डन वर्ल्ड रिट्रीट सेंटर प्रमुख बीके ज्योति बहन, युवा प्रभाग के राष्ट्रीय सदस्य बीके प्रहलाद भाई, बीके जानकी आदि उपस्थित थीं।

कार्यक्रम के शुभारंभ ने दिल्ली से आई बीके अनुसूईया दीदी ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि दुवाओं के वारे में सभी को बताया और कहा कि दुआएं यह कोई खरीदी-बेची जाने वाली वस्तु नहीं, बल्कि हमारे कर्मों की खामोश कमाई होती हैं। जब हम निस्वार्थ भाव से, श्रद्धा और सेवा-भाव से कार्य करते हैं, तो दुआएं स्वतः ही हमारे खाते में जमा होती जाती हैं।
दुआएं कमाने का मार्ग कर्म से होकर जाता है। जब हम अपने कर्मों से अपने बड़ों, गुरुजनों और समाज को निश्चिंत करते हैं। जब हम बिना कहे उनके सुख-दुख में साथ खड़े होते हैं, तो वह आशीर्वाद नहीं, बल्कि दिल से दुआएं भी देते हैं। यह दुआएं हमारी रक्षा करती हैं, मार्ग प्रशस्त करती हैं, और जीवन को सार्थक बनाती हैं।
दीदी ने आगे कहा कि हम जिनको लोगो के साथ रहते है या जहां कार्य करते है। या फिर कोई सेवा का कार्य करते है। वह हमें अपना समझ करके और बिना कहे करना चाहिए यह सबसे ऊँचा कर्म है। जो काम किसी ने कहा नहीं, पर हमने देख लिया और कर दिया। वही असली सेवा है। सेवा में दिखावा नहीं, समर्पण होना चाहिए। जब हम अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर दूसरों के लिए कार्य करते हैं, तो हमें दुआओं की पूंजी मिलती है। हमें ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि “यह मेरा काम नहीं है।” कर्म का धर्म यही कहता है कि जहां ज़रूरत हो, वहां सहयोग दिया जाए। यही सहयोग एक दिन हमारी ज़रूरत के समय कई गुना होकर लौटता है।
यूथ विंग की भोपाल ज़ोन की संयोजिका बीके रेखा बहन ने कहा कि जितनी ज़रूरत हो, उतना ही लेना सीखें। आज की दुनिया में लालच हर किसी को खींचता है, पर संतोष और संयम ही वह गुण है जो दूसरों के हिस्से की चीज़ें भी उन्हें लौटाकर हमें दुआएं दिलवाता है। सीमित संसाधनों में संतुलन बनाना, यही सच्चे संस्कारों का परिचायक है।


कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य आशीष प्रताप सिंह राठौड़ ने बतौर मुख्य अतिथि विचार व्यक्त करते हुए कहा कि समष्टि के प्रति एकात्मता, सर्वभूत हितेरेता:
एवं सर्वे भवंतु सुखिनः जैसे उच्च स्तरीय मूल्यों के उपासक होने पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के भाइयों बहनों ने हम सब को गौरवान्वित किया हैं। हमारे जो गुरुजन होते हैं उनकी शिक्षा से ही हमारा विकास होता हैं
जिस प्रकार हमारा देश आगे बढ़ रहा हैं। और आज हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बड़ी हैं।
मैं पिछले कुछ वर्षो से ब्रह्माकुमारीज़ संस्था से जुड़ा हुआ हूँ। और मुझे यहां आकर के आनंद की अनुभूति होती हैं।
आज की पीढ़ी अपने नेचर को भूलती जा रही हैं
यह संस्था सभी लोगों को नेचर और सांस्कृतिक से जोड़ती हैं।
कार्यक्रम में दिल्ली से आई बीके वर्णिका बहन ने कहा कि “सर्वे भवन्तु सुखिनः” की भावना ही दुआओं की कुंजी है। जब हम केवल अपने लिए नहीं, बल्कि सभी के भले की कामना करते हैं, उनके लिए कुछ करते हैं, तो संपूर्ण सृष्टि से हमें सकारात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।
बचपन से ही हमें ऐसे मूल्य और सोच अपनाने चाहिए कि जहाँ भी हम जाएँ, वहाँ शांति, सहयोग, और करुणा का संचार हो। यही हमारे जीवन की सबसे बड़ी कमाई है। दुआएं सिर्फ शब्दों से नहीं, व्यवहार से दी जाती हैं। प्रेरणा देकर, मार्गदर्शन देकर।


गोल्डन वर्ल्ड रिट्रीट सेंटर की प्रभारी बीके ज्योति दीदी ने भी अपनी शुभकामनाएं दीं और कहा कि जिस दिन हमारे अंदर संतोष धन आ जाता हैं फिर बाहर का कोई भी आकर्षण महसूस नहीं होता हैं।
अपने लिए जिए तो क्या जिए, जीवन में दूसरों का भला ही असली जीवन है।
कार्यक्रम का कुशल संचालन बीके प्रहलाद भाई ने किया तथा सभी का आभार बीना से पधारी बीके जानकी दीदी ने किया।
इस अवसर पर नीलम बहन, रेखा बहन, खुशबू बहन, महेश भाई, आशीष भाई, मीरा बहन, अर्चना बहन, सपना बहन सहित अनेकानेक बहने उपस्थित थीं

Continue Reading

Indraganj Lashkar

न्यूज़ कवरेज – जीवन की असली पूँजी दौलत या प्रतिष्ठा नहीं, बल्कि खुशी, संतुष्टि और शांति है

Published

on

Continue Reading

Indraganj Lashkar

मालनपुर ग्वालियर – जीवन की असली पूँजी दौलत या प्रतिष्ठा नहीं, बल्कि खुशी, संतुष्टि और शांति है

Published

on

जीवन की असली पूँजी दौलत या प्रतिष्ठा नहीं, बल्कि खुशी, संतुष्टि और शांति है – बीके वर्णिका बहन

यदि सच्ची कमाई करनी है तो हमें अपनी वाणी को मधुर और प्रेमपूर्ण बनाना होगा – बी के अनुसुईया दीदी

ग्वालियर: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के माधवगंज स्थित प्रभु उपहार भवन में दिल्ली से आई बीके अनुसुईया दीदी एवं वर्णिका बहन का स्वागत अभिनन्दन किया गया।


इस अवसर पर ब्रह्माकुमारीज़ लश्कर केंद्र प्रमुख बीके आदर्श दीदी ने शब्दों से एवं पुष्पगुच्छों से पधारे हुए अतिथियों का स्वागत अभिनन्दन किया। और कहा कि मानव जीवन बहुत ही अनमोल हैं इसकी हमें हमेशा वैल्यू करनी चाहिए। और हमेशा श्रेष्ठ कर्म ही करना चाहिए। आज हमारे बीच अनुसुईया दीदी पहुंची है जो कि पिछले 60 वर्षों एवं वर्णिका बहन पिछले 11 वर्षों से ब्रह्माकुमारीज संस्थान में प्रेरक वक्ता एवं राजयोग ध्यान प्रशिक्षका के रूप में समर्पित होकर अपनी सेवाएँ दें रही है। और आपके माध्यम से हजारों, लाखों लोगो को श्रेष्ठ जीवन जीने की प्रेरणा मिल रही है। यह बहुत ही खुशी कोई बात है कि आप आगमन ग्वालियर हुआ है। निश्चित ही यहाँ के लोगो को आपके प्रेरक उद्बोधन का लाभ मिलेगा।

कार्यक्रम में बी.के. वर्णिका बहन ने कहा कि हर व्यक्ति का जीवन अलग होता है, उसके अनुभव, उसके संस्कार, उसकी सोच और उसकी चाहतें भी भिन्न होती हैं। कोई सफलता को सबसे बड़ा लक्ष्य मानता है, तो कोई संतोष को ही जीवन का सार समझता है। लेकिन जब हम गहराई से सोचते हैं, तो समझ आता है कि जीवन की असली पूँजी दौलत या प्रतिष्ठा नहीं, बल्कि खुशी, संतुष्टि और शांति है। ये खजाने बाजारों में नहीं मिलते, ये न किसी चीज़ से खरीदे जा सकते हैं और न ही किसी को देकर लिए जा सकते हैं। ये खजाने परमात्मा के पास हैं, और उनका अनुभव तभी होता है जब इंसान स्वयं से जुड़ता है, अपने भीतर झाँकता है। जिंदगी शुरू होती है एक छोटे से मासूम सपने से – पढ़ाई पूरी हो जाए, अच्छे नंबर आ जाएँ। फिर उस सपने में एक और सपना जुड़ जाता है – नौकरी लग जाए, भविष्य सुरक्षित हो जाए। नौकरी मिलती है तो एक और चाह जागती है – अच्छा घर हो, गाड़ी हो, जीवनसाथी हो। फिर एक परिवार बसता है, बच्चे होते हैं, उनके सपनों को पूरा करने की दौड़ शुरू होती है। एक के पीछे एक लक्ष्य आता जाता है, और इंसान उन्हें पूरा करने की कोशिश में पूरी जिंदगी गुजार देता है। लेकिन इन सबके बीच वह भूल जाता है कि वह भाग किसके लिए रहा है, किस मंज़िल की तलाश में है। हर सफलता के बाद एक नई कमी महसूस होती है। हर उपलब्धि के साथ एक नया खालीपन जन्म लेता है। और जब उम्र ढलने लगती है, तब जाकर कहीं दिल से एक धीमी आवाज़ उठती है – अब कुछ नहीं चाहिए, बस थोड़ा सा सुकून चाहिए, थोड़ा सा प्यार चाहिए, थोड़ी सी शांति मिल जाए। यही वह क्षण होता है जब इंसान को समझ आता है कि असली खजाना बाहर नहीं, भीतर है। जो बात शुरुआत में समझ में नहीं आती, वह अंत में साफ हो जाती है – कि जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता है आत्मिक संतुलन। जब हम खुद से कट जाते हैं, तो सारी दुनिया मिलने पर भी अधूरे रहते हैं। लेकिन जब हम खुद से जुड़ जाते हैं, जब हम परमात्मा के प्रति समर्पण भाव रखकर जीवन को जीते हैं, तब वह खजाना स्वयं हमारे भीतर प्रकट होता है। शांति कोई चीज़ नहीं, यह एक अनुभव है। प्रेम कोई लेन-देन नहीं, यह एक भावना है। संतुष्टि कोई लक्ष्य नहीं, यह जीवन का भाव है। और जब तक हम इन अनुभवों को नहीं जीते, तब तक चाहे हम कुछ भी पा लें, वह अधूरा ही रहता है। इसलिए ज़रूरी है कि हम अपने जीवन की रफ्तार को थोड़ा धीमा करें, अपने भीतर झाँकें, उस मौन को सुनें जो हर पल हमें आवाज़ दे रहा है। तभी हमें जीवन का असली खजाना मिलेगा – वह खजाना जो नष्ट नहीं होता, जो सदा हमारे साथ रहता है – परमात्मा की कृपा में बसी हुई शांति, प्रेम और संतोष।

कार्यक्रम में अनुसुईया दीदी ने अपना उद्बोधन देते हुए कहा कि मनुष्य केवल शरीर नहीं है, बल्कि एक चेतन्य शक्ति आत्मा है। यह आत्मा ही शरीर के माध्यम से सभी कर्म करती है। हमारे हर अच्छे या बुरे कर्म का मूल स्रोत हमारी आत्मा ही होती है। शरीर तो एक माध्यम है। जब आत्मा शुद्ध होती है, तो उसके विचार, वाणी और कर्म भी शुद्ध होते हैं। यदि सच्ची कमाई करनी है तो हमें अपनी वाणी को मधुर और प्रेमपूर्ण बनाना होगा। जब हम प्रेम से, शांति से और आदरपूर्वक बोलते हैं तो हमारे शब्द केवल शब्द नहीं रहते, वे दुआएँ बन जाते हैं। इन दुआओं का कोई मूल्य नहीं लगा सकता, क्योंकि ये आत्मा को ऊँचा उठाती हैं, कर्मों को हल्का बनाती हैं और जीवन में सच्ची सुख-शांति का आधार बनती हैं।
जब हम किसी के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं, मीठे बोल बोलते हैं, सहायता करते हैं, शुभ सोचते हैं और सद्विचारों को सुनते हैं, तो यह सब आत्मा के भीतर जमा होता जाता है। यह जमा पूँजी ऐसी है जिसे कोई देखे या न देखे, कोई जाने या न जाने, पर आत्मा जानती है कि कुछ अच्छा संचित हुआ है। कभी-कभी हम दिन भर अच्छा व्यवहार करते हैं, सभी से प्रेम से बोलते हैं, और फिर भी कोई हमारी सराहना नहीं करता। पड़ोसियों को पता नहीं चलता, परिवार के लोग नज़रअंदाज़ कर देते हैं, और हम भीतर ही भीतर दुःखी हो जाते हैं। हमें लगता है कि हमारी अच्छाई का कोई मूल्य ही नहीं रहा, कोई उसे समझ नहीं रहा। पर यहाँ हमें यह समझना चाहिए कि हर व्यक्ति की किस्मत उसके कर्मों से बनती है। मेरे कर्म मेरी किस्मत बनाते हैं और किसी और के कर्म उसकी किस्मत तय करते हैं। अगर कोई मेरी अच्छाई को नहीं मानता, मेरी बात को नहीं समझता, मेरी सेवा का आदर नहीं करता, तो मुझे दुःखी नहीं होना चाहिए। अगर मैं अच्छा करते हुए भी दुःखी हूँ, तो यह मेरी समझ की कमी है। क्योंकि बुरा कर्म करने वाला तो दुःखी रहता ही है, लेकिन जो अच्छा कर्म करके भी दुःखी हो जाए, वह तो और भी बड़ी भूल कर रहा है। परमात्मा सब देखते है। हम उनके बच्चे हैं। जब हम अच्छे कर्म करते हैं, प्रेम से बोलते हैं, शांति से जीते हैं, सेवा में रहते हैं, तो परमात्मा की कृपा हमारे साथ होती है। इसलिए किसी के न मानने या सराहने न करने से हमें हताश नहीं होना चाहिए। हमारा हर अच्छा कर्म, चाहे वह छोटा हो या बड़ा, कहीं न कहीं आत्मा में दर्ज हो रहा है। यही हमारे जीवन की असली पूँजी है।


अतः हमें सदा यही याद रखना चाहिए कि कोई देखे या न देखे, कोई माने या न माने, लेकिन यदि हम सही मार्ग पर चल रहे हैं, प्रेम और सेवा के भाव में जी रहे हैं, तो हमें कभी दुःखी नहीं होना चाहिए। क्योंकि अंततः आत्मा को शांति उसके अपने कर्मों से ही मिलती है, और परमात्मा की दृष्टि से कोई भी अच्छा कर्म कभी व्यर्थ नहीं जाता।

कार्यक्रम का कुशल संचालन बीके ज्योति बहन (मोहना) ने किया तथा आभार बीके प्रहलाद भाई ने किया।

इस अवसर पर बीके जीतू, बीके पवन, बीके सुरभि, बीके रोशनी, सुरेन्द्र, विजेंद्र, पंकज, पीयूस, रवि, गजेन्द्र अरोरा, डॉ स्वेता माहेश्वरी सहित अनेकानेक लोग उपस्थित थे।

Continue Reading

Brahmakumaris