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नवरात्रि के पावन अवसर पर ब्रह्मा कुमारीज केंद्र पर लगी चैतन्य देवियों की झांकी

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नवरात्रि के पावन अवसर पर ब्रह्मा कुमारीज केंद्र पर लगी चैतन्य देवियों की झांकी
देवियों की अष्ट भुजा अष्ट शक्तियों का प्रतीक – आदर्श दीदी
ग्वालियर: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की भगिनी संस्था राजयोग एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन के कला एवं संस्कृति प्रभाग द्वारा प्रभु उपहार भवन माधवगंज में चैत्र नवरात्री के पावन अवसर पर चैतन्य देवियों की झांकी एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। अनेकानेक लोगों ने किये चैतन्य देवियों के दर्शन। कार्यक्रम में केंद्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी आदर्श दीदी ने सभी को नवरात्री का आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए कहा कि नवरात्री का पावन उत्सव हमें हिंसक वृतियों पर विजय प्राप्त करने की प्रेरणा देता है। उन्होंने नौ देवियों का रहस्य बताते हुए कहा कि – देवियों के हाथ में माला परमात्मा शिव की याद का प्रतीक है। हाथ में बाण अर्थात – ज्ञान रूपी बाण मुख द्वारा चलाकर विकारों का संहार किया। ऐसे ही कमल का फूल, त्रिशूल, सुदर्शन चक्र, तलवार,शंख, गदा आदि इन सबका भी आध्यात्मिक रहस्य है । साथ ही उन्होंने कहा कि देवियों को अष्ट भुजाधारी दिखाते है तो ये विशेष आठ शक्तियों का प्रतीक है। जिसमें – सामना करने की शक्ति, निर्णय करने की शक्ति, सहन करने की शक्ति, सहयोग की शक्ति, समेटने की शक्ति, परखने की शक्ति, समाने की शक्ति और विस्तार को संकीर्ण करने की शक्ति शामिल है।
1. नवरात्रि के पहले दिन माँ ‘शैलपुत्री’ की पूजी होती है। उनकी बैल पर सबारी दिखाते है ।
2. नवरात्रि का दूसरा दिन देवी ‘ब्रह्मचारिणी’ का है, जिसका अर्थ है- तप का आचरण करने वाली। तप का आधार पवित्रता है।
3. नवरात्रि के तीसरे दिन देवी ‘चंद्रघण्टा’ के रूप में पूजा की जाती है। मान्यता है कि असुरों के प्रभाव से देवता काफी दीन-हीन तथा दुःखी हो गए, तब देवी की आराधना करने लगे। फलस्वरूप देवी चंद्रघण्टा प्रकट होकर असुरों का संहार करके देवताओं को संकट से मुक्त किया। देवी के मस्तक पर घण्टे के आकार का अर्द्धचंद्र, हाथों में खड्ग, शस्त्र, बाण इत्यादि धारण किए दिखाये जाते हैं।
4. नवरात्रि के चौथे दिन देवी ‘कुष्माण्डा’ के रूप में पूजा की जाती है। देवी को सृष्टि की ‘आदि स्वरुपा’ और ‘आदि शक्ति’ माना जाता है, जो ब्रह्माण्ड में चारों ओर फैले अंधकार को नष्ट कर ब्रह्माण्ड का ज्ञान प्रदान करती है। हमें उनसे शक्ति लेकर हमारे अन्दर जो भी विकारी स्वभाव और संस्कार है उस पर विकराल रूप धारण करके अर्थात् दृढ प्रतिज्ञा करके मुक्ति पाना है।
5. नवरात्रि के पाँचवें दिन देवी ‘स्कन्द माता’ के रूप में पूजा की जाती है। कहते हैं- यह ज्ञान देने वाली देवी है। इनकी पूजा करने से ही मनुष्य ज्ञानी बनता है। यह भी बताया गया है कि स्कन्दमाता की पूजा से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। असम्भव कार्य भी स्वतः सिद्ध हो जाते हैं।
6. नवरात्रि के छठवें दिन देवी ‘कात्यायनी’ के रूप में पूजा की जाती है। एक मत यह भी है कि यह देवी, महर्षि कात्यायन की पुत्री थी जिसने आश्विन कृष्ण चतुर्दशी को जन्म लेकर शुक्ल सप्तमी, अष्टमी व नवमी, तीन दिनों तक महर्षि कात्यायन की पूजा स्वीकार की और फिर दशमी को महिषासुर का वध किया। इनका वाहन ‘सिंह’ दिखाया जाता है। इनके चार हाथों में बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प दिखाते हैं जो कि क्रमशः शक्ति व पवित्रता के प्रतीक है।
7. नवरात्रि के सातवें दिन देवी ‘कालरात्रि’ के रूप में पूजा की जाती है। इनके शरीर का रंग काला और सिर के बाल रौद्र रूप में बिखरे हुए दिखाए जाते हैं। इनका वाहन गधे को दिखाया गया है। कलियुग में एक सामान्य गृहस्थ की हालत प्रतिकूल परिस्थितियों में खराब हो जाती है। जब अपने मन-बुद्धि में कालरात्रि जैसी देवी को बैठा लेता है तो देवी उस गृहस्थ को परिस्थितियों से पार निकाल ले जाती है।
8. नवरात्रि के आठवें दिन देवी ‘महागौरी’ के रूप में पूजा की जाती है। महागौरी अपने भक्तो की सभी इच्छाओं को पूरा करती है।
9. नवरात्रि के नौवें दिन देवी ‘सिद्धिदात्री’ के रूप में पूजा की जाती है। कहा गया है कि यह सिद्धिदायी वह शक्ति है, जो विश्व का कल्याण करती है।
इन शक्तियों की आराधना द्वारा हम अपने अंदर की विकृतियां व बुराइयों को समाप्त कर सकते हैं वर्तमान पुरुषोत्तम कल्याणकारी संगमयुग पर परमपिता शिव परमात्मा जो सर्व के कल्याणकारी है सर्वे के रचयिता है वह अभी सर्वात्माओं को शक्ति दे रहे हैं जिससे बुराइयों पर विजय और उनकी शक्ति से हमारे अंदर जो दिव्यता छुपी वह जागृत हो जाती है।
दीदी जी ने बताया कि नवरात्रि में जो व्रत करते हैं तो व्रत का मतलब है कि हम अपने अंदर की बुराइयों और कमी कमजोरियों को समाप्त करने का व्रत लेना ।
और किसी के लिए भी बुरा नहीं सोचना सबके कल्याण का भाव लेकर चलना सबका भला करना सबको सुख देना, सहयोग देना।
इस अवसर पर कार्यक्रम में उपस्थित वरिष्ठ आयुर्वेदिक डॉ कमल गुप्ता और निर्मला गुप्ता ने भी सभी को नवरात्रि की सभी को शुभकामनाएं दी।
कार्यक्रम में चैतन्य देवी दर्शन झांकी के साथ साथ बच्चों ने विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी।
जिसमें कु. सृष्टि, नंदिनी, नव्या, देवस्मिता, श्रेष्ठा और पवन आदि मुख्य रूप से थे ।
इसके साथ ही कार्यक्रम में 200 से अधिक श्रद्धालु उपस्थित थे। मंच का संचालन बीके ज्योति दीदी ने किया।

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हेलीपेड कॉलोनी ग्वालियर: खुशनुमा जीवनशैली पर हुआ कार्यक्रम आयोजित

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– सदा खुश रहने के लिए सुव्यवस्थित दिनचर्या बहुत आवश्यक – प्रहलाद भाई
– परमात्मा से मन की तार जोंडे तो सब समस्याएं समाप्त हो जाएँगी – आदर्श दीदी
ग्वालियर: सदा खुश रहने के लिए हमें किसी व्यक्ति, वस्तु या वैभव की आवश्यकता नहीं यह तो परमात्मा का अनमोल उपहार है। परन्तु सदा खुश वही रह पाता है जिसकी मन की तार परमात्मा से जुडी है उक्त बात बीके आदर्श दीदी ने अपने आशीर्वचन में कही। यह कार्यक्रम प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के द्वारा हेलीपेड कॉलोनी समिति के सहयोग से श्री हनुमान मंदिर प्रांगण पार्क में आयोजित खुशनुमा जीवनशैली एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम में कही | दीदी ने आगे कहा कि आज भागती दौड़ती जिन्दगी में अनेक उतार चढाव है व्यक्ति स्वयं के लिए समय ही नहीं निकाल पाता आज हर व्यक्ति छोटी छोटी बातों को लेकर दुखी हो जाता है, परिवार में मधुरता कम होती जा रही है जीवन में अगर ख़ुशी नहीं तो जीवन नीरस है| आज व्यक्ति अच्छे मकान में रह रहा है। अच्छी सिटी में रह रहा है। अच्छी सुविधाएँ मिली हुई है। फिर भी खुश नहीं रह पा रहा है तो उसका मूल कारण है कि कहीं न कहीं हमारे में आन्तरिक गुण और शक्तियों की कमी है। यदि हम चाहते है कि हम अपने आपको दिव्य गुणों और शक्तियों से सुसज्जित करें तो उसके लिए हमें मन की तार को परमात्मा से जोड़ना पड़ेगा तो हम सदा खुश रह सकते है। और समस्यामुक्त भी रह सकते है।
कार्यक्रम में आगे प्रेरक वक्ता वाम राजयोग ध्यान प्रशिक्षक बीके प्रहलाद भाई ने खुशनुमा जीवन शैली पर सभी को संबोधित करते हुए कहा कि यदि हम अपनी दिनचर्या सुव्यवस्थित रखे तो हम हमेशा खुश रह सकते है| आज यह देखा गया कि अधिकतर लोगो की दिनचर्या अस्त व्यस्त होती है जिस कारण समय पर सभी कार्य नहीं हो पाते। जहाँ कम समय देना होता है वहाँ अधिक चला जाता है और जहाँ अधिक समय देना चाहिए उसके लिए समय ही नहीं बचता जिस कारण प्रेसर क्रियेट होता है और समय पर सभी कार्य नहीं हो पाते जिसकी बजह से हमारी ख़ुशी गुम हो जाती है। उन्होंने आगे एक स्लोगन बोलते हुए कहा कि “पेड़ न खाते कभी अपना फल और नदी न पीती कभी अपना जल” यह सदैव दूसरों को देते है। तो हमारा जीवन भी ऐसा ही होना चाहिए यदि हम दूसरों की सेवा करते है तो यह भी एक सबसे अच्छा माध्यम है खुश रहने का। यदि आपके पास लोगो को देने के लिए कुछ नहीं है तो लोगो से मुस्कराकर बात करो तो यह भी एक सेवा है। जो चीज आपको चाहिए वह देना प्रारंभ करो आपके पास स्वतः बढ़ जाएगी। आगे भाई जी ने सभी को राजयोग ध्यान का आभ्यास भी कराया जिसकी अनुभूति सभी ने की।
कार्यक्रम में डॉ. के.के. तिवारी एवं पूर्व पार्षद विनती शर्मा ने भी अपनी शुभकामाएं व्यक्त की|
इसके साथ ही कार्यक्रम में बाल कलाकारों के द्वारा सुन्दर सुन्दर प्रस्तुतियां दी गई जिसे देखकर सभी मंत्र मुग्ध हो गए। प्रस्तुतियां देंने बाले बच्चो में मन्नत रोहिरा, लयेशा घई, रूचि राठौर, संकल्प गुप्ता, श्रेष्ठा गुप्ता, बीके पवन थे ।
कार्यक्रम में हेलीपेड कॉलोनी समिति के पदाधिकारी एवं कॉलोनी निवासी रामसेवक शर्मा, भारतेंदु गुप्ता, महेश आर्य, दीपक जैसवानी, मनोज गंडोत्रा, शिवकुमार तोतलानी, हेमंत ढींगरा, डॉ वीके जैन, गीता तिवारी, रेखा गंडोत्रा, मोना चांदवानी, मंजू गंडोत्रा, अंकिता जसेजा, पूजा गाबरा, कंचन गाबरा, गीता गाबरा, साबी केशवानी, रजनी नागवानी सहित कॉलोनी के अनेकानेक लोग उपस्थित थे।

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शिव ध्वजारोहण कर लिया बुराईयों को छोड़ने का संकल्प

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ब्रह्माकुमारीज़ के सभी सेवाकेन्द्रों पर धूमधाम से मनाया गया 88वीं त्रिमूर्ति शिव जयंती महोत्सव (महाशिवरात्रि पर्व)

  • जीवन की बुराईयां शिव पर अर्पण करना ही सच्ची शिवरात्रि मनाना – बीके प्रहलाद भाई
  • ग्वालियर । महाशिवरात्रि का महापर्व कई आध्यात्मिक रहस्यों को समेटे हुए हैं। यह पर्व सभी पर्वों में महान और श्रेष्ठ है, क्योंकि शिवरात्रि परमात्मा के दिव्य अवतरण का यादगार महापर्व है। परमात्मा ने श्रीमद् भागवत गीता में कहा है- ‘यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥ परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥’
    गीता के इस श्लोक में किए अपने वादे के अनुसार- परमात्मा कहते हैं कि जब-जब इस सृष्टि पर धर्म की अति ग्लानि हो जाती है, अधर्म और पाप कर्म बढ़ जाते हैं, तब मैं भारत सहित पूरी सृष्टि का उत्थान करने और नई दुनिया का सृजन करने साकार रूप में लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूं। मैं इस धरा पर अवतरित होकर सज्जन-साधु लोगों की रक्षा, दुष्टों का विनाश और एक सतधर्म की स्थापना करता हूं। चारों युगों में कल्प के अंत में एक बार ही मेरा इस धरा पर अवतरण होता है। उक्त बात बीके प्रहलाद ने महाशिवरात्रि के पावन पर कही उन्होंने आगे कहा कि परमात्मा के गीता में वर्णित इन महावाक्यों के अनुसार, वर्तमान में वही समय नई सृष्टि के सृजन का संधिकाल चल रहा है। इसमें सृष्टि के सृजनकर्ता स्वयं नवसृजन की पटकथा लिख रहे हैं। वह इस धरा पर आकर मानव को देव समान स्वरूप में खुद को ढालने का गुरुमंत्र ‘राजयोग’ सिखा रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात दुनिया की यह सबसे बड़ी और महान घटना बहुत ही गुप्त रूप में घटित हो रही है। वक्त की नजाकत को देखते हुए जिन्होंने इस महापरिवर्तन को भाप लिया है वह निराकार परमात्मा की भुजा बनकर संयम के पथ पर बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे लोगों की संख्या एक दो नहीं बल्कि लाखों में है। इन्होंने न केवल परमात्मा की सूक्ष्म उपस्थिति को महसूस किया है वरन इस महान कार्य के साक्षी भी हैं। शिवरात्रि में रात्रि शब्द अज्ञान अंधकार को सूचित कर रहा है अर्थात इस कलियुग रुपी अज्ञान अँधेरी रात में मनुष्य जब काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार से ग्रसित होने लगता है तब परमात्मा शिव इस धरा पर अवतरित होकर मनुष्य को इन विकारों से छुडाते है और सुख-शांति-पवित्रता का वर्सा देते है यही वह समय जब हम अपनी अक धतूरे सामान जहरीली बुराईयाँ परमात्मा को अर्पण करके उनसे दिव्य गुणों का वरदान लेते है |


परमात्मा का स्वरूप ज्योतिर्बिंदु है, इसलिए 12 ज्योतिर्लिंग उनकी यादगार – बीके डॉ गुरचरण सिंह

कार्यक्रम में आगे में आगे बीके डॉ. गुरचरन भाई जी ने कहा कि भारत में 12 ज्योतिर्लिंग प्रसिद्ध हैं और गली-गली में शिवालय बने हुए हैं। इससे स्पष्ट होता है कि परमपिता परमात्मा कभी इस सृष्टि पर आएं हैं और विश्व कल्याण का कार्य किया है, तभी तो हम उन्हें याद करते हैं। परमात्मा का स्वरूप ज्योतिर्बिंदु है। श्रीमद्भ भगवत गीता से लेकर महाभारत, शिव पुराण, रामायण, यजुर्वेद, मनुस्मृति सभी में कहीं न कहीं परमात्मा के अवतरण की बात कही गई है। किसी भी धर्म ग्रंथ में परमात्मा के जन्म लेने की बात नहीं है। हर जगह प्रकट होने, अवतरण या परकाया प्रवेश की बात को ही इंगित किया गया है। क्योंकि परमात्मा का अपना कोई शरीर नहीं होता है। क्योकि वह जन्म और मृत्यु के चक्र से परे होने के कारण उनका जन्म नहीं होता वल्कि वह परकाया प्रवेश कर नई सतयुगी सृष्टि की स्थापना का दिव्य कार्य कराते हैं। वह ब्रह्मा, विष्णु और शंकर के भी रचयिता त्रिमूर्ति हैं, जिन्हें हम परमात्मा शिव कहते हैं।पुराने हाई कोर्ट लाईन स्थित संगम भवन केंद्र सहित ग्वालियर के सभी केन्द्रों पर शिव ध्वजारोहण हुआ।

तत्पश्चात शिव ध्वजारोहण कर सभी को इस शिवरात्रि पर बुराईयों का त्यागने और दिव्य गुणों को जीवन में धारण करने की प्रतिज्ञा कराई गई।
आज महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर प्रभु उपहार भवन माधौगंज, पुराने हाई कोर्ट लाईन स्थित संगम भवन केंद्र सहित ग्वालियर के सभी केन्द्रों पर शिव ध्वजारोहण हुआ।

कार्यक्रम में बीके लक्ष्मी, बीके सुरभि, बीके रोशनी, बीके विजेंद्र, गजेन्द्र अरोरा, संतोष बंसल, संतोष गुप्ता, कविता पमनानी, किरण सारडा, शान्या, अनुष्का खत्री, माधवी गुप्ता, सुरेन्द्र वैस, आशीष सहित सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे ।

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