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Indraganj Lashkar

सर्व सुख सर्वोपरी – चिकित्सकों के लिए राजयोग ध्यान पर एक कार्यक्रम

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ग्वालियर: महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में विशेष ग्वालियर शहर के सभी चिकित्सकों के लिए राजयोग ध्यान पर एक कार्यक्रम डॉ. शिव शंकर एवं डॉ. साधना शंकर ने निज निवास (डॉ. अजय शंकर निवास, मेडिकल कॉलेज के पीछे चंद्रवदनी नाका रोड) पर आयोजित किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मेडिकल कॉलेज डीन डॉ. एस. एन. आयंगर, विशेष अतिथि ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान लश्कर ग्वालियर की संचालिका बी.के. आदर्श दीदी, बी.के. डॉ. गुरचरण सिंह, बी.के. प्रहलाद भाई
मौजूद थे। इसके अलावा कार्यक्रम में डॉ. एस. आर. अग्रवाल (पूर्व डीन), डॉ. बीना अग्रवाल (पूर्व डीन), डॉ. शैला सप्रे (पूर्व डीन), डॉ. जे एस. नामधारी सहित शहर के 100 से भी अधिक वरिष्ठ चिकित्सक विशेष रूप से उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का शुभारम्भ विधिवत दीप प्रज्वलन के साथ किया गया |
तत्पश्चात बी.के.प्रहलाद ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया ।
इसके बाद कार्यक्रम का उद्देश्य बताते हुए डॉ. शिव शंकर ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि सबसे बड़ा धर्म सर्व सुख सर्वोपरी अर्थात सबको सुखी रखना और निःस्वार्थ भाव से सभी की सेवा करना।
आजकल मानसिक रोग चिंता, डिप्रेशन, तनाव, रात जो नींद न आना से अनेकानेक रोग बढ़ते जा रहे है । उसका सबसे अच्छा उपाय है । इसका सबसे अच्छा उपाय है मनुष्य को अपना कर्म करना चाहिए फल की इच्छा नही करनी अगर हम ईमानदारी से अपना काम करें झूंठ न बोले, किसी के प्रति ईर्ष्या द्वेष न रखें, क्रोध न करें तो हमें ईश्वर की मदद मिलती है।

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रुप में पधारे बी.के. डॉ. गुरचरण भाई ने सभी को राजयोग ध्यान के वारे में विस्तार से बताया और कहा कि राजयोग ध्यान एक बहुत ही सरल और सहज प्रक्रिया है जिसे कोई भी कर सकता है । राजयोग ध्यान में हम मन के द्वारा श्रेष्ठ चिंतन करते है और बुद्धि के द्वारा उस चिंतन को विजुलाइज (चित्रण)करते है। इसमें हम अपने मन की तार को उस सर्वशक्तिमान परमात्मा निराकार शिव से जोड़ते है जो पूरी दुनिया को प्रकाश दे रहा है शक्ति दे रहा है उसकी याद में हर कर्म करने से हमें सफलता मिलती है और हम हर प्रकार की नकारात्मकता से बचे रहते है बस जरूरत है तो उसको यथार्थ रीति जानकर याद करने की। उन्होंने कहा कि दुनिया मे बहुत प्रकार के योग है हर योग का अपना महत्व है । लेकिन राजयोग सभी योगों का राजा है जो हमें परमात्मा से जोड़ता है और हमारी कर्मेन्द्रियों पर हमें नियत्रंण सिखाता है ।
इसके साथ ही कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे डॉ. एस. एन. आयंगर ने अपनी शुभकामनाएं रखते हुए कहा कि योग की महतत्वता को आज सभी समझनें लगे है । इस पर सभी को ध्यान और देने की आवश्यकता है योग हमें तन से और मन से स्वस्थ रखने में मदद करता है।
इसके तत्पश्चात बी.के.आदर्श दीदी ने अपने आशीर्वचन देते हुए कहा कि आज हर व्यक्ति बहुत व्यस्त हो गया है और अपने को उतना समय नहीं दे पाता जितना देना चाहिए। अगर वह प्रतिदिन अपने को समय देता है अपने आप से बात करता है ईश्वर से बात करता है तो वह जीवन में ज्यादा सुख का अनुभव कर सकेगा। ईश्वर ने सभी को बहुत सुंदर जीवन दिया है सारी सुख सुविधायें दी है । बस जरूरत है ईश्वर का धन्यवाद करते हुए सुंदर जीवन जीने की ।
राजयोग ध्यान इसमें बहुत मदद करता है । तो सभी राजयोग ध्यान का अभ्यास करें और अपने जीवन को सुंदर बनाएं।
कार्यक्रम के अंत मे डॉ साधना शंकर ने सभी को ध्यान का वैज्ञानिक रीति से महत्व बताते हुए प्रेक्टिकल राजयोग ध्यान का अभ्यास सभी को कराया।

मंच का कुशल संचालन बी. के. प्रहलाद भाई द्वारा किया गया | तथा सभी का आभार डॉ. शिव शंकर द्वारा किया गया ।

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बेहतर कार्य करने के लिए खुश रहना जरूरी – आदर्श दीदी

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ब्रह्माकुमारीज प्रभु उपहार भवन का वार्षिक उत्सव संपन्न

बेहतर कार्य करने के लिए खुश रहना जरूरी – आदर्श दीदी

मुस्कराने से जीवन की आधी समस्याएं समाप्त हो जाती है – प्रहलाद भाई

ग्वालियर: माधवगंज स्थित प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय “प्रभु उपहार भवन” की छठवीं वर्षगाँठ पर वार्षिक उत्सव का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से व्यवसायी श्री पीताम्बर लोकवानी, नगर निगम वार्ड 50 के क्षेत्रीय अधिकारी श्री सतेन्द्र सिंह सोलंकी, पी.एम.पी एसोसिएशन के प्रदेश सचिव श्री रंजीत सिंह छावरा, वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉ. एच. एस. कुशवाह, स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. रानी कुशवाह, ब्रह्माकुमारीज सेवाकेंद्र की संचालिका बीके आदर्श दीदी, बीके प्रहलाद भाई, बीके डॉ गुरुचरण सिंह उपस्थित थे।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ। तत्पश्चात
बीके आदर्श दीदी ने प्रभु उपहार भवन में सेवाओं के 6 वर्ष पूर्ण होने पर सभी को शुभकामनाएं दीं और कहा कि ब्रह्माकुमारीज संस्थान विगत 8 दसको से देश और दुनिया में आध्यात्म के माध्यम से लोगो के जीवन में शांति और खुशहाली लाने का प्रयास कर रहा है, क्योकि खुशी के बिना कोई भी कार्य बेहतर ढंग से नहीं किया जा सकता। इसलिए खुश रहना जरुरी है, इसमें आध्यात्मिक ज्ञान हमारी बहुत मदद करता है। संस्थान के द्वारा लोगो को आध्यात्मिक ज्ञान देने के साथ साथ बिभिन्न अभियान चलाये गए। जिसमें पर्यावरण सरंक्षण, जल सरंक्षण, स्वच्छ भारत, नशा मुक्त भारत जैसे अनेक कार्यक्रम शामिल है। ग्वालियर जिले में भी इन्ही अभियान के अंतर्गत वर्ष भर में अनेकनेक कार्यक्रम आयोजित किये गए। जिसका लाभ लाखो लोगो को मिला।
दीदी ने आगे कहा कि सभी को व्यक्तिगत हित से ऊपर उठकर समाज कल्याण व विश्व कल्याण के लिए कार्य करना चाहिए। साथ ही सभी के प्रति परस्पर सहयोग, स्नेह, सम्मान की भावना भी अपने मन में रखनी चाहिए। क्यों कि जिस प्रकार बूंद बूंद से घड़ा भरता है ठीक उसी प्रकार एक-एक व्यक्ति से मिलकर ही समाज व देश का निर्माण होता है और एक मूल्यनिष्ठ समाज की स्थापना के लिए हर व्यक्ति के सहयोग की आवश्यकता होती है। इसलिए कहाबत भी है सबके सहयोग से सुखमय संसार।
कार्यक्रम में बीके प्रहलाद भाई ने वर्ष 2023-24 में किये गए अनेकानेक जनहितकारी कार्यक्रम की वार्षिक रिपोर्ट वीडिओ प्रजेंटेशन के माध्यम से प्रस्तुत की जिसमें मैडिटेशन शिविर, स्वास्थ्य शिविर, नशामुक्ति शिविर, जल जन अभियान, वृक्षा रोपण, स्वच्छता अभियान, बच्चों के लिए नैतिक शिक्षा, मोटिवेशनल कार्यक्रम, सामाजिक, आध्यात्मिक आदि कार्यक्रम शामिल है। इन सभी कार्यक्रम के माध्यम से लाखों लोगो को संदेश दिया गया। बीके प्रहलाद ने वार्षिक रिपोर्ट पेश करने के साथ साथ सभी को कहा कि हम सदैव जब दूसरों को कुछ न कुछ देने की भावना रखते है। तो हमारा खुशी का स्तर बढ़ता है। इसलिए हमें सदैव देने की भावना रखनी चाहिए। यदि कुछ नहीं दे सकते तो कम से कम मुस्कराकर सभी से बात करें तो सारे कार्य सहज हो जायेंगे।
कार्यक्रम में पधारे सतेन्द्र सिंह सोलंकी ने सभी को वार्षिक उत्सव पर शुभकामनाएं दीं। और कहा कि यह बहुत ही ख़ुशी की बात है इतना अच्छा आश्रम हमारे क्षेत्र में है जहाँ लोगो को सकारात्मक दिशा मिलती है। मुझे सौभाग्य मिला कि अनेकानेक जन जागृति के कार्यक्रम संस्थान के साथ मिलकर किए।
कार्यक्रम पीताम्बर लोकवानी ने अपने विचार रखते हुए सभी को बधाई दी और कहा कि जब यह माधवगंज केंद्र बन रहा था तभी मुझे यह अहसास था कि इस क्षेत्र के लोगो को इसका लाभ मिलेगा और आज जिस तरह से लोग यहाँ बड़ी संख्या में पहुँचते है कि बैठने का हॉल भी छोटा पड़ जाता है इससे यह पता चलता है कि लोगो की संस्थान के प्रति कितनी आस्था और श्रद्धा है। और लोगो के जीवन में कितना परिवर्तन आया है। संस्थान के लोगो को जब भी मिलते है तो यह अपने कार्य को करते हुए हमेशा खुश नजर आते है जो हम सबको प्रेरणा देते है।
कार्यक्रम में रंजीत सिंह छावरा ने अपनी शुभकामनाएं दीं और कहा कि संस्थान मानव सेवा के लिए समर्पित है और जो आंनद सेवा में वह किसी कार्य में नहीं है।
डॉ.एच.एस. कुशवाह ने वार्षिक उत्सव पर सबको बधाई दी और कहा कि पूरे वर्ष में संस्थान के द्वारा अनेकानेक कार्यक्रम किये जाते है जो कि सराहनीय और अनुकरणीय है, यह लोग निःस्वार्थ भाव से समाज के लिए कार्य करते है। और यह हमारा सौभाग्य है ऐसे महान लोगो का सानिध्य हम सबको मिलता है। उन्होंने आगे कहा कि मुझे तीन से चार बार माउंट आबू जाने का मौका मिला तब में संस्थान के संपर्क में हूँ मै भले संस्थान में रोज नहीं आ पाता लेकिन इनके द्वारा सिखाया गया मैडिटेशन मैं रोज करता हूँ और जब भी कोई समस्या आती है तो मै परमात्मा को याद कर हल्का हो जाता हूँ ।
कार्यक्रम में डॉ रानी कुशवाह और अभय खंडेलवाल ने भी अपनी शुभकामनाएं रखी ।
इसके साथ ही बाल कलाकारों के द्वारा सुन्दर सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी दी गई जिसने सभी का मन मोहा। प्रस्तुति देने वालों में कु. दृष्टि पमनानी, कु. पिहु, बीके पवन आदि मोजूद थे।
कार्यक्रम में संतोष गुप्ता, बीएम सोनी, प्रो. आर एस. वर्मा, राजेंद्र सिंह, अशोक पमनानी, नीलम मोतिरमानी, जया लोकवानी, कविता, एकता, सुरेन्द्र, रवि, हर्षित सहित सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित थे ।
मंच का कुशल संचालन एवं सभी का आभार बीके प्रहलाद भाई ने किया।

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हेलीपेड कॉलोनी ग्वालियर: खुशनुमा जीवनशैली पर हुआ कार्यक्रम आयोजित

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– सदा खुश रहने के लिए सुव्यवस्थित दिनचर्या बहुत आवश्यक – प्रहलाद भाई
– परमात्मा से मन की तार जोंडे तो सब समस्याएं समाप्त हो जाएँगी – आदर्श दीदी
ग्वालियर: सदा खुश रहने के लिए हमें किसी व्यक्ति, वस्तु या वैभव की आवश्यकता नहीं यह तो परमात्मा का अनमोल उपहार है। परन्तु सदा खुश वही रह पाता है जिसकी मन की तार परमात्मा से जुडी है उक्त बात बीके आदर्श दीदी ने अपने आशीर्वचन में कही। यह कार्यक्रम प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के द्वारा हेलीपेड कॉलोनी समिति के सहयोग से श्री हनुमान मंदिर प्रांगण पार्क में आयोजित खुशनुमा जीवनशैली एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम में कही | दीदी ने आगे कहा कि आज भागती दौड़ती जिन्दगी में अनेक उतार चढाव है व्यक्ति स्वयं के लिए समय ही नहीं निकाल पाता आज हर व्यक्ति छोटी छोटी बातों को लेकर दुखी हो जाता है, परिवार में मधुरता कम होती जा रही है जीवन में अगर ख़ुशी नहीं तो जीवन नीरस है| आज व्यक्ति अच्छे मकान में रह रहा है। अच्छी सिटी में रह रहा है। अच्छी सुविधाएँ मिली हुई है। फिर भी खुश नहीं रह पा रहा है तो उसका मूल कारण है कि कहीं न कहीं हमारे में आन्तरिक गुण और शक्तियों की कमी है। यदि हम चाहते है कि हम अपने आपको दिव्य गुणों और शक्तियों से सुसज्जित करें तो उसके लिए हमें मन की तार को परमात्मा से जोड़ना पड़ेगा तो हम सदा खुश रह सकते है। और समस्यामुक्त भी रह सकते है।
कार्यक्रम में आगे प्रेरक वक्ता वाम राजयोग ध्यान प्रशिक्षक बीके प्रहलाद भाई ने खुशनुमा जीवन शैली पर सभी को संबोधित करते हुए कहा कि यदि हम अपनी दिनचर्या सुव्यवस्थित रखे तो हम हमेशा खुश रह सकते है| आज यह देखा गया कि अधिकतर लोगो की दिनचर्या अस्त व्यस्त होती है जिस कारण समय पर सभी कार्य नहीं हो पाते। जहाँ कम समय देना होता है वहाँ अधिक चला जाता है और जहाँ अधिक समय देना चाहिए उसके लिए समय ही नहीं बचता जिस कारण प्रेसर क्रियेट होता है और समय पर सभी कार्य नहीं हो पाते जिसकी बजह से हमारी ख़ुशी गुम हो जाती है। उन्होंने आगे एक स्लोगन बोलते हुए कहा कि “पेड़ न खाते कभी अपना फल और नदी न पीती कभी अपना जल” यह सदैव दूसरों को देते है। तो हमारा जीवन भी ऐसा ही होना चाहिए यदि हम दूसरों की सेवा करते है तो यह भी एक सबसे अच्छा माध्यम है खुश रहने का। यदि आपके पास लोगो को देने के लिए कुछ नहीं है तो लोगो से मुस्कराकर बात करो तो यह भी एक सेवा है। जो चीज आपको चाहिए वह देना प्रारंभ करो आपके पास स्वतः बढ़ जाएगी। आगे भाई जी ने सभी को राजयोग ध्यान का आभ्यास भी कराया जिसकी अनुभूति सभी ने की।
कार्यक्रम में डॉ. के.के. तिवारी एवं पूर्व पार्षद विनती शर्मा ने भी अपनी शुभकामाएं व्यक्त की|
इसके साथ ही कार्यक्रम में बाल कलाकारों के द्वारा सुन्दर सुन्दर प्रस्तुतियां दी गई जिसे देखकर सभी मंत्र मुग्ध हो गए। प्रस्तुतियां देंने बाले बच्चो में मन्नत रोहिरा, लयेशा घई, रूचि राठौर, संकल्प गुप्ता, श्रेष्ठा गुप्ता, बीके पवन थे ।
कार्यक्रम में हेलीपेड कॉलोनी समिति के पदाधिकारी एवं कॉलोनी निवासी रामसेवक शर्मा, भारतेंदु गुप्ता, महेश आर्य, दीपक जैसवानी, मनोज गंडोत्रा, शिवकुमार तोतलानी, हेमंत ढींगरा, डॉ वीके जैन, गीता तिवारी, रेखा गंडोत्रा, मोना चांदवानी, मंजू गंडोत्रा, अंकिता जसेजा, पूजा गाबरा, कंचन गाबरा, गीता गाबरा, साबी केशवानी, रजनी नागवानी सहित कॉलोनी के अनेकानेक लोग उपस्थित थे।

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शिव ध्वजारोहण कर लिया बुराईयों को छोड़ने का संकल्प

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ब्रह्माकुमारीज़ के सभी सेवाकेन्द्रों पर धूमधाम से मनाया गया 88वीं त्रिमूर्ति शिव जयंती महोत्सव (महाशिवरात्रि पर्व)

  • जीवन की बुराईयां शिव पर अर्पण करना ही सच्ची शिवरात्रि मनाना – बीके प्रहलाद भाई
  • ग्वालियर । महाशिवरात्रि का महापर्व कई आध्यात्मिक रहस्यों को समेटे हुए हैं। यह पर्व सभी पर्वों में महान और श्रेष्ठ है, क्योंकि शिवरात्रि परमात्मा के दिव्य अवतरण का यादगार महापर्व है। परमात्मा ने श्रीमद् भागवत गीता में कहा है- ‘यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥ परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥’
    गीता के इस श्लोक में किए अपने वादे के अनुसार- परमात्मा कहते हैं कि जब-जब इस सृष्टि पर धर्म की अति ग्लानि हो जाती है, अधर्म और पाप कर्म बढ़ जाते हैं, तब मैं भारत सहित पूरी सृष्टि का उत्थान करने और नई दुनिया का सृजन करने साकार रूप में लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूं। मैं इस धरा पर अवतरित होकर सज्जन-साधु लोगों की रक्षा, दुष्टों का विनाश और एक सतधर्म की स्थापना करता हूं। चारों युगों में कल्प के अंत में एक बार ही मेरा इस धरा पर अवतरण होता है। उक्त बात बीके प्रहलाद ने महाशिवरात्रि के पावन पर कही उन्होंने आगे कहा कि परमात्मा के गीता में वर्णित इन महावाक्यों के अनुसार, वर्तमान में वही समय नई सृष्टि के सृजन का संधिकाल चल रहा है। इसमें सृष्टि के सृजनकर्ता स्वयं नवसृजन की पटकथा लिख रहे हैं। वह इस धरा पर आकर मानव को देव समान स्वरूप में खुद को ढालने का गुरुमंत्र ‘राजयोग’ सिखा रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात दुनिया की यह सबसे बड़ी और महान घटना बहुत ही गुप्त रूप में घटित हो रही है। वक्त की नजाकत को देखते हुए जिन्होंने इस महापरिवर्तन को भाप लिया है वह निराकार परमात्मा की भुजा बनकर संयम के पथ पर बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे लोगों की संख्या एक दो नहीं बल्कि लाखों में है। इन्होंने न केवल परमात्मा की सूक्ष्म उपस्थिति को महसूस किया है वरन इस महान कार्य के साक्षी भी हैं। शिवरात्रि में रात्रि शब्द अज्ञान अंधकार को सूचित कर रहा है अर्थात इस कलियुग रुपी अज्ञान अँधेरी रात में मनुष्य जब काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार से ग्रसित होने लगता है तब परमात्मा शिव इस धरा पर अवतरित होकर मनुष्य को इन विकारों से छुडाते है और सुख-शांति-पवित्रता का वर्सा देते है यही वह समय जब हम अपनी अक धतूरे सामान जहरीली बुराईयाँ परमात्मा को अर्पण करके उनसे दिव्य गुणों का वरदान लेते है |


परमात्मा का स्वरूप ज्योतिर्बिंदु है, इसलिए 12 ज्योतिर्लिंग उनकी यादगार – बीके डॉ गुरचरण सिंह

कार्यक्रम में आगे में आगे बीके डॉ. गुरचरन भाई जी ने कहा कि भारत में 12 ज्योतिर्लिंग प्रसिद्ध हैं और गली-गली में शिवालय बने हुए हैं। इससे स्पष्ट होता है कि परमपिता परमात्मा कभी इस सृष्टि पर आएं हैं और विश्व कल्याण का कार्य किया है, तभी तो हम उन्हें याद करते हैं। परमात्मा का स्वरूप ज्योतिर्बिंदु है। श्रीमद्भ भगवत गीता से लेकर महाभारत, शिव पुराण, रामायण, यजुर्वेद, मनुस्मृति सभी में कहीं न कहीं परमात्मा के अवतरण की बात कही गई है। किसी भी धर्म ग्रंथ में परमात्मा के जन्म लेने की बात नहीं है। हर जगह प्रकट होने, अवतरण या परकाया प्रवेश की बात को ही इंगित किया गया है। क्योंकि परमात्मा का अपना कोई शरीर नहीं होता है। क्योकि वह जन्म और मृत्यु के चक्र से परे होने के कारण उनका जन्म नहीं होता वल्कि वह परकाया प्रवेश कर नई सतयुगी सृष्टि की स्थापना का दिव्य कार्य कराते हैं। वह ब्रह्मा, विष्णु और शंकर के भी रचयिता त्रिमूर्ति हैं, जिन्हें हम परमात्मा शिव कहते हैं।पुराने हाई कोर्ट लाईन स्थित संगम भवन केंद्र सहित ग्वालियर के सभी केन्द्रों पर शिव ध्वजारोहण हुआ।

तत्पश्चात शिव ध्वजारोहण कर सभी को इस शिवरात्रि पर बुराईयों का त्यागने और दिव्य गुणों को जीवन में धारण करने की प्रतिज्ञा कराई गई।
आज महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर प्रभु उपहार भवन माधौगंज, पुराने हाई कोर्ट लाईन स्थित संगम भवन केंद्र सहित ग्वालियर के सभी केन्द्रों पर शिव ध्वजारोहण हुआ।

कार्यक्रम में बीके लक्ष्मी, बीके सुरभि, बीके रोशनी, बीके विजेंद्र, गजेन्द्र अरोरा, संतोष बंसल, संतोष गुप्ता, कविता पमनानी, किरण सारडा, शान्या, अनुष्का खत्री, माधवी गुप्ता, सुरेन्द्र वैस, आशीष सहित सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे ।

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