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Sanskar Kranti (Transformation) is the Spiritual Significance of Makar Sankranti

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Sanskar Kranti (Transformation) is the Spiritual Significance of Makar Sankranti.  Brahma Kumaris in Gwalior organized a special program on the ocassion of the festival Makar Sankranti during which B.K. Dr. Gurucharan shared the spiritual significance of different rituals performed during the festival time.
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ग्वालियर : ब्रह्माकुमारीज के स्थानीय सेवाकेंद्र माधोगंज स्थित प्रभु उपहार भवन में आज मकर संक्रांति के पावन अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें कई भाई बहनों ने शिरकत की । संक्रांति का आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए बी के डॉ गुरचरन सिंह ने कहा कि अभी कलियुग का अंतिम समय चल रहा है, सारी मानवता दुखी-अशांत हैं, हर कोई परिवर्तन के इंतजार मेँ हैं, सारी व्यवस्थाएं व मनुष्य की मनोदशा जीर्ण-शीर्ण हो चुकी हैं। ऐसे समय मेँ विश्व सृष्टिकर्ता परमात्मा शिव कलियुग, सतयुग के संधिकाल अर्थात संगमयुग पर ब्रह्मा के तन मेँ आ चुके हैं।
जिस प्रकार भक्ति में पुरुषोत्तम मास में दान-पुण्य आदि का महत्व होता है, उसी प्रकार पुरुषोत्तम संगमयुग, जिसमें ज्ञान स्नान करके बुराइयों का दान करने से, पुण्य का खाता जमा करने वाली हर आत्मा उत्तम पुरुष बन सकती है। मकर संक्रांति पर प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालुओं का मेला विभिन्न नदियों के घाटों पर लगता है। वास्तव में इन स्थूल परम्पराओं मे आध्यात्मिक रहस्य छुपे हुए हैं। इस दिन खिचड़ी और तिल का दान करते हैं, इसका भाव यह है कि मनुष्य के संस्कारों मेँ आसुरियता की मिलावट हो चुकी है, अर्थात उसके संस्कार खिचड़ी हो चुके हैं, जिन्हें परिवर्तन करके अब दिव्य संस्कार धारण करने हैं । इसका अर्थ यह है कि प्रत्येक मनुष्य को ईर्ष्या-द्वेष आदि संस्कारों को छोडकर संस्कारों का मिलन इस प्रकार करना है, जिस प्रकार खिचड़ी मिलकर एक हो जाती है। परमात्मा की अभी आज्ञा है कि तिल समान अपनी सूक्ष्म से सूक्ष्म बुराइयों को भी हमें तिलांजलि देना है। जैसे उस गंगा मेँ भाव-कुभाव से ज़ोर जबर्दस्ती से एक दो को नहलाकर खुश होते हैं और शुभ मानते हैं; इसी प्रकार अब हमें ज्ञान गंगा मेँ नहाकर और एक दो को नहलाकर मुक्ति-जीवनमुक्ति का मार्ग दिखाना है। जैसे जब नयी फसल आती है तो सभी खुशियाँ मनाते हैं। इसी प्रकार बुराइयों का त्याग करने से वास्तविक और अविनाशी खुशी प्राप्त होती है । फसल कटाई का समय देशी मास के हिसाब से पौष महीने के अंतिम दिन तथा अंग्रेजी महीने के 12,13, 14 जनवरी को आता है। इस समय एक सूर्य राशि से दूसरी राशि मेँ जाता है। इसलिए इसे संक्रमण काल कहा जाता है, अर्थात एक दशा से दूसरी दशा मेँ जाने का समय। यह संक्रमण काल उस महान संक्रमण काल का यादगार है जो कलियुग के अंत सतयुग के आरंभ मेँ घटता है। इस संक्रमण काल मेँ ज्ञान सूर्य परमात्मा भी राशि बदलते हैं। वे परमधाम छोड़ कर साकार वतन मेँ अवतरित होते हैं। संसार में आज तक अनेक क्रांतियाँ हुई, कभी सशस्त्र क्रांति, कभी हरित क्रांति, कभी श्वेत क्रांति आदि आदि। हर क्रांति के पीछे उद्देश्य – परिवर्तन रहा है। इन क्रांतियों से आंशिक परिवर्तन तो हुआ, किन्तु सम्पूर्ण लाभ और सम्पूर्ण परिवर्तन को आज भी मनुष्य तरस रहा है । वह बाट जोह रहा है ऐसी क्रान्ति की जिसके द्वारा आमूल-चूल परिवर्तन हो जाए । संक्रांति का त्योहार संगमयुग पर हुई उस महान क्रांति की यादगार मेँ मनाया जाता है । सतयुग मेँ खुशी का आधार अभी का संस्कार परिवर्तन है, इस क्रांति के बाद सृष्टि पर कोई क्रांति नहीं हुई । इस त्यौहार के विभिन्न क्रिया कलापों का आध्यात्मिक अर्थ बताया-

1) स्नान – ब्रह्म मुहूर्त मेँ उठ स्नान, ज्ञान स्नान का यादगार है।

2) तिल खाना – तिल खाना, खिलाना, दान करने का भी रहस्य है। वास्तव में छोटी चीज़ की तुलना तिल से की गयी है। आत्मा भी अति सूक्ष्म है अर्थात तिल आत्म स्वरूप में टिकने का यादगार है।

3) पतंग उड़ाना – आत्मा हल्की हो तो उड़ने लगती है; देहभान वाला उड़ नहीं सकता है। जबकि आत्माभिमानी अपनी डोर भगवान को देकर तीनों लोकों की सैर कर सकता है।

4) तिल के लड्डू खाना – तिल को अलग खाओ तो कड़वा महसूस होता है। अर्थात अकेले मेँ भारीपन का अनुभव होता है। लड्डू एकता एवं मिठास का भी प्रतीक है।

5) तिल का दान – दान देने से भाग्य बनता है। अतः वर्तमान संगंयुग में हमें परमात्मा को अपनी छोटी कमज़ोरी का भी दान देना है।

6) आग जलाना – अग्नि मेँ डालने से चीज़ें पूरी तरह बदल जाती, सामूहिक आग – योगीजन संगठित होकर एक ही स्मृति से ईश्वर की स्मृति मे टिकते हैं, जिसके द्वारा न केवल उनके जन्म-जन्म के विकर्म भस्म होते हैं, बल्कि उनकी याद की किरणें समस्त विश्व में फाइल कर शांति, पवित्रता, आनंद, प्रेम, शक्ति की तरंगे फैलाती हैं।
परंतु यादगार मनाने मात्र से मानव काम क्रोध के जमावड़ों को हटाया नहीं जा सका है । हर वर्ष यह त्यौहार मनाये जाने पर भी मानव हृदय की कल्मश में कोई कमी नहीं आयी । आज यह त्यौहार विशुद्ध भौतिक रूप धारण कर गया है और इस दिन किये जाने वाले अनुष्ठानों के आध्यात्मिक अर्थ को भुला दिया है । इस दिन संस्कार-परिवर्तन, संस्कार-परिशोधन, संस्कार-दिव्यिकरण जैसा न तो कोई कार्यक्रम होता है, न लोगों को जागृति दी जाती है और न ही संस्कारों की महानता की तरफ किसी को आकर्षित किया जाता है । यदि इस पर्व को आध्यात्मिक विधि द्वारा मनाए जाए तो न केवल हमें सच्चे सुख की प्राप्ति होगी बल्कि हम परमात्म दुआओं के भी अधिकारी बनेंगे ।
संस्कार परिवर्तन के लिए 3 बातों की आवश्यकता है-
1- कमी कमजोरी को महसूस करना
2- उसको परिवर्तन करने की कार्यविधि तैयार करना
3- दृढ़ता के साथ उस परिवर्तन को कर्म में लाने का निरंतर अभ्यास करना ।
तत्पश्चात राजयोग का अभ्यास कराते हुए सेवाकेंद्र प्रभारी बी के आदर्श दीदी ने सभी को पर्व की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आज से नए वर्ष में कुछ नया करने का संकल्प लेते हुए दृढ़ता से पिता परमात्मा का नाम प्रत्यक्ष करने का लक्ष्य रखना है और आने वाली किसी भी परीक्षा से कभी भी न घबराते हुए सदैव आगे की और अग्रसर होने का पुरुषार्थ करना है । अंत में सभी का धन्यवाद देते हुए बी के प्रह्लाद भाई ने कहा कि आपको और आपके परिवार को *मकर संक्रांति*, *पोंगल* *लोहड़ी* और *बीहू* की शुभकामनायें ।

Indraganj Lashkar

सकारात्मक चिंतन से हर समस्या का समाधान मिलता है – आदर्श दीदी

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04.09.2025
नारायणा स्कूल में पॉजिटिव थिंकिंग एवं मैडिटेशन विषय पर कार्यक्रम आयोजित

 

ग्वालियर। नारायणा ई- टेक्नो स्कूल द्वारा श्री गणेश उत्सव के उपलक्ष्य में पॉजिटिव थिंकिंग एवं मैडिटेशन विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के केंद्र प्रमुख वरिष्ठ राजयोग ध्यान प्रशिक्षका बीके आदर्श दीदी को आमंत्रित किया गया था।
कार्यक्रम में स्कूल की प्रिंसिपल निधि कुलकर्णी सहित स्टॉफ के अन्य सदस्य उमा सक्सेना, नंदिनी यादव, रिया छाबड़ा, पायल जैन, मुकुल श्रीवास्तव
आदि उपस्थित थे।


कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए बीके आदर्श दीदी नें सभी को श्री गणेश उत्सव की शुभकामनायें दीं और कहा कि श्री गणपति जी का जीवन हमें बहुत प्रेरणा देता है हम उनके जीवन से बहुत कुछ सीख सकते है। श्री गणपति जी की दिव्यता, अपने माता-पिता के प्रति आज्ञाकारिता तथा उनके हाथों में जो अलंकरण दिखाते है वह किसी न किसी विशेष गुण और शक्ति का प्रतीक है। दीदी नें आगे कहा कि संगठित रूप से कार्य करने से सफलता प्राप्त होती है और हर परिस्थिति में परमात्मा की याद से ही स्थिर रहना संभव है।
दीदी नें सकारात्मक चिंतन का महत्व बताते हुए कहा कि सकारात्मक सोच जीवन की दिशा और दशा बदल देती है अर्थात जीवन को अच्छा बना देती है। आज कोई भी परिस्थिति व्यक्ति के जीवन में आती है तो वह घबरा जाता है। जबकि जीवन है तो उतार चढाव तो आएंगे उनसे हमें घबराना नहीं चाहिए। हमेशा हर परिस्थिति में सकारात्मक रहने से हर समस्या का समाधान मिल जाता है। दिन कि शुरुवात राजयोग ध्यान अर्थात परमात्मा कि याद से करना चाहिए तो सारा दिन अच्छा व्यतीत होगा। दीदी नें राजयोग ध्यान कि विधि सभी को बताई और सभी को ध्यान कि गहन अनुभूति भी कराई।

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Indraganj Lashkar

एनसीसी की 3 एमपी गर्ल्स बटालियन में आयोजित कार्यक्रम (न्यूज़ कवरेज)

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एसएएफ की 14 वीं बहिनी में खुशनुमा और स्वस्थ्य जीवन शैली विषय पर कार्यक्रम आयोजित

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26.08.2025

सकारात्मक सोच इंसान को हर कठिन परिस्थिति में हिम्मत देती है – बीके प्रहलाद भाई

ग्वालियर। एसएएफ 14वीं वाहिनी विशेष सशस्त्र पुलिस बल द्वारा “पॉजिटिव थिंकिंग, हैप्पी एंड हेल्दी लिविंग” (सकारात्मक सोच, खुशनुमा और स्वस्थ्य जीवनशैली) विषय पर कार्यक्रम का आयोजन बटालियन कमांडेंट डॉ शिवदयाल सिंह (आईपीएस) के निर्देशन में आयोजित हुआ।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय से मोटिवेशनल स्पीकर बीके प्रहलाद भाई तथा राजयोग ध्यान प्रशिक्षक बीके ज्योति बहन, बीके सुरभि बहन उपस्थित थीं। इसके साथ ही कार्यक्रम में 14 वीं वाहिनी एसएएफ के डिप्टी कमांडेंट श्री संजय कॉल, मेडिकल ऑफिसर डॉ.ओमप्रकाश वर्मा, सहायक सेनानी श्री रत्नेश तोमर, सहायक सेनानी श्री प्रमोद शाक्य, सहायक सेनानी श्री दिलीप चंद छारी, निरीक्षक श्री राकेश कुमार शर्मा आदि उपस्थित थे।
कार्यक्रम में बीके प्रहलाद भाई ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे मन में जैसे विचार आते है वैसा ही हमारा जीवन बनता है। यह विचार सुनने में सरल लगता है पर वास्तव में यही जीवन का सबसे बड़ा सत्य है कि मनुष्य का जीवन उसकी सोच का प्रतिबिंब होता है। अगर हमारा मन सकारात्मक विचारों से भरा रहेगा तो जीवन में हर परिस्थिति का सामना आसानी से किया जा सकता है। लेकिन यदि मन में नकारात्मक विचार आते है तो हमारे पास कितना भी धन, पद या सुविधाएँ क्यों ना हो पर हमें जीवन बोझ ही लगेगा। इसलिए जीवन में सफलता पाने के लिए केवल मेहनत करना ही काफी नहीं होता, बल्कि सही सोच और समय का सही उपयोग करना भी उतना ही आवश्यक होता है।


सकारात्मक सोच इंसान को हर कठिन परिस्थिति में हिम्मत से खड़े रहने की शक्ति देती है।
जब हम किसी भी समस्या का सामना करते हैं तो नकारत्मक विचार हमें कमजोर बना देते हैं। जबकि सकारात्मक सोच विश्वास जगाती है कि हर समय समस्या का समाधान मौजूद है यही विश्वास इंसान को मंजिल तक पहुंचाने के लिए प्रेरित करता है, ठीक उसी प्रकार समय प्रबंधन जीवन की सबसे बड़ी कला है समय बहुत कीमती है और एक बार चला गया तो वह समय कभी वापस नहीं आता। जो लोग समय क़ा सही महत्त्व समझते हैं वही जीवन में आगे बढ़ते हैं और सफलता प्राप्त करते हैं समय का सही उपयोग हमें अनुशासन, धैर्य और कार्य के प्रति जिम्मेदारी सिखाता है।
अगर हम सकारात्मक सोच के साथ समय का सम्मान करना सीख जाए तो न केवल हमारे जीवन में प्रगति होगी बल्कि हम दूसरों के लिए भी प्रेरणा बनेंगे यही दोनों बातें सकारात्मक सोच और समय प्रबंधन जीवन को सार्थक और सफल बनाती हैं। इसके साथ ही उन्होंने आगे कहा कि हम कितने भी व्यस्त क्यों न हों परंतु थोड़ा समय हमें अपने लिए निकलना चाहिए जिसमें हम तन और मन को स्वस्थ्य रखने के लिए ध्यान, योग, प्राणायाम आदि के लिए समय निकाल सकें। साथ ही थोड़ा समय हमें अपने परिवार और मित्र संबंधियों को भी देना चाहिए। इससे हमें सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और जीवन भी हमारा खुशहाल होता है।
तत्पश्चात डिप्टी कमांडेंट ने जवानों को संबोधित करते हुए कहा कि सफलता का रास्ता आसान नहीं होता । यह कठिनाइयों, संघर्षों और असफलताओं से होकर गुजरता है लेकिन जो व्यक्ति अपने लक्ष्य और कार्य के प्रति अडिग रहता है, वही मंज़िल तक पहुँच पाता है।


डॉ ओपी वर्मा ने कहा कि एक स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन से ही इंसान अपने जीवन के हर लक्ष्य को हासिल कर सकता है। जब स्वास्थ्य अच्छा होता है तो जीवन ऊर्जा से भर जाता है, काम में उत्साह आता है और मन खुश रहता है। लेकिन जब स्वास्थ्य बिगड़ जाता है, तो सारी खुशियाँ फीकी लगने लगती हैं।
अंत में बीके ज्योति बहन ने उपस्थित जवानों को राजयोग ध्यान के बारे में विस्तार से बताया तथा सभज को ध्यान का अभ्यास भी कराया।
इसके साथ ही सारा दिन अच्छा बीते उसके लिए रचनात्मक एक्टिविटी भी सभी को कराई और कहा कि रोज हमें सबके लिए अच्छे विचार रखने चाहिए।
इस अवसर पर अनेकानेक अधिकारी एवं एक सैकड़ा से अधिक पुलिस के जवान उपस्थित थे।

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