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Indraganj Lashkar

“Mera Gwalior – Swach Gwalior – Drug free Gwalior” Rally orgranised by Brahma Kumaris of Gwalior for awakening the humanity

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“Mera Gwalior – Swach Gwalior – Drug free Gwalior”  Rally orgranised by Brahma Kumaris of Gwalior for awakening the humanity.  Holding value based slogans and flags,  ‘Make the mind clean and the earth green’ is the positive message given to Gwalior city.

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ग्वालियर : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा नगर निगम ग्वालियर के सहयोग से स्वच्छता जागरूकता शोभायात्रा (रैली) निकाली गयी, इसके पूर्व कार्यक्रम की शुरुवात ब्रह्माकुमारीज के माधोगंज स्थित स्थानीय सेवाकेंद्र पर प्रात: 07:30 से किया गया, इस कार्यक्रम में विशेष रूप से ग्वालियर महानगर के माननीय महापौर श्री विवेक नारायण शेजवलकर, स्वच्छता अभियान के ब्रांड एम्बेसडर श्री एम.एल. दौलतानी, स्थानीय पार्षद श्रीमति वंदना अरोरा, श्री अजय अरोरा, ब्रह्मकुमारीज़ संस्थान के वरिष्ठ राजयोग प्रशिक्षक बी.के. डॉ. गुरचरण, बी.के. प्रह्लाद उपस्थित रहे, कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्वलित करके किया गया| बी.के. प्रह्लाद द्वारा सभी अतिथियों का स्वागत किया गया| ततपश्चात् बी.के.डॉ. गुरचरण सिंह ने, ब्रह्मकुमारिज संस्थान द्वारा भारत एवं विश्वभर में चलाये जा रहे अभियानों के बारे में सभी को जानकारी दी उनोह्नें बताया कि संस्थान पिछले 80 वर्षो से मानवता की सेवा में समर्पित है अभी वर्तमान में एक बड़ा राष्ट्रीय अभियान “मेरा भारत स्वर्णिम भारत” चलाया जा रहा है जिसके अंतर्गत स्वच्छता, व्यसन मुक्ति, बेटी बचायो बेटी पढाओ,CLEAN THE MIND GREEN THE EARTH (स्वच्छ मन व धरती को हरा भरा बनाये) आदि- आदि अन्य अभियान चलाये जा रहे है उसी क्रम में आज ग्वालियर में भीस्वच्छता जागरूकता रैली का आयोजन किया गया | जिसका उद्देश्य सम्पूर्ण मानवजाती को प्रकृति, पर्यावरण एवं स्वच्छता के प्रति जागरूक करना हैं साथ ही उन्होंने बताया कि हम अपने बाह्य परिवेश को तभी स्वच्छ बना सकते है जबकि हम आतंरिक रूप से, मानसिक रूप से सत्यता, और स्वच्छता को अपनाये, जैसे हम अपने दैनिक जीवन में अपने परिवार के प्रति, अपने कार्यो के प्रति जिम्मेवारी को पूरा करने के लिया सदैव प्रयासरत हैं उसी प्रकार से हमे प्रकृति, व पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेवारी को समझना होगा, उन्होंने कहा कि जैसे माता-पिता अपने बच्चो की शुरुआत से अच्छी पालना करते हैं पर कभी कभी वही बच्चे अपने माता-पिता को सहयोग नहीं करते परन्तु प्रकृति, पर्यावरण जीवनपर्यंत हमारे सहयोगी बनाकर रहती है, अत: इनके प्रति हमारी भी जिम्मेवारी है, साथ ही उन्होंने बताया कि भारत सरकार द्वारा शुरू किये गए इस स्वच्छता अभियान के लिये ब्रह्माकुमारीजसंस्थान की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी जानकी जी, शुरुआत से ही ब्रांड एम्बेसडर है, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सहज राजयोग के अभ्यास से हम दूषित मन को स्वच्छ बना सकते है और अपनी बुरी आदतों को भी बदल सकते है |
इसके साथ ही पार्षद श्रीमती वंदना अजय अरोरा ने भी शोभायात्रा के प्रति अपनी शुभकामना व्यक्त करते हुए कहा कि हम सभी को एकजुट होकर ये प्रयास करना होगा तभी इस अभियान को सफल बनाया जा सकता है उन्होंने बताया कि माधोगंज में जबसे ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान का स्थानीय मैडिटेशन केंद्र खुला हैं तभी से वहां आसपास के लोगो में स्वच्छता के प्रति जाग्रति देखने में आई है, इससे पूर्व भी प्रयास किये जाते रहे परन्तु मैडिटेशन केंद्र के खुलने के बाद इसका प्रभाव अधिक देखने में आया, इसके लिये उन्होंने संस्थान को बधाई देते हुए कहा कि अभी आप सभी का ये कार्य एक गली एरिया से आगे बढकर पूरे शहर व देश को स्वच्छता की ओर ले जाये ऐसी जाग्रति हम सभी को मिलती रहे ऐसी हमारी शुभकामना हैं |
तत्पश्चात माननीय महापौर श्री शेजवलकर ने कहा कि भारत सरकार तथा ग्वालियर नगर निगम द्वारा चलाये जा स्वच्छता अभियान में सहयोगी बनने व इस अभियान को सार्थक बनाने के लिये संस्थान द्वारा दिए गए सहयोग के प्रति अपनाओर से धन्यवाद व शुभकामनाये दीं | उन्होंने कहा कि 2 अक्टूबर 2014 को हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पूरे देश को यह संकल्प दिलाया कि हम अपने देश को गन्दगी से मुक्त स्वच्छ भारत बनाकर ही छोड़ेंगे |उन्होंने कहा- कि हम जिस समाज में रहते है वहां एक माँ भी अपने बच्चे से कहती हैं कि पहले नहाकर आओ तब भोजन करना, रोज सुबह हम सभी मंदिरों में दर्शन के लिये जाने से पूर्व स्नान और स्वच्छता का ध्यान रखते है, मंदिरों में भी स्वच्छता व सफाई का पूरा ध्यान होता हैं, घर में भी दिन में 2 से 3 बार साफ-सफाई करते है, स्वच्छता तो हमारे संस्कारों में हैं | परन्तु पिछले कई वर्षो में हमारी आदतें बदल गयी हैं, और गंदगी उस आदत का दुष्परिणाम है | महात्मा गाँधी जी ने भी कहा कि जहाँ स्वच्छता है वही इश्वर का वास हैं | इसी बात को आगे बढाते हुए हमने अपनी आदत को सुधारने का बीड़ा उठाया है | आदतें बदलना मुश्किल तो होता है परन्तु असंभव नहीं | यह बहुत ही सांस्कृतिक निर्णय है | मै मानता हू कि हम सभी के सहयोग से ये कार्य जरूर सफल होगा ही और यह भी मानता हू कि केवल भाषणों, रेलियों से यह कार्य पूरा नहीं होगा, बल्कि व्यक्तिगततौर पर इसे हमे अपनी जिम्मेवारी समझना होगा | स्वयं नशा करते दूसरों को नशा न करने का उपदेश देंगे तो कोई नहीं मानेगा, कोई असर नहीं होगा | हमे अपनी तरफ से शुरुआत करते हुए अपनी आदते बदलनी होंगी, तभी हम लोगो को बदल पाएंगे | मेरा हर वर्ग से, हर उम्र के लोगों से यही निवेदन है कि इस अभियान के प्रति अपनी अपनी जिम्मेवारी समझे और अपना एक कदम स्वच्छता की और बढ़ाएं |
स्वच्छता अभियान में ग्वालियर के ब्रांड एम्बेसडर डॉ. दौलतानी ने कहा कि अभी कुछ समय पूर्व ही मुझे ब्रह्माकुमारीज़ के मुख्यालय जाने का अवसर मिला जहाँ पर मैंने हजारो भाई बहनो को देखा वहां के स्वच्छ निर्मल वातावरण को देखा और सफाई के प्रति अनुसाशन को देखा वहीँ मुझे यह संकल्प आया कि ग्वालियर शहर में ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के साथ मिलकर स्वच्छता जागरुक रैली निकालनी है क्योकिमै इनकी शिक्षाओ जीवन शैली व अनुशासन से प्रभावित हुआ यह संस्था समाज में आध्यात्मिक जागरूकता का कार्य कर रही है | क्योकि जाग्रति के विना ये अभियान पूरा नहीं हो सकता | उन्होंने कहा कि 3000 सफाई कर्मचारी मिलकर पूरे शहर को स्वच्छ नहीं बना सकते 15 लाख की आबादी बाले इस शहर में हरेक को स्वच्छता के प्रति अपनादायित्व समझना चाहिए जाग्रति का उद्देश्य ही व्यक्तिगत दायित्व का अनुभव कराना है जिसके लिये यह रैली निकाली जा रही है मेयर सर व हम सभी के प्रयास से इस अभियान में ग्वालियर नंबर वन पर है परन्तु फिर भी अभी स्वच्छता की आवश्यकता है और इसीलिये हम इस रैली के माध्यम से आप सभी से सहयोग का आह्वान करते है |
तत्पश्चात माननीय महापौर द्वारा हरी झंडी दिखाकर रैली को प्रारम्भ किया गया यह रैली स्वच्छता का संदेश देते हुए माधवगंज से रोक्सीपुल, कम्पू, नयाबजार, दाल बाजार, जयेन्द्रगंज, शिंदे की छावनी होती हुई फूलबाग गाँधी उद्द्यान पहुंची वहां पर गाँधी जी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर लगभग 500 से भी अधिक भाई बहनों ने स्वच्छता को बनाये रखने की सपथ ली और एक कार्यक्रम करके रैली का समापन किया गया |

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मालनपुर ग्वालियर – ब्रह्माकुमारीज़ के युवा प्रभाग द्वारा आयोजित डिवाइन यूथ फोरम तीन दिवसीय रिट्रीट सम्पन

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ब्रह्माकुमारीज़ के युवा प्रभाग द्वारा आयोजित डिवाइन यूथ फोरम तीन दिवसीय रिट्रीट सम्पन

तीन दिवसीय रिट्रीट में प्रदेश भर से आई युवा बहनों ने सीखे व्यक्तितव विकास गुर

दुआएं लेना और दुआएं देना अर्थात जीवन को सुंदर बनाना – अनुसूईया दीदी

ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान में आना अर्थात आनंद की अनुभूति करना -आशीष प्रताप सिंह

बिना कहे जब हम काम करते हैं तो दुआएं मिलती हैं – रेखा दीदी

ग्वालियर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्व विद्यालय की भगिनी संस्था राजयोग एज्युकेशन एण्ड रिसर्च फाउंडेशन के युवा प्रभाग द्वारा नई उमंग नई तरंग के अंतर्गत गोल्डन वर्ल्ड रिट्रीट सेंटर में तीन दिवसीय आवासीय रिट्रीट डिवाइन यूथ फोरम का आयोजन किया गया था। जिसमे पूरे प्रदेश से युवा बहनों ने हिस्सा लिया। इस रिट्रीट का उद्देश्य व्यक्तित्व विकास का प्रशिक्षण देना था।
आज कार्यक्रम के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में भाजपा के प्रदेश कार्य समिति सदस्य आशीष प्रताप सिंह राठौड़, दिल्ली से पधारी बीके अनुसूईया दीदी, बीके वर्णिका दीदी, सीधी से रेखा दीदी, ग्वालियर गोल्डन वर्ल्ड रिट्रीट सेंटर प्रमुख बीके ज्योति बहन, युवा प्रभाग के राष्ट्रीय सदस्य बीके प्रहलाद भाई, बीके जानकी आदि उपस्थित थीं।

कार्यक्रम के शुभारंभ ने दिल्ली से आई बीके अनुसूईया दीदी ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि दुवाओं के वारे में सभी को बताया और कहा कि दुआएं यह कोई खरीदी-बेची जाने वाली वस्तु नहीं, बल्कि हमारे कर्मों की खामोश कमाई होती हैं। जब हम निस्वार्थ भाव से, श्रद्धा और सेवा-भाव से कार्य करते हैं, तो दुआएं स्वतः ही हमारे खाते में जमा होती जाती हैं।
दुआएं कमाने का मार्ग कर्म से होकर जाता है। जब हम अपने कर्मों से अपने बड़ों, गुरुजनों और समाज को निश्चिंत करते हैं। जब हम बिना कहे उनके सुख-दुख में साथ खड़े होते हैं, तो वह आशीर्वाद नहीं, बल्कि दिल से दुआएं भी देते हैं। यह दुआएं हमारी रक्षा करती हैं, मार्ग प्रशस्त करती हैं, और जीवन को सार्थक बनाती हैं।
दीदी ने आगे कहा कि हम जिनको लोगो के साथ रहते है या जहां कार्य करते है। या फिर कोई सेवा का कार्य करते है। वह हमें अपना समझ करके और बिना कहे करना चाहिए यह सबसे ऊँचा कर्म है। जो काम किसी ने कहा नहीं, पर हमने देख लिया और कर दिया। वही असली सेवा है। सेवा में दिखावा नहीं, समर्पण होना चाहिए। जब हम अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर दूसरों के लिए कार्य करते हैं, तो हमें दुआओं की पूंजी मिलती है। हमें ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि “यह मेरा काम नहीं है।” कर्म का धर्म यही कहता है कि जहां ज़रूरत हो, वहां सहयोग दिया जाए। यही सहयोग एक दिन हमारी ज़रूरत के समय कई गुना होकर लौटता है।
यूथ विंग की भोपाल ज़ोन की संयोजिका बीके रेखा बहन ने कहा कि जितनी ज़रूरत हो, उतना ही लेना सीखें। आज की दुनिया में लालच हर किसी को खींचता है, पर संतोष और संयम ही वह गुण है जो दूसरों के हिस्से की चीज़ें भी उन्हें लौटाकर हमें दुआएं दिलवाता है। सीमित संसाधनों में संतुलन बनाना, यही सच्चे संस्कारों का परिचायक है।


कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य आशीष प्रताप सिंह राठौड़ ने बतौर मुख्य अतिथि विचार व्यक्त करते हुए कहा कि समष्टि के प्रति एकात्मता, सर्वभूत हितेरेता:
एवं सर्वे भवंतु सुखिनः जैसे उच्च स्तरीय मूल्यों के उपासक होने पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के भाइयों बहनों ने हम सब को गौरवान्वित किया हैं। हमारे जो गुरुजन होते हैं उनकी शिक्षा से ही हमारा विकास होता हैं
जिस प्रकार हमारा देश आगे बढ़ रहा हैं। और आज हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बड़ी हैं।
मैं पिछले कुछ वर्षो से ब्रह्माकुमारीज़ संस्था से जुड़ा हुआ हूँ। और मुझे यहां आकर के आनंद की अनुभूति होती हैं।
आज की पीढ़ी अपने नेचर को भूलती जा रही हैं
यह संस्था सभी लोगों को नेचर और सांस्कृतिक से जोड़ती हैं।
कार्यक्रम में दिल्ली से आई बीके वर्णिका बहन ने कहा कि “सर्वे भवन्तु सुखिनः” की भावना ही दुआओं की कुंजी है। जब हम केवल अपने लिए नहीं, बल्कि सभी के भले की कामना करते हैं, उनके लिए कुछ करते हैं, तो संपूर्ण सृष्टि से हमें सकारात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।
बचपन से ही हमें ऐसे मूल्य और सोच अपनाने चाहिए कि जहाँ भी हम जाएँ, वहाँ शांति, सहयोग, और करुणा का संचार हो। यही हमारे जीवन की सबसे बड़ी कमाई है। दुआएं सिर्फ शब्दों से नहीं, व्यवहार से दी जाती हैं। प्रेरणा देकर, मार्गदर्शन देकर।


गोल्डन वर्ल्ड रिट्रीट सेंटर की प्रभारी बीके ज्योति दीदी ने भी अपनी शुभकामनाएं दीं और कहा कि जिस दिन हमारे अंदर संतोष धन आ जाता हैं फिर बाहर का कोई भी आकर्षण महसूस नहीं होता हैं।
अपने लिए जिए तो क्या जिए, जीवन में दूसरों का भला ही असली जीवन है।
कार्यक्रम का कुशल संचालन बीके प्रहलाद भाई ने किया तथा सभी का आभार बीना से पधारी बीके जानकी दीदी ने किया।
इस अवसर पर नीलम बहन, रेखा बहन, खुशबू बहन, महेश भाई, आशीष भाई, मीरा बहन, अर्चना बहन, सपना बहन सहित अनेकानेक बहने उपस्थित थीं

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न्यूज़ कवरेज – जीवन की असली पूँजी दौलत या प्रतिष्ठा नहीं, बल्कि खुशी, संतुष्टि और शांति है

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मालनपुर ग्वालियर – जीवन की असली पूँजी दौलत या प्रतिष्ठा नहीं, बल्कि खुशी, संतुष्टि और शांति है

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जीवन की असली पूँजी दौलत या प्रतिष्ठा नहीं, बल्कि खुशी, संतुष्टि और शांति है – बीके वर्णिका बहन

यदि सच्ची कमाई करनी है तो हमें अपनी वाणी को मधुर और प्रेमपूर्ण बनाना होगा – बी के अनुसुईया दीदी

ग्वालियर: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के माधवगंज स्थित प्रभु उपहार भवन में दिल्ली से आई बीके अनुसुईया दीदी एवं वर्णिका बहन का स्वागत अभिनन्दन किया गया।


इस अवसर पर ब्रह्माकुमारीज़ लश्कर केंद्र प्रमुख बीके आदर्श दीदी ने शब्दों से एवं पुष्पगुच्छों से पधारे हुए अतिथियों का स्वागत अभिनन्दन किया। और कहा कि मानव जीवन बहुत ही अनमोल हैं इसकी हमें हमेशा वैल्यू करनी चाहिए। और हमेशा श्रेष्ठ कर्म ही करना चाहिए। आज हमारे बीच अनुसुईया दीदी पहुंची है जो कि पिछले 60 वर्षों एवं वर्णिका बहन पिछले 11 वर्षों से ब्रह्माकुमारीज संस्थान में प्रेरक वक्ता एवं राजयोग ध्यान प्रशिक्षका के रूप में समर्पित होकर अपनी सेवाएँ दें रही है। और आपके माध्यम से हजारों, लाखों लोगो को श्रेष्ठ जीवन जीने की प्रेरणा मिल रही है। यह बहुत ही खुशी कोई बात है कि आप आगमन ग्वालियर हुआ है। निश्चित ही यहाँ के लोगो को आपके प्रेरक उद्बोधन का लाभ मिलेगा।

कार्यक्रम में बी.के. वर्णिका बहन ने कहा कि हर व्यक्ति का जीवन अलग होता है, उसके अनुभव, उसके संस्कार, उसकी सोच और उसकी चाहतें भी भिन्न होती हैं। कोई सफलता को सबसे बड़ा लक्ष्य मानता है, तो कोई संतोष को ही जीवन का सार समझता है। लेकिन जब हम गहराई से सोचते हैं, तो समझ आता है कि जीवन की असली पूँजी दौलत या प्रतिष्ठा नहीं, बल्कि खुशी, संतुष्टि और शांति है। ये खजाने बाजारों में नहीं मिलते, ये न किसी चीज़ से खरीदे जा सकते हैं और न ही किसी को देकर लिए जा सकते हैं। ये खजाने परमात्मा के पास हैं, और उनका अनुभव तभी होता है जब इंसान स्वयं से जुड़ता है, अपने भीतर झाँकता है। जिंदगी शुरू होती है एक छोटे से मासूम सपने से – पढ़ाई पूरी हो जाए, अच्छे नंबर आ जाएँ। फिर उस सपने में एक और सपना जुड़ जाता है – नौकरी लग जाए, भविष्य सुरक्षित हो जाए। नौकरी मिलती है तो एक और चाह जागती है – अच्छा घर हो, गाड़ी हो, जीवनसाथी हो। फिर एक परिवार बसता है, बच्चे होते हैं, उनके सपनों को पूरा करने की दौड़ शुरू होती है। एक के पीछे एक लक्ष्य आता जाता है, और इंसान उन्हें पूरा करने की कोशिश में पूरी जिंदगी गुजार देता है। लेकिन इन सबके बीच वह भूल जाता है कि वह भाग किसके लिए रहा है, किस मंज़िल की तलाश में है। हर सफलता के बाद एक नई कमी महसूस होती है। हर उपलब्धि के साथ एक नया खालीपन जन्म लेता है। और जब उम्र ढलने लगती है, तब जाकर कहीं दिल से एक धीमी आवाज़ उठती है – अब कुछ नहीं चाहिए, बस थोड़ा सा सुकून चाहिए, थोड़ा सा प्यार चाहिए, थोड़ी सी शांति मिल जाए। यही वह क्षण होता है जब इंसान को समझ आता है कि असली खजाना बाहर नहीं, भीतर है। जो बात शुरुआत में समझ में नहीं आती, वह अंत में साफ हो जाती है – कि जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता है आत्मिक संतुलन। जब हम खुद से कट जाते हैं, तो सारी दुनिया मिलने पर भी अधूरे रहते हैं। लेकिन जब हम खुद से जुड़ जाते हैं, जब हम परमात्मा के प्रति समर्पण भाव रखकर जीवन को जीते हैं, तब वह खजाना स्वयं हमारे भीतर प्रकट होता है। शांति कोई चीज़ नहीं, यह एक अनुभव है। प्रेम कोई लेन-देन नहीं, यह एक भावना है। संतुष्टि कोई लक्ष्य नहीं, यह जीवन का भाव है। और जब तक हम इन अनुभवों को नहीं जीते, तब तक चाहे हम कुछ भी पा लें, वह अधूरा ही रहता है। इसलिए ज़रूरी है कि हम अपने जीवन की रफ्तार को थोड़ा धीमा करें, अपने भीतर झाँकें, उस मौन को सुनें जो हर पल हमें आवाज़ दे रहा है। तभी हमें जीवन का असली खजाना मिलेगा – वह खजाना जो नष्ट नहीं होता, जो सदा हमारे साथ रहता है – परमात्मा की कृपा में बसी हुई शांति, प्रेम और संतोष।

कार्यक्रम में अनुसुईया दीदी ने अपना उद्बोधन देते हुए कहा कि मनुष्य केवल शरीर नहीं है, बल्कि एक चेतन्य शक्ति आत्मा है। यह आत्मा ही शरीर के माध्यम से सभी कर्म करती है। हमारे हर अच्छे या बुरे कर्म का मूल स्रोत हमारी आत्मा ही होती है। शरीर तो एक माध्यम है। जब आत्मा शुद्ध होती है, तो उसके विचार, वाणी और कर्म भी शुद्ध होते हैं। यदि सच्ची कमाई करनी है तो हमें अपनी वाणी को मधुर और प्रेमपूर्ण बनाना होगा। जब हम प्रेम से, शांति से और आदरपूर्वक बोलते हैं तो हमारे शब्द केवल शब्द नहीं रहते, वे दुआएँ बन जाते हैं। इन दुआओं का कोई मूल्य नहीं लगा सकता, क्योंकि ये आत्मा को ऊँचा उठाती हैं, कर्मों को हल्का बनाती हैं और जीवन में सच्ची सुख-शांति का आधार बनती हैं।
जब हम किसी के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं, मीठे बोल बोलते हैं, सहायता करते हैं, शुभ सोचते हैं और सद्विचारों को सुनते हैं, तो यह सब आत्मा के भीतर जमा होता जाता है। यह जमा पूँजी ऐसी है जिसे कोई देखे या न देखे, कोई जाने या न जाने, पर आत्मा जानती है कि कुछ अच्छा संचित हुआ है। कभी-कभी हम दिन भर अच्छा व्यवहार करते हैं, सभी से प्रेम से बोलते हैं, और फिर भी कोई हमारी सराहना नहीं करता। पड़ोसियों को पता नहीं चलता, परिवार के लोग नज़रअंदाज़ कर देते हैं, और हम भीतर ही भीतर दुःखी हो जाते हैं। हमें लगता है कि हमारी अच्छाई का कोई मूल्य ही नहीं रहा, कोई उसे समझ नहीं रहा। पर यहाँ हमें यह समझना चाहिए कि हर व्यक्ति की किस्मत उसके कर्मों से बनती है। मेरे कर्म मेरी किस्मत बनाते हैं और किसी और के कर्म उसकी किस्मत तय करते हैं। अगर कोई मेरी अच्छाई को नहीं मानता, मेरी बात को नहीं समझता, मेरी सेवा का आदर नहीं करता, तो मुझे दुःखी नहीं होना चाहिए। अगर मैं अच्छा करते हुए भी दुःखी हूँ, तो यह मेरी समझ की कमी है। क्योंकि बुरा कर्म करने वाला तो दुःखी रहता ही है, लेकिन जो अच्छा कर्म करके भी दुःखी हो जाए, वह तो और भी बड़ी भूल कर रहा है। परमात्मा सब देखते है। हम उनके बच्चे हैं। जब हम अच्छे कर्म करते हैं, प्रेम से बोलते हैं, शांति से जीते हैं, सेवा में रहते हैं, तो परमात्मा की कृपा हमारे साथ होती है। इसलिए किसी के न मानने या सराहने न करने से हमें हताश नहीं होना चाहिए। हमारा हर अच्छा कर्म, चाहे वह छोटा हो या बड़ा, कहीं न कहीं आत्मा में दर्ज हो रहा है। यही हमारे जीवन की असली पूँजी है।


अतः हमें सदा यही याद रखना चाहिए कि कोई देखे या न देखे, कोई माने या न माने, लेकिन यदि हम सही मार्ग पर चल रहे हैं, प्रेम और सेवा के भाव में जी रहे हैं, तो हमें कभी दुःखी नहीं होना चाहिए। क्योंकि अंततः आत्मा को शांति उसके अपने कर्मों से ही मिलती है, और परमात्मा की दृष्टि से कोई भी अच्छा कर्म कभी व्यर्थ नहीं जाता।

कार्यक्रम का कुशल संचालन बीके ज्योति बहन (मोहना) ने किया तथा आभार बीके प्रहलाद भाई ने किया।

इस अवसर पर बीके जीतू, बीके पवन, बीके सुरभि, बीके रोशनी, सुरेन्द्र, विजेंद्र, पंकज, पीयूस, रवि, गजेन्द्र अरोरा, डॉ स्वेता माहेश्वरी सहित अनेकानेक लोग उपस्थित थे।

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